Pedon Ki Chhaon Mein
Author:
Daya Kishan Sharma ‘Nisheeth’Publisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Other0 Reviews
Price: ₹ 238.4
₹
298
Unavailable
पुस्तक से-
पता नहीं क्यों तू मुझे समझता रहा हर बार इनसान महामानव या कोई दैवीय फरिश्ता बाँध बैठा तू आशाए मुझसे हर रोज उसी के अनुरूप तभी तो मुझसे टूटा तेरा विश्वास हर बार जबकि में इस धरती के एक तुच्छ प्राणी से अधिक कुछ भी नहीं था
ISBN: 9789392012327
Pages: 168
Avg Reading Time: 6 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
The Law of Success
- Author Name:
Napoleon Hill
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Kavi Ka Marg : Kamalesh Se Samwad
- Author Name:
Udyan Vajpeyi
- Book Type:

-
Description:
“कमलेश अपनी पीढ़ी के सम्भवत: सबसे पढ़े-लिखे कवि-चिन्तक थे। जितना ज्ञान उन्होंने संसार भर से अपने पास इकट्ठा किया था, उसकी तुलना में उन्होंने लिखा कम। उनके पास ज्ञान-पगी दृष्टि थी जो उनकी मूलत: कविदृष्टि को समृद्ध और विलक्षण बनाती थी। उनसे एक लम्बा संवाद और उनका एक निबन्ध इस पुस्तक में शामिल किया गया है जो इस माला के पहले सैट में इस विश्वास के साथ प्रकाशित की जा रही है कि उनके चिन्तन और गद्य की यह पुस्तक पाठकों को विचारोत्तेजक लगेगी। कमलेश में परम्परा की गहरी समझ और पैठ तथा आधुनिकता से प्रोत्साहित प्रश्नाकुलता में कोई दूरी नहीं है जो उन्हें एक अपवाद बनाती है।”
—अशोक वाजपेयी
Bangla Ki Lokpriya Kahaniyan
- Author Name:
Prof. Mahendra Nath Dubey
- Book Type:

- Description: बाग्ला साहित्य बड़ा सरस और क्रांतिकारी रहा है। बांग्ला में उपन्यास तथा कहानी विधा को खूब प्रश्रय मिला। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय उपन्यास के साथ-साथ छोटी कहानियाँ भी लिखते रहे। स्वर्णकुमारी देवी एवं कुछ अन्य महिलाएँ भी पत्र-पत्रिकाओं में बांग्ला कहानियाँ प्रकाशित करवाती रहीं। किंतु बांग्ला कहानी, गल्प-रचना के आदर्श रूप का प्रकाशन 1877 ईस्वी में प्रकाशित ‘रामेश्वरेर अदृश्य’ नामक कहानी द्वारा हुआ, जिसे संजीव चंद चट्टोपाध्याय ने प्रकाशित करवाया था। अंग्रेजी लघु-कथाओं के समानांतर बांग्ला कहानी का अपना खुद का रचना-विधान-शिल्प और कथ्य सर्वप्रथम कवि रवींद्रनाथ ठाकुर की कहानी ‘क्षुधित पाषाण’ से सन् 1890 ई. में स्वाभाविक रूप से संरचित हुआ। कहानी की आकृति और प्रकृति निश्चित हो जाने के उपरांत बांग्ला कहानी क्रमश: एक से एक ऊँचाइयाँ छूती गई। ऐसे ही कथारस से परिपूर्ण बांग्ला के श्रेष्ठ कथाकारों की लोकप्रिय कहानियाँ इस संग्रह में संकलित हैं। ये कहानियाँ एक ओर जहाँ बांग्ला समाज के उत्थान, विसंगति एवं ऊहापोह को दिग्दर्शित करती हैं, वहीं रोचक होने के कारण पाठकों का भरपूर मनोरंजन एवं ज्ञानवर्धन भी करती हैं।
Amar Karantiveer Chandrashekhar Azad
- Author Name:
Bharat Bhushan
- Book Type:

