Hamari Pramukh Rashtriya Prayogshalayen
Author:
Gunakar MuleyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Science0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Available
वैज्ञानिक प्रयोगशालाएँ आधुनिक भारत की प्रगतिशील यात्रा के पड़ाव भी हैं और उसे बल देनेवाले शक्ति–केन्द्र भी। ये प्रयोगशालाएँ देश के विद्यार्थियों को बड़े पैमाने पर शोधकार्य करने की सहूलियतें देती हैं, उन्हें अपनी प्रतिभा का उपयोग करने का अवसर प्रदान करती हैं, और इस प्रकार देश के वैज्ञानिक व आर्थिक विकास को गति देती हैं।
हमारी प्रमुख विज्ञान–संस्था ‘वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद’ (सी.एस.आई.आर.) के तहत तीस राष्ट्रीय प्रयोगशालाएँ और बारह सरकारी औद्योगिक संस्थाएँ कार्यरत हैं। इस पुस्तक के लेखक और वैज्ञानिक विषयों के विद्वान गुणाकर मुळे 1994–95 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की सलाहकार समिति के सदस्य थे। उसी समय उन्होंने यह विचार प्रकट किया था कि इन प्रयोगशालाओं में क्या कार्य हो रहे हैं, और उनके प्रमुख शोध–क्षेत्र क्या–क्या हैं, इस विषय में जनसाधारण को बहुत ज़्यादा जानकारी नहीं है, जबकि इन प्रयोगशालाओं पर देश की जनता का ही पैसा खर्च होता है। परिषद द्वारा उनके विचार का अनुमोदन मिलने पर उन्होंने देश–भर की प्रयोगशालाओं में जाकर उनके कार्य को देखा और वहाँ हो रही शोध–प्रक्रियाओं को समझा।
उनकी इन्हीं यात्राओं का नतीजा है यह पुस्तक। देश की विभिन्न प्रयोगशालाओं के इतिहास, उनके कार्यों, उपलब्धियों और सम्बन्धित विषयों की सम्पूर्ण जानकारी से लैस इस पुस्तक में गुणाकर मुळे ने अत्यन्त सरल भाषा में आधुनिक भारत के इन शक्तिपीठों का वर्णन किया है।
निस्सन्देह, यह पुस्तक देश की वैज्ञानिक प्रगति में रुचि रखनेवाले जिज्ञासु पाठकों के लिए उपादेय और रुचिकर सिद्ध होगी।
ISBN: 9788126722631
Pages: 193
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: सूर्य! हमारी आकाश–गंगा के क़रीब 150 अरब तारों में से एक सामान्य तारा!...फिर भी कितना विराट, कितना तेजस्वी और कितना जीवनदायी!...लेकिन किसी भी आकाश–गंगा में अकेला नहीं होता कोई तारा अथवा कोई सूर्य। एक परिवार होता है उसका—कई सदस्योंवाला एक परिवार, और इसे ही कहा जाता है सौर–मंडल। हमारे सूर्य का भी एक मंडल है, जिसके छोटे–बड़े सदस्यों की कुल संख्या है नौ। सदस्य यानी कि ग्रह। इस प्रकार हमारे सौर–मंडल में नौ ग्रह शामिल हैं अर्थात् बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेपच्यून और प्लूटो। सौर–मंडल में स्थित इन ग्रहों के अपने–अपने उपग्रह भी हैं; उपग्रह, जैसे चन्द्रमा, जो कि हमारी पृथ्वी का उपग्रह है। कुछ ग्रहों के उपग्रहों की संख्या एकाधिक है, जैसे बृहस्पति 16 उपग्रहों का स्वामी है। सूर्य के परिवार में अभी तक क़रीब 60 उपग्रह खोजे जा चुके हैं। संक्षेप में कहें तो अत्यन्त विलक्षण है हमारा सौर–मंडल और रोचक है उसका यह अध्ययन। विज्ञान–विषयक लेखकों में अपनी शोधपूर्ण जानकारियों और सरल भाषा–शैली के लिए समादृत गुणाकर मुले की यह पुस्तक अत्यन्त उपयोगी सामग्री सँजोए हुए है। पूरी पुस्तक को 15 अध्यायों में बाँटा गया है और परिशिष्ट में कुछ विशिष्ट पैमाने और ग्रहों के बारे में कुछ प्रमुख आँकड़े भी हैं। सूर्य, सौर–मंडल तथा ग्रह–सम्बन्धी ज्योतिष–ज्ञान के अलावा लेखक ने हर ग्रह पर अलग–अलग अध्यायों की रचना की है। धूमकेतुओं और उल्कापिंडों पर अलग से विचार किया है। साथ ही, सौर–मंडल के जन्म और ग्रहों पर सम्भावित जीवन के शोध–निष्कर्षों से भी पाठकों को परिचित कराया है। इस प्रकार अन्तरिक्ष–यात्राओं के इस युग में यह पुस्तक प्रथम सोपान की तरह है, क्योंकि अन्तरिक्ष–अनुसन्धान और यात्राओं का लक्ष्य अभी तक तो प्रमुखत: अपना ही सौर–मंडल ह
Earth Science Progress
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
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- Description: Introducing "Earth Science Progress: Discovering the Wonders of Our Planet", the definitive guide to understanding the Earth's dynamic systems and the cutting-edge research that is driving the field forward.Authored by renowned scientist, Dr.Sanjay Rout, this book takes readers on a journey through the fascinating world of Earth science. With a focus on the latest developments in the field and practical applications, Dr. Rodriguez provides a comprehensive overview of the Earth's geological, atmospheric, and oceanic systems. Some of the topics covered in the book include: The Earth's structure and geological processes The role of plate tectonics in shaping the planet's surface The Earth's atmosphere and climate system The oceanic and coastal environments and their importance for life on Earth The latest advances in remote sensing and geospatial technologies Through clear explanations and real-world examples, this book will inspire readers to develop a deeper appreciation for the wonders of our planet and the complex interplay between its many systems. Whether you are a student, researcher, or simply a curious reader, "Earth Science Progress" is an essential resource for anyone interested in gaining a deeper understanding of the Earth's dynamic processes. Get your copy today and start your journey towards discovering the wonders of our planet!
