Chanakya Neeti
Author:
R.P. JainPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
EnglishCategory:
Other0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Available
Chanakya was an Indian teacher, philosopher and royal advisor. He managed the first Maurya emperor Chandragupta's rise to power at a young age. He is widely credited for having played an important role in the establishment of the Maurya Empire, which was the first empire in archaeologically recorded history to rule most of the Indian subcontinent.Chanakya is traditionally identified as Kautilya or Vishnu Gupta, who authored the ancient Indian poltical treatise called Arthasastra. As such, he is considered as the pioneer of the field of economics and political science in India, and his work is thought of as an important precursor to Classical Economics.Chanakya Neeti is a treatise on the ideal way of life, and shows Chanakya�s deep study of the Indian way of life. Chanakya also developed Neeti-Sutras (aphorisms�pithy sentences) that tell people how they should behave. Of these well-known 455 sutras, about 216 refer to rajaneeti (the do,s and don�ts of running a kingdom). Apparently, Chanakya used these sutras to groom Chandragupta and other selected disciples in the art of ruling a kingdom.
ISBN: 9788184302172
Pages: 152
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
The Roar of Ranthambore
- Author Name:
Batti Lal Gurjar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Amirt
- Author Name:
Hare Krishna Jha
- Book Type:

- Description: समकालीन मैथिली कविताक एक टा महत्त्वपूर्ण स्तंभ हरे कृष्ण झाक गद्य-लेखन मात्रा मे कम अवश्य छनि, मुदा कविक गद्यक विशिष्टता सभ सँ भरल-पुरल आ विचारशील लेखनक लेल एक टा नीक बानगी जकाँ। एहि पुस्तक मे हिनक कुल सात गोट आलेख छनि जाहि मे सँ एक हुनक कविता-संग्रह 'एना त नहि जे'क भूमिका थिक आ से अपन कथ्य-शिल्प मे हुनक आत्मकथ्य सदृश्य लगैत अछि। एक टा आरो भूमिका अछि जे विटमनक कविताक अनूदित पोथी 'ई थिक जीवन' लेल लिखल गेल छल। एहि आलेख सँ विश्व कविताक परिप्रेक्ष्य मे कवि-अनुवादक हरे कृष्ण झाक दृष्टि केँ बढिय़ा जकाँ बुझल जा सकैछ। अंतिम आलेख हुनक एक टा भाषणक अविकल प्रस्तुति थिक शेष चारि टा लेख मैथिली आलोचनाक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थिक। चारि मे सँ एक लेख थिक राजकमल चौधरीक कविता 'महावन' पर केंद्रित जे कि 'अंतिका'क राजकमल विशेषांक मे छपल छल आ कैक टा नव अर्थक संधान करैत ई लेख स्वतंत्र रूप सँ एक कविता पर केंद्रित आलोचनाक उत्कृष्ट आ विरल उदाहरण अछि। दोसर लेख धूमकेतुक प्रसिद्ध कथा 'छठि परमेसरी' पर केंद्रित मैथिली मे अपना तरह विशिष्ट प्रयास थिक। मनुक्खक जीवन धर्मक चक्र मे फँसि क' कोना लहूलुहान होइत अछि आ बजार तकर कोना दोहन करैत अछि, हरे कृष्ण जी तकर व्याख्या खूब गहींर जाक' सविस्तार कयलनि अछि। तकरा बाद रामकृष्ण झा 'किसुन' आ मायानंद मिश्रक कथा पर केंद्रित हुनक दू गोट महत्त्वपूर्ण आलोचनात्मक लेख छनि। जहिना सूझ-बूझ संग ओ किसुन जीक कथाक मर्म केँ बुझबाक प्रयास करैत छथि, प्राय: ओही आत्मीयता संग मायानंद मिश्रक कथाक सूक्ष्म पड़ताल सेहो करैत छथि। हरे कृष्ण झाक ई पुस्तक जत' हुनक विचार आ साहित्य-सरोकार केँ बुझै-जानैक कुंजी दैत अछि, ओतहि हुनक आलोचना भविष्यक आलोचक केँ बेसी ऊहिक संग काज करबाक लेल प्रेरित सेहो करैत अछि। —गौरीनाथ
Marathi Ki Lokpriya Kahaniyan
- Author Name:
Dr. Damodar Khadse
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Peedhi Dar Peedhi
- Author Name:
Rajni Singh
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Social Science JSSC JTPTCCE Assistant Primary Teacher Recruitment Exam Graduate Acharya Paper-IV 15 Practice Sets In Hindi
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Ram Manohar Lohiya : Bharat Ki Himalay Niti
- Author Name:
Ashok Pankaj
- Book Type:

- Description: लोहिया पूछते हैं कि 'हिमालय भारत का संतरी है' यह ख्याल कहाँ से आया? जिस हिमालय का भारत के लिए चातुर्दिक महत्त्व है क्या उसको लेकर भारत की कोई नीति है? तिब्बत का जितना गहरा संबंध भारत से रहा है क्या उसी तरह के संबंध उसके चीन से रहें हैं? नेपाल, भूटान जिसे उन्होंने 'भाई हिमालय' कहा है, के साथ भारत के संबंधों का आधार क्या होना चाहिए? तिब्बत में स्थित कैलाश-मानसरोवर किसकी विरासत है? भारत-चीन संबंधों का आधार और समझने का दृष्टिकोण क्या होना चाहिए? एशिया की दो पुरातन सभ्याताएँ जो आज दो विभिन्न प्रणालियों का प्रतिनिधित्व करती हैं, और जिनकी प्रतिस्पर्द्धात्मक महत्त्वकांक्षाएँ हैं, में सामंजस्य कैसे हो ? इन प्रश्नों का उत्तर लोहिया भारत की हिमालय नीति के माध्यम से देते हैं और इसी क्रम में भारत की विदेश एवं रक्षा नीति को लेकर कुछ स्थूल सिद्धांत देते हैं, जिसके कुछ सूत्र को 'बांह और मुट्ठी', 'कबूतर एवं बाज' की उपमा से भी स्पष्ट करते हैं। लोहिया नीतिगत परामर्श देते हैं कि, भारत को इतिहास की गलतियों से सबक सीखना चाहिए और अपनी अंदरूनी कमजोरियों को भी दुरुस्त करना चाहिए। इसी क्रम में वे एक ओर शिवाजी और प्रताप को पुकारते हैं तो दूसरी ओर गांधी को ही गुरू मानते हैं। क्या भारत लोहिया के विचारों से कुछ सीख ले सकता है? यही इस पुस्तक की मूल भावना है।
1947 Ke Baad Ka Bharat
- Author Name:
Gopa Sabharwal
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Yugdrashta Vivekanand
- Author Name:
Rajeev Ranjan
- Book Type:

- Description: स्वामी विवेकानंद का भारत में अवतरण उस समय हुआ, जब हिंदू धर्म के अस्तित्व पर संकट के बादल मँडरा रहे थे। पंडा-पुरोहित तथा धर्म के ठेकेदारों के कारण हिंदू धर्म घोर आडंबरवादी तथा पथभ्रष्ट हो गया था। ऐसे विकट समय में स्वामीजी ने हिंदू धर्म का उद्धार कर उसे उसकी खोई प्रतिष्ठा पुन: दिलाई। मात्र तीस वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो के विश्वधर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म का परचय लहराया और भारत को विश्व के आध्यात्मिक गुरु का स्थान दिलाया। स्वामीजी केवल संत ही नहीं थे, बल्कि एक प्रखर देशभक्त, ओजस्वी वक्ता, गंभीर विचारक, मनीषी लेखक और परम मानव-प्रेमी भी थे। मात्र उनतालीस वर्ष के अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने जो काम कर दिखाए, वे आनेवाली पीढ़ियों का शताब्दियों तक मार्गदर्शन करते रहेंगे। कवींद्र रवींद्र ने एक बार कहा था—“यदि भारत को जानना चाहते हो तो विवेकानंद को पढ़िए।” हिंदू समाज में फैली कुरीतियों का घोर विरोध करते हुए स्वामीजी ने आह्वान किया था—“उठो, जागो और स्वयं जागकर औरों को जगाओ। अपने नर-जन्म को सफल करो और तब तक रुको नहीं जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।” हमें विश्वास है, ऐस किसी विलक्षण तपस्वी के गुणों को आत्मसात् कर अपना तथा राष्ट्र का कल्याण किया जा सकता है—इसी विश्वास को बल देती है एक अत्यंत प्रेरणादायी पुस्तक—‘युगद्रष्टा स्वामी विवेकानंद’।
Chuni Hui Bal Kahaniyan -II
- Author Name:
Ed. Rohitashva Asthana
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Micro Habits: 101 Scientific Ways To Enrich Your Life!
- Author Name:
Vishwas Raj
- Book Type:

- Description: This book offers you 101 habits which can bring instant and long-term improvement in your life. Moreover, you will learn how to make an easy daily routine based on a checklist which can be repeated on a daily basis. Even better than this is the fact that you will find ways in this book which will keep you inspired and focused to the extent that even if you are totally consumed by stress, you will somehow manage to find the time to complete these tasks in an uninterrupted manner. The essence of ‘Micro Habits’ is that you make a chain of effective small changes in your habits — like consuming fruits or sending a message of love to your dear ones — and develop a ritual of executing them every day.
BPSC TRE 3.0 Bihar Teacher Recruitment Class 6-8 "Ganit & Vigyan" Maths & Science | 15 Practice Sets (Hindi)
- Author Name:
Dr. Ranjit Kumar Singh, IAS (AIR-49)
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Chune Hue Vidyalaya Geet
- Author Name:
Acharya Mayaram 'Patang'
- Book Type:

- Description: गीतों का बहुत बड़ा महत्त्व है। कहानी की अपेक्षा गीत किसी विषय को संप्रेषित करने से अधिक सफल हैं। विद्यालयों यें विभिन्न अवसरों यथा—महापुरुषों की जयंतियों, राष्ट्रीय पर्वों और अन्य उत्सवों पर गीत गाने की परंपरा है। ये गीत छात्रों-अध्यापकों को उस अवसर विशेष के भावों में सराबोर होने की क्षमता रखते हैं। प्रसिद्ध कवियों के ये चुनी हुए विद्यालय गीत सभी पाठकों के जीवन में संस्कार, उल्लास और आनंद का संचार करेंगे, हमारा विश्वास है।
Shesh Kitna Tamas "शेष कितना तमस" Book in Hindi | Dr. Virendra Prasad
- Author Name:
Dr. Virendra Prasad
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Trading Banknifty Options | Hindi Translation of Trading Banknifty Options | Pramod Kumar
- Author Name:
Pramod Kumar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Rashtra-Nirman : Ek Nai Soch "राष्ट्र-निर्माण एक नई सोच" Book In Hindi
- Author Name:
Shri Ram Nath Kovind
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Captain Manoj Kumar Pandey
- Author Name:
Risshi Raj
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
The Incomparable Guru Golwalkar
- Author Name:
Ranga Hari
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
SriRam Mandir Andolan Prashnottari श्रीराम मंदिर आंदोलन प्रश्नोत्तरी Book In Hindi
- Author Name:
Anish Bhasin
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Anandiben Patel : Pratibadhhata Ke Padchinha
- Author Name:
Ashok Desai +1
- Book Type:

- Description: आनंदीबेनजी की सबसे बड़ी खूबी है—अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पूरी शक्ति से और निरंतर उत्साह से प्रवृत्त रहना। कभी भी हार न मानना, कर्तव्य में शिाथिलता न लाना और आसपास उदासीनता उभरने नहीं देना। उत्साहपूर्वक प्रवृत्त होना ही उत्थान या अभ्युत्थान कहलाता है। महाभारत के शांति पर्व, अनुशासन पर्व आदि में सर्वत्र कहा गया है कि उत्साहपूर्ण कर्म ही राजधर्म का मूल है। इस कर्म के बल पर ही आनंदीबेनजी ने गुजरात में बड़े-बड़े लोकहितकारी परिवर्तन कर दिखाए। आज हमें यह कहने में जरा भी संकोच नहीं है कि लोकहित के प्रति ऐसा समर्पण, ऐसी चिंता और ऐसी सजगता आज के परिदृश्य में दुर्लभ हो चुकी है। लोगों से संवाद, अधिकारियों के साथ बैठक और फाइल पर निर्णय लेने में उनकी सकारात्मकता देखते ही बनती है। 'समय पर न्याय न मिलना भी अन्याय ही है', इसको हमेशा ध्यान में रखकर आनंदीबेनजी ने कभी कोई काम कल पर नहीं टाला। ऐसी अनगिनत विशेषताएँ आनंदीबेनजी को सच्चा राजनेता बनाती हैं। उनके द्वारा किए कार्यों का संकलन करते समय हम बार-बार आश्चर्य में पड़ते रहे कि कितनी सहजता से आनंदीबेनजी बड़े-बड़े कार्य करती चली गईं। कर्मयोग का जीवंत दस्तावेज बन गई यह पुस्तक निश्चय ही सभी कर्मयोगियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगी ।
Main Radhakrishnan Bol Raha Hoon
- Author Name:
Jaishri
- Book Type:

- Description: "डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत एक आस्थावान् राष्ट्र-सेवक थे। इसके साथ ही वे सभी धर्मों और धर्मावलंबियों के प्रति समान आदरभाव रखते थे। वे स्वभाव से अत्यंत विनम्र और धैर्यशील थे। डॉ. राधाकृष्णन एक उच्चकोटि के दार्शनिक, मूर्धन्य लेखक एवं राष्ट्रीय विचारों के ओजस्वी प्रवक्ता थे। उन्होंने दर्शन एवं संस्कृति पर अनेक ग्रंथों की रचना की। यों तो डॉ. राधाकृष्णन का मूलरूप एक शिक्षक का ही था, परंतु एक उच्चकोटि के लेखक और दर्शनशास्त्र के व्याख्याता के रूप में उन्हें अधिक ख्याति मिली। ऐसे महान् दार्शनिक, विचारक, चिंतक व शिक्षाशास्त्रा् के प्रेरक विचारों का संकलन अवश्य ही हमारा मार्ग प्रशस्त करेगा। "
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...