- Description: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में चंद्रशेखर आजाद का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। उनका मूल नाम चंद्रशेखर तिवारी था। भले ही लोग स्वतंत्रता-संग्राम में उनके योगदान को पूर्ण रूप से न जानते हों, लेकिन इतना अवश्य जानते हैं कि वे इस संग्राम के अग्रगण्य क्रांतिकारियों में एक थे और उनके नाम से बड़े-बड़े अंग्रेज पुलिस अधिकारी तक काँप उठते थे। बाल्यावस्था में ही उन्होंने पुलिस की बर्बरता का विरोध प्रकट करते हुए एक अंग्रेज अफसर के सिर पर पत्थर दे मारा था। अपने क्रांतिकारी जीवन में आजाद ने कदम-कदम पर अंग्रेजों को कड़ी टक्कर दी। उन्होंने सुखी जीवन का त्याग करके कँटीला रास्ता चुना और अपना जीवन देश पर बलिदान कर दिया। भले ही वे अपने जीवन में आजादी का सूर्योदय न देख पाए, लेकिन गुलामी की काली घटा को अपने क्रांति-तीरों से इतना छलनी कर गए कि आखिरकार उस काली घटा को भारत की भूमि से दुम दबाकर भागना पड़ा। महान् क्रांतिकारी, अद्वितीय देशाभिमानी एवं दृढ़ संकल्पवान् चंद्रशेखर आजाद के अनछुए जीवन-प्रसंगों के साथ संपूर्ण व्यक्तित्व का दिग्दर्शन करानेवाली अनुपम कृति।
Gareeb Hone Ke Fayade
- Author Name:
Ravindranath Tyagi
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Ek Vaigyanik Ki Aatmakatha
- Author Name:
C.N.R. Rao
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Achchhe -Achchhe Nibandh
- Author Name:
Prithvi Nath Pandey
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक विद्यार्थियों की क्षमता और उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है । ' अच्छे- अच्छे निबंध ' विद्यार्थियों के लिए एक सरल, रोचक और आकर्षक पुस्तक है । इसके साथ ही इसमें विषय, रुचि तथा ज्ञान—इन तीनों का विशेष ध्यान रखा गया है । प्रश्नपत्रों में जिस तरह के निबंध लिखने के लिए आते हैं, उन सबको इस पुस्तक में सम्मिलित किया गया है ।इस पुस्तक की विशेषता यह है कि इसमें दिए गए निबंधों के अध्ययन से विद्यार्थी अपने विचार प्रकट कर सकता है और साथ ही अन्य किसी भी विषय पर निबंध लिखने में समर्थ हो सकता है ।निबंध लेखन में निबंध के चारों भागों -शीर्षक, प्रस्तावना ( भूमिका), विस्तार तथा उपसंहार ( निष्कर्ष) में बाँटकर निबंध के भाव को पूरी तरह प्रकट करने का प्रयास किया गया है ।अच्छी भाषा के लिए अच्छे- अच्छे निबंध ।
Idgah
- Author Name:
Premchand
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Laharon ki Goonj & Suraj ki Pahali Kiran
- Author Name:
Tara Meerchandani
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Nalin Rachanawali : Vols. 1-5
- Author Name:
Vinod Tiwari
- Book Type:

-
Description:
1. आलोचक, लेखक, अध्यापक, सम्पादक नलिन विलोचन शर्मा का हिन्दी साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान है। आलोचना, कविता, कहानी, निबन्ध, अनुवाद, पुस्तक समीक्षा आदि सभी विधाओं में उनकी लेखनी अबाध गति से चली है। वे आधुनिकता के प्रबल प्रवक्ता थे तो परम्परा के भी उतने ही गहरे जानकार थे। प्रगतिवाद बनाम आधुनिकता के विवाद से अलग वे आलोचना के एक तीसरे धरातल की खोज में रत रहे। शिविरबद्धता के विरुद्ध उनका तीक्ष्ण आलोचनात्मक संघर्ष रहा।
