Seven Summers: A Memoir
Author:
Mulk Raj AnandPublisher:
Penguin IndiaLanguage:
EnglishCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 248.17
₹
299
Available
Seven Summers, first drafted when Mulk Raj anand was a student at London University but not published till 1951, recreates teh events and feelings of the first seven years of the writer’s life, or what he called his ‘half unconcious and half conscious childhood’. first of the seven volumes of autobiographical fiction that Anand conceptualized but never completed, this book is full of memorable scenes and people observed through the eyes of a child. the most impressive of them all being the Coronation Durbar in Delhi to which our young hero is smuggled wrapped in a blanket so that the Sahibs might not object to the presence of ‘so discordant an element into so gorgeous a ceremony’. this edition of Seven Summers is a special reissue of the classic autobiography to commemorate Anand’s birth centenary.
ISBN: 9780144000180
Pages: 256
Avg Reading Time: 9 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद स्वतंत्रता सेनानी, इस्लामी विद्वान, स्वतंत्र विचारक, अख़बारनवीस और आज़ाद भारत के पहले शिक्षामंत्री थे। उन्हें कोई औपचारिक तालीम तो नहीं मिली, लेकिन संस्कृति, दर्शन, भाषा और साहित्य के व्यापक स्वाध्याय से उन्होंने स्वयं कई विषयों में महारत हासिल की। बहुत कम उम्र में ही उन्होंने कई पत्रिकाएँ और अख़बार निकाले। गांधी जी के अहिंसक सविनय अवज्ञा आन्दोलन से वह बहुत प्रभावित थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होने के बाद वह इसके सबसे युवा अध्यक्ष चुने गए। कांग्रेस के अध्यक्ष की हैसियत से, आज़ाद ने मुस्लिम लीग की विभाजनकारी राजनीति के साथ-साथ दमनकारी ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ भी लड़ाई लड़ी। आज़ाद की इस गहन और विस्तृत जीवनी में, इतिहासकार एस. इरफ़ान हबीब पाठकों को आज़ाद की ज़िन्दगी के सबसे निर्णायक क्षणों से रू-ब-रू कराते हैं। एक अध्याय में हम आज़ाद की ग़ैर-मामूली परवरिश, उनके रसूख़दार ख़ानदान, इस्लामी दुनिया में उथल-पुथल और ज़िन्दगी के प्रति आज़ाद के स्वतंत्र विचारों के शुरुआती संकेत देखते हैं। इसके बाद यह किताब मौलाना आज़ाद के आलोचनात्मक इस्लामी चिन्तन, अख़्लाक़ी सवालों और पैन-इस्लामी बहसों की पड़ताल करती है। यह वह दौर था जिसने आज़ाद के मज़हबी नज़रिये और राष्ट्रवाद के प्रति उनके दृष्टिकोण को स्वरूप दिया। ‘आज़ाद, इस्लाम और राष्ट्रवाद’ शीर्षक अध्याय आज़ाद की सियासी ज़िन्दगी और समग्र राष्ट्रवाद में उनके अटूट भरोसे और मुस्लिम लीग की फ़िरक़ा-परस्त सियासत के प्रति उनके कट्टर विरोध के ब्योरे पेश करता है। ‘ग़ुबार-ए-ख़ातिर : धर्म और राजनीति से आगे’ शीर्षक अध्याय 1940 की दहाई में अहमदनगर फ़ोर्ट जेल में उनकी क़ैद के दौरान ख़तों की शक़्ल में लिखे गए निबन्धों संग्रह के ज़रिये आज़ाद के दार्शनिक विचारों और