Mahan Vaigyanik
- Author Name:
Gunakar Muley
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- Description: विज्ञान विषयों के सुप्रसिद्ध लेखक गुणाकर मुळे ने प्रस्तुत पुस्तक में संसार के इक्कीस महान वैज्ञानिकों के जीवन और कर्म का तथ्यपरक शब्दांकन किया है। यहाँ आर्किमीदिज़, कोपर्निकस, गैलिलियो, न्यूटन, मैडम क्यूरी, आइंस्टाइन जैसे वैज्ञानिकों के अतिरिक्त भारत के तीन महान विभूति—सुब्रह्मण्यन् चंद्रशेखर, रामानुजन्, चन्द्रशेखर वेंकट रामन् की जीवन-साधना का भी रोचक आख्यान है। रामानुजन् निस्संदेह एक महान गणितज्ञ थे। बीसवीं शताब्दी के गणितज्ञों में न केवल भारत के अपितु संसार के महान गणितज्ञों में उनका प्रमुख स्थान है। जिस कठिनाई से और अल्पायु में रामानुजन् ने गणितशास्त्र की सेवा की है, वह हमारे लिए एक आदर्श है। इसी प्रकार वेंकट रामन् ने प्रकाश-किरणों के गुण-धर्म से सम्बन्धित अद्भुत खोज की। इस नियम को ‘रामन्-प्रभाव’ के नाम से जाना गया। प्रस्तुत पुस्तक में इन्हीं सब तथ्यों को अत्यंत प्रामाणिक और रोचक तरीके से रखा गया है। भाषा-शैली इतनी सरल और सहज है कि कोई भी पाठक इसे आद्योपांत पढ़े बिना नहीं रहेगा।
Kepler
- Author Name:
Gunakar Muley
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- Description: गुणाकर मुळे का विज्ञान-लेखन सिर्फ़ जानकारी नहीं देता, उनका प्रयास हमेशा यह रहा कि पाठक की चेतना का विकास वैज्ञानिक पद्धति पर हो, वे जीवन-जगत् को स्पष्ट, तार्किक नज़रिए से देखें और धार्मिक तथा कर्मकांडीय अन्धविश्वासों से मुक्त हों। इसीलिए उन्होंने अनेक वैज्ञानिकों, गणितज्ञों, खगोलशास्त्रियों और उनके सिद्धान्तों के सम्बन्ध में अकसर सरल भाषा में लिखा है। यह पुस्तक योहानेस केपलर के जीवन और सिद्धान्तों की जानकारी देती है। केपलर संसार के पहले वैज्ञानिक हैं जिन्होंने स्पष्ट किया कि ग्रह वृत्तमार्ग में नहीं, बल्कि दीर्घवृत्तीय यानी अंडाकार कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इतना ही नहीं, चन्द्रमा जैसे उपग्रह भी दीर्घवृत्ताकार कक्षाओं में अपने-अपने ग्रहों का चक्कर लगाते हैं। यह एक महान खोज थी। आगे जाकर केपलर ने ग्रहों की गतियों के बारे में तीन नियमों की खोज की, जिनके कारण उन्हें आधुनिक खगोल-भौतिकी का जनक माना जाता है। विज्ञान के इतिहास में केपलर के इन तीन नियमों का चिरस्थायी महत्त्व है। ग्रहों की गतियों से सम्बन्धित केपलर के तीन नियम पहले से तैयार नहीं होते, तो महान न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त हमें इतनी जल्दी उपलब्ध नहीं हो पाता। न्यूटन ने भी स्वीकार किया था : “मैंने जो कुछ पाया है, वह दूसरे महान वैज्ञानिकों के कन्धों पर खड़े होकर ही।” इन ‘दूसरे महान वैज्ञानिकों’ में एक प्रमुख वैज्ञानिक थे—केपलर।
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