Sitara
Author:
Sanjay SinhaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Academics-and-references0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Available
Awating description for this book
ISBN: 9789352664252
Pages: 280
Avg Reading Time: 9 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Super Cracker Series NTA CUET (UG) Krishi (CUET Agriculture in Hindi 2022)
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Route to Oral Literature
- Author Name:
Anvita Abbi
- Book Type:

- Description: The 13 scholarly papers included in this volume testify to the management of various genres of oral literature and culture, reflecting the initial points of interaction with the environment and geographic space occupied by the speakers. The presentations address issues related to history, identity, indigeneity, ideology, belief, and nativism, focusing on the myths, legends, tales, songs, birds, lullabies, proverbs, riddles, and games of Northeast India. The exploration of oral literature reveals the deep connection between these forms and the region's natural habitat, a bond that surpasses political divisions and artificial barriers.
CTET/TETs Shikshak Patrata Pareeksha Vastunishth Hindi Bhasha 2022 (45 Practice Sets, 58 Solved Papers)
- Author Name:
Vidyanath Shukal
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Zindagi XXL
- Author Name:
Abhishek Manoharchanda
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
The Hidden Hindu Book 2 "द हिडन हिंदू-2" - अक्षत गुप्ता (Hindi Version of Hidden Hindu 2) - Akshat Gupta
- Author Name:
Akshat Gupta
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Sabhyata Ka Sankat Banam Adivasiyat
- Author Name:
Ghanshyam
- Book Type:

- Description: सभ्यता का संकट बनाम आदिवासियत' पुस्तक कोरोनाकाल के लॉकडाउन के बीच लिखी गई। यह एकांतवास की चेतना और संवेदना से उपजा एक अनुभवजन्य दस्तावेज है, जिसमें मानव इतिहास की असह्य पीड़ा और करोड़ों लोगों की मौत की गुंजलक को समझने की कोशिश है। मानव सभ्यता के इतिहास में यह एक ऐसी परिघटना है, जिसे आनेवाले सैकड़ों वर्षों तक एक काला अध्याय माना जाएगा। पिछले कुछ सौ वर्षों का इतिहास यह बतलाता है कि जब-जब मानव ने प्रकृति को जीतने का दुस्साहस दिखाया है, तब-तब प्रकृति ने मानव को सुधारने के लिए एक सबक सिखाया है। इन्हीं में एक है—कोरोना महामारी, जिसने यह साबित कर दिया है कि विज्ञान और तकनीक की ऊँचाइयाँ अभी भी प्रकृति को जीत पाने में अक्षम हैं और शायद आगे भी रहेंगी। विशेषज्ञों ने यह भी जताया है कि इनसान की प्रतिरोधक क्षमता जितनी दुरुस्त रहेगी, यह महामारी उसके सामने फटक तक नहीं पाएगी। इस अर्थ में देखें तो आदिवासी इलाकों का अनुभव इसे सच साबित करता है। कोरोना काल का अनुभव यह बतलाता है कि अपने देश के अधिकांश आदिवासी इलाके अपेक्षाकृत महानगरों से ज्यादा सुरक्षित रह पाए। इसका बड़ा कारण यह है कि आज भी आदिवासियत इस तरह की महामारियों से इसलिए लडऩे में सक्षम है, क्योंकि उनका रिश्ता प्रकृति के साथ ज्यादा जीवंत और सहज है। इसलिए इस पुस्तक का शीर्षक 'सभ्यता का संकट बनाम आदिवासियत' है।
Inspiring Stories From My Life
- Author Name:
Swami Vivekanand
- Book Type:

- Description: This book doesn’t have any desciption.
Super Cracker Series NTA CUET (UG) Sanskrit (CUET Sanskrit in Hindi 2022)
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Sanskriti : Varchswa Aur Pratirodh
- Author Name:
Purushottam Agarwal
- Book Type:

