Hindu Kala-Drishti
Author:
Dattopant ThengadiPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Academics-and-references0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Available
हिन्दू जीवन के सौंदर्य-पक्ष के प्रति यूरोपीय कला-प्रेमियों की आतुरता तथा अभिरुचि का प्रवाह अबोध गति से चलता रहा । इसके फलस्वरूप जहाँ एक ओर कलाओं के सचे प्रेमियों ने हिंदू कला की उत्तरोत्तर और अधिक सराहना की, वहीं दूसरी ओर कला के क्षेत्र में साम्राज्यवादियों तथा उनके पिट्ठुओं में ईर्ष्या और आशंका की आग भड़की ।
प्राचीन तथा मध्ययुगीन भारत की मूर्तिकला का स्थान कलात्मक उपलब्धि के सर्वोच्च सोपान से भी उच्च स्तर पर है। मूर्तिकला की सर्वांगपूर्ण कलाकृतियों का दो सहस्राब्दियों का प्रामाणिक इतिहास किसी देश के जीवन का दुर्लभ तथा श्लाघ्य तथ्य है।''समस्त हिंदू कला की उत्पत्ति अद्ठैत परम सत्ता की अनुभूति से हुई है, उसी के प्रति वह समर्पित है और वही उसके लिए पूर्णता प्रदान करनेवाला परम ध्येय है।
भारत में आज राष्ट्रीयता के संदेश-प्रसार का दायित्व हिंदू कला-दृष्टि का है।
ISBN: 9789390378180
Pages: 120
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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