उन्होंने संस्कृत की शास्त्रीय आलोचना और पश्चिम की आलोचना-पद्धति का गहरा अध्ययन किया लेकिन उनमें से किसी का अनुसरण करने के बजाय अपने लिए नई आलोचना-पद्धति की तलाश की। उन्हें हिन्दी का पहला आधुनिक आलोचक माना जाता है। परम्परा और आधुनिकता-सम्बन्धी उनकी विद्वत्ता, चिन्तन-मनन और दृष्टिकोण के चलते उचित ही उन्हें ‘हिन्दी का इलियट’ कहा गया है।
उन्होंने बहुत ज्यादा नहीं लिखा। लेकिन जो कुछ लिखा उसका महत्व असन्दिग्ध है। उनके आलोचनात्मक लेखों, टिप्पणियों, डायरी-अंशों, नोटबुक की टीपों, आदि से पता चलता है कि हर तरह की ज्ञान-सरणी से उनका बहुत ही अच्छा संवाद था। यह रचनावली एक प्रयास है नलिन जी के चिन्तन और उनकी साहित्य-दृष्टि के साक्ष्य, उनके लेखन को एक स्थान पर उपलब्ध कराने का।
रचनावली के इस पहले खंड में उनकी सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मानी जानेवाली कृति साहित्य का इतिहास-दर्शन को प्रस्तुत किया गया है। नलिन जी मानते थे कि साहित्येतिहास भी बाकी इतिहासों की तरह, कुछ विशिष्ट लेखकों और उनकी कृतियों का इतिहास नहीं होता, बल्कि युग-विशेष के लेखक-समूह की कृति-समष्टि का इतिहास होता है। उन्होंने गौण लेखकों को भी इतिहास में समुचित स्थान देने की बात की और कहा कि इतिहास का विषय यदि विस्तार है तो महान लेखकों से ज्यादा अहमियत उन गौणों को दी जानी चाहिए जो उस विस्तार को सम्भव करते हैं।
आलोचक, लेखक, अध्यापक, सम्पादक नलिन विलोचन शर्मा का हिन्दी साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान है। आलोचना, कविता, कहानी, निबन्ध, अनुवाद, पुस्तक समीक्षा आदि सभी विधाओं में उनकी लेखनी अबाध गति से चली है। वे आधुनिकता के प्रबल प्रवक्ता थे तो परम्परा के भी उतने ही गहरे जानकार थे। प्रगतिवाद बनाम आधुनिकता के विवाद से अलग वे आलोचना के एक तीसरे धरातल की खोज में रत रहे। शिविरबद्धता के विरुद्ध उनका तीक्ष्ण आलोचनात्मक संघर्ष रहा।
जिन कार्यों को आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और उनकी धारा के आलोचकों ने अनावश्यक जानकर छोड़ दिया था, उसकी क्षतिपूर्ति नलिन जी ने अपनी आलोचना में की। यही एक आलोचक के रूप में उनकी उपलब्धि है। मसलन गौण कवियों के महत्त्व का रेखांकन, तात्त्विक शोध, उपन्यास की सैद्धान्तिक और व्यावहारिक आलोचना का विकास, प्रेमचन्द का कलात्मक दृष्टि से और परम्परा का आधुनिकता की दृष्टि से मूल्यांकन और तत्पश्चात् एक निष्कर्ष देना।
‘नकेन’ के कवि केसरी कुमार के शब्दों में, ‘नलिन जी वर्तमान पीढ़ी के सर्वतोमुखी लेखक थे। विज्ञान और दर्शन के मिलन-बिन्दु के विरल कवि...प्रत्येक रचना के भीतर से उसके मूल्यांकन का निष्कर्ष निकालने वाले और इस प्रकार अपनी उद्भावनाओं से रचनात्मक सम्भावनाओं के विकसित स्तर को उपजीव्य बनाते हुए आलोचना को सर्जनात्मक स्थापत्य देने वाले समीक्षा-शिल्पी।’