-
Description:
‘संस्कृति : वर्चस्व और प्रतिरोध’ भारतीय समाज और संस्कृति के उन सुविधाजनक सवालों से टकराने के क्रम में लिखी गई है, जिनसे बचने का हर सम्भव प्रयास अब तक किया जाता रहा है। संस्कृति पर अमूर्तनों की भाषा में लिखे गए तमाम पोथों से भिन्न यह पुस्तक मोहक आवरणों से ढके छद्म को उद्घाटित करती है। बढ़ता साम्प्रदायिक ज़हर, शोषण के नए तरीक़े, कुर्सी हथियाने के लिए धर्म का सीढ़ी की तरह किया जानेवाला इस्तेमाल, स्त्री-दमन का अनवरत सिलसिला, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के ख़िलाफ़ जारी होनेवाले फ़तवे, उभरते दलित आन्दोलन को नाकाम करने में लगी अमानुषिक ताक़तें और मानवीय संवेदनातंत्र के निरन्तर छीजते जाने की प्रक्रिया—ये अब हमारे समय की कटु वास्तविकताएँ हैं। ईमानदार रचनाधर्मी मानस ने इन सभी मुद्दों को इस पुस्तक में उठाया है, सरलीकरणों से बचने की सफल कोशिश की है और इन प्रश्नों से जुड़ी प्रचलित प्रगतिशील व्याख्याओं की जाँच भी की है। सुपरिभाषित सांस्कृतिक प्रतीकों को पुरुषोत्तम अग्रवाल ने नई दृष्टि से विश्लेषित करने का प्रयास किया है। कहने की आवश्यकता नहीं कि इसी कारण यह पुस्तक हमारे परम्परागत संस्कारों, स्वीकृत मूल्यों और प्रश्नातीत बना दी गई आस्थाओं को झकझोर देने में समर्थ हो सकेगी।
अपने भाषिक रचाव में यह पुस्तक विशिष्ट है। विचारगत नवीनता भाषा का नया तेवर चाहती है, जिसे डॉ. अग्रवाल ने सघन सर्जनात्मकता में अर्जित किया है। मधुर पदबन्धों के आदी हो चुके लोगों को इसमें ज़रूरी औषधीय कड़वाहट मिलेगी, साथ ही आद्यन्त कवि-सुलभ रससिक्तता भी।
तथाकथित ‘जातिवाद’ के सामाजिक-राजनीतिक निहितार्थों की सर्वथा नई व्याख्या और वर्णाश्रम के सांस्कृतिक अर्थ का विचारोत्तेजक रेखांकन इस पुस्तक के तर्क की अपनी विशेषताएँ हैं।
समाज, संस्कृति और सर्जनात्मकता का गतिशील परिप्रेक्ष्य विकसित करने की बौद्धिक बेचैनी से भरपूर यह किताब उन सबके लिए ज़रूरी है, जो भारतीय समाज के अन्तर्निहित वर्चस्वतंत्र से जिरह करना चाहते हैं।
Uttar Pradesh Madhyamik Shiksha Seva Chayan Board Pravakta (PGT) Chayan Pareeksha, Itihas 15 Practice Sets in Hindi (UPSESSB PGT History Book Hindi)
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Vaidik Sanskriti
- Author Name:
Govind Chandra Pandey
- Book Type:

-
Description:
भारतीय परम्परा में वेद को अनादि अथवा ईश्वरीय माना गया है। इतिहास और संस्कृति के विद्यार्थी के लिए इनमें भारतीय एवं आद्यमानव परम्परा की निधि है। महर्षि यास्क से लेकर सायण तक वेद के पंडितों ने इनके अनेक अर्थ निकाले हैं, जिसके कारण वेदों की सही व्याख्या कठिन है। आधुनिक युग में वेदों पर जो भी प्रसिद्ध ग्रन्थ लिखे गए हैं, उनमें इतिहास की दृष्टि से व्याख्या भले ही की गई हो, लेकिन आध्यात्मिक और सनातन अर्थ उपेक्षित है।
पुरानी भाषाशास्त्रीय व्याख्या के स्थान पर नई पुरातात्त्विक खोज के द्वारा वेदों का जो इतिहास पक्ष बदला है, उसका मूल्यांकन भी यहाँ किया गया है।
इस ग्रन्थ में न केवल मैक्समूलर आदि को नई व्याख्याएँ एवं सायण आदि की यज्ञपरक व्याख्या पर, बल्कि दयानन्द, श्री अरविन्द, मधुसूदन ओझा आदि की संकेतपरक व्याख्या पर भी विचार किया गया है। वैदिक संस्कृति की परिभाषा करनेवाले ऋत-सत्यात्मक सूत्रों की विवेचना एवं किस प्रकार वे भारतीय सभ्यता के इतिहास में प्रकट हुए हैं, इस पर भी चिन्तन
किया गया है।
वैदिक संस्कृति, धर्म, दर्शन और विज्ञान की अधुनातन-सामग्री के विश्लेषण में आधुनिक पाश्चात्य एवं पारम्परिक दोनों प्रकार की व्याख्याओं की समन्वित समीक्षा इस पुस्तक में की गई है।
इस प्रकार तत्त्व जिज्ञासा और ऐतिहासिक के समन्वयन के द्वारा सर्वांगीणता की उपलब्धि का प्रयास इस ग्रन्थ की विचार शैली का मूलमंत्र और प्रणयन का उद्देश्य है।
Murti-Bhanjan
- Author Name:
Kshama Kaul
- Book Type:

- Description: अपने इस नवीनतम उपन्यास की अंतिम रूप से संशोधित पांडुलिपि को मुझे क्षमा कौल ने कई किश्तों में सुनाया। एक महत्त्वपूर्ण मूर्तिशिल्पी स्त्री के जीवन-संघर्षों, सृजन की प्रक्रियाओं, उसके सपनों, उपलब्धियों, उसकी निश्छलताओं तथा उसके प्रेम, शोषण, जीवन दर्शन, बीहड़ यात्राओं, हताशाओं, टूटन एवं उसके हृदयविदारक अंत और निष्कर्ष पर यह एक विलक्षण उपन्यास बन पड़ा है। कश्मीर की इस मूर्तिशिल्पी के जीवन में कैसे जिहादी आतंक भयंकर उथल-पुथल मचाता है और चित्त में प्रवेश कर बिना गोली इत्यादि के नष्ट कर डालता है। व्यक्ति, समाज और परिवेश के गहन मनोविज्ञान की पृष्ठभूमि में सभी चरित्र इतने जटिल हैं कि उनकी जटिलताओं की तमाम तहें और उनकी आनुषंगिक कथाएँ व अंतर्कथाएँ उपन्यासकार ने कैसे एक कुशल सूत्रधार की तरह समायोजित की हैं कि मैं आश्चर्यचकित रह गया। अंत तक आते-आते मार्मिकता से इतना विह्वल हुआ कि बिलख-बिलख उठा। मुझे विश्वास है कि ‘मूर्ति-भंजन’ अपने संपूर्ण ताने-बाने में कश्मीर की अंतरंग कथा कहता हुआ और जिनोसाइड के अछूते आयामों पर प्रकाश डालता हुआ विशेष कृति के रूप में प्रतिष्ठा पाएगा और एक अनूठा उपन्यास सिद्ध होगा। —अग्निशेखर जम्मू
Kamayani-Lochan : Vols. 1-2
- Author Name:
Uday Bhanu Singh
- Book Type:

- Description: डॉ. उदयभानु सिंह भारतीय दर्शन और संस्कृत काव्यशास्त्र के गहन अध्येता थे। तुलसीदास पर उनके ग्रन्थ अपने प्रकाशन-काल से ही निरन्तर तुलसी काव्य के रसग्राही पाठकों और शोधार्थियों के लिए प्रामाणिक स्रोत-सामग्री की भूमिका निबाह रहे हैं। ‘कामायनी-लोचन’ उसी परम्परा को आगे बढ़ानेवाली रचना है। विद्वान लेखक ने प्राक्कथन में इस तथ्य का उल्लेख किया है कि कामायनी आधुनिक काव्य का “ऐसा गौरवग्रन्थ है जिस पर सबसे अधिक आलोचनात्मक पुस्तकें तथा लेख लिखे गए हैं; सबसे अधिक टीकाएँ लिखी गई हैं, सबसे अधिक शोधपरक निबन्ध एवं प्रबन्ध प्रणीत हुए हैं, और सर्वाधिक विवाद भी हुआ है।” यह कथन इस सामग्री से उनके बाख़बर होने का प्रमाण है। इस सामग्री की ख़ूबियों या ख़ामियों पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की। विनम्रतापूर्वक बस इतना जोड़ा कि “ ‘कामायनी’ के विषय में बहुत-कुछ कहा जा चुका है, परन्तु बहुत-कुछ अनकहा भी रह गया है। अतएव उनके अध्ययन की शृंखला को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। ‘कामायनी-लोचन’ उसी शृंखला की एक कड़ी है।’’ कहना न होगा कि ‘कामायनी-लोचन’ हिन्दी में कामायनी की टीका-व्याख्याओं की किसी चली आती अधूरी परम्परा की पूरक कड़ी-भर नहीं है। उसमें जो कहने से रह गया उसे कहकर रिक्त स्थान की पूर्ति का दायित्व निर्वाह भर करने का प्रयास नहीं है। उसका आदर्श तो संस्कृत-आचार्यों की वह समृद्ध टीका-व्याख्या परम्परा है जिसके आधार पर लेखक ने इसका नामकरण किया है। दो खंडों में विभाजित इस ग्रन्थ में ‘कामायनी’ के सर्गों की व्याख्या-समीक्षा के साथ इसकी शब्द-सूची प्रस्तुत की गई है। प्रस्तुति की एक निश्चित प्रविधि है। ऐसा ढाँचाबद्ध पैटर्न जिससे एकरूपता और एकरसता एक साथ पैदा होती है। एक ऐसा अकादमिक अनुशासन जिसका पालन वे शिक्षक के रूप में अपनी कक्षाओं में भी करते थे। वे पहले सर्ग-वार कथा-सूत्र प्रस्तुत करते हैं, उसके बाद एक संक्षिप्त समीक्षात्मक टिप्पणी जोड़कर अन्त में शब्दार्थ देते हैं—जिसे उन्होंने शब्द-सूची कहा है। इस प्रकार ‘लोचन’ कामायनी का शब्दकोश भी है। अकादमिक अनुशासन के विरोधियों को इसकी विधिबद्धता से रसज्ञता और सर्जनात्मकता की कमी की शिकायत हो सकती है। भूलना नहीं चाहिए कि इसका रचयिता दर्शन, व्याकरण और काव्यशास्त्र का अध्येता विद्वान तो था, अभिनवगुप्त की तरह कवि नहीं। उनकी यह कृति भले ही पाठकों को गहरी रसमग्नता का संतोष न दे पर ‘कामायनी’ की समझ में अनेक भ्रान्तियों का निवारण करेगी और उसकी गहन अर्थ-व्यंजनाओं के उद्घाटन में मददगार होगी—व्युत्पत्यर्थ और दार्शनिक अनुषंगों की दृष्टि से। —निर्मला जैन
Bihar Vastunisth (7500+ vastunisth Questions in Hindi
- Author Name:
Dr. Manish Rannjan
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Nano Technology
- Author Name:
D. D. Ojha
- Book Type:

- Description: This book doesn’t have description
Ram Sahitya Kosh : Vols. 1-2
- Author Name:
Yogendra Pratap Singh
- Book Type:

-
Description:
यह कोश केवल एक सन्दर्भ कोश मात्र नहीं है। यह समग्र भारत की राष्ट्रीय रागात्मक एकता का स्वयं में बृहत्तर तथा व्यापक साक्ष्य है। आप कल्पना करें, उस कालखंड की, जब भारत की समृद्धि एवं अखंडता पर विदेश हमले शुरू हुए। प्रारम्भिक स्थिति में शक, हूण, किरात, खास आभीर, यूनानी शक्तियों के भारत पर हमले हुए, जिनमें से कुछ तो भाग गए और कुछ हम भारतीयों के बीच रहते हुए पूरी तरह से भारतीय बन गए। इन सबके बावजूद, हमारा अपना भारत अभी तक अपनी इसी सांस्कृतिक अडिगता का साक्ष्य है।
लोकतांत्रिक व्यवस्था के बाद, हमारी सांस्कृतिक धरोहर देश की अस्मिता के ध्वज को एक बार फिर विश्वमंच पर फहराने लगी है और इसी आशा के साथ, आज समग्र भारत में शतियों-शतियों से सांस्कृतिक धरोहर बनी यह रामकथा 'राम साहित्य कोश' के रूप में आपके सामने रखी जा रही है। इस साहित्य कोश का उद्देश्य केवल भारतीयों के सामने समीक्षा कोश की प्रस्तुति का लक्ष्य नहीं है, अपितु इसके द्वारा यह सिद्ध करना लक्ष्य है कि राष्ट्रीय स्तर पर यह भारतीय संस्कृति, त्याग एवं शीलवादी आस्था बनकर हज़ारों-हज़ारों वर्षों से संचित आर्य संस्कारों की थाती हमें गहन-से-गहन संकटों में कैसे जीवित रहने के लिए संजीवनी शक्ति देती आ रही है। राम साहित्य कोश की इस प्रस्तुति का मन्तव्य भी यही है कि हम एक बार फिर अपनी भारतीय संस्कृति के त्यागवाद, परोपकारवाद, आस्थावादी अस्मिता को सबके सामने प्रस्तुत करके उन्हें इन मूल्यों से जोड़ने के लिए पुनः प्रेरित करें।
Aanand Ki Raah (Hindi)
- Author Name:
Rajendra Tiwari
- Book Type:

- Description: विश्व में अशांति, कलह, संघर्ष, युद्ध, नकारात्मकता, ईर्ष्या, अहम् की प्रतिस्पर्धा में शांतिविहीन समाज का स्वरूप बन रहा है, जिस कारण अभाव, अपूर्णता, असंतुष्टता पनप रही है। व्यक्ति का आंतरिक सुख व आनंद विलुप्त हो रहा है। प्रश्न यह है कि हमारा मन शांत और संतुष्ट कैसे हो व हम आनंद कैसे प्राप्त करें? प्रस्तुत पुस्तक में विद्वान् लेखक ने स्पष्ट किया है कि अध्यात्म का तात्पर्य किसी धर्म-विशेष से नहीं है, बल्कि इससे व्यक्ति को सही व गलत के भेद को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का रास्ता मिलता है, विवेकशीलता जाग्रत् होती है। आध्यात्मिक चिंतन में द्वंद्व और भेदभाव नहीं है। यह विषय सिर्फ संत-महात्माओं और भक्ति के क्षेत्र से जुडे़ व्यक्तियों के लिए ही नहीं है, बल्कि इसकेमाध्यम से मनन करके हम आनंद की राह खोज सकते हैं। हमें हमारे शिक्षणकाल में उस ज्ञान को परोसा ही नहीं जा रहा है जो आनंद के आभास की राह बताता हो। जीवन का उद्देश्य आनंद में रहने का है। मनुष्य के नैसर्गिक गुणों में द्वंद्व, भ्रम, अवसाद, चिंता, व्यग्रता, असंतोष, असंतुलन, क्लेश आदि ग्राह्य नहीं हैं। प्रसन्न रहना एक स्वाभाविक गुण है। अतः जीवन में संतोष और उल्लास प्राप्त करने के लिए मानवीय गुण तथा आध्यात्मिक-सांस्कृतिक चिंतन प्राप्त करने के लिए प्रसन्न रहिए, आनंदित रहिए। इसी से जीवन में आनंद की राह प्रशस्त होगी। व्यावहारिक जीवन में आनंद का एकमात्र साधन आध्यात्मिक चिंतन है। पुस्तक की प्रस्तावना मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति माननीय श्री जस्टिस आनंद पाठक ने प्रस्तुत की है।
Abhinav Hindi Vyakaran
- Author Name:
Meenakshi Agrawal
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक केवल पुस्तक ही नहीं है, बल्कि एक ऐसी व्याकरण अभ्यास-पुस्तिका है जिसे पढ़ने के बाद आप बख़ूबी समझ जाएँगे कि इसे आप तक पहुँचाने की आवश्यकता क्यों पड़ी। शिरोरेखा किसे कहते हैं; यह क्यों आवश्यक है; नुक्ता क्या है; बिन्दु-चन्द्रबिन्दु का प्रयोग कब-कब किया जाता है; श को कैसे-कब लिखा जाता है; ड/ड़ और ढ/ढ़; में क्या अन्तर है; वर्णमाला कैसे याद की जाए; बारहखड़ी से मात्राएँ किस प्रकार सीखी जा सकती हैं; संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया किसे कहते हैं; सन्धि क्या है; समास किसे कहते हैं?—आदि छोटे-छोटे बिन्दुओं की जानकारी के साथ पत्र लिखने की कला पर भी प्रकाश डाला गया है। व्याकरण को गणित के माध्यम से समझने और पढ़ने का तरीक़ा बताया गया है। जैसे—(1) संज्ञा के भेद—3; (2) सर्वनाम के—6 (3X2=6) (3) विशेषण के—4 (6-2=4) आदि। संविधान द्वारा स्वीकृत 18 भाषाओं को वर्ण वर्ग के हिसाब से 3,4,3,5,3 (=18) में बाँटा गया है। पुस्तक में सर्वत्र मानक वर्तनी का प्रयोग किया गया है।
UPSSSC Adhinasth Krishi Sewa (Varg-3) Pravidhik Sahayak Group-C (Samanya Chayan) Bharti Pariksha 15 Practice Papers
- Author Name:
Singh +1
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Prabhat Sookti Kosh
- Author Name:
Mahesh Dutt Sharma
- Book Type:

- Description: सूक्तियाँ गागर में सागर भरे वे शब्द समूह हैं, जो सीधे मर्म पर चोट करते हैं। इन शब्दों में ऐसी शक्ति होती है कि ये इनसान को सोचने के लिए मजबूर कर देते हैं और कई बार वह क्षण जीवन का महत्त्वपूर्ण मोड़ साबित होता है, जो जीवन की दशा और दिशा को बदलकर रख देता है, यह व्यक्ति का मानो नया जन्म होता है; उसका चीजों को देखने का दृष्टिकोण पूरी तरह बदल जाता है। महात्मा बुद्ध के कुछ सूक्ति वाक्य ज्यों अंगुलिमाल का हृदय परिवर्तित कर देते हैं और वह डाकू से संत बन जाता है; सूक्तियाँ कुछ यों ही मन पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं। प्रस्तुत पुस्तक में दुनिया भर के महान् विचारकों की सूक्तियों का संकलन किया गया है, जो प्रबुद्ध पाठकों के लिए निश्चित ही उपयोगी सिद्ध होगा।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...