निजी पसन्द-नापसन्द को उजागर करता है। और आख़िर में, ‘एक नए भारत का निर्माण : शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान और बहुलवादी लोकाचार’ में प्राथमिक और प्रौढ़ शिक्षा की पहल के मार्फ़त देश की कमज़ोर शिक्षा प्रणाली को मज़बूत करने की आज़ाद की कोशिशों, देश की वैज्ञानिक और सांस्कृतिक तरक़्क़ी को लेकर उनकी दूरअन्देशी और अभी अभी आज़ाद हुए देश की कला और संस्कृति को सँजोने में उनके योगदान को रेखांकित किया गया है। ‘मौलाना आज़ाद : एक जीवनी’ भारत के महान विचारकों और राष्ट्र-निर्माताओं में से एक की निर्णायक जीवनी है।
Azim Premji Ki Biography
- Author Name:
A.K. Gandhi
- Book Type:

- Description: भारतीय व्यापार-जगत के एक चमकते सितारे अजीम प्रेमजी सफल व्यापारी, आई.टी. उद्योग के सिरमौर और निवेशक हैं, जिन्होंने अपने अद्भुत कर्तृत्व से सफलता का नया इतिहास लिखा है। भारत सरकार द्वारा ‘पद्म विभूषण’, ‘पदम भूषण’ तथा अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत अजीम प्रेमजी को ‘टाइम’ मैगजीन ने उन्हें दो बार 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया है। 1960 के दशक में जब विप्रो ने उपभोक्ता स्वास्थ्य उद्योग से हाई-टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नई पारी की शुरुआत की तो अजीम प्रेमजी ने उसे सफलता दिलाई। व्यापारिक सफलता पाकर उन्होंने भारत की सनातन परंपरा ‘लोकोपकार’ को पुष्ट किया। ‘गिविंग प्लेज’ पर साइन किया है। परोपकार के लिए जाना जाता है। प्रेमजी ने ‘अजीम प्रेमजी फाउंडेशन’ को 2.2 बिलियन अमरीकी डॉलर का दान दिया है। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अद्वितीय काम किए हैं और एक ‘साक्षर भारत’ बनने की यात्रा में अपना अपूर्व योगदान किया है। उद्यमशीलता, नेतृत्व, कौशल, प्रशासनिक दक्षता, सहृदयता और परोपकार के प्रतीक अजीम प्रेमजी ने अपार धन-समृद्धि अर्जित की, पर मुक्त हाथों से उसे समाज को लौटाया भी। एक यशस्वी, लोककल्याणकारी व्यक्तित्व की यह प्रेरक जीवनगाथा समाज को मानवीयता और देने का महत्त्व बताएगी।
Kabeer : Jeewan Aur Darshan
- Author Name:
Urvashi Surti
- Book Type:

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Description:
कबीर विनयी परन्तु निर्भीक साधक थे—दम्भ-पाखंड से मुक्त, स्पष्टवादी, अहंकार-अनाचार से शून्य। सरल स्वभाव से भीत और पीड़ित को भक्ति की प्रेरणा और प्रोत्साहन देनेवाले।
दीन-हीन मनुष्य के आत्मगौरव को जगानेवाले, अभयदान देकर सच्चे स्वातंत्र्य का सुख देनेवाले, शुष्क जीवन को सच्चिदानन्दमय कर देनेवाले कबीर स्वतंत्रचेता, गूढ़-गम्भीर रहस्य के ज्ञाता, उच्च कोटि के सन्त थे।
उनका कोमल भक्त-हृदय अनेक संघर्षों के बीच अपने लक्ष्य के प्रति अनन्य परन्तु पर्वत के समान निश्चल और सहिष्णु था। वे अपनी साधना में निरन्तर गुरु की छत्रच्छाया का अनुभव करते हुए आत्मनिर्भर, अव्याकुल और उदार, आत्मविश्वासी, सत्यान्वेषी और अहिंसा-प्रेमी थे।
