Flamingos Beyond Pink
Author:
Kanika Israni KardaPublisher:
Author'S Ink PublicationsLanguage:
EnglishCategory:
Literary-fiction2 Reviews
Price: ₹ 167.45
₹
197
Available
What would you do if your new beginning seems to be the end of something precious, if you lose the only person you’ve ever had as family, if the cost of the love you seek is compromising on who you are? Kavya On some days in your life, you don’t get a say in what happens to your dreams, you just have to swallow the lump in your throat and the pain in your heart and just let life lead you to the place it’s meant to. Maahi The most basic thing about tragedy is, that it stuns you into the kind of grief, that your entire life, the things that mattered to you, the things that used to upset you, concern you or made you happy seem like a huge bunch of lies. Ananya I believe there is a certain point in a person’s life, where they sincerely, almost desperately wish for a magic wand or a mystical creature to shed some light on what went wrong. A state where your entire world is overshadowed by the fact that you failed. And while, no one openly blurts it out on your face, you can feel it by the way people look at you. On a sudden trip to Srinagar, they find each other. Will they be able to find themselves? Flamingos Beyond PINK is a striking tale of self-discovery, heartbreak, longing, friendship and courage. The courage it takes to become who you are.
ISBN: 9788194462101
Pages: 160
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Lal Peeli Zameen
- Author Name:
Govind Mishra
- Book Type:

-
Description:
रचना अच्छी, कहीं-कहीं बहुत अच्छी, अच्छी के अतिरिक्त सशक्त लगी। न यह स्थानाबद्ध है और न समयाबद्ध...यह रचना की विशेषता है। जिन पात्रों और घटनाओं को लेखक ने लिया है, पात्रों के जो कार्यकलाप हैं, उसके पीछे की मार्मिक कारण-जगत की खोज लेखक को निरंतर रही है। अपने को औरों में खोजने की वृत्ति...जो ‘लाल पीली जमीन’ की औपन्यासिक दृष्टि है...वह मुझे विश्वसनीय प्रतीत होती है।
–जैनेन्द्र कुमार
पढ़ने में रुचिकर और सिर्फ पाठक की दृष्टि से कहूँ तो यह एक सफल, सशक्त और एक स्थायी प्रभाव छोड़नेवाला उपन्यास है। इसके कई चरित्र और घटनाएँ मुझे याद हैं और उनकी याद रहेगी। आंचलिकता केवल भाषिक परिवेश तक सीमित है। उपन्यास की भाषा ने मुझे बहुत आकृष्ट किया। इस उपन्यास ने
बहुत-से ऐसे शब्द हिन्दी को दिए हैं जो ज्यादा आसानी से आज की साधु हिन्दी ग्रहण कर सकती है। भाषा की दृष्टि से इस उपन्यास की यह महत्त्वपूर्ण देन रही।
–अज्ञेय
बुंदेलखंड का जन्म से मरण तक कोई ऐसा पहलू नहीं है जो इस उपन्यास में न आया हो और सो भी ‘फर्स्ट हैंड’। इस उपन्यास के कई गुण हैं मगर सबसे बड़ा गुण है, गोविन्द मिश्र के बयान का अन्दाज जो बातों को शुरू से अन्त तक कहानी बनाए रखता है। यह पुस्तक हमारे उपन्यास साहित्य में एक नक्षत्र की तरह चमकती रहेगी।
–भवानी प्रसाद मिश्र
उपन्यास की घटनाएँ बहुत सजीव हैं। कोई पात्र ‘स्टॉक’ नहीं जान पड़ता, बराबर एक साफ, सुडौल, विशिष्ट, महीन से महीन रेखाओं से उकेरा हुआ व्यक्ति सामने आता है।
–निर्मल वर्मा
Pahighar
- Author Name:
Kamlakant Tripathi
- Book Type:

