Aadhi Duniya
Author:
Rashmi GaurPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 160
₹
200
Available
प्रस्तुत कहानी-संग्रह की कहानियों में जीवन के विभिन्न रंग दृष्टिगत होते हैं। ‘आधी दुनिया’ में रत्ना की समाज-सेवा की लगन, एक मजबूर औरत की अरथी उठने का दर्द उन समाज-सेवी संस्थानों पर व्यंग्य है, जो एक विशेष आभिजात्य वर्ग की महिलाओं के लिए केवल फैशन परेड और विदेशों में घूमने का साधन बनी हुई हैं। जहाँ ‘कान खिंचाई’ में बच्चे बहादुरी का मीठा फल चख पाएँगे वहीं ‘लगन’ में विपरीत परिस्थितियों में भी लक्ष्य-प्राप्ति का संकल्प। ‘घोंसला’ में टूटते समाज में एकाकीपन का दर्द है तो ‘औलाद’ में अपने वतन में बसने की हौंस। इस प्रकार, नव रंगों में रची ये कहानियाँ अपनी कारुणिकता, मार्मिकता व रोचकता से पाठकों को एक नई दृष्टि देती हैं।
ISBN: 9788188140619
Pages: 166
Avg Reading Time: 6 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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कुछ ही दिन पहले मेरी दो कहानियाँ पढ़कर दो पाठकों के क्रोध–भरे पत्र आए। एक ने लिखा था कि ‘अपने लेखों और अन्य कार्यक्रमों में मैं स्त्री–मुक्ति और आत्मनिर्भरता की बात करती हूँ, जबकि इस कहानी की नायिका की घुटन-भरी—दब्बू ज़िन्दगी हमें कोई ऐसा ‘सन्देश’ नहीं देती।’ दूसरे पाठक ने भी घुमा–फिराकर यही पूछा था कि ‘ठीक है, पात्रों की निजी दुनिया के दबावों और उनके सुख–दु:ख से कहानी हमारा साक्षात्कार तो कराती है, पर यह अन्त में आकर हमें ‘सिखाती’ क्या है ?’ मुझे लगता है कि एक बोझिल हितोपदेशी पाठ्यक्रम की किताबों से ‘साहित्य’ पढ़कर निकले ऐसे पाठक रचनात्मक साहित्य की आत्मा से अपरिचित ही रह आए हैं।
मुझे खेद है, मेरी कहानियाँ इनकी थोथी उपदेश–तृष्णा नहीं बुझा सकतीं। हर कहानी या उपन्यास घटनाओं–पात्रों के ज़रिए सत्य से एक आंशिक और कुतूहल-भरा साक्षात्कार होता है। साहित्य हमें जीवन जीना सिखाने के बजाय टुकड़ा–टुकड़ा ‘दिखाता’ है, वे तमाम नर्क–स्वर्ग, वे राग–विराग, वे सारे उदारता और संकीर्णता–भरे मोड़, जिनका सम्मिलित नाम मानव–जीवन है।
जो साहित्य उघाड़ता है, वह अन्तिम सत्य या सार्वभौम आदर्श नहीं, बहुस्तरीय यथार्थ होता है। हाँ, यदि जीवन में आदर्श या सत्य अनुपस्थित या अवहेलित हैं, तो उस विडम्बना को भी वह जताता जाता है। मेरी तहत साहित्य को रचना, परोक्ष रूप से सत्य से आंशिक साक्षात्कारों की ऐसी ही एक शृंखला पाठकों के लिए तैयार करना होता है, जिसके सहारे एक सहृदय व्यक्ति अपनी चेतना, अपनी संवेदना और अभिव्यक्ति–क्षमता का सहज ही कुछ और विस्तार होता पाए। चिन्तनपरक लेख और रचनात्मक लेखन के बीच का फ़ासला तर्कसंगत ज्ञान और संवेदनात्मक समझ के बीच का फ़ासला है।
Adab Mein Baaeen Pasli : Bhartiya Urdu Kahaniyan : Vol. 5
- Author Name:
Nasera Sharma
- Book Type:

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Description:
साहित्य की दुनिया में उत्कृष्ट रचनाओं की कमी नहीं है। उसमें से अनुवाद के लिए कुछ भी उठाना जितना सरल है, उतना ही कठिन भी! ख़ासकर तब जब योजना किसी एक देश तक सीमित न होकर कई देशों के बीच फैली हो।
उपन्यास 'आधी रात का मुक़दमा’ का अनुवाद मैंने अंग्रेज़ी से किया। कहानी कहने का अन्दाज़ जटिल था। कुछ शब्द मैंने जानबूझकर उस परिवेश के रहने दिए ताकि वहाँ की हल्की महक पाठ में बसी रहे।
उर्दू में उपन्यास का चयन करना मुश्किल था। अपनी पसंद के सारे महत्त्वपूर्ण उपन्यास हिन्दी में आ चुके थे। तब मेरी नज़र से 'निसाई आवाज़’ [ज़नानी आवाज़] गुज़री तो मैं असमंजस में पड़ गई। मेरी इस योजना में यह तय था कि देश तो बार बार दोहराए जाएँगे मगर लेखक नहीं। इसलिए ख़ुद से एक लम्बे संवाद के बाद आग़ा बाबर की कहानी 'गुलाबदीन चिट्ठीरसाँ’ को खंड तीन से हटाकर उनका उपन्यास ले लिया।
मेरा अनुवाद किया उपन्यास 'बुफ़-ए-कूर’ [अंधा उल्लू] है, जो सादिक़ हिदायत की महत्त्वपूर्ण रचना है।
यह तीनों उपन्यास लगभग साढ़े तीन वर्षों में, मैंने अनुवाद किए। लगातार तो काम नहीं किया, क्योंकि एक साथ मैं कई पुस्तकों पर काम कर रही थी। एक में अटकती तो दूसरे पर अपना ध्यान केन्द्रित कर देती। मुझे नहीं पता मेरे पाठकों को यह तीनों उपन्यास पसंद आते हैं या नहीं! मगर मुझे सिर्फ़ इतना पता है कि ये तीनों लेखक और तीनों उपन्यास अपने समय के चर्चित, महत्त्वपूर्ण उपन्यास हैं जिनकी गूँज उनके देश और विदेश में आज भी साहित्य-प्रेमियों के बीच में सुनाई पड़ती है।
Master Shot
- Author Name:
Farid Khan
- Book Type:

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Description:
हिन्दी कहानी का संसार इन दिनों नए कथाकारों की उपस्थिति से स्पन्दित है। नए जीवनानुभवों ने कथा-परिदृश्य को विविधवर्णी बनाया है। ‘मास्टर शॉट’ कथा-संकलन में शामिल फ़रीद ख़ाँ की कहानियाँ इसका साक्ष्य प्रस्तुत करती हैं। इन कहानियों में फ़िल्मों और मीडिया की चकाचौंध भरी दुनिया में ज़िन्दगी की लय तलाशते लोग शामिल हैं। कला और व्यवसाय के अन्तर्द्वंद्वों के अलावा तुरन्त सब कुछ पा लेने की आकुलता के बीच नष्ट होती मानवीय संवेदनाओं को बचाए रखने की अन्तिम कोशिशों के कई मार्मिक क्षण इन कहानियों में जीवन्तता के साथ दर्ज़ हैं।
फ़रीद ख़ाँ ने ‘आलता’ कहानी में बलात्कार पीड़िता इरावती की कथा कहते हुए बाज़ार का गुलाम बन चुके मीडिया और मनोरंजन-जगत की नृशंसता को कलात्मकता के साथ रचा है। ‘वीणा के तार’ के रामनरेश भइया गोरखपुर जैसे क़स्बाई शहर से हिन्दी में एम.ए. करके अपने मध्यवर्गीय प्रपंचों के साथ मुम्बई पहुँचते हैं और बार-बार चकित होते हैं। मीनाक्षी और श्रीपद की कथा ‘मास्टर शॉट’ मायानगरी मुम्बई के बहाने स्त्री के प्रति समाज के भीतर पलते अविश्वास की कथा है।
फ़रीद मूलतः कवि हैं। वे दृश्य माध्यमों के लिए भी कहानियाँ, पटकथा और संवाद लिखते रहे हैं। इस संकलन की कहानियों पर दृश्य माध्यमों के लिए लेखन के अनुभव का सकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है। अधिकांश यथार्थ दृश्यों में अभिव्यक्त होता है। संवाद भी अपना सघन प्रभाव रचते हैं। कविता और दृश्य रचने की कला से कथाकार ने इन कहानियों के लिए सान्द्रता अर्जित की है। मुझे उम्मीद है कि यथार्थ की अलग भूमि पर चित्रित ये कहानियाँ हिन्दी के विशाल पाठक-वर्ग का ध्यान आकर्षित करेंगी।
—हृषीकेश सुलभ
Keshar Kasturi
- Author Name:
Shivmurti
- Book Type:

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Description:
शिवमूर्ति को पढ़ने का अर्थ है—उत्तर भारत के गाँवों को समग्रता में जानना। गाँव
ही शिवमूर्ति की प्रकृत लीला-भूमि है। इसी पर केन्द्रित होकर उनका कथाकार दूर-दूर तक मँडराता है।
गाँव के रीति-रिवाज, ईर्ष्या-द्वेष, राग-विराग, जड़ों में धँसे संस्कार, प्रकृत यौन-बुभुक्षा, परत-दर-परत
उजागर होता वर्णवादी-वर्गवादी शोषण, मूल्यहीन राजनीति और उनके बीच भटकती लाचार
ज़िन्दगियाँ...
प्रकृतिवाद में शिवमूर्ति जोला के आस-पास दीखते हैं तो पात्रों के जीवन्त चित्रण में गोर्की के समीप।
संवादों की ध्वन्यात्मकता से वे सतीनाथ भादुड़ी और रेणु की याद दिलाते हैं तो बिम्ब-विधान में जैक
लंडन की। पर इन सबके बावजूद शिवमूर्ति का जो ‘अपना’ है, वह कहीं और नहीं।
लोग हैरान रह जाते हैं यह देखकर कि जब स्वयं जनवादियों की कहानियों से ‘जन’ दिनों-दिन दूर
होते जा रहे हैं, बिना घोषित जनवादी हुए शिवमूर्ति की कहानियाँ जन के इतने क़रीब कैसे हैं?
शिवमूर्ति के साथ ही हिन्दी कहानी में पुनः कथारस की वापसी हुई है। आज जब कहानी में
पठनीयता के संकट का सवाल उठा हुआ है, शिवमूर्ति इस सवाल का मुकम्मल जवाब हैं।0.
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