अपनी अलोलुप वृत्ति के कारण वे निर्विषयी थे और मिथ्याभिमान से मुक्त। साधना के उत्कर्ष के लिए आत्मसुधार और आत्मान्वेषण की प्रेरणा देनेवाले निन्दकों को अपने आसपास बिठाने में उन्हें कोई आपत्ति न थी। अपनी बुद्धि और अनुभव की कसौटी पर सत्य की परख करनेवाले कबीर कभी शास्त्र के आडम्बर से निस्तेज नहीं होते थे, बल्कि जड़, अन्धमान्यताओं की धज्जी उड़ाते थे। अपनी तीव्र वाक्शक्ति और स्पष्ट आलोचना से वे किसी भी मिथ्यावादी का मुँह बन्द कर देते। वेद-क़ुरान के पाठ में उन्हें फलप्राप्ति-विषयक अन्धविश्वास न था, वहाँ भी वे समझदारी का आग्रह रखते थे।
प्रस्तुत पुस्तक उनके जीवन और दर्शन को सरल और ग्राह्य भाषा-शैली में प्रस्तुत करती है।
Kissa Kursi Ka
- Author Name:
Prakash Chandra Darbari
- Book Type:

- Description: किस्सा कुर्सी का हरिशंकर परसाई के साक्षात्कारों का संकलन है। इन साक्षात्कारों में वे न सिर्फ़ देश, दुनिया और समाज के बारे में अपने विचारों को सामने रखते हैं, बल्कि अपनी रचना-प्रक्रिया, विषयों के चुनाव और व्यंग्य-लेखन उनके लिए क्या अर्थ रखता है, इस पर भी खुलकर बात करते हैं। एक प्रश्न के जवाब में वे कहते हैं कि मेरे लेखन में तिरस्कार नहीं है, बल्कि समाज और जीवन की आलोचना और समीक्षा है; कि मैंने यही बताने की चेष्टा की है कि कहाँ, क्या ग़लत है। वे स्पष्ट करते हैं कि उनका व्यंग्य समाज का तिरस्कार नहीं करता, उसकी क्षमताओं में विश्वास रखते हुए उसको बदलना चाहता है। हिन्दी व्यंग्य में रचनाशीलता की अपार संभावनाओं को रेखांकित करते हुए वे कहते हैं कि व्यंग्य एक स्पिरिट है जो किसी भी विधा में हो सकती है। इन वार्ताओं में साक्षात्कारकर्ताओं ने उनके जीवन को भी खँगालने की कोशिश की है, परिणामस्वरूप हमें लेखक परसाई के साथ-साथ व्यक्ति परसाई को भी जानने के लिए पर्याप्त सूत्र मिलते हैं। इसके अलावा हम उस वातावरण को भी जान पाते हैं जिसमें वे लिख रहे थे। इस पुस्तक में संकलित मुक्तिबोध पर केन्द्रित उनकी बातचीत विशेषतौर पर पठनीय है, जिसमें उन्होंने मुक्तिबोध के व्यक्तिगत, पारिवारिक और वैचारिक व्यक्तित्व पर बातें की हैं।
Martin Luther King
- Author Name:
Dinkar Kumar
- Book Type:

- Description: अमेरिका में सन् 1950 और 1960 के दशक में रंगभेद के खिलाफ मार्टिन लूथर किंग जूनियर की अगुवाई में अहिंसक प्रतिरोध अपनाते हुए जो नागरिक अधिकार आंदोलन चलाया गया, उसकी दास्तान युगों-युगों तक मानव जाति को प्रेरणा देती रहेगी। इस पुस्तक में मार्टिन लूथर किंग के जीवन के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। नई पीढ़ी के लिए किंग की जीवन-कथा से अवगत होना उपयोगी साबित होगा। किंग ने अमेरिका के दक्षिणी और फिर उत्तरी हिस्सों में रंगभेद के खिलाफ अहिंसक आंदोलन चलाते हुए इतिहास की दिशा को मोड़ देने में सफलता हासिल की थी। महात्मा गांधी के अहिंसक प्रतिरोध को अपना अस्त्र बनाकर उन्होंने रंगभेद और गरीबी की जंजीरों से अश्वेत जनता को मुक्ति दिलाने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू कर दिया। इस आंदोलन के लिए किंग को अपने जीवन का बलिदान करना पड़ा। इसके बावजूद इन्होंने साबित कर दिखाया कि मानवता को बचाने के लिए हर तरह के संकट को हँसते-हँसते झेला जा सकता है और शासन तंत्र को चुनौती दी जा सकती है। उन्होंने घृणा को प्रेम व भाईचारे से जीतने का प्रयास किया और रंगभेद के समर्थकों का हृदय-परिवर्तन करने पर लगातार जोर देते रहे। ऐसे महामानव की जीवनी सभी आयु वर्ग के पाठकों के लिए निश्चय ही उपयोगी एवं प्रेरक सिद्ध होगी।
