Bodhi Vriksha Ki Chaaya Mein
Author:
Acharya ChatursenPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Academics-and-references0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Available
धम्मो मैगलमक्किट्ठ अहिन्सा सज्जमोतवो।
देवावितं नभ सति जस्स धम्मे सयामणो॥
प्राकृतिक आधिदेविक देवों या नित्यमुक्त ईश्वर का पूज्य स्थान नहीं है।
एक सामान्य पुरुष भी अपना चरम विकास करके मनुष्य और देव दोनों का
पूज्य बन जाता है। (दश वैकालिक 1-1)
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब धर्म के
उत्थान के लिए ईश्वर अपने रूप को रचता है।
In each agc since ancient times, I have imposed
on myseof the obligation of protecting truth (dharma),
when sin destroys truth, I forget my formlessness and
take birth.
ISBN: 9789390900008
Pages: 256
Avg Reading Time: 9 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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