रचनावली के इस दूसरे खंड में उनके आलोचनात्मक लेख संकलित हैं। आलोचना के विषय में नलिन जी का मानना था कि यह उतनी ही सृजनात्मक है जितना किसी रचनात्मक कृति का निर्माण : ‘आलोचना और साहित्य-सृजन में अन्तर शायद इसलिए मान लिया गया है कि आलोचना मात्र कला ही नहीं, वह विज्ञान भी है। साहित्यालोचन जहाँ तक विज्ञान है, वह कृति-विशेष का परीक्षण करता है। उसका गुण-दोष निरूपण करता है और आवश्यकतानुसार नवीन सिद्धान्तों की उद्भावना भी करता है।’
आलोचक, लेखक, अध्यापक, सम्पादक नलिन विलोचन शर्मा का हिन्दी साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान है। आलोचना, कविता, कहानी, निबन्ध, अनुवाद, पुस्तक समीक्षा आदि सभी विधाओं में उनकी लेखनी अबाध गति से चली है। वे आधुनिकता के प्रबल प्रवक्ता थे तो परम्परा के भी उतने ही गहरे जानकार थे। प्रगतिवाद बनाम आधुनिकता के विवाद से अलग वे आलोचना के एक तीसरे धरातल की खोज में रत रहे। शिविरबद्धता के विरुद्ध उनका तीक्ष्ण आलोचनात्मक संघर्ष रहा।
नलिन जी ने समीक्षा को अत्यन्त उत्तरदायित्वपूर्ण काम मानते हुए न सिर्फ प्रेमचन्द, शुक्ल, निराला आदि रचनाकारों पर बहुत प्रभावशाली आलोचना लिखी बल्कि अपने समकालीन रचनाकारों की रचनाओं पर भी लिखा और उनके माध्यम से आलोचना के कुछ प्रतिमान गढ़ने का प्रयास किया। आधुनिक उपन्यास के विषय में उनका कहना था कि इसे सुबन्धु, दंडी, बाणभट्ट की लुप्त परम्परा के तहत पुनर्जीवित नहीं किया गया बल्कि यह साहित्य का वह पौधा था जिसे अगर सीधे पश्चिम से नहीं लिया गया तो भी उसका बांग्ला कलम तो जरूर लिया गया था। वे कहते थे, समृद्धि और ऐश्वर्य की सभ्यता महाकाव्य में अभिव्यक्ति पाती है तो जटिलता, वैषम्य और संघर्ष की सभ्यता उपन्यास में।
इस तीसरे खंड में उनके द्वारा लिखे गए सम्पादकीय, फुटकर आलेख, नोट्स, समीक्षाएँ और कुछ पुस्तकों की उनके द्वारा लिखी गई भूमिकाएँ संकलित हैं। ये सम्पादकीय 'दृष्टिकोण' और 'साहित्य' त्रैमासिक के 1950-60 की अवधि में लिखे गए। इन सम्पादकीयों में उन्होंने हिन्दी के शोध, भाषा, लिपि, हिन्दी-टंकण, आवरण-सज्जा और लेखकों के सरोकारों पर लिखा है। वे हिन्दी को सिर्फ साहित्य की नहीं, बल्कि तमाम ज्ञान-विज्ञान की भाषा बनाना चाहते थे।
इस खंड में संकलित सामग्री का महत्त्व यह है कि इनके मार्फत हम नलिन जी के अध्यवसाय के साथ-साथ उनके रूप में एक आलोचक और शिक्षक की तैयारी से रूबरू होते हैं।
4 आलोचक, लेखक, अध्यापक, सम्पादक नलिन विलोचन शर्मा का हिन्दी साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान है। आलोचना, कविता, कहानी, निबन्ध, अनुवाद, पुस्तक समीक्षा आदि सभी विधाओं में उनकी लेखनी अबाध गति से चली है। वे आधुनिकता के प्रबल प्रवक्ता थे तो परम्परा के भी उतने ही गहरे जानकार थे। प्रगतिवाद बनाम आधुनिकता के विवाद से अलग वे आलोचना के एक तीसरे धरातल की खोज में रत रहे। शिविरबद्धता के विरुद्ध उनका तीक्ष्ण आलोचनात्मक संघर्ष रहा।
