Sriharikota Dweep Se Space Port Tak
Author:
Anoop Kumar GuptaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Academics-and-references0 Reviews
Price: ₹ 400
₹
500
Available
Awating description for this book
ISBN: 9789352664573
Pages: 120
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Sukhi Evan Deerghayu Jeevan Ke 90 Secrets
- Author Name:
Dr. B.M. Hegde
- Book Type:

- Description: मार्च 2009 में हार्वर्ड मेडिकल कॉलेज का उनके लगभग आधे से अधिक वरिष्ठ शिक्षकों का फार्मास्युटिकल्स इंडस्ट्री का स्थायी कर्मचारी होने का खुलासा उस सत्य को स्पष्ट करता है, जिसे मैं इस पुस्तक में प्रकट करने का प्रयास कर रहा हूँ। चिकित्सकीय पाठ्य पुस्तकें आमतौर पर दवा कंपनियों द्वारा मेडिकल कॉलेजों में अपने लेखकों के संपर्कों द्वारा वित्त-पोषित होती हैं। मेरे शिक्षा काल की बीती यादें और इसके सुख व दु:ख मेरी इस पुस्तक रचना का प्रथम कारण रहा। आशा करता हूँ कि यह प्रयास चिकित्सकों की सोच को रोगी शय्या पर आने के लिए प्रेरित करेगा, जो स्वास्थ्य सेवा का मर्म है। इससे मानवता अधिक खुशहाल होगी। मेरा सपना है कि मैं डॉक्टरों को दवा और प्रौद्योगिकी विक्रेता नहीं, बल्कि उनके उपचारक के नियत स्थान पर देखूँ। काश, यह पुस्तक डॉक्टरों की मदद करे और वे रोगियों को दिलचस्प मामले की तरह नहीं, बल्कि परेशान मनुष्यों के रूप में देखने लगें! मैं उस दिन की प्रतीक्षा में हूँ, जब स्वास्थ्य सेवा प्रतिपादन में दुनियाभर के अनेकानेक प्राचीन ज्ञान को सम्मिलित कर इन्हें मानक वैज्ञानिक पद्धति से परखने के बाद प्रमाणीकरण करके अधिक मानवीय, रोगी-मित्रवत तथा सस्ता बनाया जा सके। हमें इतना विनम्र अवश्य होना चाहिए कि हम अपनी कमजोरियों को स्वीकार करें और दूसरों की अच्छाइयों को बिना किसी भय या पक्षपात के स्वीकार कर सकें। आखिरकार, डॉक्टर यहाँ समाज को स्वस्थ करने के लिए हैं, न कि बीमार को जोड़-तोड़ प्रदान करने के लिए।
Bhartiya Vanya Praniyon ke Sanrakshit Kshetro ka Vishvkosh
- Author Name:
Shivkumar Tiwari
- Book Type:

-
Description:
अधोलिखित 9 प्रमुख विशेषताओं से युक्त प्रस्तुत विश्वकोश भारतीय संरक्षित क्षेत्रों के पर्यावरण एवं प्राणिजात के सम्बन्ध में सम्पूर्ण जानकारी देनेवाला न केवल हिन्दी वरन् अन्य देशी भाषाओं में भी प्रकाशित अब तक का सबसे अधिक वैज्ञानिक सन्दर्भ-ग्रन्थ है। विश्वकोश की नौ प्रमुख विशेषताएँ : 1. संरक्षित क्षेत्रों के माध्यम से भारतीय पर्यावरण एवं प्राणिजात की सर्वांगीण प्रस्तुति करनेवाला भारतीय परम्परा एवं हिन्दी भाषा में लिखा गया भारतीय भाषाओं का अनूठा ग्रन्थ। 2. विश्वकोश की वैश्विक अवधारणा के अनुकूल ग्रन्थ का संयोजन एवं विषयवस्तु की प्रस्तुति। 3. विश्वकोश में अपेक्षित ‘जानकारी की सम्पूर्णता’ का पूरा प्रयास, सभी वर्गों के संरक्षित (क्षेत्रों अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यान, टाइगर रिजर्व, बायोस्फियर रिजर्व, रामसर साइट्स इत्यादि) में से प्रतिनिधि संरक्षित क्षेत्रों का न केवल उल्लेख अपितु उनकी विशिष्टताओं का विवेचन भी। 4. संरक्षित क्षेत्रों के सभी वैज्ञानिक पक्षों का सरल सुबोध भाषा में विवेचन। विश्वकोश में विज्ञानों के ये तथ्य संकलित हैं (i) इकोलॉजी पारिस्थितिकी, (ii) इथोलॉजी (व्यवहार विज्ञान), (iii) वर्गिकी (टैक्सानामी),
(iv) लताजी (जीवविज्ञान), (v). आर्निथोलॉजी (पक्षीविज्ञान), (vi) ज्योग्राफ़ी (भूगोल), (vii) जियोलॉजी (भूगर्भ विज्ञान), (viii) पेलिअन्टोलॉजी (पूरा विज्ञान-जीवाश्म विज्ञान तथा) (ix) बाटनी (वनस्पति विज्ञान)।
5. संरक्षित क्षेत्रों को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए आवश्यक मानचित्र दिए गए हैं। 6. संरक्षित क्षेत्रों के इतिहास और वर्तमान की विस्तृत जानकारियाँ विश्वकोश में संकलित हैं। आवश्यक स्थलों पर सन्दर्भ-ग्रन्थों का भी उल्लेख है। 7. विश्वकोश में संरक्षित क्षेत्रों की समकालीन घटनाओं और स्थिति को निरपेक्षता से प्रस्तुत किया गया है। तथ्यों की पुष्टि के लिए स्रोत को उद्धृत किया गया है। अंग्रेज़ी भाषा के स्रोतों को उद्धृत किया गया है। 8. विश्वकोश में पूरी तरह से हिन्दी भाषा का प्रयोग किया गया है अन्य भाषाएँ प्रमुख पाठ से अलग हाशिये पर या परिशिष्ट में ही देखी जा सकती हैं। परिशिष्ट में आधारभूत अध्ययन सामग्री की क्रमबद्ध सूचियाँ हैं। 9. विश्वकोश में प्रारम्भ से अन्त तक पठनीयता को बनाए रखा गया है। विश्वकोश की अनेक टिप्पणियाँ एवं आलेख स्वतंत्र रूप से पठनीय हैं।
Lok Sanskriti Ki Rooprekha
- Author Name:
Krishnadev Upadhyaya
- Book Type:

-
Description:
लोक-साहित्य लोक-संस्कृति की एक महत्त्वपूर्ण इकाई है। यह इसका अविच्छिन्न अंग अथवा अवयव है। जब से लोक-साहित्य का भारतीय विश्वविद्यालयों में अध्ययन तथा अध्यापन के लिए प्रवेश हुआ है, तब से इस विषय को लेकर अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों की रचना हुई है। प्रस्तुत ग्रन्थ को छह खंडों तथा 18 अध्यायों में विभक्त किया गया है।
प्रथम अध्याय में लोक-संस्कृति शब्द के जन्म की कथा, इसका अर्थ, इसकी परिभाषा, सभ्यता और संस्कृति में अन्तर, लोक-साहित्य तथा लोक-संस्कृति में अन्तर, हिन्दी में फोक लोर का समानार्थक शब्द लोक-संस्कृति तथा लोक-संस्कृति के विराट स्वरूप की मीमांसा की गई है। दि्वतीय अध्याय में लोक-संस्कृति के अध्ययन का इतिहास प्रस्तुत किया गया है। यूरोप के विभिन्न देशों जैसे—जर्मनी, फ़्रांस, इंग्लैंड, स्वीडेन तथा फ़िनलैंड आदि में लोक-साहित्य का अध्ययन किन विद्वानों द्वारा किया गया, इसकी संक्षिप्त चर्चा की गई है।
दि्वतीय खंड पूर्णतया लोक-विश्वासों से सम्बन्धित है। अतः आकाश-लोक और भू-लोक में जितनी भी वस्तुएँ उपलब्ध हैं और उनके सम्बन्ध में जो भी लोक-विश्वास समाज में प्रचलित है, उनका सांगोपांग विवेचन इस खंड में प्रस्तुत किया गया है।
तीसरे खंड में सामाजिक संस्थाओं का वर्णन किया है जिसमें दो अध्याय हैं—(1) वर्ण और आश्रम तथा (2) संस्कार। वर्ण के अन्तर्गत ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्रों के कर्तव्य, अधिकार तथा समाज में इनके स्थान का प्रतिपादन किया गया है। चौथे खंड में आश्रम वाले प्रकरण में चारों आश्रमों की चर्चा की गई है। जातिप्रथा से होनेवाले लाभ तथा हानियों की चर्चा के पश्चात् संयुक्त परिवार के सदस्यों के कर्तव्यों का परिचय दिया गया है।
पंचम खंड में ललित कलाओं का विवरण प्रस्तुत किया गया है। इन कलाओं के अन्तर्गत संगीतकला, नृत्यकला, नाट्यकला, वास्तुकला, चित्रकला, मूर्तिकला आती हैं। संगीत लोकगीतों का प्राण है। इसके बिना लोकगीत निष्प्राण, निर्जीव तथा नीरस है।
षष्ठ तथा अन्तिम खंड में लोक-साहित्य का समास रूप में विवेचन प्रस्तुत किया गया है। लोक-साहित्य का पाँच श्रेणियों में विभाजन करके, प्रत्येक वर्ग की विशिष्टता दिखलाई गई है।
Uttrakhand Ki Vibhootiyan
- Author Name:
Raj Kishore
- Book Type:

- Description: उत्तराखंड की विभूतियाँ 1. देव सुमन 2. चंद्र सिंह गढ़वाली 3. अनुसूया प्रसाद बहुगुणा 4. माधो सिंह भंडारी 5. भारतरत्न पं. गोविंद बल्लभ पंत 6. सुमित्रानंदन पंत 7. सुंदरलाल बहुगुणा 8. हेमवती नंदन बहुगुणा 9. प्रसून जोशी 10. नंदकिशोर नौटियाल 11. अभिनव बिंद्रा 12. डॉ. मुरली मनोहर जोशी 13. नारायण दत्त तिवारी 14. भुवन चंद्र खंडूरी 15. रमेश पोखरियाल 16. महेंद्र सिंह धोनी 17. वीरेन डंगवाल 18. डॉ. गंगाप्रसाद विमल 19. रस्किन बॉण्ड 20. डॉ. खड्ग सिंह वल्दिया 21. सुधीर पांडे 22. धर्मेश तिवारी 23. टॉम आल्टर 24. हिमांशु जोशी 25. गोपाल बाबू गोस्वामी 26. जसपाल राणा 27. बछेंद्री पाल 28. देविका चौहान 29. शिवानी 30. टिंचरी माई उर्फ इच्छागिरि माई 31. कलावती रावत 32. संग्रामी देवी राणा 33. डॉ. हर्षवंती बिष्ट 34. चंद्रप्रभा एतवाल 35. उनीता सच्चिदानंदन 36. पूर्णिमा पांडे 37. रीना सजवाण 38. सुषमा राणा
VASTUNISHTH PRASHN JHARKHAND VASTUNISHTH
- Author Name:
Dr. Manish Rannjan
- Book Type:

- Description: इस पुस्तक में झारखण्ड की समस्त जानकारी को निम्न अध्यायों में बहुत ही सरल व सहज तरीके से किया गया है- झारखण्ड का इतिहास, भौगोलिक स्वरुप, झारखण्ड आंदोलन, नदी तंत्र, खनिज संसाधन, उद्योग-धंधे, कृषि, पशुपालन, वन, राष्ट्रीय उद्यान एवं जनजातीय समाज इत्यादि। पुस्तक में दिए गए एक हज़ार प्रश्न के लिए झारखण्ड की जानकारी का एक उपयोगी खजाना यह पुस्तक प्रतियोगी परीक्षाओ में लेने वाले सभी छात्रों के लिए निश्चिन्त तौर पर लाभप्रद होगी।
Zindagi XXL
- Author Name:
Abhishek Manoharchanda
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Shrikant (Vol.-2)
- Author Name:
Sarat Chandra Chattopadhyay
- Book Type:

- Description: जिस भ्रमण-कथा के बीच ही में अचानक एक दिन यवनिका खींचकर विदा हुआ था, कभी फिर उसी को अपने हाथ से उद्घाटित करने की अपनी प्रवृत्ति न थी। मेरे गाँव के रिश्ते के दादाजी, वे जब मेरी उस नाटकीय उक्ति के जवाब में सिर्फ जरा मुसकराए तथा राजलक्ष्मी के झुककर प्रणाम करते जाने पर जिस ढंग से हड़बड़ाकर दो कदम हट गए और बोले, ' अच्छा! अहा, ठीक तो है! बहुत अच्छा ! जीते-जागते रहो!” कहते हुए कौतृहल के साथ डॉक्टर को साथ लेकर निकल गए, तो उस समय राजलक्ष्मी के चेहरे कौ जो दशा देखी, वह भूलने कौ नहीं, भूला भी नहीं; लेकिन यह सोचा था कि वह नितांत मेरी ही है, दुनिया पर वह कभी किसी भी रूप में जाहिर न हो, परंतु अब लगता है, अच्छा ही हुआ, बहुत दिनों के बंद दरवाजे को फिर मुझी को आकर खोलना पड़ा। जिस अनजान रहस्य के लिए बाहर का क्रोधित संशय अविचार का रूप धारण करके बार-बार धक्के मार रहा है, यह अच्छा ही हुआ कि बंद द्वार का अर्गल खोलने का मुझे ही मौका मिला।
Dr. Hedgewar-Shri Guruji Prashnottari
- Author Name:
Mahesh Dutt Sharma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
AYODHYA KA ITIHAS
- Author Name:
Rai Bahadur Lala Sitaram
- Book Type:

- Description: लाला सीताराम ने 1932 में अयोध्या का इतिहास लिखा था। इनके पूर्वज राम के अनन्य भक्त थे। इसलिए जौनपुर छोड़ अयोध्या नगरी में बस गए थे। लाला सीताराम ने अयोध्या में अपने घर के एक कमरे में रामायण मंदिर भी बना रखा था। यहाँ रहते हुए उन्होंने ‘अयोध्या का इतिहास’ लिखना प्रारंभ किया। वेद से लेकर पुराणों में अयोध्या का उल्लेख तो मिलता है लेकिन अयोध्या के इतिहास पर कोई समग्र दृष्टि डालती पुस्तक का अभाव लगातार उन्हें यह इतिहास लिखने के लिए प्रेरित करता रहा। लाला सीताराम ने गहन शोध कर वेद काल से लेकर ब्रिटिश काल के अयोध्या पर प्रकाश डाला है। अयोध्या न सिर्फ हिंदुओं का एक पवित्रतम तीर्थ है वरन् जैन, बौद्ध और सिख के लिए भी उतना ही पावन और श्रद्धा का केंद्र है।
Vismrit Chehare
- Author Name:
Lajwanti Jha
- Book Type:

- Description: आजादी के इतिहास पर अनेक ग्रंथ हैं। कुछ में अग्रणी भूमिका निर्वहन करनेवाले सेनानियों की जीवनियाँ भी उपलब्ध हैं, परंतु स्त्रियों की समान भागीदारी पर बहुत खोजबीन के बावजूद भी कुछ विशेष नहीं मिला। घर-घर चरखा चलाने, खादी का प्रचार- प्रसार करने, विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने, धरना देने, छूआछूत की भावना मिटाने, मद्य निषेध आंदोलन को सफल बनाने तथा परदा प्रथा उन्मूलन में नारी-शक्ति की लगन, त्याग एवं बलिदान की भावना ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन को प्रबल एवं सफल बनाया तथा अपने पुरुष स्वयंसेवकों, कार्यकर्ताओं के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर अग्रसर हुईं, लेकिन सिर्फ शिक्षित, कुलीन, संभ्रांत एवं संपन्न वर्ग की ही भागीदारी के मद्देनजर इनका सर्वव्यापीकरण नहीं हो पाया तथा इनका संख्या बल नगण्य सा रहा। कुछ ऐसी ही महिलाओं के परिवार के सदस्यों से साक्षात्कार, तत्कालीन समाचार-पत्रों की प्रतियों एवं यत्र-तत्र बिखड़ी हुई अल्प उपयोगी सामग्री का संकलन कर प्रस्तुत पुस्तक का प्रारूप तैयार किया गया है। इसमें स्वाधीनता संग्राम के संदर्भ में बिहार की नारी-शक्ति के योगदान को जनता के समक्ष प्रस्तुत करने के पुनीत कार्य द्वारा बिहार की महिलाओं के गौरव एवं आत्मसम्मान तथा बल एवं साहस को उत्प्रेरित कर राष्ट्र-निर्माण की ओर उन्मुखीकरण के साथ सभी अनाम एवं गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों को पुष्पांजलि एवं श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है।
UP PRATHAMIK VID. SAHAYAK ADH. BHARTI PARIKSH-NEW
- Author Name:
Shashi Bhushan Verma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Sanatan Dharmakosh Antim Satya
- Author Name:
Krishna Mohan Prasad Singh
- Book Type:

-
Description:
पुस्तक के आत्म-निवेदन में डॉ. कृष्ण मोहन प्रसाद सिंह लिखते हैं कि इस धार्मिक पुस्तक में भगवान की तीन महाशक्तियाँ—श्रीराधा, श्रीसीता और श्रीशिवा, चारों वेद, अठारहों पुराण, 108 उपनिषदों, वाल्मीकि एवं स्वामी तुलसीदास कृत रामायण के सात कांडों, गीता के 18 अध्यायों, ओंकार-परमात्मा की ध्वनि, धर्म-परमात्मा की आत्मा, पंच देवता उपासना—पदार्थों एवं जीवों की उत्पत्ति का मूल कारण, महामंत्रों की शक्तियाँ एवं आधुनिक
परिवेश में धर्मशास्त्रों पर आधारित कतिपय मूल प्रश्नों के उत्तर अत्यन्त ही सरल, सूक्ष्म एवं व्यावहारिक रूप से चित्रित किए गए हैं। ब्रह्म सनातन है, परब्रह्म सनातन है। परमात्मा ही धर्म है, और सिर्फ़ वही अन्तिम सत्य है।
‘वृहदाकार सम्पूर्ण धर्मशास्त्रों को समेटकर गूढ़ तत्त्वों को जिज्ञासु पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करना बड़ा ही चुनौतीपूर्ण कार्य है। लेकिन यदि आप इसे थोड़ा-बहुत ही आत्मसात् कर सकें तो मेरे लिए बड़े ही सौभाग्य की बात होगी।’
वस्तुतः यह पुस्तक मनुष्य को एक ऐसी दुनिया में ले जाती है जहाँ जिज्ञासा, आस्था, और विश्वास की विचित्र छवियाँ हैं। भौतिकता से आक्रान्त इस युग में यदि कोई अभौतिक सत्य का साक्षात्कार करना चाहता है तो यह पुस्तक उसे प्रकाश प्रदान कर सकती है। तर्क और तर्कातीत के मध्य विचरण करती यह रचना विराट चेतना की ओर पाठक का ध्यान आकृष्ट करती है।
Dharma and Communalism
- Author Name:
Narendra Mohan
- Book Type:

- Description: Selfishness and arrogance have become so inextricably associated with distortion and misconception of religion that the ordinary person is forgetting the real concept of religion has started accepting divided consciousness as the true form. Many of the different religions that have emerged from divided and self- oriented consciousness are flourishing only because of their ego, selfishness and aggressiveness. This very aggressiveness adopted under the cover of religion is ‘Communalism’. This aggressiveness was adopted sometimes for political reasons, sometimes for economic reasons and sometimes for social reasons. Today, the situation has deteriorated to the extent that the money power, wiles and muscle power are being used openly by different groups to impose their own so-called religious philosophies, that too in the name of civilisation and culture. The goal of religion is to eliminate discriminatory misconceptions and ignorance. But the reality is that this elimination has to be done through cognition at the individual level itself. From this point of view, the existence of the power of duality cannot be denied. Just as the existence of wave in the ocean cannot be denied, the existence of the wave of duality in the ocean of the Supreme Consciousness will have to be accepted; but keeping in mind that the real existence is not that of the wave but of the ocean.
Khushiyon Ka Network
- Author Name:
Smt. Vandana Singh
- Book Type:

- Description: खुशियों का नेटवर्क व्यक्तिगत विकास से संबंधित एक ऐसी पुस्तक है, जो सिद्धांतों पर ज्यादा जोर न देते हुए व्यावहारिक प्रयोग पर बल देती है। यह पुस्तक पाठकों को खुशी के मंत्र प्रदान करती है, जिससे वह अपनी भाण- दौड़ भरी जिंदगी में 'खुश कैसे रहा जाए! बहुत आसानी से जान जाएँगे। यह पुस्तक पढ़ने के उपरांत आपको निम्नांकित लाभ होंगे- आप अपनी सोच को नियंत्रित कर पाएंगे। हर पल आपको खुशी का एहसास होगा | आपको अपने चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह महयूस होगा। भावनात्मक रूप से आप आत्मनिर्भर होंगे। हर परिस्थिति में उत्साहित करनेवाले सकारात्मक तथ्यों को ढूँढ़ पाएंगे। जीवन के प्रति नजरिए में परिवर्तन होगा। आप अपनी सकारात्मकता को दूयरों में भी स्वतः ही प्रवाहित करने लगेंगे, जिससे आपके आसपास का वातावरण उल्लासपूर्ण हो जाएगणा। अपनी जिन आदतों को आप परिवर्तित करना चाहते हैं, उसकी प्रक्रिया स्वयं प्रारंभ कर सकेंगे। आप अपने शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को आकर्षित कर पाएँगे। अन्य लोगों के साथ आपके संबंध एवं व्यवहार में सुधार आएगा | जीवन के आनंद, उल्लास और सार्थकता का बोध करानेवाली एक व्यावहारिक व पठनीय पुस्तक |
BHARAT KA ITIHAS
- Author Name:
Yogendra Prasad
- Book Type:

- Description: वर्तमान सामाजिक और राजनैतिक माहौल में हम अपने इतिहास को नजरअंदाज करने लगे हैं। आज निचले वर्ग केपाठ्यक्रम में भी इतिहास एक स्वतंत्र विषय के रूप में नहीं रह गया। उसे सामाजिक विज्ञान का एक छोटा सा अंश बना दिया गया है। फलतः छात्रों को अपने देश के इतिहास से पूरा परिचय नहीं हो पाता। वे अपने पूर्वजों की आन, बान और शान से, उनके त्याग व बलिदान से उनकी शूरता एवं वीरता से परिचित नहीं हो पा रहे हैं। उनमें राष्ट्रीयता की भावना का लोप होने लगा है। यह स्थिति चिंताजनक है। सरकार, शिक्षक सबका दायित्व है कि वे छात्रों में इतिहास प्रेम जगाने का प्रयास करें। भारतीय इतिहास की यह पुस्तक मैंने इसी भावना से प्रेरित होकर लिखी है। मैंने इसमें मुख्य रूप से मुगलकालीन एवं ब्रिटिशकालीन भारत की राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक दशाओं पर प्रकाश डालने का एक छोटा सा प्रयास किया है। मैंने छात्रों को यह बताने का प्रयास किया है कि हमारे इतिहास ने कहाँ-कहाँ चूक की है, जिसका लाभ उठाकर विदेशियों ने कितनी बार हमारे सोने की चिडि़या के पर कुतरने की कोशिश की है। फिर भी हम अपनी अस्मिता को बचाए रखे हैं। पुस्तक की सफलता या विफलता तो पाठकों के निर्णय पर है।
RAJYABHISHEK (PB)
- Author Name:
Acharya Chatursen
- Book Type:

- Description: आचार्य जी का यह प्रसिद्ध उपन्यास राम द्वारा लंका पर चढ़ाई से प्रारंभ होता है और सीता के भू प्रवेश तक चलता है। इसकी एक-एक पंक्ति, एक-एक दृश्य ऐसा जीवंत है कि पाठक को बरबस लगता है कि वह स्वयं उसी युग में जी रहा है। - बहुमुखी प्रतिभा के धनी आचार्य चतुरसेन ने ५० वर्षों तक विविध विधाओं में निरंतर लेखन कार्य किया। वह एक लेखक और विचारक ही नहीं, बल्कि चिकित्सा शास्त्री भी थे ।
Divya Bhagwadgita Atma Se Parmatma Tak
- Author Name:
Ashok Agrawal
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
BPSC PRARAMBHIK PARIKSHA-2021 SAMANYA ADHYAYAN 30 DINON MEIN
- Author Name:
Jha Evam Mishra
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Nehru Files: Nehru Ki 127 Aitihasik Galtiyan (Hindi Translation of Nehru’s 127 Major Blunders)
- Author Name:
Rajnikant Puranik
- Book Type:

- Description: चीन की सरकार के लिए भारत पर आक्रमण करने जैसी बात सोचना भी पूरी तरह से अव्यावहारिक है। इस कारण, मैं इसे खारिज करता हूँ''''जवाहरलाल नेहरू (एएस/103) किसी ने ठीक ही कहा है : नेहरू अनभिज्ञता के नवाब थे। अगर नेहरू ने तमाम किस्म की बड़ी गलतियाँ नहीं की होतीं; और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उन्होंने बेहिसाब गलतियाँ कीं, नहीं तो भारत तेजी से तरक्की की राह पर होता और उनके कार्यकाल के अंत तक एक प्रभावशाली, समृद्ध, विकसित देश होता। और निश्चित रूप से ऐसा 1980 के दशक की शुरुआत में ही हो गया होता, बशर्तें, नेहरू के बाद उनका वंश सत्ता में नहीं आया होता। दुर्भाग्य से, नेहरू युग ने ही भारत में गरीबी और दरिद्रता की नींव रखी, जिसने हमेशा के लिए इसे एक विकासशील, तीसरे दर्जे का, पिछड़ा देश बनाकर रख दिया। इन मूर्खतापूर्ण भूलों का ब्योरा रखकर, यह पुस्तक दिखावे के पीछे का सच दिखाती है। इस पुस्तक में नेहरू की मूर्खतापूर्ण भूलों का प्रयोग 'एक सामान्य शब्द के रूप में विफलताओं, लापरवाहियों, गलत नीतियों, खराब फैसलों, निंदनीय या अशोभनीय कृत्यों, अनर्जित पदों को हड़पने आदि के लिए भी किया गया है। इस पुस्तक का उद्देश्य नेहरू की आलोचना करना नहीं है, बल्कि उन ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी को, जिन्हें अकसर तोड़ा-मरोड़ा गया या छिपाया गया या दबा दिया गया, व्यापक करना है, ताकि वही गलतियाँ दोबारा न हों, और भारत का भविष्य उज्ज्वल बन सके । हो सकता है कोई कहे : नेहरू पर हायतौबा मचाने की जरूरत क्या है ? उन्हें गए तो बरसों हो गए । बरसों हो गए शारीरिक रूप से, किंतु दुर्भाग्य से उनकी अधिकतर सोच और नीतियाँ अब भी जीवित हैं । यह समझना जरूरी है कि उन्होंने गलत रास्ते को चुना । पर देश को उन विचारों से मुक्त होकर आगे बढ़ना पड़ेगा, जिनमें से अधिकांश अब भी जारी हैं । यह पुस्तक वर्तमान समय के लिए भी अत्यधिक प्रासंगिक है।
Vajood Aurat Ka
- Author Name:
Gloria Steinem
- Book Type:

-
Description:
दुनिया की सर्वाधिक प्रतिष्ठित नारीवादी लेखिका ग्लोरिया स्टायनेम ने अपने कुछ शुरुआती साल भारत में बिताए हैं। जिस दौरान ग्लोरिया भारत में थीं, वे इस गाँधीवादी विचार से प्रभावित हुईं कि परिवर्तन को हमेशा एक वृक्ष की तरह नीचे से ऊपर की ओर बढ़ना चाहिए। इसके बाद, अमेरिका और विश्व-भर के नारीवादी आन्दोलनों के लिए किए गए अपने कई दशकों के काम से उन्होंने सीखा कि कर्ता और कारक, शासक और शासित, 'मर्द’ और 'औरत’ के रूप में मनुष्यों के झूठे बँटवारे की आड़ में हिंसा और वर्चस्व का सामान्यीकरण किया जाता रहा है।
'वजूद औरत का’ में, ग्लोरिया स्टायनेम और एक्टिविस्ट रुचिरा गुप्ता ने साथ मिलकर ग्लोरिया के कुछ अभूतपूर्व निबन्धों को प्रस्तुत किया है। ये वे निबंध हैं जो अपने लिखे जाने के बाद से, सीमाओं से बेपरवाह दुनिया-भर में पहुँच गए और आधुनिक नारीवादी विचारों के एक बड़े हिस्से के लिए नींव तैयार की। इन पन्नों में, ग्लोरिया ने यह सच्चाई खोलकर रख दी है कि स्त्री-शरीर पर नियंत्रण के ज़रिए ही नस्ली और जाति तथा वर्ग आधारित भेद-भाव अपनी जड़ें जमाए हुए हैं—ग्लोरिया यह भी बताती हैं कि किस-किस तरह से स्त्री और पुरुष इस नियंत्रण के लिए आपस में लड़ रहे हैं। वह बड़े ही शानदार ढंग से पुरुषत्व के प्रति अडोल्फ़ हिटलर की सनक का विश्लेषण करती हैं और उसके व्यक्तित्व में जड़ें जमाते हुए हिंसा के लैंगिक विचार को उभरता हुआ पाती हैं। उन्होंने कामुक साहित्य (इरोटिका) और पोर्नोग्राफ़ी के अंतर को समझाया है और स्पष्ट किया है कि यह अन्तर दोनों लिंगों के मध्य सम्बन्धों को नियंत्रित करनेवाली असमानता के कारण पैदा होता है। एक प्लेबॉय बनी के रूप में बिताए अपने कुछ दिनों के मार्मिक अनुभव के अलावा इस किताब में ग्लोरिया द्वारा देह-व्यापार के लिए की जानेवाली मानव तस्करी पर लिखा गया और अब तक अप्रकाशित निबन्ध 'तीसरी राह’ भी शामिल है।
'वजूद औरत का’ एक अध्ययनशील नज़रिए से लिखी गई किताब है जिसमें काफ़ी गहराई है। इस किताब को ऐसे अन्दाज़ में लिखा गया है कि इसमें मौजूद जटिल बहसें भी सहजता के स्पर्श के कारण पढ़नेवाले को एकदम सरल रूप में समझ आती हैं। इस संग्रह में आपको नए विचार, ग़ुस्सा, गम्भीरता और हँसी और एक दोस्त, सबकुछ मिलेगा।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...