
Pakistan: Balochistan Ki Paheli
Author:
Shri Tilak DevasharPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
UrduCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 544
₹
680
Unavailable
تلک دیواشیر نے 2014 میں خصوصی سکریٹری کے طور پر کابینہ سکریٹریٹ، حکومت ہند سے سبکدوش ہونے کے بعد لکھنا شروع کیا۔ وہ پاكستان کے موضوع پر دو وسیع پیمانے پر سراہی جانے والی کتابوں کے مصنف ہیں—پاكستان: کورٹنگ دی آبیس (2016) اور پاکستان: ایٹ دی ہیلم (2018)۔
کابینہ سکریٹریٹ میں اپنے پیشہ ورانہ کیریئر کے دوران، انھوں نے ہندوستان کے پڑوس سے متعلق سلامتی کے معاملات میں مہارت حاصل کی۔ سبکدوش ہونے کے بعد سے انھوں نے پاكستان اور افغانستان پر خصوصی توجہ کے ساتھ ہندوستان کے پڑوس میں گہری دلچسپی لینا جاری رکھی ہے۔ انھوں نے مختلف قومی اخبارات اور رسائل کے لیے مضامین لکھے ہیں اور وہ انڈیا ٹوڈے، ٹائمز ناؤ، سی این این نیوز18 اور راجیہ سبھا ٹی وی جیسے سرکردہ نیوز چینلوں پر ٹی وی شوز میں بھی نظر آئے ہیں۔
دیواشیر نے اپنی اسکول کی تعلیم میو کالج، اجمیر سے حاصل کی، اور انھوں نے انڈرگریجویٹ سطح پر سینٹ اسٹیفن کالج، دہلی اور پوسٹ گریجویٹ سطح پر دہلی یونیورسٹی سے تاریخ میں تعلیم حاصل کی۔
وہ فی الحال نیشنل سکیورٹی ایڈوائزری بورڈ (این ایس اے بی) کے ممبر اور وویکانند انٹرنیشنل فاؤنڈیشن (وی آئی ایف) میں مشیر ہیں۔
ISBN: 9789390923410
Pages: 316
Avg Reading Time: 11 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Pitras Bukhari
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- Description: पितरस बुख़ारी का पूरा नाम पीर सैयद अहमद शाह बुख़ारी है। आपका ताल्लुक़ पाकिस्तान के पेशावर से हैं। शुरूआती तालीम पाकिस्तान ही में पायी और एम.ए. करने के बाद इंग्लिस्तान की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी साहित्य में डिग्री हासिल की। लाहौर में बतौर उस्ताद आपकी ख़िदमात रहीं और कई बरस तक ऑल इंडिया रेडियो में अलग-अलग ओहदों पर रहे। 1952 में यूनाइटेड नेशन्स में नुमाइन्दे चुने गए, जहाँ 1954 तक रहे। पितरस के लिखे मज़ामीन ज़माने भर में मशहूर हैं मगर इस किताब में मुन्तख़ब 11 मज़ामीन का एक अलग मक़ाम है। आपका लिखा हुआ मिज़ाह उर्दू अदब में बेशक़ीमती सरमाया है। यही वजह है कि आपके इन्तेक़ाल के अगले ही रोज़ न्यूयॉर्क टाईम्स (6 दिसम्बर 1958) ने अपने इदारिया में उनको याद करते हुए 'सिटिज़न सिटिज़न ऑफ वर्ल्ड' कहा। 2013 में पाकिस्तानी हुक़ूमत के ज़रिए आपको मुल्क का दूसरा सबसे बड़ा सिटिज़न अवॉर्ड 'हिलाल-ए-इम्तियाज़' भी दिया गया। शुऐब शाहिद का तआल्लुक़ बुनियादी तौर पर उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर से है। इस वक़्त आपकी शिनाख़्त मुल्क के एक मशहूर बुक कवर डिज़ाइनर के तौर पर होती है। दुनिया की कई मशहूर किताबों पर बतौर आर्टिस्ट काम करने के सबब आपकी अदबी दुनिया में एक ख़ास मक़बूलियत है। मुल्कगीर और बैनुलअक़्वामी सतह पर कई अवार्ड्स के साथ आपका नाम रहा है। आपके लिखे मज़ामीन, ख़ुतूत और बिलख़ुसूस उर्दू मिज़ाह से मुताल्लिक मज़ामीन हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बहुत से रिसालों में अक्सर शाया होते हैं और आप अवाम-ए-ख़ास-ओ-आम में अपने मुन्फ़रद अन्दाज़ के लिए काफ़ी मकबूल हैं। इन दिनों क्लासिकल उर्दू अदब को देवनागरी रस्मुल-ख़त में लाने का तारीख़ी काम अंजाम दे रहे हैं।
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