This Time It's Forever
Author:
Aditi RayPublisher:
Author'S Ink PublicationsLanguage:
EnglishCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 209.95
₹
247
Available
When Aisha Ahuja receives an SMS from anuravo Banerjee, almost a year after he had walked away from her, asking her for a restart, she is initially unable to decide what to do.But she finally relents.
ISBN: 9789385137570
Pages: 257
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Maharashtra Ki Lokkathayen
- Author Name:
Deepak Hanumantrao Jawane
- Book Type:

- Description: अब संयुक्त कुटुंब के स्थान पर विभाजित कुटुंब प्रथा का प्रचलन हो गया है। इनमें दादा-दादी अथवा नाना-नानी का कोई स्थान नहीं होता है। इस कारणवश मौखिक कथा-कथन की परंपरा विलुप्त होती नजर आ रही है। भूत, राक्षस, डायन, शैतान आदि की कहानियाँ तो महाराष्ट्र में विपुल मात्रा में पाई जाती हैं। भूतों के बारे में समाज-मानस में एक लोकभावना अवश्य होती है। लेकिन कहानियों के अंत में हम पाते हैं कि मनुष्य की ही विजय होती है और ये नकारात्मक शक्तियाँ हार जाती हैं। अपना अज्ञान और डर, यही भूतों की कहानियों का मूल होता है। लेकिन किसी-किसी कहानियों में भूतों को उपकारी भी बताया गया है। महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में सभी के मुख से कहानी, कानी अथवा कायनी ऐसे शब्द अवश्य निकलते हैं। इन कहानियों में बहुत बार आटपाट नामक एक नगर अवश्य होता था। संस्कृत भाषा में ‘अट्ट’ इस शब्द का अर्थ होता है—बाजार। ‘पाट’ का अर्थ—रास्ता अथवा मार्ग, ऐसा भी लिया जाता है, अर्थात् जहाँ बहुत बड़ा बाजार और बडे़-बडे़ रास्ते हैं, ऐसी सुख-सुविधाओं से युक्त नगर होता था—आटपाट नगर। कहानी सुनानेवाला मनुष्य कई गुणों से युक्त होता था। कथा-कथन की कुशलता उसमें कूटकर भरी होगी तो ही इस कहानी में रंग उतरता था। महाराष्ट्र के समृद्ध लोक-जगत् का दिग्दर्शन करवाती हैं, ये लोककथाएँ जो पाठको को वहाँ की संस्कृति, परंपराओं और मान्यताओं से परिचित करवाएँगा तथा ज्ञानपूर्ण मनोरंजन भी करेंगी।
Uske Hisse Ki Dhoop
- Author Name:
Mridula Garg
- Book Type:

-
Description:
परम्परागत भारतीय समाज में स्त्री-पुरुष सम्बन्धों के बीच मानवीय स्वतंत्रता, ख़ासकर नारी-स्वातंत्र्य का सवाल सदा ही अनदेखा किया जाता रहा है, और मृदुला गर्ग का यह उपन्यास परम्परागत ही नहीं, बल्कि आधुनिकता के घिसे-पिटे वैचारिक चौखटे से भी बाहर निकलकर यह सवाल उठाता है कि स्त्री-पुरुष सम्बन्धों का आधार क्या है—प्रेम अथवा स्वतंत्रता? और क्या इन सम्बन्धों का सत्य सिर्फ़ मनोगत है अथवा इनके समानान्तर कोई दैहिक सच्चाई भी है?
देखा जाए तो मृदुला गर्ग का यह बहुचर्चित उपन्यास एक त्रिकोणात्मक प्रेम-कथा है, लेकिन प्रेम इसकी समस्या नहीं है—समस्या है स्वतंत्रता, जो स्त्री-पुरुष दोनों के लिए समान रूप से मूल्यवान है। प्रेम अगर व्यक्ति की स्वतंत्रता और उसके वैयक्तिक विकास को बाधित करता है तो वह अस्वस्थ है। लेखिका ने इस विचार को उस गहराई से चित्रित किया है जहाँ उसकी रागात्मकता पाठ को मुग्ध कर लेती है और प्रत्येक स्थिति पाठकीय संवेदना का अटूट हिस्सा बन जाती है।
Firangi Raja
- Author Name:
Rajgopal Singh Verma
- Book Type:

-
Description:
आम इनसानों से लेकर ऋषि-मुनियों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और घुमक्कड़ों के लिए हिमालय का आकर्षण हर काल में रहा है। इनमें से कुछ लोग तो यहाँ आए और यहीं के होकर रह गए। सैन्य जीवन की जटिलताओं से निकल कर आए ईस्ट इंडिया कम्पनी के एक फिरंगी सैन्य अधिकारी फ्रेडरिक विल्सन की कहानी कुछ ऐसी ही थी। उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में अदम्य उद्यमशीलता के बलबूते उसने अपनी शरण स्थली गढ़वाल, हिमालय के हर्षिल क्षेत्र को आजीवन कर्मस्थली में परिणित कर दिया था। लगभग चार दशक तक उसके नाम का डंका ऐसे बजा कि तत्कालीन जनसाधारण से लेकर विशिष्ट जनों के मध्य वह ‘हर्षिल का राजा’ के रूप में चर्चित हो गया था। फ्रेडरिक विल्सन की उद्यमी सफलता की कहानियाँ आज भी गढ़वाली समाज में खूब कही और सुनी जाती हैं। गढ़वाल, हिमालय में उन्नीसवीं शताब्दी में एक तरफ वह प्रकृति का क्रूर विदोहक माना गया तो दूसरी ओर सर्वांगीण विकास का नव-प्रवर्तक भी साबित हुआ।
‘फिरंगी राजा’ में राजगोपाल सिंह वर्मा ने गढ़वाल में बीती विल्सन की जीवन-यात्रा को तत्कालीन स्थानीय वन्यता, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, शासन-प्रशासन की कार्यशैली और विकास के विभिन्न पड़ावों के साथ बेहद खूबसूरत अन्दाज में रेखांकित किया है। यह उपन्यास उन्नीसवीं सदी के गढ़वाल का इतिहास नहीं है, पर उस कालखंड के मर्म को बखूबी उद्घाटित करता है। मानवीय साहस-दुस्साहस और उसकी प्रकृति के प्रति व्यवहार की परिणिति को विल्सन के उत्थान और अवसान के जरिये उपन्यासकार ने प्रभावी तथ्यों के साथ सामने रखा है। विल्सन की वेदना के माध्यम से यह उपन्यास हमें प्रकृति के प्रति संवेदनशील रहने का संदेश ही नहीं देता वरन उससे बढ़कर एक उपयोगी और कारगर नीति की रूपरेखा भी पेश करता है। इन अर्थों में यह उपन्यास नीति नियन्ताओं के लिए एक प्रामाणिक दस्तावेज की तरह है। उपन्यास में लेखक ने गढ़वाल के इतिहास में अकारण ही भुला दिये गए नायक/प्रतिनायक फ्रेडरिक विल्सन के समूचे जीवन और परिवेश को पठनीय रोचकता के साथ रचा है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए।
—डॉ. अरुण कुकसाल
Suno Kabir
- Author Name:
Soni Pandey
- Book Type:

- Description: सुनो कबीर युवा कथाकार सोनी पांडेय का पहला उपन्यास है। इसमें वे आज़मगढ़ के एक गाँव इब्राहिमपुर की कथा कह रही हैं। उपन्यास इस बात का जीवन्त दस्तावेज है कि एक साझी विरासत और सपने साझा करते हुए लोग राजनीतिक साजिशों का शिकार होकर कैसे एक दूसरे को शक की नजर से देखने लगते हैं। असल में इनके साझेपन के बीच एक दरार है जिस पर सवार होकर बाँटने वाली तमाम ताकतें बार-बार इन तक आती हैं। ये दरार है जाति और धर्म की चौहद्दी को बनाए रखते हुए एकता बनाए रखने की कोशिश करना। जाति या धर्म के बाहर घटित हुआ एक प्रेम भी इस कथित एकता को ध्वस्त कर देता है और उस्मान की मुहब्बत भरी दुनिया उजड़ जाती है। लेकिन यहीं से उपन्यास नई उठान लेता है जहाँ उस्मान अपने निजी जीवन में त्रासदी का शिकार होकर भी इस दुनिया में मुहब्बत बचाए रखते हैं। सोनी अपनी कहानियों में कस्बाई जीवन का खदबदाता हुआ यथार्थ रचती रही हैं। सुनो कबीर में वे अपनी इस चिर-परिचित जमीन में और गहरे धँसी हैं। यहाँ पर उस्मान, फेकू, मोनिका, मनोहर या पिंकी जैसे एकदम साधारण चरित्रों की स्वप्नशील पर यथार्थपरक दुनिया है। यहाँ पर मोनिका या पिंकी जैसी स्त्रियाँ हर व्यूह को तोड़ते हुए आगे बढ़ रही हैं। ये बराबर मनुष्य होना अपना हक मानते हुए एक सपना देखती हैं और इन्हें ऐसे साथी मिलते हैं जो इन सपनों के सहयात्री बनते हैं। मंच पर स्त्री भूमिकाएँ करने वाला फेकू अपने जीवन में एक खास तरह का पुरुष होने के स्टीरियोटाइप से दूर हो रहा है। ये एक ऐसी स्थिति है जिसकी वजह से उसका दाम्पत्य जीवन कुछ समय के लिए खतरे में जरूर आता है पर एक दिन उसकी पत्नी भी जानती है कि फेकू इस दुनिया के पुरुषों की तुलना में कितना ज्यादा मनुष्य और साथी है। एक पठनीय और जरूरी उपन्यास।
Prem Nahin, Sneh
- Author Name:
Sunil Gangopadhyay
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Had-Behad
- Author Name:
Keshav
- Book Type:

-
Description:
‘हद-बेहद’ बहुत ख़ूबसूरत प्रौढ़ प्रेम-उपन्यास है बल्कि इसे प्रेम का दर्शन भी कह सकते हैं। संस्कार और इन्दिरा की यह कहानी प्रेम में कुछ पाने या खोने की कथा नहीं है। यहाँ प्रेम में न देह का नकार है न उसका विकृत अट्टहास। प्रेम यहाँ धीरे-धीरे आकार लेता है और मन को मन से मिलाकर एक सामाजिक दायित्व बन जाता है।
संस्कार दलित समाज से आता है और इन्दिरा सवर्ण समाज से लेकिन दोनों का अनुराग ऐसा है कि जाति आड़े नहीं आती। दोनों साथ पढ़ते हैं। स्कूल में एक लड़का संस्कार को उसकी जाति के बहाने अपमानित करता है पर इन्दिरा संस्कार के साथ खड़ी रहती है। अपने संस्कारों के कारण संस्कार प्रेम में देह को महत्त्व नहीं देता लेकिन इन्दिरा की ऐसी कोई वर्जना नहीं है, उसके लिए निष्ठा और समर्पण ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हैं। संस्कार शर्मीला है। इन्दिरा दबंग। वह उसके लिए पहेली की तरह है। ऐसा नहीं कि इससे पहले संस्कार के जीवन में लड़कियाँ नहीं आईं। दो लड़कियों ने उसके सहारे अपने बन्धनों को तोड़ने का प्रयास किया और संस्कार को भी प्रेरित किया लेकिन पिता के ट्रांसफर के बाद संस्कार के रिश्ते टूट गए। तीसरा रिश्ता एक ज़मींदार की बेटी का था जो प्रेम को सिर्फ़ देह की भूख समझती थी। संस्कार ने उससे अपमान पाया। यह गाँठ उसे इन्दिरा के साथ भी सहज नहीं होने देती। एक रात कमरे में साथ पढ़ते हुए इन्दिरा संस्कार की देह से जुड़ने का प्रयास करती है। संस्कार असहज हो जाता है। उसके पिता इस क्षण को देख लेते हैं क्या होता है उसके बाद? लेखक ने बहुत रोचक ढंग से यह सरस कथा बुनी है। इसे पढ़ना एक सुखद और नवीन अनुभूति है।
दरअसल, पूरा उपन्यास प्रेम में स्त्री-पुरुष मुक्ति का दर्शन है।
—शशिभूषण द्विवेदी
Rah Gayeen Dishayen Esi Paar
- Author Name:
Sanjeev
- Book Type:

-
Description:
सृष्टि और संहार, जीवन और मृत्यु के बफर-जोन पर खड़े आदमी की नियति से साक्षात्कार करता संजीव का यह उपन्यास हिन्दी साहित्य में जैविकी पर रचा गया पहला उपन्यास है। उपन्यास के पारम्परिक ढाँचे में ग़ैर-पारम्परिक हस्तक्षेप और तज्जनित रचाव और रसाव इसकी ख़ास पहचान है। निरन्तर नए से नए और वर्जित से वर्जित विषय के अवगाहनकर्ता संजीव ने इसमें अपने ही बनाए दायरों का अतिक्रमण किया है और अपने ही गढ़े मानकों को तोड़ा है।
मिथ, इतिहास, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नए से नए विषय तथा चिन्तन की प्रयोग भूमि है यह उपन्यास और यह जीवन और मृत्यु के दोनों छोरों के आर-पार तक ढलकता ही चला गया है, जहाँ काल अनन्त है, जहाँ दिशाएँ छोटी पड़ जाती हैं, जहाँ गहराइयाँ अगम हो जाती हैं और व्याप्तियाँ अगोचर...!
Uttarayan
- Author Name:
Rangnath Tiwari
- Book Type:

-
Description:
रवीन्द्रनाथ टैगोर हमारे लिए प्रकाश और समरसता की आस्था के जीवित प्रतीक रहे हैं। वे मुक्त पंछी के समान आँधी और तूफ़ान के बीच शाश्वत-काल के संगीत की रचना करते रहे हैं। उनकी उत्कृष्ट कला कभी भी स्वतंत्रता के हित में मानवीय संकटों और जनता के वीरतापूर्ण संघर्षों के प्रति उदासीन नहीं रही। जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा है—वे महान प्रहरी हैं। टैगोर ने संकट के क्षणों में अपने देशवासियों और दुनिया की स्पष्ट और निर्भय दृष्टि से पहरेदारी की है। हम आज जो कुछ भी हैं और जो कुछ हमने सीखा है, वह सब उनकी कविता और प्रेम की अजस्र सरिता से अभिसिंचित हैं या जुड़े हुए हैं।
—रोमां रोलां
Inferiority
- Author Name:
Jaydeep Khot
- Book Type:

- Description: All are equally made. A Pocket book by Jaydeep Khot.
Jhootha Sach : Desh Ka Bhavishya : Vol. 2
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
भारत-पाकिस्तान विभाजन भारतीय राज्य के इतिहास का वह अध्याय है जो एक विराट त्रासदी के रूप में अनेक भारतीयों के मन पर आज भी जस-का-तस अंकित है। अपनी ज़मीनों-घरों से विस्थापित, असंख्य लोग जब नक़्शे में खींच दी गई एक रेखा के इधर और उधर की यात्रा पर निकल पड़े थे, यह न सिर्फ़ मनुष्य के जीवट की बल्कि भारतवर्ष के उन शाश्वत मूल्यों की भी परीक्षा थी जिनके दम पर सदियों से हमारी हस्ती मिटती नहीं थी।
यशपाल का यह कालजयी उपन्यास उसी ऐतिहासिक कालखंड का महाआख्यान है। स्वयं यशपाल के शब्दों में यह इतिहास नहीं है, ‘कथानक में कुछ ऐतिहासिक घटनाएँ अथवा प्रसंग अवश्य हैं परन्तु सम्पूर्ण कथानक कल्पना के आधार पर उपन्यास है, इतिहास नहीं।’ अर्थात् यह उस ज़िन्दगी का आख्यान है जो अक्सर इतिहास के स्थूल ब्योरों में कहीं खो जाती है।
‘झूठा सच’ के इस दूसरे भाग ‘देश का भविष्य’ के केन्द्र में पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की समस्याएँ और उनके सामने उपस्थित नए सांस्कृतिक, नैतिक, सामाजिक और आर्थिक संकट हैं। नई राजनीतिक परिस्थितियों में कुछ लोग अपने साहस और जीवटता के बल पर जम जाते हैं, तो कुछ टूट भी जाते हैं।
Shigaf
- Author Name:
Manisha Kulshreshtha
- Book Type:

- Description: विस्थापन का दर्द महज़ एक सांस्कृतिक, सामाजिक विरासत से कट जाने का दर्द नहीं है, बल्कि अपनी खुली जड़ें लिए भटकने और कहीं जम न पाने की भीषण विवशता है, जिसे अपने निर्वासन के दौरान सैनसबेस्टियन (स्पेन) में रह रही अमिता, लगातार अपने ब्लॉग में लिखती रही है। डॉन किहोते की ‘रोड टू ला मांचा’ से कश्मीर वादी में लौटने की, अमिता की भटकावों तथा असमंजस-भरी इस यात्रा को अद्भुत तरीक़े से समेटता हुआ यह उपन्यास विस्थापन और आतंकवाद की कोई व्याख्या या समाधान नहीं प्रस्तुत करता, वरन् आस्था-अनास्था की बर्बर लड़ाइयों के बीच, कुचले जाने से रह गए कुछ जीवट पलों को जिलाता है और ज़मीन पर गिर पड़े उस दिशा संकेतक बोर्ड को उठाकर फिर-फिर गाड़ता है जिस पर लिखा है—भाई मेरे, अमन का एक रास्ता इधर से भी होकर गुज़रता है। शिगाफ़ यानी एक दरार जो कश्मीरियत की रूह में स्थायी तौर पर पड़ गई है, जिसमें से धर्मनिरपेक्षता एक हद तक रिस चुकी है, इस शिगाफ़ को भरने के लिए प्रयासरत है उपन्यास का पत्रकार नायक ज़मान। अमिता और ज़मान जिनका लक्ष्य तो एक है मगर फिर भी दो विपरीत व विषम अतीत से उपजे जीवन-मूल्यों को सहेजते हुए वे कई बार प्रक्रिया तथा प्रतिक्रिया से उलझते हुए आपस में टकराते रहते हैं। अमिता के ब्लॉग, यास्मीन की डायरी, मानव बम जुलेखा का मिथकीय कोलाज, अलगाववादी नेता वसीम के एकालाप के ज़रिए कश्मीर और कश्मीरियत की विदीर्ण व्यथा-कथा को अलग कोण, नए शैलीगत प्रयोगों तथा ताज़गी-भरी भाषा के साथ अपने उपन्यास ‘शिगाफ़’ में अनूठे ढंग से प्रस्तुत कर रही हैं—मनीषा कुलश्रेष्ठ।
Gram Bangla
- Author Name:
Mahashweta Devi
- Book Type:

-
Description:
‘ग्राम बांग्ला’ में सात उपन्यासिकाएँ हैं—‘ग्राम बांग्ला’, ‘सीमान्त’, ‘अँधेरे की सन्तान’, ‘राजा’, ‘स्वदेश की धूलि’, ‘लाइफर’ और ‘तेपान्तरी’। कहने को ये अलग-अलग उपन्यासिकाएँ हैं लेकिन समग्रता में ये ग्रामीण बंगाल की ताजा तस्वीर बनाती हैं। वैसे ग्रामीण बंगाल भारत के किसी ग्रामीण समाज से अलग नहीं दिखता। थोड़े-बहुत भौगोलिक-सांस्कृतिक अन्तर के बावजूद वह भारतीय ग्रामीण समाज जैसा ही लगता है। हिन्दीभाषी समाज की तो विशेष निकटता बंगाल से रही है।
समाज क्या सिर्फ़ मुख्यधारा—यानी खाते-पीते-अघाए लोगों का होता है? क्या लेखक सिर्फ़ इन्हीं के जीवन के इर्द-गिर्द ध्यान रखता रहेगा? प्रख्यात लेखिका महाश्वेता देवी के सामने स्पष्ट रहा है कि मुख्यधारा समृद्ध है, मगर संख्या में छोटी है। समाज में बृहत्तर हिस्सा हाशिए पर धकेल दिए गए लोगों का है। और, ऐसे लोग साहित्य की उपेक्षा के भी शिकार रहे हैं। इसीलिए वे समाज के सीमान्त पर बसे लोगों को अपनी संवेदना-सहानुभूति का केन्द्र बनाती हैं।
इसीलिए वे स्टेशन के फेरीवालों, आदिवासियों, छोटी जगहों के राजनीतिक कार्यकर्ताओं, सपेरों, डायन करार दी गई स्त्रियों जैसे चरित्रों एवं छोटी-छोटी संख्या वाले समुदायों पर लिखती हैं। ख़ूब लिखती हैं और कलात्मक उत्कर्ष की परवाह किए बग़ैर लिखती हैं। “अब मुझमें साहित्य के शिल्पगत उत्कर्ष का कोई आग्रह नहीं रहा।” लेकिन नई विषय-वस्तु के सन्धान का उत्साह और साहस उनमें हमेशा बरक़रार रहा।
पूरे संकलन में यह साहस दीखता है। पश्चिम बंगाल में लोकप्रिय वामपन्थी सरकार द्वारा बटाईदारों के पक्ष में चलाए गए ऑपरेशन वर्गा की असलियत वह बेहिचक सामने लाती हैं। वर्ग-संघर्ष के बारे में वे सवाल करती हैं—यह कैसा वर्ग-संघर्ष है जिसमें एक ही वर्ग के लोग एक-दूसरे के शत्रु बन रहे हैं? 'सीमान्त’ में वे कहती हैं—‘सती-साध्वी होना एक प्रकार का रोग है। एक बार पकड़ लेता है तो कभी छोड़ता नहीं।’ यह संकलन विरल लेखकीय साहस का प्रतिमान है।
Main Kyon Nahin
- Author Name:
Paru Madan Naik
- Book Type:

-
Description:
‘मैं क्यों नहीं?’ उपन्यास एक बहुत त्रासद सामाजिक विडम्बना को केन्द्र में रखकर लिखा गया है। पारू मदन नाईक ने भारतीय समाज में उन व्यक्तियों की व्यथा-कथा को रेखांकित किया है जो न स्त्री हैं न पुरुष। जो ‘हिजड़ा’ कहकर सम्बोधित किए जाते हैं जिनके लिए न परिवार सदय होता है न समाज उदार। हृष्ट-पुष्ट होने के बावजूद जिनके श्रम का कोई मूल्य नहीं आँका जाता। जाने कैसी-कैसी मुसीबतें झेलते हुए ‘हिजड़ा समुदाय’ के लोग अपना जीवन यापन करते हैं। यह उपन्यास इसी समुदाय के ‘भावनात्मक पुनर्वास’ का उपक्रम है।
उपन्यास नाज़ के माध्यम से आकार लेता है। नाज़ एक स्थान पर कहती है, ‘‘हमें, आपको, इस प्रकृति को ईश्वर ने ही बनाया है। हमें किसी दानव ने तो नहीं बनाया। लेकिन लोगों को इस बात का स्मरण नहीं रहता। क्या बताऊँ सर, किसी डॉक्टर के पास जाना पड़े, तो ठीक से ट्रीटमेंट भी नसीब नहीं होता। सहानुभूति से पेश आनेवाला, आप जैसा कोई, मुश्किल से ही मिलता है। शिक्षा पाना तो दूर, ऐसा ज़बरदस्त मखौल उड़ाया जाता है कि पूछिए मत!’’
अत्यन्त भावनाप्रवण उपन्यास। मराठी से अनुवाद करते समय सुनीता परांजपे ने भाषा-प्रवाह का विशेष ध्यान रखा है।
Samudra Ki Gahari Hari Aatma
- Author Name:
Aacharya Jankivallabh Shastri
- Book Type:

- Description: "कथा साहित्य के अंतर्गत कानन, अपर्णा, लीला कमल, बाँसों का झुरमुट तथा नाट्य-साहित्य के अंतर्गत अशोक वन, सत्यकाम, जिंदगी, आदमी, प्रतिध्वनि, देवी, नील झील आदि कृतियाँ जानकीवल्लभ शास्त्री के रचनाकार के उस प्रबुद्ध-सिद्ध गद्यकार पक्ष को उजागर करती है, जो अनेक कवियों के लिए एक कसौटी है। शास्त्रीजी का संस्मरण-साहित्य हिंदी साहित्य की वह अमूल्य निधि है, जिसके बीच से नहीं गुजरना एक सहज-सरल सारगर्भित भाव-निधि से वंचित रह जाना है। स्मृति के वातायन, निराला के पत्र, नाट्य-सम्राट् श्री पृथ्वीराज कपूर, हंसबलाका, कमर्क्षेत्रे: मरुक्षेत्रे, एक असाहित्यिक की डायरी और अष्टपदी आदि संस्मरण-साहित्य शास्त्रीजी का वैयक्तिक राग नहीं, जीवन का विराट् संदर्भ तथा चिंतन-मनन का संवेदनात्मक वह आरोह-अवरोह है, जिसमें पाठक स्वयं को आंतरिक और बाह्य रूपों में देख-समझ और जान सकता है। वैयक्तिक संदर्भों तथा अनुभूतियों को भी शास्त्रीजी ने जिस कुशलता से साहित्य बना दिया है, यह उनके चिंतनशील, मननशील एवं संवेदनशील सर्जक व्यक्तित्व की अन्यतम उपलब्धि है। आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री एक सजग, अनुरागी, पारदर्शी और सूक्ष्मदर्शी विश्लेषक-आलोचक भी हैं। इनके समीक्षा-साहित्य रचनात्मक, क्रियाशील और मूल्यांकनपरक विद्वान् आचार्य का साक्षात्कार कराता है। वैसे इनकी आलोचना महज आलोचना नहीं, रचनात्मक-आलोचना है। "
World Within Words
- Author Name:
Shubhanku Kochar +1
- Book Type:

- Description: This book provides a confluence in which heterogeneous themes create an Azure sky with different fragrances. It combines young, innovative and creative minds with intellectual and hermeneutic maturities—winds blowing from all directions trying to soothe all types of appetite. The creativity enshrined in poems, short stories and plays represent the different aspects of life that prompt a reader to dive into reality and, at the same time, search out gems which give spiritual solace to the terrestrial grossness. The creativity of the writers telescopes the emerging complexities of worldly life, which try to bind them in a circle and mirror the starkest facts- hypocrisy, duality, brutality, lust, greed, love etc. Dr Shubhanku Kochar is teaching as an Assistant Professor at lady Irwin College (University of Delhi). His area of interest is African American literature. He has published several research papers in National and international journals and books. He is the author of well acknowledge novel everything will be all right. Dr Santosh Bahadur Singh teaches at lady Irwin College (University of Delhi). His name is recognised with several research papers published in National and international journals and a book, modalities of self in the poetry of Allen Ginsberg. His field of interest is poetry.
Trapped
- Author Name:
Rajat Chakraborty
- Book Type:

- Description: Difficulties and hurdles are inevitable. Minor setbacks, major failures, degrees of struggle vary from person to person - no two are alike. When you find yourself questioning your strengths, that’s when you are faced with one major question - “do I put My head down and try harder, do I seek help, or do I concede that I’m not meant to be doing this?” This book is dedicated to the bright young minds who are confused or in doubt about taking the next step. It helps increase your self-awareness, and find the key to unlocking your true potential.
Narvanar
- Author Name:
Sharankumar Limbale
- Book Type:

-
Description:
‘नरवानर’ 1956 से 1996 तक के समय पर आधारित यह उपन्यास दरअसल आत्मचिन्तन है। दलित-विमर्श के संवेदनशील विस्फोटक सन्दर्भ का एक साहित्यिक विश्लेषण। लेखक के अनुसार इस आत्मचिंतन या विश्लेषण के मूल में हैं कुछ स्मृतियाँ, कुछ बहसें, कुछ समाचार, कुछ साहित्य-पाठ, समाज की गतिविधियाँ और उनसे उत्पन्न प्रतिक्रियाएँ, बढ़ता हुआ भ्रष्टाचार और व्यभिचार की ओर उन्मुख दैनंदिन नैतिकता, दंगे और हिंसा, राजनीति का अपराधीकरण, अपराधियों को प्राप्त प्रतिष्ठा, राष्ट्रीय नेतृत्व का भ्रष्टाचार, बढ़ती हुई बेरोज़गारी, महँगाई, ग़रीबी और आबादी।
लेकिन मराठी में ‘उपल्या’ नाम से प्रकाशित और चर्चित इस उपन्यास की केन्द्रीय चिन्ता समकालीन दलित आन्दोलन है। पहले अध्याय में एक सनातनी ब्राह्मण परिवार के दलितीकरण का चित्रण है तो तीसरे अध्याय में एक ब्राह्मण परिवार की ही बेटी एक दलित से विवाह करके नया जीवन शुरू करती है। बाकी दो अध्यायों में दलित आन्दोलन के उभार, संघर्ष और विखंडन पर दृष्टिपात किया गया है।
कहना न होगा कि हिन्दी और मराठी में समान रूप से लोकप्रिय लेखक शरणकुमार लिंबाले का यह उपन्यास समकालीन दलित विमर्श के सन्दर्भ में एक ज़रूरी पुस्तक है।
Apsara
- Author Name:
Suryakant Tripathi 'Nirala'
- Book Type:

-
Description:
‘अप्सरा’ निराला की कथा–यात्रा का प्रथम सोपान है। अप्सरा–सी सुन्दर और कला–प्रेम में डूबी एक वीरांगना की यह कथा हमारे हृदय पर अमिट प्रभाव छोड़ती है। अपने व्यवसाय से उदासीन होकर वह अपना हृदय एक कलाकार को दे डालती है और नाना दुष्चक्रों का सामना करती हुई अतन्त: अपनी पावनता को बनाए रख पाने में समर्थ होती है। इस प्रक्रिया में उसकी नारी–सुलभ कोमलताएँ तो उजागर होती ही हैं, उसकी चारित्रिक दृढ़ता भी प्रेरणाप्रद हो उठती है।
इस उपन्यास में तत्कालीन भारतीय परिवेश और स्वाधीनता–प्रेमी युवा–वर्ग की दृढ़ संकल्पित मानसिकता का चित्रण हुआ है, जो कि महाप्राण निराला की सामाजिक प्रतिबद्धता का एक ज्वलन्त उदाहरण है।
Bihar Main Nilahe Kothiyon Ka Itihas
- Author Name:
Minden Wilson
- Book Type:

- Description: नील फैक्टरियों के किस्से आमतौर पर उत्तर बिहार से जुड़े हैं, वह भी चंपारण और तिरहुत से। इसका मुख्य कारण यह रहा है कि नील की खेती में शोषण पर आधारित तौर-तरीके के खिलाफ और नीलहे रैयतों (नील की खेती करनेवालों) के प्रति हो रहे अत्यधिक आर्थिक उत्पीड़न के खिलाफ चंपारण में सत्याग्रह हुए। इसलिए भारत में उपनिवेशवाद के शोषक चरित्र व साथ ही इसके प्रतिरोध के अध्ययन में रुचि रखनेवालों और इतिहासकारों के लिए उत्तर बिहार में नील की खेती जिज्ञासा के विषय रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक मिंडेन विल्सन रचित ‘History of Indigo Factory in Bihar’ का हिंदी अनुवाद है। यह रिपोर्ट मुख्यतः उत्तर बिहार के क्षेत्रों के नील उद्योगों के संबंध में है। मिंडेन ने उत्तर बिहार की लगभग सभी छोटी-बड़ी नील फैक्टरियों की स्थापना, क्रमिक विकास एवं उनके पतन का कारण सहित विस्तृत विवरण लिखा है तथा उत्तर बिहार के नील एवं चीनी उद्योगों के लिए बेहतर उत्पादन के तरीकों का भी उल्लेख किया गया है। मिंडेन विल्सन एक ब्रिटिश नागरिक थे। उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में नील उद्योग के प्रबंधन क्षेत्र में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान माना जाता है। औपनिवेशिक भारत में प्रमुख समृद्ध नील उत्पादकों की श्रेणी में उनका महत्त्वपूर्ण स्थान था। नील उद्योग के क्षेत्र में मिंडेन विल्सन ने अपना प्रारंभिक जीवन मॉरीशस में बिताया। भारत आने के पूर्व वे मॉरीशस के गन्ना उद्योग से भी जुड़े रहे। बेहतर जीवन की तलाश में मिंडन ने भारत आने का निर्णय लिया, जहाँ उनकेबड़े भाई पहले से ही नील उद्योग से जुड़े थे। वर्ष 1847 में अमेरिकन जहाज ‘अलबाटरोस’ से कलकत्ता पार्ट सिटी पर उनका आगमन हुआ। वहाँ से वे बिहार के नील उत्पादन क्षेत्र में आए। उसके पश्चात् बिहार के अनेक नील फैक्टरियों में सहायक प्रबंधक व प्रबंधक के तौर पर उन्होंने कार्य किया। नील उद्योग क्षेत्र में उनका व्यापक अनुभव था।
Sahab Bibi Gulam
- Author Name:
Bimal Mitra
- Book Type:

-
Description:
‘साहब बीबी गुलाम’ कलकत्ता शहर के बसने, बढ़ने और फैलने का दिलचस्प आख्यान है।
इस उपन्यास के रूप में बांग्ला कथाकार बिमल मित्र ने एक ऐसी कृति प्रस्तुत की है जो अपने आपमें कथाशिल्प का स्थापत्य है। इसमें कोलकाता के बहुरंगी अतीत को उसके विकासशील वर्तमान से जोड़ने का एक सुन्दर और कलात्मक प्रयोग किया गया है।
इस कृति में कथाकार ने उन राजा-रईसों के वैभव-विलास और आमोद-प्रमोद का चित्रण किया है जो कभी आलीशान महलों में बड़ी शान-ओ-शौकत से रहा करते थे। साथ ही इसमें उनके निरीह सेवकों-ग़ुलामों की विवशता का भी हृदयस्पर्शी चित्रण है जो दिन-रात उनकी सेवा में लगे रहते हैं। सामन्ती परिवार का वह भीतरी परिवेश इसमें पूरे प्रभाव के साथ उभरा है जिसमें अपरिमित सुखों के बीच अलग-अलग तरह के दु:ख पलते रहते हैं। पूरी कथा ओवरसियर भूतनाथ की ज़ुबानी सामने आती है जो वर्तमान का संवाहक होकर भी अतीत की यादों में खोया रहता है। अन्तःपुरवासिनी ‘छोटी बहू’ उसके ही मन पर नहीं, पाठकों के मन पर भी छाई रहती है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...