Khushdesh Ka Safar
Author:
Pallavi TrivediPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Travelogues0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
हर इनसान के भीतर एक यायावर सोया होता है। लेकिन कम ही लोग होते हैं जो अपने भीतर सोये हुए यायावर को जगा पाते हैं; और उसकी उँगली पकड़कर घर से निकल पड़ते हैं। ज़्यादातर लोग ज़िन्दगी की ख़ुशहाली को बनी-बनाई हदों के भीतर तलाश करते हैं। अपने सुरक्षित दायरों के बाहर क़दम रखने से वे हिचकते हैं। इस तरह वे ज़िन्दगी के असल एडवेंचर का लुत्फ़ नहीं ले पाते। उनके विपरीत कुछ लोगों को बनी-बनाई हदें, दूसरों की बनाई लीकें क़तई मंजूर नहीं होतीं। वे न केवल अपनी हद ख़ुद तय करते हैं बल्कि उसको बार-बार तोड़ते हैं।</p>
<p>इस तरह के ‘एडवेंचर’ का माद्दा न हो तो यायावर होना मुश्किल है। हमारी ख़ुशक़िस्मती कि पल्लवी त्रिवेदी में यह माद्दा है। वह अपने भीतर के यायावर को सोने नहीं देतीं और हर-हमेशा नई-नई जगहों तक, अदेखे-अजाने प्रदेशों तक जाती रहती हैं। ‘ख़ुशदेश का सफ़र’ उनकी इसी अनूठी यायावरी का दिलकश दस्तावेज़ है। कोई और होता तो वह भूटान के लिए सीधे फ़्लाइट बुक करता, समय बचाता और पहले से टैक्सी और होटल सुनिश्चित कर इस ख़ुशदेश की दर्शनीय जगहों को अपना चेहरा दिखाकर लौट जाता—यह उन अनगिनत यात्राओं में से एक होती जिनमें दूसरों को बताने के लिए कुछ नहीं होता। पल्लवी ने पर्यटन की इस पुरानी लीक को पकड़ने के बजाय भूटान के अपने सैर-सफ़र के लिए जो रास्ता पकड़ा, उसका एक-एक क़दम उन्होंने ख़ुद गढ़ा है। यही वजह है कि इस किताब में दर्ज उसका वृत्तान्त न केवल किसी रोचक उपन्यास जैसा पठनीय बन गया है, बल्कि हर उस शख़्स के लिए एक ज़रूरत भी जो अपने भीतर सोये यायावर को जगाने की तरकीब ढूँढ़ रहे हैं।</p>
<p>—यूनुस खान
ISBN: 9789393768551
Pages: 224
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Meri Ladakh Yatra
- Author Name:
Rahul Sankrityayan
- Book Type:

- Description: महापंडित राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा-साहित्य का पितामह कहा जाता है। यायावरी उनके लिए शौक नहीं धर्म जैसी अहमियत रखती थी। ज्ञान और प्राचीन ग्रंथों की खोज में वे दूर-दूर तक गए। ‘मेरी लद्दाख यात्रा’ में उनके कुछ यात्रा-वृत्तान्तों को संकलित किया गया है। उनके यात्रा-विवरणों की विशेषता यह है कि वे सिर्फ स्थानों का विवरण नहीं देते, बल्कि वहाँ की संस्कृति, समाज, परम्पराओं, धर्म, इतिहास और भौगोलिक विशेषताओं की विवेचना भी करते चलते हैं। इस पुस्तक में वे मेरठ, पंजाब, कश्मीर, लंका, तिब्बत, नेपाल आदि स्थानों की अपनी ज्ञान-यात्राओं का विवरण देते हुए अनेक दिलचस्प घटनाओं का वर्णन तो करते ही हैं, वहाँ के रहने वाले जनसाधारण के जीवन के सजीव शब्द-चित्र भी खींचते चलते है।
Lohe Ki Deewar Ke Dono Oor
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

