Hridaya Ki Parakh
Author:
Acharya ChatursenPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Academics-and-references0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
चैत्र मास का अंतिम दौर चल रहा था। वसंत का यौवन चतुर्दिक बिखरी हरीतिमा के अंग-प्रत्यंगों से फूट चला था। संध्या का समय था। चंद्रमा कभी बादलों के आवरण में मुँह छिपाता और कभी स्वच्छ नीलाकाश में खुले मुँह अठखेलियाँ सी करता फिरता। मैं भोजन के उपरांत अपने अनन्य मित्र बाबू सूर्यप्रताप के साथ अपने मकान की छत पर घूम-घूमकर इस दृश्य का आनंद लूट रहा था। मन उस समय इतना प्रफुल्ल था, किंतु मेरे मित्र के मन में सुख नहीं था। क्योंकि जब मैंने हँसकर सुंदर चंद्रमा की चपलता पर एक व्यंग्य छोड़ा, तो उन्होंने प्रशांत तारकहीन नीलाकाश की ओर हाथ फैलाकर उदास मुख, गंभीर वाणी और कंपित स्वर में कहा, “इस अस्थिर और श्रुद्र चंद्रमा की चपलता से अनुरंजित कहीं इस अनंत गांभीर्य की अमूर्त मूर्ति को मत भूल जाना।"
ISBN: 9789390900084
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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