Sakshibhav
Author:
Narendra ModiPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
GujaratiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 600
₹
750
Unavailable
સંવેદનશીલ કર્મયોગી નરેન્દ્ર મોદીની ડાયરી રૂપે લખાયેલી આ પ્રાર્થનાઓ છે. 1986ના અંતમાં આ મનવહીનો પ્રારંભ થયો છે. અહીં મનોજગતના સંઘર્ષની કથા, વ્યથા, અને ચિંતન છે। સ્વ સાથેનો સંવાદ, વિસંવાદ, મંથન, મથામણ અને સવાલ -જવાબ છે. મોટી વાત તો એ છે કે આમાં કોઈ દીનહીન ભાવ નથી, કોઈ માંગણી નથી પણ લાગણીનું અગાધ ઊંડાણ છે. માણસ જયારે કોઇપણ પ્રકારની મુશ્કેલીમાં હોય ત્યારે બધું જ જગતમાતાના ચરણમાં મૂકી દેવું અને નિરાધાર થયા વિના માતાની કૃપામાં પૂર્ણ શ્રદ્ધા રાખીને આવી પડેલી અવસ્થાને ઓળંગી જવી . આમ આ જે કઈ ભીતરનો સંવાદ છે તે કોઈ નિરાકારને સંબોધીને નહી પણ દ્રષ્ટિ સમક્ષ દર્શન આપતી જગદંબાને સંબોધીને કહેવાયેલી હ્રદયછૂટી વાત છે.
ISBN: 9789355620491
Pages: 96
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Kunwar Kanak Singh Rao
- Book Type:

- Description: ‘Bharat first’ is in many sense a trendsetting book. As a pioneering text, it deals with the transparent vision of one of the chief architects of the nation Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar with authentic evidences. The wholistic panorama of the then Bharat in logically embroidered chapterisation with Persnickety precision breaks the conventional barriers raised against the real personality of Dr. Ambedkar. The book is among the very few books that explores versatile character of Dr. Babasaheb Ambedkar with proper evidences and arguments. For future researchers, these well examined articles would play the role of foundational stones in the search of real personality of Constitutional architect of ‘BHARAT, that is India’.
Anna Kranti
- Author Name:
Ashutosh
- Book Type:

- Description: "अगस्त 2011 में मजबूत लोकपाल विधेयक की माँग को लेकर अन्ना हजारे का आमरण अनशन स्वतंत्र भारत के इतिहास की ऐतिहासिक घटना थी। कई घोटालों के उजागर होने के तुरंत बाद हुआ यह आंदोलन जिस तेजी से मध्यम वर्ग के बीच फैला उसने भारतीय जनमानस को आंदोलित कर दिया। उसमें एक आशा का संचार किया कि भारत से भ्रष्टाचार का खात्मा हो सकता है। मशहूर पत्रकार आशुतोष ने भारत को बदल देनेवाले इन 13 दिनों की कहानी बुनी है। उन्होंने सारी घटनाओं की सीधी जानकारी इसमें दी है, क्योंकि वे स्वयं भी अनशन स्थल, दिल्ली के रामलीला मैदान में उपस्थित थे और दोनों पक्षों—केंद्र की यू.पी.ए. सरकार तथा टीम अन्ना के साथ सीधे संपर्क में थे। अन्ना हजारे के आंदोलन की मानसिकता को समझाने के लिए आशुतोष ने जयप्रकाश नारायण के आंदोलन और महात्मा गांधी के सत्याग्रह को याद करते हुए स्वतंत्रता पूर्व के भारत की राजनीति की भी पड़ताल की है। भारत से भ्रष्टाचार के खिलाफ आम आदमी के आक्रोश के क्रांतिकारी 13 दिनों की सजीव दास्ताँ है यह पुस्तक। "
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