- Description: प्रस्तुत पुस्तक ‘लोहे की दीवार के दोनों ओर’ में सोवियत देश और पूँजीवादी देशों के जीवन और व्यवस्था का आँखों देखा तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत किया गया है। यशपाल जी ने व्यक्तिगत जानकारी के आधार पर सब बातों का विवरण और विश्लेषण करने की चेष्टा की है। लेकिन उन्होंने “संस्मरणों के व्यक्तिगत होने पर भी...केवल स्मृति पर ही भरोसा नहीं किया है। यथासम्भव स्मृति को प्रामाणिक आधारों, तत्कालीन अदालती दस्तावेज़ों और समाचार-पत्रों द्वारा सही कर लेने की भी कोशिश की है।” साथ ही उन्होंने पूर्ववर्ती सामग्री के बारे में यह भी स्पष्ट कर दिया कि “अब तक क्रन्तिकारी प्रयत्नों के विषय में इतिहास के नाम से जो कुछ लिखा गया है, वह अधिकांश में अफ़वाहों, कुछ अनर्गल कल्पनाओं के आधार पर भी लिखा गया है।”
Yadon Ka Laal Galiyara : Dantewara
- Author Name:
Ramsharan Joshi
- Book Type:

-
Description:
रामशरण जोशी की यह पुस्तक ज़िन्दा यादों की एक विरल गाथा है। उन ज़िन्दा यादों की जिनमें हरे-भरे कैनवस पर ख़ून के छींटे दूर-दूर तक सवालों की तरह दिखाई देते हैं। ऐसे सवालों की तरह एक देश के पूरे नक़्शे पर, जिन्हें राजसत्ता ने अपने आन्तरिक साम्राज्यवाद प्रेरित विकास और विस्तार के लिए कभी सुलझाने का न्यायोचित प्रयास नहीं किया, बल्कि ‘ग्रीन हंट’ और ‘सलवा जुडूम’ के नाम पर राह में आड़े आनेवाले 'लोग और लोक' दोनों को ही अपराधी बना दिया। और यातनाओं को ऐसे दु:स्वप्न में बदला कि दुनिया-भर के इतिहासों के साक्ष्य के बावजूद छत्तीसगढ़, झारखंड, ओड़िसा, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि के वनांचलों का भविष्य अपने आगमन से पहले लहकता रहा, 'लाल गलियारा' बनता रहा।
यह पुस्तक राजसत्ता और वैश्विक नव-उपनिवेशवादी चरित्र से न सिर्फ़ नक़ाब हटाती है बल्कि आदिवासियों यानी हाशिए के संघर्ष का वैज्ञानिक विश्लेषण भी करती है। रेखांकित करती है कि ‘हाशिए के जन का अपराध केवल यही रहा है कि प्रकृति ने उन्हें सोना, चाँदी, लोहा, मैगनीज, ताँबा, एलुमिनियम, कोयला, तेल, हीरे-जवाहरात, अनन्त जल-जंगल-ज़मीन का स्वाभाविक स्वामी बना दिया; समता, स्वतंत्रता, आत्मनिर्भरता और न्यायपूर्ण जीवन की संरचना से समृद्ध किया। इसलिए इस जन ने अन्य की व्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं किया। यदि अन्यों ने किया तो इस जन ने उसका प्रतिरोध भी ज़रूर किया। इस आत्म-रक्षात्मक प्रतिरोध का मूल्य इस जन को पलायन, परतंत्रता, शोषण और उत्पीड़न के रूप में चुकाना पड़ा।
अपने काल-परिप्रेक्ष्य में ‘यादों का लाल गलियारा : दंतेवाड़ा' पुस्तक बस्तर, जसपुर, पलामू, चन्द्रपुर, गढ़चिरौली, कालाहांडी, उदयपुर, बैलाडीला, अबूझमाड़, दंतेवाड़ा सहित कई वनांचलों के ज़मीनी अध्ययन और अनुभवों के विस्फोटक अन्तर्विरोध की इबारत लिखती है। लेखक ने इन क्षेत्रों में अपने पड़ावों की ज़िन्दा यादों की ज़मीन पर अवलोकन-पुनरवलोकन से जिस विवेक और दृष्टि का परिचय दिया है, उससे नई राह को एक नई दिशा की प्रतीति होती है। यह पुस्तक हाशिए का विमर्श ही नहीं, हाशिए का विकल्प-पाठ भी प्रस्तुत करती है।
The Rich Culture and History of Kyrgyzstan
- Author Name:
Askar Beshimov +1
- Book Type:

- Description: Kyrgyzstan, located in Central Asia, is a landlocked country renowned for its stunning natural beauty and rich cultural heritage. Bordered by Kazakhstan to the north, China to the east, Tajikistan to the south, and Uzbekistan to the west, Kyrgyzstan is often referred to as the "Switzerland of Central Asia" due to its majestic mountain landscapes. Kyrgyzstan has a diverse cultural heritage, shaped by its nomadic history and influences from various ethnic groups. The Kyrgyz people, known for their warm hospitality, still practice traditional customs like nomadic yurt dwelling and horsemanship. Kyrgyzstan's tourism industry is growing as more travelers discover its charms. Visitors can explore historical sites like the Silk Road caravanserais, engage in trekking and horseback riding adventures, and immerse themselves in the unique Kyrgyz culture. In conclusion, Kyrgyzstan's natural beauty, cultural richness, and hospitable people make it a hidden gem for travelers seeking an off-the-beaten-path experience in Central Asia.
Shahargoi
- Author Name:
Geetashree
- Book Type:

- Description: Book
Yatraon Ke Indradhanush
- Author Name:
Jyoti Jain
- Book Type:

- Description: Book
Ek Baar Ayowa
- Author Name:
Manglesh Dabral
- Book Type:

- Description: हमारे समय के प्रमुख कवि मंगलेश डबराल की यह यात्रा-पुस्तक केवल यात्रा-वृतान्त नहीं है; यह एक कैनवस की तरह है जिसमें हमें अमेरिका दीखता है, उस चीरफाड़ के साथ जिसे यात्रा करते हुए कवि ने अपने ढंग से, अंजाम दिया—शायद अमेरिका को कुछ ज़्यादा अच्छे ढंग से समझने के लिए ही। इसमें वह आतंक नहीं है जो वर्तमान अमेरिका जैसे लगभग मिथक बन चुके देश में भारत के एक संवेदी मन को हो सकता था, नएपन का अहसास जरूर है; जिस पर लेखक ने कई जगह ख़ास जोर भी दिया है। एक अच्छे गद्य के अलावा यह पुस्तक हमें अमेरिका के बारे में, उसके दैनिक जीवन, सांस्कृतिक और सामाजिक वातावरण के बारे में कुछ प्रामाणिक सूचनाएँ भी देती है।
Hindi Yatra-Sahitya
- Author Name:
Shashi Shekhar Tiwari
- Book Type:

- Description: मनुष्य की सृजनात्मक कृतियों में यात्रा संस्मरणों की बहुमूल्य सहभागिता और अक्षय अवदान को पाश्चात्य साहित्य के साथ - साथ हिन्दी साहित्य में भी स्वीकार किया गया है । किन्तु हिन्दी में , उसे अपेक्षित प्रतिष्ठा नहीं मिली है । निःसन्देह यह अपने बलबूते एक स्वतन्त्र विधा होने का सामर्थ्य रखता है । इसके कई कारणों में एक भारतीयों की आत्ममुग्धाता न होकर , उनका वह जीवन दर्शन है , जिसमें परम देव - सत्ता को ही सब - कुछ मान लिया जाता है । ' सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज , श्रीमद्भगवद्गीता , 18 वाँ अध्याय किन्तु इस महान् देश की चेतना और संवेदना , समस्त सृष्टि में परिव्याप्त सत्यम् शिवम् और सुन्दरम् को भी अपनी स्पन्दित स्मृतियों में सँजोती - सँवारती रही है । फलस्वरूप आधुनिक हिन्दी साहित्य में गद्य का विकास , आवागमन और मुद्रण की सुविधा एवं पत्र पत्रकारिता के प्रसार के साथ भूमण्डलीय सम्पर्क तथा संचार साधनों की वृद्धि के कारण हुआ । इससे , विशेषतः हिन्दी - साहित्य के अन्तर्गत , यात्रा संस्मरण के लेखन - क्षेत्र में निरन्तर अपूर्व सक्रियता दिखायी देती रही है । निःसन्देह हिन्दी का यात्रा - साहित्य भी काल क्रम में हिन्दी का ही नहीं , राष्ट्र की बहुमूल्य निधि के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है ।
Jeevan Drishti
- Author Name:
Jyoti Jain
- Book Type:

- Description: Book
Roos Mein Pachchis Mas
- Author Name:
Rahul Sankrityayan
- Book Type:

- Description: ‘मैं रूस में, जर्मनी की लड़ाई के समाप्त होने के थोड़ी ही देर बाद पहुँचा था। रूस की अन्नदायिका भूमि का बहुत सा भाग जर्मनों के हाथ में चला गया था। लेकिन रूसियों ने ‘अधिक अन्न उपजाओ’ जैसा मज़ाक करके प्रोपेगेंडा पर करोड़ों रुपया बेकार खर्च नहीं किया, बल्कि अन्न उपजाने के लिए नहरों के पानी और खाद की आवश्यकता होती है, इसे समझकर इस ओर पूरा ध्यान दिया।’ राहुल जी के ये शब्द बताते हैं कि रूस की तत्कालीन शासन और सामाजिक व्यवस्था के प्रति उनके मन में कितना प्रशंसा-भाव था। यह उनकी तीसरी रूस यात्रा थी। इस यात्रा-वृत्त में वे सोवियत व्यवस्था को बहुत गहरी उम्मीद के साथ देखते हुए विश्वास जताते हैं कि आज या कल सभी मुल्कों को अपनी समस्याओं का हल इसी रास्ते से मिलेगा जिस पर उस समय रूस चल रहा था, और बाद में चीन भी चला। अच्छी बातों के साथ-साथ उन्होंने उस समय दिखाई पड़ रही ऐसी बातों को लिखने में भी संकोच नहीं किया जिन्हें अच्छा नहीं कहा जा सकता। जीवन के लिए आवश्यक साधारण चीजों का अभाव, दुर्व्यवस्था और कुछ लोगों की अकर्मण्यता पर भी उनकी नज़र जाती है, लेकिन उन्हें फिर भी लगता है कि यह स्थायी नहीं है। जो पाठक तत्कालीन सोवियत संघ को जानने की इच्छा रखते हैं उनके लिए इस पुस्तक में अंकित राहुल जी के ऐतिहासिक महत्व के पर्यवेक्षण बेहद सहायक होंगे।
Main Hun Kolkata Ka Foreign Return Bhikhari
- Author Name:
Bimal Dey
- Book Type:

-
Description:
आत्मकथात्मक शैली में लिखे गये इस उपन्यास में एक ऐसे व्यक्ति के जीवनानुभव का वर्णन है जिसने होश सम्भालते ही खुद को सियालदह स्टेशन परिसर में भिखारी के रूप में पाया।
एक उस्ताद से पाकिटमारी, उठाईगीरी आदि सीखकर इस कला को आजमाने के प्रयास में वह पहले दिन ही पकड़ा गया। उसे मारने-पीटने के बजाय उस दयालु सज्जन ने उसे कुछ दिनों तक परखने के बाद अपने घरेलू नौकर के रूप में रख लिया। अपने आश्रय दाता ‘दाआबू’ के यहाँ उसने रसोई का काम सीखा।
युवा होते-होते वह अच्छा घरेलू नौकर और रसोइया बन गया था। थोड़ा-बहुत लिखना-पढ़ना भी सीख गया था। एक दिन दाआबू उसे लन्दन ले गये। दाआबू ने उसे डायरी लिखने को कहा, बोले कि वह रोज के अनुभवों को अपनी भाषा में लिखना शुरू करे। उनके कहने पर ही उसने अपने अनुभवों और स्मृतियों को सँजोना शुरू किया। इस तरह दुनिया के सामने आया एक अकल्पनीय ज़िन्दगी का कभी न भूलने वाला यह वृत्तान्त!
दाआबू से सम्पर्क होने के बाद की सारी घटनाएँ हैरतअंगेज और उसकी उन्नति में सहायक रहीं। उन्होंने उसके लिए एक शिक्षक का भी प्रबन्ध कर दिया जिसके घर जाकर पढ़ना-लिखना सीखना पड़ता। सीखना यानी सब-कुछ सीखना—बैठने का ढंग, चलने का ढंग, मुस्कराकर बातचीत का ढंग। ...दरअसल वह शिक्षक जानवर को आदमी बनाने में था यानी वह धीरे-धीरे आदमी बनने लगा था...।
Har Barish Mein
- Author Name:
Nirmal Verma
- Book Type:

-
Description:
निर्मल वर्मा अपनी इस पुस्तक और इसके निबन्धों को भी, दो पूर्ण बिन्दुओं के बीच की कड़ी मानते थे। विधा के रूप में भी ये आलेख यात्रावृत्त और निबन्ध के बीच कहीं ठहरते हैं, ‘जहाँ न भोग का सुख है, न समाधान का निश्चय’। अपने दूसरे यूरोप प्रवास के दौरान उन्होंने यूरोप की धड़कन, उसके गौरव और शर्म के क्षणों को बहुत नज़दीक से देखा-सुना था। इस लिहाज से यह पुस्तक एक ऐसी नियतिपूर्ण घड़ी का दस्तावेज़ है, जब बीसवीं शती के अनेक काले-उजले पन्ने पहली बार खुले थे। दुब्चेक काल का प्राग-वसन्त, सोवियत-स्वप्न का मोह-भंग, पेरिस के बेरिकेडों पर उगती आकांक्षाएँ—ऐसी अभूतपूर्व घटनाएँ थीं, जिन्हें हमारी ढलती शताब्दी की छाया में निर्मल वर्मा ने पकड़ने की कोशिश की, किसी बने-बनाए आइने के माध्यम से नहीं बल्कि सम्पूर्णतया अपनी नंगी आँखों के सहारे।
शायद यही कारण है कि इस पुस्तक के निबन्ध कभी-कभी एक ऐसे ‘निर्वासित’ लेखक के रिपोर्ताज जान पड़ते हैं, जिनमें उन्होंने ‘युद्ध’ के मोर्चे पर घायल संस्कृतियों के घावों को जैसा देखा, वैसा ही आँकने की कोशिश की और भारतीय आत्मसन्तोष से हटकर, ख़ुद अपने देश की व्यवस्था को इन घावों में रिसते देखा।
वैज्ञानिक प्रगति के अकल्पनीय चरणों को पार करने के बाद आज भी जब हम देखते हैं कि इतिहास से न राजनीति ने कुछ सीखा है, न संस्कृतियों और धर्मों ने, तो इन निबन्धों को पढ़ना, इनकी अन्तर्दृष्टि तक पहुँचना और ज़रूरी जान पड़ता है।
Awaak : Kailash - Mansarovar : Ek Antaryatra
- Author Name:
Gagan Gill
- Book Type:

-
Description:
किसी भी यात्रा में भूगोल कुछ-न-कुछ बदलता है। जगहें, चेहरे, घटनाएँ, दृश्य आदि बदलते हैं पर हर यात्रा ज़रूरी नहीं कि अन्तर्यात्रा हो। जब होती है तो हम भी साथ-साथ बदलते हैं, हमारी आन्तरिकता का भूगोल भी बदल जाता है। ऐसी यात्राओं के वृत्तान्त बिरले हैं। कवयित्री गगन गिल का यह अन्तर्यात्रा-वृत्तान्त हिन्दी में एक अनोखा दस्तावेज़ है जिसमें वृत्तान्त का टीसपन, कथा का प्रवाह और कविता की सघन आत्मीयता सब एक साथ है। उसमें स्मृतियों, संस्कारों, अन्तर्ध्वनियों, जीवन की लयों आदि सबका एक वृन्दवादन लगातार सुनाई देता है। कुछ इस तरह का भाव कि सब कुछ एक-दूसरे से जुड़ा है, प्रतिकृत और झंकृत है।
इस अन्तर्यात्रा में अनेक व्यक्ति आते-जाते हैं, उनकी छवियाँ, उक्तियाँ, संवाद, भंगिमाएँ और क्रियाएँ-प्रतिक्रियाएँ बेहद संवेदनशीलता से अपनी समूची चित्रमयता में उकेरी गई हैं। कैलाश-मानसरोवर जाते और वहाँ से लौटते मानो एक तरह की कथायात्रा भी चलती रहती है। प्रकृति, मनुष्य, हिमालय, ठंड, झीलें, नदियाँ, जल, वायु आदि सब एक निरन्तर प्रवाह में हैं, कभी आकस्मिक, कभी अप्रत्याशित, कभी रहस्यमय, कभी कुतूहल उपजाते, कभी नीरव, कभी घोर विस्मय में डालते लोग, घटनाएँ, दृश्य आदि हमें चुपचाप अनुभव और भावनाओं के एक ऐसे भौतिक देश और अन्तर्देश में ले जाते हैं जिनमें हममें से अधिकतर, शायद ही पहले कभी गये हों।
यह अनूठा गद्य है जिसमें गद्य और कविता, वृत्तान्त और चिन्तन के पारम्परिक द्वैत झर गये हैं और जिसमें होने की, मनुष्य होने के रहस्य और विस्मय का निर्मल आलोक, अपनी कई मोहक रंगतों में आर-पार फैला हुआ है।
—अशोक वाजपेयी
THE WORLD IS THE NEXT VILLAGE
- Author Name:
Solon Karthak +1
- Rating:
- Book Type:

- Description: it is a collection of 25 travel tales that talk about his trips around the world.
Irina Lok : Kachchh Ke Smriti Dweepon Par
- Author Name:
Ajoy Sodani
- Book Type:

- Description: संस्कृति की लीक पर उल्टा चलूँ तो शायद वहाँ पहुँच सकूँ, जहाँ भारतीय जनस्मृतियाँ नालबद्ध हैं। वांछित लीक के दरस हुए दन्तकथाओं तथा पुराकथाओं में और आगाज़ हुआ हिमालय में घुमक्कड़ी का। स्मृतियों की पुकार ऐसी ही होती है। नि:शब्द। बस एक अदृश्य-अबूझ खेंच, अनिर्वचनीय कर्षण। और चल पड़ता है यायावर वशीभूत...दीठबन्द...। जगहों की पुकार गूगल गुरु की पहुँच से परे। गूगल मैप के अनुगमन से रास्ते तय होते हैं, जगहें मिलती हैं पर क्या उनसे राबता हो पाता है? जब चित्त संघर्ष, त्याग, आत्मा का अनुगामी हो जाए तब हासिल होती है आलम-ए-बेख़ुदी। जाग्रत होती हैं सुषुप्त स्मृतियाँ। खेंचने लगती हैं जगहें। घटित होता है असल रमण। अगस्त दो हज़ार दस में, ऐसी ही आलम-ए-बेख़ुदी में, हम पहुँचे थे हिमालय में—सरस्वती नदी के उद्गम स्थल पर। परन्तु आन्तरिक जगत में चपल चित्त अधिक ठहर थोड़े ही सकता है, सो बेख़ुदी के वे आलम भी अल्पकालिक ही होते हैं। इस वर्ष भी वही हुआ। हिमालय की ना-नुकुर से आजिज़ आ, हमने चम्बल के बीहड़ों में जाने का मन बनाया। जानकारियाँ जुट गईं, तैयारियाँ मुकम्मल हुईं। किन्तु घर से निकलने के ठीक पहले अनदेखे ‘रन’ का धुँधला-सा अक्स ज़ेहन में उभरा और मैं वशीभूत-सा चल दिया गुजरात की ओर। किसे ख़बर थी कि यह दिशा परिवर्तन अप्रत्याशित नहीं वरन् सरस्वती नदी की पुकार के चलते है, कि यह असल में ‘धूमधारकांडी’ अभियान की अनुपूरक यात्रा ही है। तो साहेब लोगो, आगे के सफहों पर दर्ज हर हर्फ दरअसल गवाह है उस परानुभूति का जिसके असर में मुझे शब्दों में मंज़र और मंज़रों में शब्द नज़र आए। या यूँ कहूँ कि प्रचलित किसी शब्द में इतिहास या परिपाटी में समूचा कालखंड अनुभूत हुआ यानी कि यह किताब यायावरी का ‘डबल डोज़’ है।
Yadon Ke Galiyare Se
- Author Name:
Surykant Nagar
- Book Type:

- Description: Book
Mahatirth Ke Antim Yatri (Lhasa���Kaliashnath���Mansarovar
- Author Name:
Bimal Dey
- Book Type:

- Description: सन् 1956 में तिब्बत का दरवाज़ा विदेशियों के लिए लगभग बन्द हो चुका था और राजनैतिक कारणों से भारत के साथ तिब्बत का सम्पर्क भी लगभग टूट चुका था। उन्हीं दिनों, बिना किसी तैयारी के, बिमल दे घर से भागे और नेपाली तीर्थयात्रियों के एक दल में सम्मिलित हो ल्हासा तक जा पहुँचे। उस समय उनकी उम्र मात्र पन्द्रह वर्ष थी। यात्रियों में वह नवीन मौनी बाबा। ल्हासा में उन्होंने तीर्थयात्रियों का दल छोड़ा, और वहाँ से अकेले ही कैलास खंड की ओर कूच कर गए। 'महातीर्थ के अन्तिम यात्री' में उसी रोमांचक यात्रा-अनुभाव का वर्णन है। बिमल दे ने स्वयं इसे ‘एक भिखमंगे की डायरी’ कहा है। किन्तु इस पुस्तक में मिलेगा तिब्बत का दैनंदिन जीवन तथा महातीर्थ का पूर्ण विवरण।
Chasing The Monk's Shadow
- Author Name:
Mishi Saran
- Rating:
- Book Type:

- Description: An Indian woman with a China craze retraces the footsteps of a Chinese monk with an Indian obsessionIn the seventh century AD, the Chinese monk Xuanzang (earlier spelt as Hiuen Tsang or Hsuan Tsang) set off on an epic journey to India to study Buddhist philosophy from the Indian masters. Travelling along the Silk Road, through the desolate wastes of the Gobi desert and the icy passes of Central Asia, braving brigands and blizzards, Xuanzang finally reached India, where his spiritual quest took him to Buddhist holy places and monasteries throughout the subcontinent. By the time he returned to China eighteen years later, carrying with him nearly 600 scriptures which he translated from Sanskrit into Chinese, Xuanzang had covered an astonishing 10,000 miles. He also left a detailed record of his journey, which remains a valuable source of historical information on the regions he traversed. Fourteen hundred years later, Mishi Saran follows in Xuanzang's footsteps to the fabled oasis cities of China and Central Asia, and the Buddhist sites and now-vanished kingdoms in India, Pakistan and Afghanistan that Xuanzang wrote about. Travelling seamlessly back and forth in time between the seventh century and the twenty-first, Saran uncovers the past with consummate skill even as she brings alive the present through her vivid and engaging descriptions of people and places. Her gripping chronicle includes an extraordinary eyewitness account of Kabul under the Taliban regime, just one month before 9/11. Running parallel to the account of her travels is the moving story of the author's inner journey towards a new understanding of her roots and her identity. With its riveting mix of lively reportage, high adventure, historical inquiry and personal memoir, this delightfully written book is a path-breaking travelogue.
Mahatirth Ke Antim Yatri (Lhasa - Kaliashnath - Mansarovar)
- Author Name:
Bimal Mitra
- Book Type:

- Description: सन् 1956 में तिब्बत का दरवाज़ा विदेशियों के लिए लगभग बन्द हो चुका था और राजनैतिक कारणों से भारत के साथ तिब्बत का सम्पर्क भी लगभग टूट चुका था। उन्हीं दिनों, बिना किसी तैयारी के, बिमल दे घर से भागे और नेपाली तीर्थयात्रियों के एक दल में सम्मिलित हो ल्हासा तक जा पहुँचे। उस समय उनकी उम्र मात्र पन्द्रह वर्ष थी। यात्रियों में वह नवीन मौनी बाबा। ल्हासा में उन्होंने तीर्थयात्रियों का दल छोड़ा, और वहाँ से अकेले ही कैलास खंड की ओर कूच कर गए। 'महातीर्थ के अन्तिम यात्री' में उसी रोमांचक यात्रा-अनुभाव का वर्णन है। बिमल दे ने स्वयं इसे ‘एक भिखमंगे की डायरी’ कहा है। किन्तु इस पुस्तक में मिलेगा तिब्बत का दैनंदिन जीवन तथा महातीर्थ का पूर्ण विवरण।
Kharama-Kharama
- Author Name:
Pankaj Bisht
- Book Type:

- Description: Hindi travelogue By Pankaj Bisht
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...