Ramrathi: Describing About The Ram Lalla and Ayodhya The Great Story of The Prince of Ayodhya | Based On Balkand of Valmiki Ramayana Book In Hindi
Author:
Padmakar Ram TripathiPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Other0 Reviews
Price: ₹ 360
₹
450
Available
Awating description for this book
ISBN: 9789355627766
Pages: 288
Avg Reading Time: 10 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Amritkaal Mein Swarnim Yatra Par Bharat
- Author Name:
Suresh Rungta
- Book Type:

- Description: "विगत दशक में भारत के विकास का जो मॉडल उभरकर सामने आया, उसमें एक विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इर्दगिर्द घूमता है, जो आशा और उम्मीदों से भरपूर, आर्थिक आकांक्षाओं के संदर्भ में प्रगतिशील है, जो लोगों के जीवन स्तर में लगातार सुधार के लिए प्रयासरत रहने की बात करता है। दूसरा विचार राहुल गांधी का है, जिसमें नाउम्मीदी है, आर्थिक प्रगति में ठहराव है तथा देश की अधिकांश जनता के जीवन को दुरूह बनाने वाला है। कर्मठ नेतृत्व हर उस देश को एक ऐसा मौका उपलब्ध करवाता है, जब वह अपनी विकास यात्रा को कई गुणा आगे बढ़ा सकता है। एक तरह से यह उस देश का स्वर्णिम युग (अमृतकाल) होता है। भारत के इतिहास में यह एक ऐसे दौर के रूप में याद किया जाएगा, जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश एक बड़ी छलाँग लगाने जा रहा है। पटना से प्रकाशित होने वाले दैनिक अखबारों तथा कुछ मासिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए आलेखों का संकलन इस पुस्तक में है। समयसमय पर लिखे गए ये आलेख तत्कालीन घटनाओं, संदर्भों एवं मुद्दों पर आम नागरिकों को सच्चाई से परिचित कराते हैं। कई आलेखों में नीतिगत प्राथमिकताओं के कुछ ऐसे क्षेत्रों को चिह्नित करने की कोशिश की गई है, जो अर्थव्यवस्था की वर्तमान विकास की दर को बरकरार रखते हुए 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में लाने की प्रेरणा का वाहक बन सके।
Veer Shivaji Ki Kahaniyan
- Author Name:
Ajey Kumar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Sanatan : Then, Now, Forever
- Author Name:
Srikanth Polisetti
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Kala Aur Sanskriti
- Author Name:
Vasudev Sharan Agarwal
- Book Type:

-
Description:
कला और संस्कृति' समय-समय पर लिखे हुए मेरे कुछ निबन्धों का संग्रह है। 'संस्कृति' मानव जीवन की प्रेरक शक्ति और राष्ट्रीय जीवन की आवश्यकता है। वह मानवी जीवन को अध्यात्म प्रेरणा प्रदान करती है। उसे बुद्धि का कुतूहल मात्र नहीं कहा जा सकता। संस्कृति के विषय में भारतीय दृष्टिकोण की इस विशेषता का प्रस्तुत लेखों में विशद वर्णन किया गया है।
लोक का जो प्रत्यक्ष जीवन है, उसको जाने बिना हम मानव जीवन को पूरी तरह नहीं समझ सकते। कारण भारतीय संस्कृति में सब भूतों में व्याप्त एक अन्तर्यामी अध्यात्म तत्त्व को जानने पर अधिक बल दिया गया है। हमारी संस्कृति उन समस्त रूपों का समुदाय है जिनकी सृष्टि ही मानवीय प्रयत्नों में यहाँ की गई है। उनकी उदात्त प्रेरणाओं को लेकर ही हमें आगे बढ़ना होगा। स्थूल जीवन में संस्कृति की अभिव्यक्ति ‘कला' को जन्म देती है। कला का सम्बन्ध जीवन के मूर्त रूप से है। कला मानवीय जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है। वह कुछ व्यक्तियों के विलास साधन के लिए नहीं होती। वह शिक्षण, आनन्द और अध्यात्म साधना के उद्देश्य से आगे बढ़ती है। इसी से जहाँ जो सौन्दर्य की परम्परा बची है, उसे सहानुभूति के साथ समझ कर पुन: विकसित करना होगा। भारतीय कला न केवल रूप विधान की दृष्टि से समृद्ध है, वरन् उसकी शब्दावली भी अत्यन्त विकसित है। समय रहते कला की पारिभाषिक शब्दावली की रक्षा करना भी हमारा आवश्यक कर्त्तव्य है।
अन्त में यह कहा जा सकता है कि पूर्व मानव के जीवन में जो महत्त्व धर्म और अध्यात्म का था, वही अपने वाले युग में कला और संस्कृति को प्राप्त होगा।
—भूमिका से
Patanjali’S Yoga Sutras
- Author Name:
Swami Vivekananda
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
CHATUR LOMDI (FLN)
- Author Name:
SANJAY JHA
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Main Radhakrishnan Bol Raha Hoon
- Author Name:
Jaishri
- Book Type:

- Description: "डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत एक आस्थावान् राष्ट्र-सेवक थे। इसके साथ ही वे सभी धर्मों और धर्मावलंबियों के प्रति समान आदरभाव रखते थे। वे स्वभाव से अत्यंत विनम्र और धैर्यशील थे। डॉ. राधाकृष्णन एक उच्चकोटि के दार्शनिक, मूर्धन्य लेखक एवं राष्ट्रीय विचारों के ओजस्वी प्रवक्ता थे। उन्होंने दर्शन एवं संस्कृति पर अनेक ग्रंथों की रचना की। यों तो डॉ. राधाकृष्णन का मूलरूप एक शिक्षक का ही था, परंतु एक उच्चकोटि के लेखक और दर्शनशास्त्र के व्याख्याता के रूप में उन्हें अधिक ख्याति मिली। ऐसे महान् दार्शनिक, विचारक, चिंतक व शिक्षाशास्त्रा् के प्रेरक विचारों का संकलन अवश्य ही हमारा मार्ग प्रशस्त करेगा। "
Saral Hindi
- Author Name:
Ramvachan Sharma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Interview Mein Safalta Ke Gurumantra "इंटरव्यू में सफलता के गुरुमंत्र" | Rules For Success in Interview | Key to Success in Interview, Useful For Crack All interviews | Book in Hindi
- Author Name:
Ashok Kumar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Bihar School Examination Board, Patna Bihar STET Secondary Teacher Eligibility Test Study Guide Teaching Aptitude & Other Proficiency
- Author Name:
Dr. Ranjit Kumar Singh, IAS (AIR-49)
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Path to Divinity Book by Swami Avdheshanand Giri
- Author Name:
Swami Avdheshanand Giri
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
THE STORY OF MY LIFE (CLASS X)
- Author Name:
Helen Keller
- Book Type:

- Description: The name of Helen Keller is known around the world as a symbol of courage in the face of overwhelming odds, yet she was much more than a symbol. She was a woman of luminous intelligence, high ambition and great accomplishment who devoted her life to helping others. Although Helen Keller was blind and deaf, she knew several languages. Helen Keller learned to read and communicate by touch. She used these skills to study English, French, German, Greek, and Latin. Late in her life, she said she wanted to learn even more languages. During her lifetime, Helen Keller was consistently ranked near the top of ‘most admired’ lists. She died in 1968, leaving a legacy that Helen Keller International is proud to carry on in her name and memory. This book is a authorized autobiography of ‘Helen Keller’.
Samaj - Vigyan Vishwakosh : Vols. 1-6
- Author Name:
Abhay Kumar Dubey
- Book Type:

-
Description:
छह खंडों और तीन हज़ार पृष्ठों में फैला समाज-विज्ञान और मानविकी का यह विश्वकोश राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय ख्याति के 26 विद्वानों के मार्गदर्शन में 60 समाज-वैज्ञानिकों द्वारा अनुवाद का सहारा लिए बिना मूल हिन्दी में तैयार किया गया है। कोश की 1015 प्रविष्टियाँ विश्व के 229 समाज-वैज्ञानिकों, सिद्धान्तकारों, दार्शनिकों, समाज-चिन्तकों, साहित्य-निर्माताओं और विमर्शकारों के कृतित्व की जानकारी देने के साथ-साथ सभी महत्त्वपूर्ण अवधारणाओं, दर्शनों, बहसों, क्रान्तियों और आन्दोलनों का विश्लेषणात्मक परिचय देती हैं। अर्थशास्त्र की 104, इतिहास की 107, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध की 52, दर्शन की 135, राजनीतिशास्त्र की 448, मीडिया, फ़िल्म और टीवी-अध्ययनों की 50, स्त्री और सेक्सुअलिटी-अध्ययन की 69, समाजशास्त्र और मानवशास्त्र की 140 प्रविष्टियों के अतिरिक्त इस कोश में गांधी-विचार से सम्बन्धित 32 और मार्क्सवाद से सम्बन्धित 117 प्रविष्टियाँ भी दर्ज हैं।
समाजशास्त्र, मानवशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, भाषाशास्त्र, मनोविज्ञान, स्त्री-अध्ययन, सेक्सुअलिटी-अध्ययन, संस्कृति-अध्ययन, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध-अध्ययन, मीडिया-अध्ययन, फ़िल्म-अध्ययन, टीवी-अध्ययन, साहित्य-अध्ययन, इतिहास और दर्शनशास्त्र के अध्येताओं, छात्रों, अध्यापकों, पत्रकारों, बुद्धजीवियों और गम्भीर पाठकों के लिए उपयोगी इस कोश की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी 430 प्रविष्टियाँ भारतीय दर्शन, राजनीति, समाज, संस्कृति, मीडिया, आधुनिकता और इतिहास पर विशेष रूप से प्रकाश डालती हैं। भारतीय लोकतंत्र, भारतीय राज्य, भारतीय सेकुलरवाद, दलित-विमर्श, हिन्दुत्ववादी विमर्श, भारत के राजनीतिक दलों और राज्यों की राजनीति की जानकारी देनेवाली प्रविष्टियों के अतिरिक्त भारतीय धर्म-दर्शन से सम्बन्धित प्रविष्टियों में उन दार्शनिकों, विचारकों और सिद्धान्तकारों के बौद्धिक परिचय भी शामिल हैं जिन्हें अंग्रेज़ी और पश्चिम द्वारा थमाए गए सिद्धान्तों के प्रभाव में लगभग अदृश्य कर दिया गया है। कई प्रविष्टियाँ आधुनिक भारत की संस्थागत संरचना में निर्णायक योगदान देनेवाली हस्तियों पर भी हैं। विश्वकोश में हिन्दी के निर्माताओं, साहित्य और विचार-जगत पर भी काफ़ी सामग्री है।
‘अतिक्रमण’ से ‘अन्तरराष्ट्रीय मुद्राकोष’ तक पहले खंड की 154 प्रविष्टियों में इतिहास-लेखन के अनाल स्कूल से लेकर टॉयनबी और स्पेंगलर के कृतित्व; कौटिल्य के अर्थशास्त्र और आर्यभट्ट के योगदान; एडम स्मिथ, अल्फ़्रेड मार्शल और अमर्त्य सेन के आर्थिक चिन्तन; एंटोनियो ग्राम्शी के विचारों; आधुनिकता की सैद्धान्तिक योजना; अमेरिका के अफ़र्मेटिव एक्शन और भारत में आरक्षण के विभिन्न पहलुओं; उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन के सशस्त्र और शान्तिपूर्ण आयामों, अल-ग़ज़ाली, इब्न ख़ाल्दून, अल-किन्दी, अबु-अला मौदूदी और असग़र अली इंजीनियर के विमर्श; एडमंड बर्क, ई.एच. कार, एडवर्ड सईद, एरिक फ़्रॉम और आशिस नंदी के विमर्श की झलकियाँ; अमेरिकी क्रान्ति और आत्मसम्मान आन्दोलन से लेकर अंग्रेज़ी हटाओ आन्दोलन तक के ब्योरे शामिल हैं।
Ye Kya Hai Maa?
- Author Name:
Dr. Suresh Prasad
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Dhairyapath: An Autobiography
- Author Name:
Jitender Joshi
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Thakkar Bapa
- Author Name:
Sweta Parmar "Nikki"
- Book Type:

- Description: ‘ठक्कर बापा’ अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे। लोगों का कहना था कि वे अपने आप में एक संस्था थे। वे जिस युग में थे, वहाँ समाज के दुर्बल अंग की उपेक्षा की जा रही थी; तब बापा ने दलितों और पिछड़े वर्ग को साथ लेकर प्रगति का रास्ता पकड़ा। उनकी अडिग लोक-सेवा ने हर दीन-दुःखी और गरीब को सम्मान दिया और उन्हें सबका बापा बना दिया। राष्ट्रपिता बापू भी उन्हें बापा ही कहा करते थे। अपने जीवन के अंतिम क्षण तक जिस अपूर्व निष्ठा, अनन्य भक्ति व अथक परिश्रम से उन्होंने अपना सेवा-व्रत निभाया, वह निस्संदेह बेजोड़ कहा जा सकता है। बापा विनम्रता और सरलता की मूरत थे; जब काका कालेलकर ने उनसे लेखन के लिए कहा तो वे बोले, ‘‘मेरे जीवन में ऐसा कुछ नहीं है, जो लिखने लायक हो।’’ उन्हें भाषण देना नहीं आता था और न ही वे साहित्यिक भाषा में लेख लिखते थे, बस उन्हें डायरी लिखने का शौक था। मानवता को सबसे बड़ा धर्म मानकर शोषित-उपेक्षितों के कल्याण और सुख के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करनेवाले सेवाव्रती कर्मयोगी ठक्कर बापा की प्रेरक-पठनीय जीवनी है यह पुस्तक।
MUSINGS OF THE MIND DURING CORONA TIMES (PB)
- Author Name:
Lalit Mengi
- Book Type:

- Description: The outbreak of the pandemic in early 2020, afforded an opportunity, though in adversity, amidst our lives going topsy-turvy, and in forced solitude. I started writing regularly tracking the journey of COVID-19, its fall out and the transformation in our lives as a sequel and sharing on electronic media. Unconsciously my style of writing became prose in poetry, generally concluding with befitting couplets of Urdu poetry. | was buoyed by the inspiring comments of my friends, who genuinely prompted me to consoli- date my thoughts and take it to the next level. This is how exactly my book project took off. In my write-ups, I quite often venture into the coveted realms of great thinkers, philosophers, saints and Yogis, who have spent their lifetimes to understand the enigmatic human life, a beautiful gift of God, yet for average mortals like me, remains a labyrinth, a conundrum. Nevertheless I could peep into some aspects, and the veil did lift a bit, going through treasured writings of the extraordi- nary authors and exalted souls like Dr. S. Radhakrishnan, Paramhansa Yogananda, and Sri Aurobindo. Above all Rabindranath Tagore’s Gitanjali, a collection of highly inspirational poems, devoted to the universal Lord, did leave an indelible imprint in my mind.
Chitrakoot Mein Ram-Bharat Milap
- Author Name:
Dr. Pramod Kumar Agrawal
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Hindi Cinema Mein Hashiye Ka Samaaj
- Author Name:
Editor : Gourinath
- Book Type:

- Description: यह आम धारणा है कि सिनेमा मनोरंजन का साधन है। हम जैसे कुछ लोगों का मानना है कि सिनेमा न सिर्फ मनोरंजन का साधन है बल्कि एक ऐसा प्रभावशाली माध्यम है जो जनमत निर्माण में सक्षम है। पहली पंक्ति वालों के लिए सिनेमा का कथ्य या उसमें गढ़े गए चरित्रों की सामाजिक/सांस्कृतिक/आर्थिक/धार्मिक पृष्ठभूमि का कुछ विशेष अर्थ नहीं होता। सिनेमा में क्या और कैसे दिखाया गया है—जैसे प्रश्नों के प्रति यह बड़ा तबका उदासीन रहता है। वह उसमें मनोरंजन के तत्वों तक ही स्वयं को सीमित कर लेता है। भावनात्मकता के चरम पर अदा किए गए सम्वाद या हास्य उत्पत्ति के निमित्त रचे गए स्टीरियोटाइप्स को हाथों-हाथ लेता है और इसमें निहित स्वार्थों की अनदेखी कर देता है। वह सिनेमा और बाज़ार, सिनेमा और प्रभुवर्ग, सिनेमा और समाज के अंतर्सम्बंधों से नावाक़िफ़ होता है। उसे यह नहीं पता कि ‘चुलबुल पाण्डेय’ कैसे हिट हो जाते हैं। उसे नहीं पता कि ‘रावण’ कैसे फ्लॉप हो जाता है। उसे नहीं पता कि बड़े-बड़े धन्नासेठों के घर का नौकर भोजपुरी मिश्रित हास्यास्पद हिन्दी क्यों बोलता है। उसे नहीं पता कि हिन्दी फ़िल्मों में दलित नायकों का अकाल सा क्यों है। उसे तो यह भी नहीं पता कि फिल्मों में जो स्त्री होती है, वह सामान्य स्त्रियों से इतना भिन्न क्यों होती है और मुसलमान चरित्र टोपीबाज़ क्यों होता है। ‘हिन्दी सिनेमा में हाशिये का समाज’ में इन्हीं प्रश्नों और सामाजिक-धार्मिक तथा आर्थिक-राजनीतिक जटिलताओं को उद्घाटित करने वाले लेखों को संकलित किया गया है। पुस्तक में योगदान देने वाले सभी लेखक फिल्म विशेषज्ञ हैं और वे सिनेमा के अंतःपुर की कथाओं-व्यथाओं से परिचित हैं। पुस्तक पठनीय होने के साथ ही सिनेमा जगत के मनोविज्ञान को समझने में सहायक भी है।
Rampriya Bharat "रामप्रिय भरत" | Symbol of Service, Determination and Dedication
- Author Name:
Aditya Shukla
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...