नलिन जी कहानी को ‘शोधना’ समझते थे। उनके मुताबिक ‘कहानीकार बिन्दु में केन्द्रित विराट और पूर्ण सत्य का उद्घाटन करता है। कहानीकारों के दो काम होते हैं—बिन्दु फैले नहीं और बिन्दु पर से निगाह विचले नहीं। पिंड में ब्रह्मांड का सत्य देख लेना कृच्छ्र-साधना है, यह संत ही नहीं कहानीकार भी जानते हैं।’ यही उनके कहानीकार की आधार-भूमि थी। जितने समय में कुछ लोगों ने उपन्यास पूरे कर लिए उतना समय उन्होंने एक-एक कहानी को दिया। उनका कहानी-लेखन ढाई दशकों में फैला है। इस दौरान कई कहानी आन्दोलन चले लेकिन उन्होंने खुद को उनसे अलग रखा। उनकी कहानियों में सामाजिक समस्याएँ, मनुष्य की मनोग्रन्थियाँ, यौन-मनोविज्ञान और प्रेम जैसे विषय प्रमुख हैं।
कविता में प्रयोगवाद के बरक्स ‘नकेनवाद’ जैसी अवधारणा का सूत्रीकरण नलिन जी ने ही अपने सहयोगी कवियों केसरीकुमार और नरेश के साथ मिलकर किया जिसका उद्देश्य, उनके अनुसार, प्रयोगवाद की आत्मा की रक्षा था। वे अनुवाद में भी दखल रखते थे। मुख्यतः अंग्रेजी से हिन्दी में किए गए उनके अनुवादों को मानक के तौर पर देखा गया। उनका आत्मपरक लेखन उनके व्यक्तिगत और रचनात्मक जीवन का महत्त्वपूर्ण संकेतक है।
रचनावली के इस चौथे खंड में नलिन जी की सभी उपलब्ध कहानियाँ, कविताएँ, संस्मरण, निबन्ध, डायरी, अनुवाद और साक्षात्कार सम्मिलित किए गए हैं।
5. आलोचक, लेखक, अध्यापक, सम्पादक नलिन विलोचन शर्मा का हिन्दी साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान है। आलोचना, कविता, कहानी, निबन्ध, अनुवाद, पुस्तक समीक्षा आदि सभी विधाओं में उनकी लेखनी अबाध गति से चली है। वे आधुनिकता के प्रबल प्रवक्ता थे तो परम्परा के भी उतने ही गहरे जानकार थे। प्रगतिवाद बनाम आधुनिकता के विवाद से अलग वे आलोचना के एक तीसरे धरातल की खोज में रत रहे। शिविरबद्धता के विरुद्ध उनका तीक्ष्ण आलोचनात्मक संघर्ष रहा।
उन्होंने भाषा और साहित्य को अलग-अलग करके नहीं देखा। इस दृष्टि से हम नलिन जी के अंग्रेजी में लिखे साहित्य को देखते हैं तो पाते हैं कि उनमें औपनिवेशिक दौर की भाषाई हीनता या श्रेष्ठता की ग्रन्थि नहीं है।
रचनावली के इस पाँचवें और अन्तिम खंड में नलिन जी की अंग्रेजी में लिखी रचनाएँ रखी गई हैं जिनमें तीन कहानियाँ, दो साहित्य और संस्कृति पर लिखे गए वैचारिक निबन्ध और किसी रचनाकार या शख्सियत पर लिखी एकमात्र प्रबन्ध पुस्तक जगजीवन राम शामिल हैं। यह बाबू जगजीवन राम की जीवनी है जो जगजीवन राम अभिनन्दन समिति, पटना के लिए 1954 में लिखी गई। यह जीवनी और इस खंड की अन्य रचनाओं को देखने-पढ़ने के बाद ‘क्लासिक’ अंग्रेजी का जो एक सहज प्रवाह मिलता है, कहीं-कहीं ‘सबलाइम्स’ की जो बानगी मिलती है, उससे नलिन जी की अंग्रेजी का पता चलता है।
नलिन जी द्वारा लिखित इस जीवनी पर गांधीवाद का प्रभाव है। इसलिए बाबू जगजीवन राम को एक 'हरिजन' नेता के रूप में ही इस जीवनी में चित्रित किया गया है। आज कुछ लोग इस किताब को बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के विरोध में भी रेखांकित कर सकते हैं लेकिन देशकाल में जाकर देखेंगे तो पाएँगे कि यह जीवनी उनके विरोध में नहीं बल्कि उनके मूल्यों और प्रतिमानों के सहयोग में ही है।