-
Description:
‘पाहीघर’ अवध के एक गाँव, ख़ासकर एक परिवार के इर्द-गिर्द बुनी गई कथा के साथ-साथ सन् 1857 के उस तूफ़ान की इतिहास-कथा भी है जिसके थपेड़ों से अवध का मध्ययुगीन ढाँचा पूरी तरह चरमरा उठा। एक ओर इसमें तत्कालीन सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था का विवरण है तो दूसरी ओर अंग्रेज़ों के भारत में पैर जमाने के पीछे के कारणों पर लेखक की वस्तुपरक दृष्टि और पैनी सोच की भी झलक है।
यह उपन्यास तत्कालीन समाज की विसंगतियों और अन्तर्द्वन्द्व का भी दर्पण है, जिसके कारण कल और आज में कोई तात्त्विक फ़र्क़ नहीं दिखता। साम्प्रदायिक और जातीय तनाव पैदा कर राजनीति करनेवाले तब भी थे और आज भी हैं, बस फ़र्क़ यह है कि उनके मुखौटे बदल गए हैं। उस वक़्त यह काम विदेशी करवाते थे और अब यही काम देशी चरित्र करा रहे हैं।
वस्तुतः ‘पाहीघर’ की कथा एक बहुआयामी अनुभव की धरोहर की दस्तावेज़ है, जो अपनी अन्तर्धारा के व्यापक फैलाव के चलते किसी स्थान या काल विशेष की परिधि में बँधना अस्वीकार कर जाती है।
Umraojan Adaa
- Author Name:
Mirza Haadi 'Ruswa'
- Book Type:

-
Description:
उमराव जान ‘अदा’ उर्दू के आरम्भिक उपन्यासों में अहम स्थान रखता है। वस्तुतः यह आत्मकथात्मक उपन्यास है जिसे मिर्ज़ा हादी ‘रुस्वा’ ने क़लमबन्द किया है। शायर होने के नाते लेखक तवायफ़-शायर उमराव जान ‘अदा’ को काफ़ी क़रीब से जनता था। उमराव ने अपने संस्मरण स्वयं मिर्ज़ा को सुनाए थे।
फ़ैज़ाबाद की बच्ची ‘अमीरन’ के लखनऊ में तवायफ़ उमराव जान से शायरा ‘अदा’ बनने तक के सफ़र को समेटती हुई यह कथा उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध की विडम्बनाओं, विसंगतियों तथा अंग्रेज़ी दौर की तबाहियों का भी ख़ाक़ा खींचती है। अपने रूप-सौन्दर्य, मधुर कंठ, नृत्य-कला, नफ़ासत तथा अदबी तौर-तरीक़ों के कारण उमराव जान अमीरों-रईसों में ससम्मान लोकप्रिय रही। बचपन में ही बेघर हो जाने की वजह से ताउम्र वह मोहब्बत की तलाश में भटकती रही। उसने वे सारी त्रासदियाँ भोगीं जो एक संवेदनशील व्यक्ति के दरपेश होती हैं।
उपन्यास में भाषा का इस्तेमाल पत्र और परिस्थिति के अनुकूल है जो मार्मिक है और प्रभावशाली भी। उर्दू के अवधी लहजे की मिठास इसकी सबसे बड़ी ख़ासियत है। अनुवादक गिरीश माथुर ने मूल भाषा की सजीवता बरकरार रखी है।
Sadiyon Ka Syanapan
- Author Name:
Sanjiv Shah
- Book Type:

- Description: इसे आप दर्शन की एक और पुस्तक न गिन लेना। महान् रूसी उपन्यासकार और सत्य के प्रखर साधक लियो टॉल्सटॉय की 25 वर्षों की साधना का यह फल है। इस पुस्तक में विश्व के समस्त धर्मों का सार है। इसमें सर्वोत्तम चिंतकों के श्रेष्ठतम विचार हैं और सैकड़ों महान् कृतियों का बहुमूल्य अर्क है। कल्पना कीजिए कि टॉल्सटॉय हमें वर्ष के 366 दिन, प्रतिदिन किसी विषय पर सदियों का सयानापन परोसते हैं! क्या इससे बढ़कर हमारा कोई और सद्भाग्य हो सकता है? ‘‘मैं आशा करता हूँ कि इस पुस्तक के वाचक वैसी कल्याणकारी एवं प्रेरणादायी भावना का अनुभव कर सकेंगे, जैसी मैंने इस पुस्तक की सृजन वेला में काम करते समय अनुभव की थी और जिसे मैं प्रतिदिन पढ़ते समय पुनः-पुनः अनुभव करता हूँ।’’ —ऌलियो टॉल्सटॉय
Nacohus
- Author Name:
Purushottam Agarwal
- Book Type:

-
Description:
एक दशक पहले, आहत भावनाओं की हिंसक राजनीति के बढ़ते संकट पर टिप्पणी करते हुए, पुरुषोत्तम अग्रवाल ने एक व्यंग्य-लेख में, प्रस्ताव किया था, ‘आहट भावना आयोग का गठन’ कर ही दिया जाए...
अब यह उपन्यास...ज़बान पर लगते जा रहे नित नए तालों की डरावनी ख़बर की पड़ताल करने के साथ ही, सूचना और मनोरंजन के सब तरफ़ पसरते जंजाल में, तकनीकी आतंक तले चेतना के हाशिए पर धकेले जा रहे विवेक की चीत्कार को स्वर देता है यह उपन्यास...
पुरुषोत्तम अग्रवाल का पहला उपन्यास ‘नाकोहस’ नई-नई गढ़ी जा रही वास्तविकता की पड़ताल के लिए गढ़े गए ‘बौनैसर’ और ऐसे अनेक विचारोत्तेजक शब्दों के कारण भी ध्यान खींचता है...
स्वयं ‘नाकोहस’ भी ऐसा ही एक शब्द है...
Khwab Ke Do Din
- Author Name:
Yashwant Vyas
- Book Type:

-
Description:
मैं बुरी तरह सपने देखता रहा हूँ। चूँकि सपने देखना-न-देखना अपने बस में नहीं होता, मैंने भी इन्हें देखा। आप सबकी तरह मैंने भी कभी नहीं चाहा कि स्वप्न फ़्रायड या युंग जैसों की सैद्धान्तिकता से आक्रान्त होकर आएँ या प्रसव पीड़ा की नीम बेहोशी में अखिल विश्व के पापनिवारक-ईश्वर के नए अवतार की सुखद आकाशवाणी के प्ले-बैक के साथ।
मीडिया के ईथर में तैरते हुए 1992 की नीम बेहोशी में ‘चिन्ताघर’ नामक लम्बा स्वप्न देखा गया था और चौदह बरस बाद अपने सिरहाने रखी 2006 की डायरी में जो सफे मिले, उनका नाम था—‘कॉमरेड गोडसे’। ऐसे जैसे एक बनवास से दूसरे बनवास में जाते हुए ख़्वाब के दो दिन।
कुछ लोग कहते हैं, तब अख़बारों के एडीटर की जगह मालिक के नाम ही छपते थे, चौदह साल बाद कहने लगे इश्तहारों और सूचनाओं के बंडलों पर जो एडीटर का नाम छपता है, वह मालिक के हुक्म बिना इंच भर न इधर हो, न उधर। कुछ लोग कहते हैं, बड़ा ईमान था जो हाथ से लिखते थे, चौदह साल बाद कहने लगे छोटा कम्प्यूटर है लाखों-लाख पढ़ते हैं।
तब एक लड़का था जो ‘चिन्ताघर’ में घूमता, मुट्ठियों में पसीने को तेजाब बनाता, दियासलाई उछालना चाहता था। चौदह साल बाद दो हो गए, जो ज़ोरदार मालिक और चमकदार एडीटर के चपरासी और साथी की शक्ल में आत्माओं के छुरे उठाए फिरते हैं। पहले दिन से चौदह बरस बाद के बनवासी दिन टकरा-टकरा कर चिंगारियाँ फेंकते हैं। इन चिंगारियों में हुई सुबह ख़्वाबों को खोल-खोल दे रही है।
आज इस सुबह सपनों की प्रकृति के अनुरूप भयंकर रूप से एक-दूसरे में गुम काल, स्थान और पात्रों के साथ मैं अपने सपनों की यथासम्भव जमावट का एक चालू चिट्ठा आपको पेश करता हूँ।
Sukh-Dukh
- Author Name:
Amrit Rai
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Manache Khel
- Author Name:
Jaydeep Khot
- Rating:
- Book Type:

- Description: Manache Khel.
Aligarh Muslim University
- Author Name:
Rajkumar Fulwariya +1
- Book Type:

- Description: Aligarh Muslim University is among the prestigious Central University of our nation but unfortunately there has been a never ending controversy over its minority characteristic right from its establishment till date. In fact, right from its very establishment it has always been considered as a Central University by the Constituent Assembly, Parliament as well as the Judiciary; Apart from this, even its founders too always accepted the fact that the University is open to the people of all the section and religion of the nation. One of the object of this booklet is also that because Aligarh Muslim University is the national heritage of our nation i.e. India, therefore because of the fact that it is a Central University SC/ST/OBCs should get reservation under the National Reservation Policy in the University. This University must have a vital role in nation building and social justice. Reservation to SC/ST/OBCs is provided in all the Central Universities and it should also be given in the Aligarh Muslim University. This is the ultimate object of this book.
Varshavan Ki Roopkatha
- Author Name:
Vikas Kumar Jha
- Book Type:

-
Description:
‘वर्षा वन की रूपकथा’ कर्नाटक प्रान्त के शिमोगा ज़िले में बसे एक छोटे-से गाँव अगुम्बे की अन्तरंग-अप्रतिम कथा है। सघन वर्षा होने के कारण इसे भारत का दूसरा ‘चेरापूँजी’ कहा जाता है। कन्नड़ थिएटर और सिनेमा के महानायक शंकर नाग ने इस गाँव को अपने सीरियल ‘मालगुडी डेज़’ में अमर कर दिया है। दरअसल, अंग्रेज़ी के उद्भट लेखक आर.के. नारायण लिखित ‘मालगुडी डेज़’ पर सीरियल बनाने का निर्णय लेकर इस काल्पनिक ग्राम को साकार करने का स्वप्न सँजोए शंकर नाग जब घूमते-भटकते अगुम्बे पहुँचे, तो उन्हें छूटते हुए लगा कि यही तो है नारायण का अद्भुत मालगुडी! घने जंगल, पहाड़ और बादलों की अहर्निश मधुर युगलबन्दी के बीच स्थित मलनाड अंचल के इस गाँव के सरल-सहज लोगों से मिलकर शंकर नाग को लगा कि शूटिंग के लिए यहाँ उन्हें अलग से कोई सेट लगाने की भी ज़रूरत नहीं। पूरा गाँव ही इस सीरियल का क़ुदरती सेट है। शूटिंग के दौरान आर.के. नारायण भी जब एक बार अगुम्बे आए, तो विस्मित हुए बिना न रह सके। बहरहाल, ‘मालगुडी डेज़’ सीरियल के बने वर्षों बीत चुके हैं पर अगुम्बे अभी भी मालगुडी को अपनी आत्मा के आलोक में बड़े दुलार से बसाये हुए है। और यह यों ही नहीं है। बाज़ारवाद के इस भीषण पागल समय में यह गाँव मनुष्यता का एक ऐसा दुर्लभ हरित मंडप है, जहाँ के विनोदप्रिय निष्कलुष लोग समस्त कामनाओं और आतप को हवा में फूँककर उड़ाते हुए मौन उल्लास की सुरभि में निरन्तर मधुमान रहते हैं। जीवनानंद के पराग से पटी पड़ी है अगुम्बे की धरती। अगुम्बे की ख्याति दुनिया में ‘किंग कोब्रा’ के एकमात्र मुख्यालय के रूप में भी है। जंगल-पर्वत और झमझम बारिश के बीच निरन्तर आलोड़ित कर्नाटक के इस गाँव की जैसी धारासार तन्मय गाथा एक हिन्दी भाषी लेखक द्वारा लिखी गई है, वह पृष्ठ-दर-पृष्ठ चकित करती हुई साधारण मनुष्य के जीते-जागते स्वप्नजगत में अद्भुत रमण कराती है। तृप्त और दीप्त करती है।
‘सुन्दरता ही संसार को बचाएगी’ यह टिप्पणी हर समय, हर समाज, हर देश और हरेक भाषा के वास्ते महान साहित्यकार दोस्तोयेव्स्की की है। सुन्दरता का आशय मात्र किसी महारूपा स्त्री या महारूपा प्रकृति से ही नहीं है। सुन्दरता का मतलब ठेठ ‘अगुम्बेपन’ से भी है। प्रेम का चिरन्तन आनन्द, उसकी अटूट शक्ति और विह्वल करुणा भी विशुद्ध अगुम्बेपन में ही है।
Shastra Vidaai
- Author Name:
Ernest Hamingway
- Book Type:

- Description: ‘शस्त्र विदाई’ अर्नेस्ट हेमिंग्वे के विश्वप्रसिद्ध उपन्यास ‘ए फ़ेयरवेल टू आर्म्स’ का अनुवाद है। कई फ़िल्मों का आधार बन चुके और विश्व की अनेक भाषाओं में अनूदित इस उपन्यास की पृष्ठभूमि में प्रथम विश्वयुद्ध है। 1929 में प्रकाशित ‘ए फेयरवेल टू आर्म्स’ का कथावाचक पात्र अमेरिकी फ़ेडरिक हेनरी है जो इतालवी सेना में लेफ़्टिनेंट है। प्रथम विश्वयुद्ध के लोमहर्षक विवरणों, सनकी सिपाहियों, युद्ध और विस्थापन से जूझते नागरिकों से अँटे उपन्यास के विशाल फ़लक का केन्द्र हेनरी और कैथरीन बार्कले का प्रेम है। इस उपन्यास के प्रकाशन के साथ ही हेमिंग्वे एक आधुनिक अमेरिकी लेखक के रूप में स्थापित हो गए थे, यही उपन्यास उनका पहला बेस्टसेलर था।
The Unfrazzled Kite
- Author Name:
Kamal Panda
- Book Type:

- Description: Aaditya had it all; he was successful, wealthy and at the top of his game, yet he felt a void in his life. He was ready to relinquish all to find out the secret his father tried to tell him When he was breathing his last and also to seek out his lost love one last time. Would she still be waiting for him after all these years? What was his father trying to tell him? How far would you go to find out the truth? Aaditya decided to go back to his roots in a quest to find all that he had lost…..
Maan
- Author Name:
Maxim Gorki
- Book Type:

- Description: लोहे के ढेर पर से उतरकर पावेल माँ के पास आ गया। भीड़ बौखला उठी थी। हर आदमी उत्तेजित होकर चिल्ला रहा था और बहस कर रहा था। “तुम कभी भी हड़ताल नहीं करा सकते,” राइबिन ने पावेल के पास आकर कहा, ‘‘ये कायर और लोभी लोग हैं। तीन सौ से ज़्यादा मज़दूर तुम्हारा साथ नहीं देंगे। अभी इनमें बहुत काम करने की ज़रूरत है।’’ पावेल ख़ामोश था। भारी भीड़ उसके सामने खड़ी थी और उससे जाने कैसी-कैसी माँग कर रही थी। वह आतंकित हो उठा। उसे लगा कि उसके शब्दों का कोई भी प्रभाव शेष नहीं रह गया था। वह घर की ओर लौटा तो बेहद थका और पराजित महसूस कर रहा था। माँ और सिम्मोव उसके पीछे-पीछे चल रहे थे। राइबिन उसके साथ-साथ चलते हुए कह रहा था, “तुम बहुत अच्छा बोलते हो, लेकिन मर्म को नहीं छूते। यहाँ तर्कों से काम चलनेवाला नहीं, दिलों में आग लगाने की ज़रूरत है।” सिम्मोव माँ से कह रहा था, “हमारा अब मर जाना ही बेहतर है, पेलागिया! अब तो नई तरह के जवान आ गए हैं। हमारी और तुम्हारी कैसी ज़िन्दगी थी। मालिकों के सामने रेंगना और सिर पटकना। लेकिन आज देखा तुमने, डायरेक्टर से लड़कों ने किस तरह सिर उठाकर, बराबर की तरह, बात की!...अच्छा, पावेल, मैं फिर तुमसे मिलूँगा। अब इजाज़त दो।” वह चला गया तो राइबिन बोला, “लोग केवल शब्दों को नहीं सुनेंगे, पावेल, हमें यातना झेलनी होगी, अपने शब्दों को ख़ून में डुबोना होगा!” पावेल उस दिन देर तक अपने कमरे में परेशान टहलता रहा। थका, उदास, उसकी आँखें ऐसे जल रही थीं, जैसे वे किसी चीज़ की खोज में हों! माँ ने पूछा, “क्या बात है, बेटा? सिर में दर्द है। तो लेट जाओ। मैं डॉक्टर को बुलाती हूँ।” “नहीं, कोई ज़रूरत नहीं है।...दरअसल मैं अभी बहुत छोटा और कमज़ोर हूँ। लोग मेरी बातों पर विश्वास नहीं करते, मेरे काम को अपना काम नहीं समझते।” “थोड़ा इन्तज़ार करो, बेटा,” माँ ने बेटे को सान्त्वना देते हुए कहा, “लोग जो आज नहीं समझते, कल समझ जाएँगे!” उपरोक्त संवाद से स्पष्ट है कि क्रान्ति की लौ को उजास देनेवाली एक माँ की महागाथा है—यह उपन्यास।
Manimala
- Author Name:
Ilachandra Joshi
- Book Type:

-
Description:
पं. इलाचन्द्र जोशी की रचनात्मक प्रतिभा से परिचित लोग यह भली-भाँति जानते हैं कि पाठ-सम्मोहन को वे उपन्यास का सर्वश्रेष्ठ गुण मानते हैं। सिर्फ़ मनोरंजन ही नहीं वरन् उत्सुकता, चमत्कार और कहानी कहने की मनोरंजक प्रक्रिया पर वे विशेष ध्यान देते हैं।
‘मणिमाला’ नामक इस उपन्यास में उनकी रचना-प्रकृति के सारे गुण एक साथ विद्यमान हैं। अपने आस-पास के जीवन से बिलकुल अलग, दूर मसूरी के एक होटल में वे एक दूसरे आदमी द्वारा सुनी हुई कहानी को लिपिबद्ध करके पाठक की उत्सुकता को जाग्रत करते हैं और एक जिप्सी लड़की को उपन्यास का मुख्य पात्र बनाकर उपन्यास को एक ऐसा आयाम देते हैं कि पाठक साँस बाँधकर ‘आगे क्या हुआ’ सोचता हुआ उपन्यास समाप्त कर देता है।
हिन्दी उपन्यास को लोकप्रिय बनाने में जिन उपन्यासकारों की भूमिका है, उसमें जोशी जी का नाम सर्वोपरि है और उनके अनेक महत्त्वपूर्ण उपन्यासों में ‘मणिमाला’ उनकी रचनाशीलता के समस्त गुणों का आईना है।
Karobare Tamanna
- Author Name:
Rahi Masoom Raza
- Book Type:

-
Description:
समस्या बड़ी हो या छोटी, उसका प्रभाव समाज के छोटे-से हिस्से पर हो या देशव्यापी हो, नियम-क़ानून द्वारा उस पर कितना क़ाबू किया जा सकता है? यह मुद्दा विचारणीय है। यह वास्तविकता है कि समस्या की जड़ में जाकर मूल कारणों की पहचान की जाए तो समस्या से मुक्ति मिल सकती है। इस दिशा में रचनाकार की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। वह समस्या की जड़ में जाकर मूल कारणों की न केवल पहचान करता है, बल्कि उनके विरुद्ध अवाम की मानसिकता का निर्माण करने की ज़िम्मेदारी भी निभाता है।
वेश्यावृत्ति का ज्वलन्त मुद्दा उपन्यास ‘कारोबारे तमन्ना’ के केन्द्र में है। निम्नवर्गीय मुस्लिम समाज की आर्थिक और सामाजिक पृष्ठभूमि में वेश्यावृत्ति के कारणों की जाँच-पड़ताल की गई है। उपन्यास वेश्याओं की जटिल जीवन-शैली और उस वृत्ति के निर्माण की पूरी प्रक्रिया को यथार्थ के धरातल पर प्रस्तुत करता है। यह रचना अपनी सम्पूर्णता में उसका विरोध भी करती है।
राही मासूम रज़ा के औपन्यासिक कर्म की मुख्यधारा के बरक्स ‘कारोबारे तमन्ना’ की ख़ूबी इसके दिलचस्प होने में है। यह अपने कथ्य के आधार पर विशिष्ट है। हिन्दी साहित्य की मुख्यधारा में लिखे उपन्यासों से इतर राही ने शाहिद अख़्तर और आफ़ाक़ हैदर नाम से उर्दू भाषा में कई उपन्यासों की परम्परा में परिगणित होने के कारण कभी चर्चा के लायक़ ही नहीं समझे गए।
‘कारोबारे तमन्ना’ को डॉ. एम. फ़िरोज़ खाँ ने लिप्यन्तरित कर हिन्दी पाठकों के लिए उपलब्ध कराया है।
राही मासूम रज़ा के असंख्य पाठकों हेतु एक संग्रहणीय पुस्तक।
That IS Not What I Said
- Author Name:
Dr. Katrina Wood
- Book Type:

- Description: Dr. Katrina wood on... Trigger words: "The deterioration of relationship communication often begins with two simple words: 'why' And 'you'. A listener's historical pain and shame trigger immediate anger as a defense" Vulnerability: "being vulnerable is risky. It is also courageous. Unveiling your true self provides a means of being deeply connected." ghosts: "make a conscious and sustained effort to leave behind styles of communication from childhood. They limit your ability to share what you truly feel and think in the present." abuse: "most people have come to expect Verbal and emotional abuse and therefore tolerate it. Such abuse is hurtful, and leads to disconnection and pain in isolation." The sexes: "understanding some fundamental differences between men and women goes a long way towards improving communication and behavior in relationships." relationships: "each person in a relationship has a responsibility to work toward identifying and communicating thoughts and feelings in the moment.".
Ek Tanashah Ki Premkatha
- Author Name:
Gyan Chaturvedi
- Book Type:

-
Description:
यह कथा है—प्रेम में तानाशाही की। प्रेम की तानाशाही की भी और तानाशाहों के प्रेम की भी। प्रेम जो समर्पण से शुरू होता है। फिर धीरे-धीरे इसका पलड़ा किसी एक तरफ झुकने लगता है और तब शुरू होती है भूमिका ताक़त के प्रति हमारे अनन्य प्रेम की, जिसके सामने कोई प्रेम अर्थ नहीं रखता।
यह उपन्यास ऐसे तीन प्रेमियों की कथाओं से शुरू होता है, जिन्हें अब भी लगता है कि वे प्रेम कर रहे हैं, लेकिन दरअसल वे कर रहे हैं तानाशाही, कब्ज़ा और क्रूरता। सम्बन्ध उनके लिए एक दलदल बन चुका है, जिससे निकलने को उनकी वह रूह छटपटाती रहती है जिसने कभी सारी दुनिया को छोड़कर प्रेम का वरण किया था; लेकिन जब तक वे अपनी इस छटपटाहट को समझ पाते, एक चौथा प्रेमी कथा में प्रवेश करता है जिसे लगता है कि उससे बड़ा प्रेमी कोई है ही नहीं। यह देशप्रेमी है, देश का बादशाह, जिसे लगता है कि प्रेम बस एक ही होता है—देशप्रेम, बाकी हर प्रेम उसकी राह में बस रुकावट पैदा करता है। असली कथा यहीं से शुरू होती है...
व्यंग्य को उपन्यास के विराट विस्तार में सफलतापूर्वक साधे रखनेवाले ज्ञान चतुर्वेदी का यह सातवाँ उपन्यास है। अपने हर उपन्यास में उन्होंने अपनी कथा-भूमि और कहन-शैली को एक नया आयाम दिया है। वे हर बार आगे बढ़े हैं। बुंदेलखंड की खाँटी खुरदुरी ग्रामीण जमीन से लेकर क़स्बाई और शहरी पृष्ठभूमि तक उनका व्यंग्य लगातार अपनी धार को और-और तेज करता रहा है।
इस उपन्यास में उन्होंने प्रेम जैसे सार्वभौमिक तत्त्व को अपना विषय बनाया है और उसे वहाँ से देखना शुरू किया है जहाँ वह अपने पात्र के लिए ही घातक हो उठता है। वह आत्ममुग्ध प्रेम किसी को नहीं छोड़ता चाहे प्रेमी के लिए प्रेमिका हो, पति के लिए पत्नी हो या शासक के लिए देश।
Ek Break Ke Baad
- Author Name:
Alka Saraogi
- Book Type:

-
Description:
उम्र के जिस मुक़ाम पर लोग रिटायर होकर चुक जाते हैं, के.वी. शंकर अय्यर के पास नौकरियाँ चक्कर लगा रही हैं। के.वी. मानते हैं कि इंडिया के इकोनॉमिक ‘बूम’ में देश की एक अरब जनता के पास ख़ुशहाली के सपने हैं। दुनिया का शासन अब सरकारों के हाथ नहीं, कॉरपोरेट कम्पनियों के हाथों में है।
मल्टीनेशनल कम्पनी का एक्जीक्यूटिव गुरुचरण राय के.वी. की बातों को बिना काटे सुनता रहता है। वह बीच-बीच में पहाड़ों पर क्या करने जाता है, इसकी कोई भनक के.वी. को नहीं है। अन्ततः वह कम्पनी के काम से मध्य प्रदेश के किसी सुदूर प्रान्त में जाकर लापता हो जाता है। एक ब्रेक के बाद, जिसमें वह एक आई-गई ख़बर हो गया है, के.वी. को मिलती हैं उसकी डायरियाँ, जिसमें लिखी बातों का कोई तुक उन्हें नज़र नहीं आता।
उपन्यास के तीसरे पात्र भट्ट की नियति एक नौकरी से दूसरी नौकरी तक शहर-शहर भटकने की है। कॉरपोरेट दुनिया के थपेड़े खाते-खाते वह बीच में गुरुचरण उर्फ़ गुरु के साथ पहाड़-पहाड़ घूमता है। स्त्रियों के साथ सम्बन्धों में गुरु क्या खोजता है या उसका क्या सपना
है, यह जाने बग़ैर गुरु के साथ भट्ट यायावरी करता जीवन के कई सत्यों से टकराता रहता है।अलका सरावगी का यह नया उपन्यास कॉरपोरेट इंडिया की तमाम मान्यताओं, विडम्बनाओं और धोखों से गुज़रता है। इस दुनिया के बाज़ू में कहीं वह पुराना ‘पोंगापंथी’ और पिछड़ा भारत है, जहाँ तीस करोड़ लोग सड़क के कुत्तों जैसी ज़िन्दगी जीते हैं। कॉरपोरेट इंडिया अपने लुभावने सपनों में खोया यह मान लेता है कि ‘ट्रिकल डाउन इफ़ेक्ट’ से नीचेवालों को देर-सबेर फ़ायदा होना ही है।
गुरुचरण का कॉरपोरेट जगत् का चोला छोड़कर सिर्फ़ गुरु बनकर जीने का निर्णय तथाकथित विकास की अन्धी दौड़ का मौन प्रतिरोध है। गुरु के रूप में भी उसकी मृत्यु एक तरह से औपन्यासिक आत्महत्या मानी जा सकती है। जिस तरह की संवेदनात्मक दुनिया बनाने का उसका सपना है, उसकी क़ब्र पर कॉरपोरेट इंडिया उग आया है, जिसमें भट्ट जैसे लोगों के नए सपने और नई सफलताएँ हैं।
Kumbhipak
- Author Name:
Nagarjun
- Book Type:

- Description: नरक की रचना जिन जीवन-स्थितियों से हुई होगी, नागार्जुन का यह उपन्यास उन्हीं के शब्दांकन का परिणाम है। एक ही मकान में रहनेवाले छह किराएदारों की जीवनचर्या पर केन्द्रित यह उपन्यास हमारे ‘विकासमान' नागर-जीवन के जिस सामाजिक यथार्थ की परतें खोलता है, प्रकारान्तर से वह समूचे भारतीय जीवन का यथार्थ है, क्योंकि स्त्री के प्रति पदार्थवादी नज़रिए की कहीं कोई कमी नहीं। आर्थिक अभावों में पिसती अनेकानेक निर्दोष जीवनेच्छाएँ किस प्रकार भोगवाद की भट्टी में झोंक दी जाती हैं, उनकी पीड़ा और मुक्तिकामी छटपटाहट को नागार्जुन ने गहरी आत्मीयता से उकेरा है। साथ ही, नागार्जुन यहाँ उस दृष्टि को प्रस्थापित करते हैं जो स्त्री की सामाजिक भूमिका और मानवीय गरिमा के प्रति सचेत है।
Hari Ghaas Ki Chhappar Wali Jhopadi Aur Bauna Pahad
- Author Name:
Vinod Kumar Shukla
- Book Type:

- Description: विनोद कुमार शुक्ल ने उपन्यास के क्षेत्र में एक नए मुहावरे का आविष्कार किया है। वे उपन्यास के फ़ार्म की जड़ता को जड़ से उखाड़कर, सजगतापूर्वक नए फ़ार्म और शिल्प का लहलहाता हुआ नया संसार रचते हैं। ‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़’ उनका चर्चित उपन्यास है। इसे विनोद जी ने किशोर, बड़ों और बच्चों का उपन्यास माना है। इस उपन्यास में बच्चों की मित्रता के साथ ही अमलताश वाला पेड़ है, हरेवा नाम का पक्षी है, बुलबुल, कोतवाल, शौबीजी, किलकिला, दैयार, दर्जी, मधुमक्खी का छत्ता और छोटा पहाड़ है। इसे फ़ैंटेसी कहें या जादुई यथार्थवाद या फिर हो सकता है कि आलोचकों को विनोद जी की इस भाषा, शैली और कल्पनाशीलता के लिए कोई नया ही नाम गढ़ना पड़े। फ़ंतासी की इस बुनावट में एक ताज़गी और नयापन है। गल्प व कल्प की जुगलबन्दी में गद्य और पद्य की सीमा रेखा मिटती जाती है। सच तो यह है कि विनोद कुमार शुक्ल के कल्पना-जगत में भी वास्तविक संसार ऐसा है जो जीवन्त और रचनात्मकता के आनन्द से भरा-पूरा है। उपन्यास में बच्चों की सपनीली दुनिया जैसी सुन्दर बातें हैं। भाषा की चमक के साथ भाषा का संगीत भी कथा को मोहक बनाता है। भाषा का आन्तरिक गठन कथ्य के साथ ही वर्तमान के बोध को भी जीवन्त बनाता है। हमारी और बच्चों की भागती-दौड़ती ज़िन्दगी में मीडिया की मायावी संस्कृति, सबको बाज़ार या ग्लोबल मंडी में जकड़ लेना चाहती है, इन्टरनेट, चिटचेट के साथ उत्तेजनामूलक समाचारों के बीच परम्परा और संस्कृति में मिली दादी-नानी की कहानियों से बच्चे दूर होते जा रहे हैं। ऐसे जटिल समय में भी प्रकृति और परम्परा से सम्पृक्त ‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी’ उपन्यास की यह नई संरचना अनूठी है।
Customer Reviews
4 out of 5
Book
Be the first to write a review...