Gadya Ki Pahchan

Gadya Ki Pahchan

Author:

Arun Prakash

Language:

Hindi

Category:

Other

0 Reviews

Price: ₹ 287

350

Available

Format:

Quantity

-

1

+
About
Book Details

अरुण प्रकाश ने स्पष्ट किया है कि हिंदी में किस तरह 'विधा' का इस्तेमाल 'फॉर्म' और 'जेनर' दोनों अर्थों के लिए होता है। उनके अनुसार उपन्यास एक रूपबंध है जिसकी कई विधाएँ हो सकती हैं। मुख्य बात है, विधाओं या रूपबंधों की सैद्धांतिक कहानी उद्ïघाटित करना, जो 'गद्य की पहचान' में बड़े विस्तार और रोचक ढंग से है। पश्चिम के साहित्यिक सिद्धांतकारों ने फॉर्म और जेनर पर बड़े-बड़े काम किए हैं। मेरे देखने में हिंदी में इधर इस ढंग का यह पहला काम है, जिसमें कुछ बुनियादी सवाल उठाए गए हैं। इस संग्रह के निबंधों में अरस्तू से लेकर बाख्तिन, रोलां बार्थ, तोदोरोव, देरिदा आदि तक के विचारों पर चर्चा है। यह जानने की चीज है कि आखिरकार कोई रूपबंध क्यों अस्तित्व में आता है, किसी युग में कुछ खास रूपबंध या विधाएँ प्रधान क्यों हो उठती हैं, जीवनी जैसा प्राचीन रूपबंध अब भी क्यों जीवित है, जबकि महाकाव्य जैसा शक्तिशाली रूपबंध मर गया, क्या इस रूपबंध की कुछ सीमाएँ और नियम हैं, मिश्रण या संकरता क्यों घटित होती है, क्या नए रूपबंध या विधाएँ पुरातन के ही कायांतर हैं, चिर-परिचित रूपबंध पाठकीय मनोविज्ञान पर कैसा प्रभाव डालते हैं, साहित्यकार किसी रूपबंध से कितना रेजिमेंटेड होता है और कितना उसे तोड़कर नई जमीन देता है—अरुण प्रकाश ने ऐसे ढेरों प्रश्नों की रोशनी में गद्य की पहचान की है। शंभुनाथ (भूमिका से)

ISBN: 9788196981594

Pages: 184

Avg Reading Time: 6 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

Customer Reviews

0 out of 5

Book

Hurry! Limited-Time Coupon Code

WORDPOWER
* Terms and Conditions applied.

Offers

Best Deal

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.

whatsapp