Bhartiya Samaj Kranti Ke Janak Mahatma Jotiba Phule
- Author Name:
M. B. Shah
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Description:
भारतीय समाज-क्रान्ति के जनक महात्मा जोतिबा फुले को समूचे महाराष्ट्र में सम्मान के साथ 'जोतिबा' कहा जाता है।
कोल्हापुर के पास ही एक पहाड़ी पर देवता जोतिबा का मंदिर है। इन्हें जोतबा भी कहते हैं। देवता के नाम में आता है 'जोत'। यह 'जोत' बहुत से मराठों का कुल-देवता है। 'जोतबा' देवता का उत्सव था उस दिन, जब महात्मा फुले का जन्म हुआ, इसी से उनका नाम 'जोतिबा' रखा गया। भारतीय समाज के महान चरित नायक जोतिबा ने क्रान्ति का बीज बोया। दलितों के उत्थान के लिए संघर्ष किए, जिसके कारण उन्हें अपने ही समाज में प्रताड़ित होना पड़ा, परन्तु सत्य ही उनका सम्बल था। उन्हें समाजद्रोही और धर्मद्रोही कहा गया, लेकिन इस विद्रोही संन्यासी को कोई झुका नहीं सका।
अन्ततः जोतिबा को सफलता मिली। उनके जुझारू व्यक्तित्व और आत्मविश्वास से गूँजती हुई आवाज़ ने सोए हुए महाराष्ट्र को जगा दिया। वह श्रेष्ठ वक्ता तो थे ही, साहित्य-रचना में भी अपना विशेष स्थान रखते थे।
Tumhare Naam : Jan Nisar Akhtar ko Safia Akhtar ke khat
- Author Name:
Safia Akhtar
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Description:
जाँ निसार अख़्तर और उनकी शरीके-हयात सफ़िया अख़्तर को साथ रहने का मौक़ा बहुत कम मिला। उस ज़माने में जब औरतों के लिए घर से बाहर जाकर काम करना बहुत आम बात नहीं थी, वे स्कूल में अपनी नौकरी करती रहीं और न सिर्फ़ अपनी और अपने बच्चों, बल्कि मुम्बई की फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी ज़मीन तलाश रहे जाँ निसार साहब के लिए भी सम्बल जुटाती रहीं।
ये ख़त उन्होंने इसी संघर्ष के दौरान लिखे, लेकिन ये ख़त सिर्फ़ उनके हाल-अहवाल की सूचना-भर नहीं देते, बल्कि वे एक बड़े सृजक की क़लम से उतरे शाहकार की तरह हमारे सामने आते हैं। ज़िन्दगी उन्हें कुछ और वक़्त देती तो निश्चय ही वे साहित्य की दुनिया को कुछ बड़ा देकर जातीं। इन ख़तों में उनकी मुहब्बत और हिम्मत के साथ-साथ उनकी और बेशक जाँ निसार अख़्तर की ज़िन्दगी खुलती जाती है, साथ ही उनका अपना दौर भी अपने तमाम स्याह-सफ़ेद के साथ रौशन होता जाता है। ये ख़त प्यार और हौसले से भरे एक दिल की अक़्क़ासी करते हैं। ये जादू की तरह असर करते हैं; इनका बेहद ताक़तवर और सधा हुआ ‘प्रोज़’ कहीं आपको रुकने नहीं देता, और इनकी तुर्श मिठास में डूबे-डूबे बारहा आपकी आँखें भर आती हैं।
उनके निधन के बाद जाँ निसार साहब ने उनके इन ख़तों को दो जिल्दों में प्रकाशित कराया—’हर्फ़े-आश्ना’ और ‘ज़ेरे-लब’। इस किताब में इन दोनों जिल्दों में संकलित ख़तों को दे दिया गया है।
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