Sabke Apne Bapu
- Author Name:
Shobha Mathur Brijendra
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Innovation, Kanoon Aur Garibi
- Author Name:
Robert D. Cooter +1
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Saral Ganit
- Author Name:
Shriniwas Rao
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Swami Vivekananda Torchbearer of the Master-Disciple Relationship
- Author Name:
Sirshree
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Captain Saurabh Kalia
- Author Name:
Risshi Raj
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Bharat ki Rajneeti ka Uttarayan
- Author Name:
Suryakant Bali
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Ayurveda va Yoga Dwara Vazan Ghatayen
- Author Name:
Dr. Vinod Verma
- Book Type:

- Description: "डॉ.एस. राधाकृष्णन ने हिंदू धर्म के केंद्रीय सिद्धांतों, इसके दार्शनिक और आध्यात्मिक सिद्धांत, धार्मिक अनुभव, नैतिक चरित्र और पारंपरिक धर्मों की व्याख्या की है। हिंदू धर्म परिणाम नहीं एक प्रक्रिया है, विकसित होती परंपरा है, न कि निश्चित रहस्योद्घाटन—जैसा कि अन्य धर्मों में होता है। उन्होंने ईसाई धर्म, इसलाम और बौद्ध धर्म की तुलना हिंदू धर्म के संदर्भ में की है और इस बात पर बल दिया है कि इन धर्मों का अंतिम उद्देश्य सार्वभौमिक स्वयं की प्राप्ति है। धर्म को लेकर राधाकृष्णन का विश्लेषण परम बौद्धिक और संतुलित है तथा उनके व्याख्यानों को विश्व भर में हार्दिक प्रतिक्रिया मिली है। इस पुस्तक के लेख इस महान् दार्शनिक के मन को प्रतिबिंबित करते हैं, जिनका अभिवादन एक और विवेकानंद के रूप में किया गया है। हिंदू धर्म का विहंगम दिग्दर्शन करानेवाली पठनीय पुस्तक।
Main Ambedkar Bol Raha Hoon
- Author Name:
Dinkar Kumar
- Book Type:

- Description: “जो कुछ मैं कर सका, वह जीवन भर मुसीबतें सहन करके विरोधियों से टक्कर लेने के बाद कर पाया हूँ। जिस कारवाँ को आप यहाँ देख रहे हैं, उसे मैं अनेक कठिनाइयों से यहाँ ला पाया हूँ। अनेक अवरोधों, जो इसके मार्ग में आ सकते हैं, के बावजूद इस कारवाँ को बढ़ते रहना है। अगर मेरे अनुयायी इसे आगे ले जाने में असमर्थ रहे तो उन्हें इसे यहीं पर छोड़ देना चाहिए, जहाँ पर यह अब है; पर किन्हीं भी परिस्थितियों में इसे पीछे नहीं हटने देना है। मेरी जनता के लिए मेरा यही संदेश है।”
"कितने गाजी आए कितने गाजी गए" Kitne Ghazi Aaye, Kitne Ghazi Gaye (Hindi Version) Book In Hindi
- Author Name:
Lt Gen. K.J.S. ‘Tiny’ Dhillon
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Sarvswant
- Author Name:
Saketanand
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Hurry! Limited-Time Coupon Code
Logout to Rachnaye
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.