Dhruvswamini
Author:
Jaishankar PrasadPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Plays0 Reviews
Price: ₹ 24
₹
30
Available
गुप्त काल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में रचा गया नाटक ‘ध्रुवस्वामिनी’ जयशंकर प्रसाद की अन्तिम नाट्य-कृति है जिसे उनकी श्रेष्ठतम नाट्य-रचना भी माना जाता है। मंचन की दृष्टि से भी अत्यन्त सफल रहे इस नाटक की घटनाओं का इतिहास-सम्मत तथ्यों की रोशनी में विवेचन भी प्रसाद ने इस पुस्तक में किया है।
नाटक की कथा गुप्तवंश के शासक रामगुप्त की पत्नी ध्रुवस्वामिनी के इर्द-गिर्द घूमती है और प्राचीन भारत में स्त्री के आत्मसम्मान तथा साहस को रेखांकित करती है। रामगुप्त की उपेक्षा और सन्देह की शिकार ध्रुवस्वामिनी कायर राजा के निर्णय का सशक्त प्रतिरोध कर अपने सम्मान की रक्षा करती है तथा चन्द्रगुप्त के साथ मिलकर राज्य के शत्रु शकराज से भी मुक्ति पाती है।
यह नाटक भारतीय स्त्री का एक अनूठा चित्र प्रस्तुत करता है जिसमें नारीसुलभ कोमल भावनाओं के साथ-साथ राष्ट्रप्रेम तथा अपने निजी सम्मान का अद् भुत सम्मेल देखने को मिलता है।
नाटक की भाषा संस्कृतनिष्ठ होते हुए भी इतनी प्रवहमान है कि हर पात्र तथा हर परिस्थिति का जैसे एक चित्र हमारे सामने उभरता चलता है। बहुत ज़्यादा पात्र का न होना इसे मंच-संयोजन के लिहाज़ से भी एक अच्छे नाटक का रूप देता है।
ISBN: 9788180319242
Pages: 56
Avg Reading Time: 2 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
प्रसाद के नाटकों की दीवारें प्राय: इतिहास की नींव पर ही खड़ी हैं। लेकिन अजातशत्रु में उन्होंने ऐतिहासिक परम्परा और कल्पना का सजग सम्मिश्रण किया है। अधिकांश पात्र, घटना-क्रम और कथा-विस्तार भी इतिहास सम्मत है।
अन्तर्द्वन्द्व इस नाटक का मूलाधार है। मगध, कौशल और कौशम्बी में प्रज्वलित विरोधाग्नि इस पूरे नाटक में फैली हुई है। उत्साह और शौर्य से परिपूर्ण इस नाटक में वीर-रस की ही प्रधानता है।
Umang
- Author Name:
Ashok Vajpeyi
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यह शायद पहली बार हो रहा है कि हिन्दी के कई पीढ़ियों के मूर्धन्य और महत्त्पूर्ण लेखकों में बच्चों के लिए कुछ लिखने का उत्साह जागा है। उनमें हिन्दी के कथाकार, कवि, नाटककार—कृष्णा सोबती, श्रीलाल शुक्ल, कमलेश्वर, रमेशचन्द्र शाह, मृदुला गर्ग, गिरिराज किशोर, राजेश जोशी, उदय प्रकाश, सुधा अरोड़ा, दिविक रमेश, राजेश जैन तथा रंगकर्मी कमल वसिष्ठ जैसे लेखक शामिल हैं।
दिल्ली में पिछले कई वर्षों से सक्रीय बालरंग संस्था 'उमंग' के रजतपर्व पर विशेष रूप से प्रकाशित इस संकलन में नाटक, कहानियाँ और एक पटकथा हैं : जैसे बच्चों की दुनिया रंगारंग और विविध होती है, वैसे ही यह संकलन किसी एक विधा तक महदूद नहीं है। इसमें उल्लास, उमंग, खेल के साथ-साथ समझ और आनन्द का मेल है। हमें उम्मीद है कि हिन्दी में अपने ढंग का यह प्रकाशन बच्चों के लिए हमारे बड़े और महत्त्पूर्ण लेखकों द्वारा आगे भी लिखने की उत्साहजनक शुरुआत है।
बच्चे इन नाटकों को खेलकर, इन कहानियों का पाठ कर उन्हें अपने लिए जीवन्त बनाएँगे। वे खेल-खेल में इन इबारतों में मनचाहे परिवर्द्धन और संशोधन भी करते चलेंगे। उनकी सृजनात्मकता को यह सामग्री उकसाए और सक्रीय करे, इसी में इस प्रयत्न की सच्ची सार्थकता होगी।
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