HAMARE ATALJI
Author:
Prabhat JhaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 560
₹
700
Available
"पिछले सात दशक की राजनीति में भारत में एक व्यक्तित्व उभरा और देश ने उसे सहज स्वीकार किया। जिस तरह इतिहास घटता है, रचा नहीं जाता; उसी तरह नेता प्रकृति प्रदत्त प्रसाद होता है, वह बनाया नहीं जाता बल्कि पैदा होता है। प्रकृति की ऐसी ही एक रचना का नाम है पं. अटल बिहारी वाजपेयी।
अटलजी के जीवन पर, विचार पर, कार्यपद्धति पर, विपक्ष के नेता के रूप में, भारत के जननेता के रूप में, विदेश नीति पर, संसदीय जीवन पर, उनकी वक्तृत्व कला पर, उनके कवित्व रूपी व्यक्तित्व पर, उनके रसभरे जीवन पर, उनकी वासंती भावभंगिमा पर, जनमानस के मानस पर अमिट छाप, उनके कर्तृत्व पर एक नहीं अनेक लोग शोध कर रहे हैं। आज जो राजनीतिज्ञ देश में हैं, उनमें अगर किसी भी दल के किसी भी नेता से किसी भी समय अगर सामान्य सा सवाल किया जाए कि उन्हें अटलजी कैसे लगते हैं? तो सर्वदलीय भाव से एक ही उत्तर आएगा—‘उन जैसा कोई नहीं!’
इस पुस्तक में अटलजी की मस्ती हमारी और आपकी सुस्ती को सहज भगा देगी। इन अनछुए पहलू में प्रेरणा, प्रयोग, प्रकाश, परिणाम, परिश्रम, परमानंद, प्रमोद, प्रकल्प, प्रकृति, प्रश्न, प्रवास और साथ ही साथ जीवन कैसे जिया जाता है, कितने प्रकार से जीया जाता है? आनंद को भी आनंद से आनंदित करने के लिए कितने प्रकार के आनंद की आवश्यकता होती है, इस संस्मरणों में उसका भी आनंद लिया जा सकता है।
अटलजी के संपूर्ण जीवन का दिग्दर्शन कराती प्रेरणाप्रद पुस्तक ‘हमारे अटलजी’।"
ISBN: 9789350484029
Pages: 300
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: जी, हाँ...। ब्रूज़ो एक पालतू डॉगी है। किताब इसके इर्द-गिर्द ही घूमती है। दिल्ली की रहने वाली एक छोटी लड़की की ब्रूज़ो से मुलाक़ात हिमाचल प्रदेश के ख़ूबसूरत शहर धर्मशाला में होती है। ब्रूज़ो का साथ उसकी चाहत को पूरा करता है। जब वह दिल्ली में रहती थी, तो अक्सर अपनी माँ से एक डॉगी को घर पर रखने की माँग करती थी। लेकिन उसकी माँ उसकी इस इच्छा को हमेशा नज़रअंदाज़ करती रहीं। कोरोना के पहले दौर में, जब महामारी का भय चरम पर था, तब वह सपरिवार धर्मशाला शिफ्ट हो जाती है। वह जिस घर में रहती है, उसके मकान मालिक के पालतू कुत्ते का नाम ब्रूज़ो है। दस साल की छोटी लड़की ब्रूज़ो के साथ ख़ूब खेलती और उसके साथ काफी समय बिताती। लेकिन यह ख़ुशी थोड़े दिनों के लिए ही रहती है..। यह उपन्यास हिंदी बाल साहित्य की दुनिया में एक नई शुरुआत है।
Yoon Guzari Hai Ab Talak
- Author Name:
Seema Kapoor
- Book Type:

- Description: हिन्दी सिनेमा की सुपरिचित निर्माता, निर्देशक और लेखक सीमा कपूर की आत्मकथा ‘यूँ गुज़री है अब तलक’ सिर्फ़ उनके ही जीवन की कहानी नहीं है, इसमें हम एक पूरे दौर के जाने-माने कलाकारों, फ़िल्मकारों के साथ-साथ उनके परिवार के बारे में भी जान पाते हैं। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि पारसी थियेटर के ज़माने की कला से जुड़ी रही है। पिता मदनलाल कपूर का पारसी रंगमंच को जो योगदान रहा, उसे अब भी याद किया जाता है। माँ कमल कपूर ‘शबनम’ शायर थीं। बड़े भाई रंजीत कपूर रंगमंच के और अन्नू कपूर हिन्दी सिने-जगत के जाने-माने चेहरे हैं। छोटे भाई निखिल कपूर कवि हैं। सीमा जी प्रसिद्ध अभिनेता ओम पुरी की जीवन-संगिनी हैं, तो ज़ाहिर है इस आत्मकथा में उनका जीवन भी हमारे सामने आता है, वे संघर्ष भी दिखाई देते हैं जिनसे आप दोनों को गुज़रना पड़ा और ख़ुशियों के वे पल भी जो उन्होंने जिये। ओम पुरी के जीवन के अन्तिम दिनों की उदास करनेवाली छवियाँ हमें सिर्फ़ इसी पुस्तक में मिलती हैं। कलाकार-दम्पती ने उन दिनों को जैसे जिया, वह पठनीय तो है ही अनुकरणीय भी है। कहने की आवश्यकता नहीं कि हिन्दी सिने-जगत की बड़ी दुनिया के कई अहम पहलू भी इसमें पाठकों को देखने-जानने को मिलेंगे।
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