Vaishalinama : Loktrantra Ki Janamkatha
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
216
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
432 mins
Book Description
वैशालीनामा सुदूर अतीत की पृष्ठभूमि में ऐसी एक कथा प्रस्तुत करता है जो न केवल रोचक है बल्कि जिसमें निहित मूल्यबोध तत्कालीन देशकाल में जितना युग-परिवर्तक हो सकता था, उससे कम परिवर्तनकारी और प्रासंगिक वह आज भी नहीं है। वह मूल्यबोध है मनुष्यमात्र की समानता का। यह समानता ऐसी किसी व्यवस्था में सम्भव नहीं हो सकती जिसका आधार स्वयं असमानता पर टिका हो। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था ही यह सम्भव कर सकती है। वैशाली को लोकतंत्र की जन्मस्थली माना जाता है। इतिहास ही नहीं, इसके पौराणिक सन्दर्भ भी मिलते हैं। लेखक ने इस उपन्यास के लिए एक पौराणिक आख्यान को आधार बनाया है और वर्णों के श्रेणीक्रम में विभाजित समाज की सतह के नीचे खदबदाते उस लावे पर रोशनी डाली है जो मुट्ठीभर उच्चस्थों के वर्चस्व से उत्पीड़ित अधिसंख्य जनों के क्षोभ और क्रोध से निर्मित है। स्पष्टतः यह किसी पूर्ववर्णित आख्यान का औपन्यासिक रूपान्तर मात्र नहीं है। लेखकीय कल्पना का इसमें पर्याप्त निवेश हुआ है जिसके जरिये यह कृति राजतंत्र के प्राचीन युग में समाज में व्याप्त असमानता और उसके विरुद्ध हुई प्रतिक्रिया का उल्लेख कर लोकतंत्र के आदि रूप को रेखांकित करता है और किसी ऐतिहासिकता का दावा किये बिना एक समानता पर आधारित समाज का आह्वान करता है।