Narayana Murthy: A Complete Biography of Indian Businessman
Author:
Dinkar KumarPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
EnglishCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Available
This book takes you on an inspiring journey through the life of a visionary who transformed the global business landscape. From his modest beginnings in a small town to becoming the co-founder of Infosys, this is the story of how one man's determination and values reshaped India's IT industry.
Discover how Murthy's bold decisions, unwavering ethics and innovative thinking propelled Infosys from a fledgling startup to a global powerhouse. Explore the challenges he faced, the milestones he achieved and the leadership philosophies that made him a revered icon in the corporate world.
Beyond the boardroom, this biography delves into Murthy's personal life, his enduring partnership with Sudha Murthy and their shared commitment to giving back to society. It captures the essence of a man who believes in the power of simplicity, hard work and compassionate capitalism. Told with authenticity and insight, this book is not just a biography it's a testament to the transformative power of vision and values
ISBN: 9789355628435
Pages: 172
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Stephen Hawking : Anant-Yatri
- Author Name:
Chandramani Singh
- Book Type:

- Description: ‘स्टीफेन हॉकिंग : अनन्त-यात्री’ महान वैज्ञानिक स्टीफेन हॉकिंग का वैज्ञानिक जीवनवृत्त है जिसमें उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों के साथ-साथ उनके जीवन के छुए-अनछुए पहलुओं की चर्चा की गयी है। अपने परिजनों एवं समाज के प्रति उनकी संवेदनशीलता एवं सम्पूर्ण मानवता की रक्षा के लिए दिये गये उनके सुझावों की संजीदगी उन्हें अन्य से पृथक कर महानतम बना देती है और ऐसे लोग कभी-कभी इस धरती पर जन्म लेते हैं।
Yoon Guzari Hai Ab Talak
- Author Name:
Seema Kapoor
- Book Type:

- Description: हिन्दी सिनेमा की सुपरिचित निर्माता, निर्देशक और लेखक सीमा कपूर की आत्मकथा ‘यूँ गुज़री है अब तलक’ सिर्फ़ उनके ही जीवन की कहानी नहीं है, इसमें हम एक पूरे दौर के जाने-माने कलाकारों, फ़िल्मकारों के साथ-साथ उनके परिवार के बारे में भी जान पाते हैं। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि पारसी थियेटर के ज़माने की कला से जुड़ी रही है। पिता मदनलाल कपूर का पारसी रंगमंच को जो योगदान रहा, उसे अब भी याद किया जाता है। माँ कमल कपूर ‘शबनम’ शायर थीं। बड़े भाई रंजीत कपूर रंगमंच के और अन्नू कपूर हिन्दी सिने-जगत के जाने-माने चेहरे हैं। छोटे भाई निखिल कपूर कवि हैं। सीमा जी प्रसिद्ध अभिनेता ओम पुरी की जीवन-संगिनी हैं, तो ज़ाहिर है इस आत्मकथा में उनका जीवन भी हमारे सामने आता है, वे संघर्ष भी दिखाई देते हैं जिनसे आप दोनों को गुज़रना पड़ा और ख़ुशियों के वे पल भी जो उन्होंने जिये। ओम पुरी के जीवन के अन्तिम दिनों की उदास करनेवाली छवियाँ हमें सिर्फ़ इसी पुस्तक में मिलती हैं। कलाकार-दम्पती ने उन दिनों को जैसे जिया, वह पठनीय तो है ही अनुकरणीय भी है। कहने की आवश्यकता नहीं कि हिन्दी सिने-जगत की बड़ी दुनिया के कई अहम पहलू भी इसमें पाठकों को देखने-जानने को मिलेंगे।
Ret Par Khema
- Author Name:
Zabir Hussain
- Book Type:

-
Description:
‘मौत पर मुआवज़ा। मेरे गाँव आजकल मौत का मुआवज़ा मिलता है?’ कबीर छह सौ वर्ष बाद एक दिन अपने गाँव आकर जुम्मन शेख से पूछते हैं : और जुम्मन उन्हें बताता है कि ‘हाँ, मिलता है, सिर्फ़ ख़ुशक़िस्मत लोगों को मिलता है।’
नए और लगातार बदलते हुए इस दौर के बारे में राजनीतिज्ञ और लेखक जाबिर हुसेन की यह कथा-डायरी इसी तरह कभी कल्पना के सहारे, कभी अपने आसपास फैली ख़बरों के बहाने और कभी अपने रोज़मर्रा की ज़िन्दगी के अनुभवों के आधार पर भावप्रवण टिप्पणियाँ करती चलती है।
जाबिर हुसेन अहसास की गहरी नमी के पीछे से अपने आसपास की दुनिया को देखनेवाले रचनाकार हैं, इसीलिए शायद उन्होंने कहानी-उपन्यासों के बजाय डायरी जैसी विधा को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया है जो निजी तथा सार्वजनिक के बीच एक दिल की तरह धड़कते हुए पुल का निर्माण करती है।
2005 के ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ से विभूषित यह रचना उनकी कथा-डायरी है जिसमें वे अपने अनुभवों और विचारों को छोटी-छोटी कहानियों में पिरोकर पेश करते हैं। बचपन की अपनी प्यारी नाजो बी की यादों से शुरू होकर यह किताब अनेक दिलचस्प और हमारी सोच की राह को रौशन करनेवाली कहानियों और मौजूदा समय की सच्चाइयों को उजागर करनेवाले क़िस्सों से होकर गुज़रती है। कबीर हैं तो लोहिया भी इसमें हैं, दादा कृपलानी हैं तो दंगाई भीड़ के सामने खड़े मांगी रामजी भी हैं।
Kanshiram : Bahujanon Ke Nayak
- Author Name:
Badri Narayan
- Book Type:

- Description: एक दलित आइकॉन के रूप में कांशीराम (1934-2006) की प्रतिष्ठा, आज के समय में आंबेडकर के बाद के एकमात्र नेता के रूप में है। यह किताब उनकी पूरी यात्रा पर रोशनी डालती है। कांशीराम के शुरुआती वर्ष ग्रामीण पंजाब में बीते और पुणे में आंबेडकरवादियों के साथ मिलकर ‘बामसेफ’ की नींव डाली, जो व्यापक स्वरूप वाला ऐसा संगठन था जिसने पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जातियों, दलितों और अल्पसंख्यकों को एकजुट किया और अन्ततोगत्वा 1984 में ‘बहुजन समाज पार्टी’ बनाई। अनगिनत मौखिक और लिखित स्रोतों का सहारा लेकर बद्री नारायण ने दिखाया है कि कैसे कांशीराम ने अपने ठेठ मुहावरों, साइकिल रैलियों और विलक्षण ढंग से स्थानीय नायकों और मिथकों का इस्तेमाल करते हुए व उनके आत्मसम्मान को जगाते हुए दलितों को गोलबन्द किया और कैसे उन्होंने सत्ता पर कब्जा करने के लिए ऊँची जाति की पार्टियों से अवसरवादी गठबन्धन कायम किए। यह किताब कांशीराम की मृत्यु तक मायावती के साथ उनके असाधारण रिश्ते की कहानी भी कहती है। साथ ही उनके सपने को पूरा करने के लिए उनके जीवित रहते और उनकी मृत्यु के बाद मायावती की भूमिका को भी रेखांकित करती है। दो लोगों के बीच के विरोधाभासी नज़रिए को आमने-सामने रखते हुए, नारायण रेखांकित करते हैं कि कैसे कांशीराम ने आंबेडकर के विचारों को भिन्न दिशा दी। जाति का उच्छेद चाहनेवाले आंबेडकर से उलट, कांशीराम ने जाति को दलित पहचान को उभारने के एक आधार और राजनीतिक सशक्तीकरण के एक स्रोत के रूप में देखा। प्राधिकार और पैनी दृष्टि सृजित यह दुर्लभ शब्दचित्र उस आदमी का है, जिसने दलित समाज का चेहरा बदलकर रख दिया और वाकई भारतीय राजनीति का भी।
Rameswaram Se Rashtrapati Bhavan Tak
- Author Name:
Dr. Ranjit Kumar Singh
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कलाम के समय पर भी प्रकाश डालती है, एक ऐसी अवधि, जिसके दौरान उन्होंने एक विकसित और समृद्ध भारत के अपने दृष्टिकोण से राष्ट्र को प्रेरित करना जारी रखा। पूरी पुस्तक द्वारा पाठकों को कलाम के व्यक्तित्व, उनके मूल्यों और उनकी मान्यताओं के बारे में अंतर्दृष्टि प्राप्त होती है। यह पुस्तक उन लोगों के व्यापक शोध और साक्षात्कार पर आधारित है, जो कलाम को व्यक्तिगत रूप से जानते थे, जिनमें उनके परिवार, दोस्तों और सहयोगियों को शामिल किया गया था। हमें आशा है कि यह पुस्तक पाठकों को कलाम के पदचिन्हों पर चलने और एक बेहतर, अधिक समृद्ध और अधिक समावेशी भारत बनाने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करेगी। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि यह भारत के महानतम सपूतों में से एक और एक सच्चेदूरदर्शी के लिए उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी।
Vivekanand Tum Laut Aao
- Author Name:
Shubhangi Bhadbhade
- Book Type:

- Description: सरयू नदी के किनारे बैठे हुए विवेकानंद को सभी का स्मरण हो आया। उन्होंने सोचा; कुछ भी हो; अब प्रत्येक स्थान पर मुझे गुरु-महिमा बखाननी ही चाहिए। उसके बिना मैं अधूरा हूँ। • ‘गुरु—जो संपूर्ण जीवन को पूर्ण ईश्वर तक ले जाता है।’ • ‘गुरु—सकल ज्ञान का; सिद्धि का और इस जन्म का मोक्षदाता।’ • ‘गुरु—स्नेह का सागर; अपरंपार करुणा का आगर।’ • ‘गुरु एक ऐसी कड़ी है; जो आत्मा-परमात्मा को जोड़ती है।’ • ‘गुरु—शुद्ध; सात्त्विक; संयमी; मधुर भाषी व हितैषी भी।’ —इसी पुस्तक से भारत के आध्यात्मिक व सांस्कृतिक आकाश के सबसे जाज्वल्यमान नक्षत्र स्वामी विवेकानंद का जीवन यद्यपि अल्पायु था; पर अपनी प्रखर वाणी और विचारों के कारण वे भारतीय जनमानस के मन-मस्तिष्क पर गहरे से अंकित हैं। आज की सामाजिक स्थिति में उनकी अंतर्दृष्टि जितनी आवश्यक है उतनी शायद पहले नहीं थी। इसलिए लेखिका ने इस उपन्यास के माध्यम से आह्वान किया है कि भारत के पुनरुत्थान के लिए ‘विवेकानंद; तुम लौट आओ’। Reconnect with the Wisdom of Swami Vivekananda in 'Vivekanand Tum Laut Aao' by Shubhangi Bhadbhade Embark on a spiritual journey and rediscover the timeless teachings of Swami Vivekananda in 'Vivekanand Tum Laut Aao' by Shubhangi Bhadbhade. This profound work not only pays homage to the revered spiritual leader but also invites readers to reconnect with his wisdom, bringing forth insights that resonate with the challenges of the contemporary world. Rekindle the Essence of Swami Vivekananda's Teachings 'Vivekanand Tum Laut Aao' serves as a spiritual beacon, guiding readers back to the teachings of Swami Vivekananda. Shubhangi Bhadbhade skillfully captures the essence of Vivekananda's philosophy, offering a modern perspective on timeless wisdom. As you delve into the pages, you'll find yourself immersed in a journey of self-discovery and spiritual awakening. Bhadbhade's narrative not only recounts Vivekananda's life but also contextualizes his teachings, making them relevant to the challenges and aspirations of today. Whether you are a spiritual seeker or someone seeking inspiration for personal growth, this book provides a roadmap to navigate the complexities of life through Vivekananda's profound insights. Experience the Resonance of Vivekananda's Message 'Vivekanand Tum Laut Aao' goes beyond being a mere biography; it is a call to embrace Swami Vivekananda's timeless message. Bhadbhade's writing style ensures that readers resonate deeply with Vivekananda's thoughts and principles. The book serves as a bridge between the past and the present, inviting readers to apply Vivekananda's wisdom in their daily lives. More than just a literary work, this book becomes a companion on your spiritual journey, offering solace, guidance, and a renewed sense of purpose. Bhadbhade's dedication to Vivekananda's legacy ensures that readers not only understand his teachings but also internalize them for personal transformation. Why 'Vivekanand Tum Laut Aao' Is a Must-Read Spiritual Guide: Timeless Wisdom: Reconnect with the timeless wisdom of Swami Vivekananda, presented with clarity and relevance by Shubhangi Bhadbhade. Modern Perspective: This course explores Vivekananda's teachings in a contemporary context, making them accessible and applicable to today's challenges. Spiritual Awakening: Immerse yourself in a journey of self-discovery and spiritual awakening, guided by Swami Vivekananda's profound insights. Don't miss the opportunity to reconnect with the spiritual legacy of Swami Vivekananda. Let 'Vivekanand Tum Laut Aao' be your guide to rediscovering timeless wisdom. Secure your copy now and embrace the transformative teachings that continue to inspire and uplift souls.
Main Bonsai Apane Samay Ka : Ek Katha Aatambhanjan Ki
- Author Name:
Ramsharan Joshi
- Book Type:

-
Description:
रामशरण जोशी व्यक्ति नहीं, संस्था हैं। बहुआयामी शख़्स हैं; पेपर हॉकर से सफल पत्रकार; श्रमिक यूनियनकर्मी से पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्रशासक; यायावर विद्यार्थी से प्रोफ़ेसर; बॉलीवुड के चक्कर; नाटकों में अभिनय और बाल मज़दूर से राष्ट्रीय बाल भवन, दिल्ली के अध्यक्ष पद तक का सफ़र स्वयं में चुनौतीपूर्ण उपलब्धि है।
अलवर में जन्मे, दौसा ज़िले (राजस्थान) के मामूली गाँव बसवा की टाटपट्टी से उठकर देश-विदेश की अहम घटनाओं का कवरेज, एशिया, अफ़्रीका, यूरोप, अमेरिका आदि देशों की यात्राएँ उनके व्यक्तित्व को बहुरंगी अनुभवों से समृद्ध करती हैं। कालाहांडी, बस्तर, सरगुजा, कोटड़ा जैसे वंचन-विपन्नता के सागर से लेकर दौलत के रोम-पेरिस-न्यूयॉर्क टापुओं को खँगाला है जोशी जी ने। राजधानी दिल्ली की सड़कों को नापते हुए राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों जैसे अतिविशिष्टजनों के साथ देश-विदेश को नापा है। पत्रकार जोशी ने ख़ुद को संसद-विधानसभाओं की प्रेस दीर्घाओं तक ही सीमित नहीं रखा, वरन् मैदान में उतरकर जोख़िमों से मुठभेड़ भी की; 1971 के भारत-पाक युद्ध का कवरेज; श्रीलंका, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान जैसे देशों के संकटों पर घटनास्थल से लेखन; साम्प्रदायिक व जातीय हिंसाग्रस्त मानवता की त्रासदियों के मार्मिक चित्रण में जोशी जी के सरोकारों की अनुगूँज सुनाई देती है।
यक़ीनन यह यात्रा सपाट नहीं रही है। इसमें अनेक उतार-चढ़ाव आए हैं। उड़ानों पर ही सवार नहीं रहा है लेखक। वह गिरा है, फिसला भी है, आत्मग्लानि का शिकार हुआ है, स्वयं से विश्वासघात किया है उसने। फिर भी वह राख के ढेर से उठा है। वर्ष 2004 में प्रकाशित मासिक ‘हंस’ में उनके दो आलेख—‘मेरे विश्वासघात’ व ‘मेरी आत्मस्वीकृतियाँ’—किसी मील के पत्थर से कम नहीं रहे हैं। बेहद चर्चित-विवादास्पद। हिन्दी जगत में भूचाल आ गया था। पत्रिकाओं ने विशेषांक निकाले। इस आत्मकथा में रामशरण जोशी ने ख़ुद के परखचे उड़ाने की फिर से हिमाकत की है। नहीं बख़्शा ख़ुद को, शुरू से अन्त तक। तभी सम्पादक-कथाकार राजेन्द्र यादव जी ने एक बार लेखक के बारे में लिखा था—‘‘इधर उनकी संवेदनाएँ रचनात्मक अभिव्यक्तियों के लिए कसमसाने लगी हैं और वे अपने अनुभवों को कथा-कहानी या आत्म-स्वीकृतियों का रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। पता नहीं क्यों, मुझे लगता है कि लम्बी बीहड़ भौतिक और बौद्धिक यात्राओं के बाद वे उस मोड़ पर आ गए हैं जिसे नरेश मेहता ने ‘अश्व की वल्गा लो अब थाम, दिख रहा मानसरोवर’ कहकर पहचाना था। आख़िर रामशरण जोशी ने भी अपनी शुरुआत ‘आदमी, बैल और सपने’ जैसी कथा-पत्रकारिता से ही तो की।’’
सतह से सवाल उठेगा ही, आख़िर क्यों पढ़ें इस बोनसाई को? सच! ड्राइंग रूम की शोभा ही तो है यह जापानी फूल। कहाँ महकता-दमकता है? इसका आकार न बढ़ता है, न ही घटता है। बस! यथावत् रहता है बरसों तक अपने ही वृत्त में यानी स्टेटस को! कितना आत्म-सन्तप्त रहता होगा अपनी इस स्थिति पर, यह कौन जानता है? यही नियति है बोनसाई की उर्फ़ उस मानुष की जो अपने वर्ग की शोभा तो होता है लेकिन अपनी सीमाओं का अतिक्रमण नहीं कर पाता। वर्गीय मायाजाल-मुग्धता में जीता रहता है, और उन लोगों का दुर्ग सुरक्षित-मज़बूत रहता है। व्यवस्थानुमा ड्राइंग रूम में निहत्था सजा बोनसाई टुकुर-टुकुर देखता रहता है।
यह आत्मकथा रामशरण जोशी जी की ज़रूर है लेकिन इसमें समय-समाज और लोग मौजूद हैं। दूसरे शब्दों में, ख़ुद के बहाने, ख़ुद को चीरते हुए व्यवस्था को परत-दर-परत सामने रखा है। सो, कथा हम सब की है।
Karavas Ke Din
- Author Name:
Sherjung
- Book Type:

-
Description:
शेरजंग की अंग्रेज़ी में लिखी पुस्तक ‘प्रिज़न डेज़’ और निर्मला द्वारा किए गए उसके अत्युत्तम अनुवाद ने मेरे मन को बहुत प्रभावित किया है। यह पुस्तक एक अपूर्व व्यक्तित्व के कठोर और कड़ुवे अनुभवों का संकलन है। अभी तक मुझे शेरजंग के सन् 1947 के पूर्व की युवावस्था की सामान्य जानकारी ही थी। अब यह मुझे अपनी मूर्खता लगती है कि मैंने यह जानने की कभी कोशिश ही नहीं की कि वे कौन–सी घटनाएँ व अनुभव थे, जिन्होंने उनके व्यक्तित्व को इतना व्यवस्थित और प्रभावशाली बनाया था। मुझे यह सोचकर विस्मय होता है कि यह सब झेलने और देखने के बाद भी उनके व्यक्तित्व में कैसे वह निखार और सम्पन्नता आई जिसे सन् 1947 में मैंने देखा और अनुभव किया।
पुस्तक को अंग्रेज़ी में पढ़ने के पश्चात् मैं सोचने लगा था कि क्या शेरजंग अपनी पुस्तक में जो कहना चाहते थे, उसका अनुवादक उसे ठीक–ठीक पकड़ पाएगा। क्या वह उनके विचारों और भावों को सही तरह से व्यक्त कर पाएगा? तब मैंने निर्मला के अनुवाद को पढ़ा और देखा कि उन्होंने यथावत् वही लिखा है जो शेरजंग स्वयं कहना चाहते थे।
Dr. Bhimrao Ambedkar : Vyaktitva ke Kuchh Pahlu
- Author Name:
Mohan Singh
- Book Type:

- Description: डॉ. भीमराव अम्बेडकर का नाम भारत के परिवर्तनवादी आन्दोलनों के इतिहास में सदैव स्मरणीय रहेगा वे भारत के दलित समाज के उद्धारक तथा पुरुषार्थ के प्रतीक थे भारतीय समाज, जो अनन्त काल से जाति, वर्ण-विभाजन के कारण हज़ारों भागों में विभक्त था, उसके स्वीकरण का जो सराहनीय प्रयास डॉ. अम्बेडकर ने किया, वह भारतीय इतिहास का सुनहरा अध्याय है जाति-प्रथा पर आधारित भारतीय समाज में जन्म-आधारित विषमता थी रोज़ी-रोज़गार में भयंकर अन्तराल था प्रगति के अवसर जन्मना जाति के आधार पर कुछ हिस्सों के लिए विशेष अवसर प्रदान करते थे और बहुसंख्यक वर्ग के लिए आगे बढ़ने के दरवाज़े बन्द थे—द्विजवादी उच्चता के शिकार, अनन्तकाल से जन्म के अभिशाप से अभिशप्त बहुसंख्यक वर्ग को डॉ. अम्बेडकर ने अपने साहसिक नेतृत्व से आगे बढ़ने की अदम्य शक्ति दी डॉ. भीमराव अम्बेडकर के व्यक्तित्व से साक्षात्कार करनेवाली पठनीय पुस्तक
Rajniti Meri Preyasi
- Author Name:
Arun Bhole
- Book Type:

-
Description:
लेखक के इस मंतव्य से असहमत होना कठिन है कि दल और सत्ता की राजनीति में फँसे लोग दूरदर्शी नहीं हो सकते। लोकतांत्रिक कुरीतियों के बल पर घटिया लोगों ने बढ़िया लोगों को राजनीति से किनारे कर दिया है और खुद सब जगह छा गए हैं।
—विष्णु प्रभाकर
समाजवादी आदर्शों और सपनों की छाँह में पले और बड़े हुए श्री भोले, जयप्रकाश, लोहिया आदि के साथ रहे और उन्हें काफी नजदीक से देखा। उनकी निराशा में वो तमाम लोग उनके साथ रहे होंगे जिन्होंने समाजवादी आन्दोलन और उसके नेताओं से बड़ी आस लगा रखी थी।
—दिनमान
राजनीति, जिसे आवश्यक रूप से समाज की प्रगति का निमित्त होना चाहिए था, कैसे अपने साथ पूरे समाज को बहा कर गड्ढे की तरफ ले जाने लगी। राजनीति को अरुण भोले ने अपनी प्रेयसी कहा है और उसके प्रति उनका आवेग सर्वत्र स्पष्ट है, पर इस आवेग के बावजूद अरुण भोले अपनी नजर साफ रखते हैं। यह जैसे एक तटस्थ दर्शक की डायरी है। यही बात इसे इतना महत्त्वपूर्ण बनाती है जिससे यह पुस्तक पठनीय ही नही विचारोत्तेजक भी है।
—जनसत्ता
इस पुस्तक में एक रोचक उपन्यास के सभी तत्त्व वर्तमान हैं और एक बार हाथ में उठा लें तो बिना समाप्त किए इसे छोड़ने का जी नहीं चाहता।
—नई धारा
Maryada Purushottam Bhagwan Ram : Jivan Aur Darshan
- Author Name:
Jairam Mishra
- Book Type:

- Description: श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम तो हैं ही, पूर्ण ब्रह्म के अवतार भी हैं। महामानव और आदर्श मानव के रूप में वह सद्प्रेरणा के अजस्र स्रोत हैं। पर श्रीराम के अवतार स्वरूप को, मोक्ष को जीवन का परम पुरुषार्थ माननेवाला आस्तिक बुद्धिसम्पन्न ईश्वरवादी ही ठीक-ठीक जानता-समझता है। श्रीराम भारतीय धर्म-संस्कृति के अनिवार्य और अपरिहार्य अंग हैं!इसीलिए ईश्वर के विभिन्न नामों में साधना की दृष्टि से रामनाम का महत्त्व सर्वोपरि है। आज के पंकिल कुहासे को नष्ट करने के लिए श्रीराम जैसे चन्दन चर्चित चरित्र में अवगाहन की महती आवश्यकता मानवता को है। वह श्रीराम, जो समस्त भारतीय साधना और ज्ञान-परम्परा के वागद्वार हैं, जिनका दृढ़चरित्र लोक-मर्यादा के कठोर अंकुश से अनुशासित है और जो जन-जन के मन को ‘रस विशेष’ से आप्लावित कर सकता है। इस पुस्तक के लेखक डॉ. जयराम मिश्र राम-साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान ही नहीं, राम-स्वरूप के ज्ञाता और उसमें रमे हुए सन्त हैं। हमें विश्वास है कि यह ग्रन्थ वाल्मीकि और तुलसी की रामकथा-परम्परा की एक कड़ी बनेगा।
Bhagwan Mahaveer Evam Jain Darshan
- Author Name:
Mahavir Saran Jain
- Book Type:

- Description: भगवान महावीर जैन धर्म के प्रवर्तमान काल के चौबीसवें तीर्थंकर हैं। आपने धर्म के क्षेत्र में मंगल क्रान्ति सम्पन्न की। आपने उद्घोष किया कि आँख मूँदकर किसी का अनुकरण या अनुसरण मत करो। धर्म दिखावा नहीं है, रूढ़ि नहीं है, प्रदर्शन नहीं है, किसी के भी प्रति घृणा एवं द्वेषभाव नहीं है, मनुष्य एवं मनुष्य के बीच भेदभाव नहीं है, मनुष्य-मनुष्येतर प्राणी के बीच विषम-भाव नहीं है। आपने धर्मों के आपसी भेदों के विरुद्ध आवाज़ उठाई। धर्म एक ऐसा पवित्र अनुष्ठान है जिससे आत्मा का शुद्धिकरण होता है। आपने अहिंसा को परम धर्म के रूप में मान्यता प्रदान कर, धर्म की सामाजिक भूमिका को रेखांकित किया। आर्थिक विषमताओं के समाधान का रास्ता परिग्रह-व्रत के विधान द्वारा निकाला। भगवान महावीर ने पहचाना कि धर्म साधना केवल संन्यासियों एवं मुनियों के लिए ही नहीं अपितु गृहस्थों के लिए भी आवश्यक है। आपने संयस्तों के लिए महाव्रतों के आचरण का विधान किया तथा गृहस्थों के लिए अणुव्रतों के पालन का विधान किया।
Madam Bhikaji Cama
- Author Name:
Rachna Bhola 'Yamini'
- Book Type:

- Description: This book does not have any description.
Vivekanand Ek Khoj
- Author Name:
Shankar
- Book Type:

- Description: स्वामी विवेकानंद आध्यात्मिक जगत् के ऐसे जाज्वल्यमान नक्षत्र हैं, जिन्होंने अपनी आभा से भारत ही नहीं, संपूर्ण विश्व को प्रकाशमान किया। वे मात्र संत-स्वामी ही नहीं थे, एक महान् देशभक्त, ओजस्वी वक्ता, अद्वितीय विचारक, लेखक और दरिद्र-नारायण के अनन्य सेवक थे। प्रसिद्ध लेखक रोम्याँ रोलाँ ने उनके बारे में कहा था—''उनके द्वितीय होने की कल्पना करना भी असंभव है। वे जहाँ भी गए, प्रथम रहे। हर कोई उनमें अपने नेता का दिग्दर्शन करता। वे ईश्वर के सच्चे प्रतिनिधि थे। सबको अपना बना लेना ही उनकी विशिष्टता थी।’ स्वामीजी ने मानवमात्र का आह्वन किया—''उठो, जागो, स्वयं जागकर औरों को जगाओ। अपने नर-जन्म को सफल करो और तब तक रुको नहीं, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।’ उनतालीस वर्ष के छोटे से जीवनकाल में स्वामी विवेकानंद जो काम कर गए, आनेवाली शताब्दियों तक वे मानव-पीढिय़ों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। स्वामी विवेकानंद का चरित्र ऐसा है, जिससे प्रेरणा पाकर अनगिनत लोगों ने जीवन का सुपथ प्राप्त किया। भारतीय संस्कृति के उद्घोषक एवं मानवता के महान् पोषक स्वामी विवेकानंद और उनके जीवन-दर्शन को गहराई से जानने-समझने में सहायक क्रांतिकारी पुस्तक।
Gay-Geka Ki Auratein
- Author Name:
Joram Yalam Nabam
- Book Type:

-
Description:
गाय-गेका की औरतें अरुणाचल प्रदेश के एक सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के आदिवासी बाशिन्दों की संस्मृतियों की पुस्तक है। जोराम यालाम नाबाम ने इस पुस्तक में न्यीशी समुदाय के सामाजिक, पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन, उनके सामूहिक विश्वासों, धार्मिक-आध्यात्मिक मान्यताओं, रस्म-रिवाज, तीज-त्योहार तथा आर्थिक क्रिया-कलाप आदि का बहुत सूक्ष्मता से वर्णन किया है।
यहाँ यह उल्लेख करना अनुचित न होगा कि यालाम स्वयं न्यीशी समुदाय से आती हैं जो अरुणाचल प्रदेश के बहुसंख्यक तानी आदिवासी समाज के अन्तर्गत आनेवाले पाँच समुदायों—आदी, आपातानी, तागिन और गालो—में शामिल है। इन संस्मरणों में जो कुछ दर्ज किया गया है, वह निरे ‘आब्ज़र्वेशन’ का नहीं, बल्कि आत्मीय संलग्नता का भी प्रतिफल है।
पुस्तक का जोर न्यीशी समुदाय के रोजमर्रा के जीवन को रेखांकित करने पर है जिससे शेष भारतीय समाज किंचित अपरिचित अथवा बहुत कम परिचित है। ये संस्मरण कथात्मक अन्दाज में लिखे गए हैं, इसलिए सम्मिलित रूप से ये एक औपन्यासिक आस्वाद पैदा करते हैं। हालाँकि यह कोई उपन्यास नहीं है।
वैसे यह समाजशास्त्र या नृतत्वशास्त्र की पुस्तक भी नहीं है, लेकिन इसमें जो कुछ लिखा गया है वह विषय और विधा के प्रश्नों को पीछे छोड़ते हुए पाठक को एक ऐसे समुदाय के बीच ले जाता है जो निरन्तर गतिशील संस्कृति का वाहक तथा ‘विविधता में एकता’ के सूत्र से निर्मित भारतीयता का एक अपरिहार्य अवयव है।
Field Marshal Sam Manekshaw
- Author Name:
Maj Gen Shubhi Sood
- Book Type:

- Description: Aकहते हैं, अनिच्छा से चुना गया कैरियर सफल नहीं होता, पर लगन और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता हो तो क्या नहीं हो सकता! विदेश पढ़ने न जाने देने के अपने पिता डॉ. मानेकशॉ के निर्णय का विरोध करने के लिए सैम ने सेना में कमीशन लिया, और अपने अदम्य साहस, नेतृत्व कौशल और कुशल प्रशासनिक क्षमता के बल पर भारत के पहले फील्ड मार्शल बने। बर्मा में गंभीर रूप से घायल होने के कारण युद्ध में साहस और वीरता के लिए उन्हें ‘मिलिट्री क्रॉस’ से सम्मानित किया गया। तदुपरांत उन्हें अनेक महत्त्वपूर्ण दायित्व सौंपे गए। इससे उनकी प्रतिभा निखरी और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ी, जिसने उन्हें उच्च कमान करने में दक्ष बनाया। अपने पूरे कैरियर के दौरान फील्ड मार्शल ने अतुल्य नैतिक साहस दिखाकर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।
Jo Kuchh Rah Gaya Ankaha
- Author Name:
Kedarnath Pandey
- Book Type:

- Description: ‘जो कुछ रह गया अनकहा’ लेखक के जीवन संघर्षों की औपन्यासिक गाथा है। इसे पढ़ते हुए लेखक के जीवन से ही नहीं, युग-युग के उस सच से भी अवगत हो सकते हैं जो अपनी प्रक्रिया में एक दिन एक मिसाल बनता है। उत्तर प्रदेश के ज़िला ग़ाज़ीपुर का गाँव वीरपुर, जहाँ लेखक का जन्म हुआ, यह खाँटी बाँगर मिट्टी का क्षेत्र है। यहाँ सिंचाई के अभाव में तब मुश्किल से ज्वार, बाजरा की फ़सल उपजती। लेखक ने खेती करते हुए पढ़ाई की तो आजीविका के लिए भटकाव की स्थिति से गुज़रना पड़ा। सबसे पहले कानपुर में 60 रुपए मासिक वेतन की नौकरी की, यह नौकरी रास नहीं आई तो नौ माह पश्चात् ही घर आ गए और गाँव के निजी संस्कृत विद्यालय में अध्यापन का कार्य सँभाला। पढ़ने की ललक निरन्तर बनी रही तो धीरे-धीरे एम.ए., एम.एड. तक की शिक्षा प्राप्त कर ली। फिर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के ज़िला सचिव का पद मिला। 1977 में सीवान में अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन हुआ तो सीवान ज़िला इकाई का सचिव पद मिला। फिर 1992 में मुज़फ़्फ़रपुर राज्य संघ में महासचिव हुए। 2008 में अखिल भारतीय शान्ति एकजुटता संगठन के सौजन्य से वियतनाम में आयोजित द्वितीय भारत वियतनाम मैत्री महोत्सव में शिष्टमंडल के सदस्य रहे। समय तेज़ी से परिवर्तित होता गया, लेखक को वह दौर भी देखने को मिला जब दुनिया-भर में शिक्षा और शिक्षकों के समक्ष एक ही प्रकार की चुनौतियाँ आईं। शिक्षा पर निजीकरण और व्यावसायीकरण का ख़तरा मँडराया, जब शिक्षकों के संवर्ग को समाप्त कर अल्पवेतन, अल्प योग्यताधारी शिक्षकों की नियुक्ति कर शिक्षा को पूर्णतः बाज़ार के हवाले कर देने की योजना को बढ़ावा मिला। लेखक इससे विचलित तो नहीं हुआ परन्तु शारीरिक तौर पर अस्वस्थता ने जीवन-नौका को डुबाने की कगार पर ला दिया। अन्ततः एन्जियोप्लास्टी के कष्ट को भी झेलना पड़ा। एक बार फिर जीवन संघर्षों से जूझने को बाध्य हो गया। तब लगा कि जीवन संघर्षों से ही निखरता है जैसे सोना अग्नि में तपकर चमकता है। हम कह सकते हैं कि यह पुस्तक अपने आख्यान में जीवन्त तो है ही, अपने पाठ में जीने और जीतने की कला भी सिखाती है।
Delhi Ke Chatkhare
- Author Name:
Shahid Ahmed Dehalvi
- Book Type:

- Description: "दिल्ली के चटख़ारे" शाहिद अहमद देहलवी की उन मज़ामीन का मज्मूआ है जिनमें गुज़रे ज़माने के दिल्ली शहर को बड़े ही दिलचस्प तरीक़े से बयान किया गया है। इन मज़ामीन में दिल्ली के बाज़ार, कटरे, मुहल्ले की खिड़कियाँ, फेरी वालों की सदाएँ, देग़ों और भट्टियों से उठने वाली महक का ऐसा बयान है कि पढ़ते हुए सारा मंज़र आँखों के सामने आ जाता है।
Asim Hai Asman
- Author Name:
Narendra Jadhav
- Book Type:

-
Description:
छुआछूत और जातीय अस्पृश्यता का कलंक भारत की 3500 वर्ष पुरानी जाति-व्यवस्था का शाप है, जो दुर्भाग्यवश आज भी जीवित है और समय-समय पर उफन पड़ता है। पर धीरे-धीरे यह स्पष्ट होता जा रहा है कि अब वह देश की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक गतिशीलता के सामने अधिक समय तक टिक नहीं सकेगी।
‘असीम है आसमाँ’ ऐसे ही एक परिवार की कहानी है, जिसने लगातार जाति-व्यवस्था, निरक्षरता, अज्ञान, अन्धविश्वास तथा ग़रीबी के विरोध में संघर्ष किया।
इसमें एक परिवार की तीन पीढ़ियों के संघर्ष की कथा है जिसकी पृष्ठभूमि में भारत के स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक तथा राजनीतिक परिवर्तन की विस्तृत झाँकी मिलती
है।सन् 1993 में यह उपन्यास ‘आमचा बाप आणि आम्ही’ शीर्षक से मराठी में प्रकाशित हुआ, जो अत्यन्त लोकप्रिय रहा। तत्पश्चात् अंग्रेज़ी, फ़्रेंच तथा स्पेनिश जैसी विदेशी भाषाओं में तथा गुजराती, तमिल, कन्नड़, उर्दू और पंजाबी जैसे भारतीय भाषाओं में भी इसका अनुवाद प्रकाशित हुआ।
Manzil Ab Bhi Door
- Author Name:
Gangadhar Chitnees
- Book Type:

- Description: ‘मंज़िल अब भी दूर’ मुम्बई के कर्मठ साम्यवादी नेता और ट्रेड यूनियन आन्दोलन के अगुआ व्यक्तित्व—गंगाधर चिटणीस द्वारा लिखित मराठी पुस्तक ‘मंज़िल अजून दूरच!’ का स्वतंत्र हिन्दी अनुवाद है। स्व. कॉ. चिटणीस ने अपने 50-60 वर्षों के अनुभवों के आधार पर स्थिति का आकलन कर भारत के ट्रेड यूनियन आन्दोलन में एटक, मुम्बई गिरणी कामगार यूनियन और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के योगदान, कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा समय-समय पर की गई ग़लतियों, राजनीति का आकलन करने में हुई भूलों, कम्युनिस्ट पार्टी के विभाजन और इन सबके कारण भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, एटक, वामपंथी आन्दोलन, ट्रेड यूनियन आन्दोलन और भारतीय राजनीति पर हुए विपरीत प्रभावों; पार्टी द्वारा आपातकाल को दिए गए समर्थन, उसके पार्टी पर हुए विपरीत प्रभावों, मुम्बई की मिलों में हुई डॉ. दत्ता सामन्त की ऐतिहासिक असफल हड़ताल आदि तमाम घटनाओं का निष्पक्ष विवेचन, समालोचन व आकलन किया है। आत्मकथा के रूप में लिखी इस पुस्तक में लेखक ने अपने स्वयं के पिछले साठ वर्षों के अनुभवों के आधार पर समय-समय पर होनेवाली घटनाओं जिसमें भारत में ट्रेड यूनियन आन्दोलन, कम्युनिस्ट आन्दोलन, राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय घटनाएँ, विशेषकर मुम्बई के साथ-साथ भारत के एक समय के वैभवशाली टेक्सटाइल उद्योग व उसके श्रम आन्दोलन, स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक की सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक स्थिति का एक ईमानदार लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है। कॉ. चिटणीस पक्के आशावादी थे। ‘मंज़िल’ दूर होते हुए भी उन्हें पक्का विश्वास था कि एक न एक दिन इस देश का संघर्षरत अवाम मंज़िल पर ज़रूर पहुँचेगा। समाज की भलाई के लिए उसे पहुँचना ही होगा। यह किताब इन सारी घटनाओं का प्रामाणिक दस्तावेज़ है जिसे प्रत्येक व्यक्ति को चाहे वह कम्युनिस्ट विचारधारा में विश्वास रखता हो या विरोधी हो, ज़रूर पढ़ना चाहिए।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...