Best Management Quotes
Author:
Suresh Mohan SemwalPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
EnglishCategory:
Other0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Available
Awating description for this book
ISBN: 9789351869214
Pages: 192
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Stella
- Author Name:
Neelam Saxena Chandra
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Now It Can Be Told
- Author Name:
A.N. Bali
- Book Type:

- Description: ‘Now It Can Be Told’ is the story of deception and glory which some political leaders in India surrounded themselves with to cover their erroneous policy decisions and acts of omission and commission, which were responsible for plunging Bengal and Punjab into troubled waters. After Partition, Hindus of Punjab in general and Sikhs in particular have complained about their problems remaining unaddressed; they blame the leaders for throwing them to the wolves in their quest for grabbing power. The Sikhs have suffered the most grievously. From being rulers of Punjab that spanned from Delhi to Khyber Pass, a little more than a century ago; they have for the past two years become wanderers. Unable to call a single district of Punjab as their home. Can there be a single instance cited, where a strong and large religious community like the Sikhs lost the Holiest of its places to others? This book is a faithful account of day-to-day occurrences in Lahore and other parts of Punjab during the critical period of 1947 when the fate of India was being decided by its leaders and at a time when Punjabi Sikhs and Hindus underwent untold miseries and hardship. This book should be treated more as a souvenir of Partition than as a treatise on history. This book is being reproduced without any editing or changes. It is an important document for understanding the circumstances and facts during Partition. Only the lot of the refugees is unenviable. The glow of freedom is certainly not found on their faces. They have lost their everything; their homes and hearths, their kith and kin, their properties, moveable and immovable, their religious shrines and sacred places hallowed by the blood of their martyrs and their accustomed ways of life and living. With their scanty resources dwindling fast, with the snail-like pace of rehabilitation and with the blasted career of their children staring them in the face, they are living in the daily dread of worse and worse things to come. The objective of writing this book is to rouse the conscience of the country, giving it a glimpse of the hell which the prosperous and proud people of North-West Pakistan had to suffer in those critical days and to appeal to the leaders to learn from their past mistakes and take determined and suitable measures in hand to undo the evil effects of the greatest ‘wrong’ of history.
Sabke Apne Bapu
- Author Name:
Shobha Mathur Brijendra
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Chuni Hui Bal Kahaniyan-I
- Author Name:
Ed. Rohitashva Asthana
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Ikkisveen Sadi Ke Bal Natak
- Author Name:
Prakash Manu
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Edgar Allan Poe Ki Lokpriya Kahaniyan
- Author Name:
Edgar Allan Poe
- Book Type:

- Description: एलेनोरा की सुंदरता और मासूमियत एक सेराफिम एंजेल की तरह थी, वह एक कुँआरी कन्या थी, जो कृत्रिमता से कोसों दूर थी और फूलों के बीच अपनी छोटी सी निर्दोष जिंदगी गुजार रही थी। उसके भीतर कोई छल-कपट नहीं था, सिर्फ एक गहरा जुनूनी अहसास था, जो सिर्फ दिल से महसूस किया जा सकता था। उसने मुझे अपने दिल की गहराइयों से देखा, जब हम घाटी में रंग-बिरंगी घास पर साथ में चल रहे थे। हमारे इस फैसले से जो बदलाव हुए थे, हम उसके बारे में बात कर रहे थे। उस दिन एक-दूसरे से लिपटे हुए, उसके बारे में लंबी बातचीत करने के दौरान एकबारगी तो उसकी आँखों में आँसू आ गए और वह उदास हो गई कि कहीं यह मानवता के खत्म होने से पहले के आखिरी पल तो नहीं, जो वे बिता रहे थे। वह उस पल केवल उन्हीं दुःख भरी बातों को लेकर बैठ गई, जो हमारी बातों के बीच में बार-बार उन छवियों जैसी उभर रही थी, जैसे कवि शिराज के गीतों के वाक्यांश की हर प्रभावशाली भिन्नता में बार-बार घटित होती थी। —इसी पुस्तक से एडगर एलन पो ने मृत्यु जैसे गूढ़ विषयों पर गहन चिंतन किया और इसे ही अपने लेखन का विषय बनाया। उनकी कहानियाँ मानवीय संबंधों के साथ-साथ कल्पनाओं की उड़ान, अय्यारी तथा जादूगरी की रोचकता से भरी हैं, जो पाठकों को बाँधे रखती हैं।
Hamara Jeevan Hamari Yadein
- Author Name:
Dr. Ramanand
- Book Type:

-
Description:
भारतीय समाज लगातार बदल रहा है। भारतीय समाज के सीमांत पर बसे सामाजिक समूह लगातार आगे बढ़ रहे हैं। उनके आगे बढ़ने की कहानी, उन समूहों के नायकों के आगे बढ़ने की कहानी से जुड़ी हुई है। ऐसे समूहों के आगे बढ़ने के कई रास्ते हैं और वो इन कई रास्तों से चलकर विकास के चौराहे पर पहुँचते हैं।
इन रास्तों पर चलने में उनकी सबसे ज्यादा मदद उनकी आकांक्षाएँ करती हैं और इन आकांक्षाओं का निर्माण तरह-तरह के प्रेरणाओं से होता है।
इनके आगे बढ़ने की कहानी, इनकी स्मृतियों, संस्मरणों और आत्मवृतों में संरक्षित रहती हैं। हमारा जीवन, हमारी यादें परियोजना के तहत ऐसे ही सामाजिक चरित्र के संघर्ष की गाथा संकलित कर पाठकों के समक्ष सहज और सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
Ambedkar Aur Modi: Sudharak Ke Vichar, Sadhak Dete Aakaar (Hindi Translation of Ambedkar & Modi: Reformer's Ideas, Performer's Implementation)
- Author Name:
Bluekraft Digital Foundation
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Drishya Aur Dhwaniyan : Khand���2-Har
- Author Name:
Sitanshu Yashashchandra
- Book Type:

-
Description:
गुजराती आदि भारतीय भाषाएँ एक विस्तृत सेमिओटिक नेटवर्क अर्थात् संकेतन-अनुबन्ध-व्यवस्था का अन्य-समतुल्य हिस्सा हैं। मूल बात ये है कि विशेष को मिटाए बिना सामान्य अथवा साधारण की रचना करने की, और तुल्य-मूल्य संकेतकों से बुनी हुई एक संकेतन-व्यवस्था रचने की जो भारतीय क्षमता है, उसका जतन होता रहे। राष्ट्रीय या अन्तरराष्ट्रीय राज्यसत्ता, उपभोक्तावाद को बढ़ावा देनेवाली, सम्मोहक वाग्मिता के छल पर टिकी हुई धनसत्ता एवं आत्ममुग्ध, असहिष्णु विविध विचारसरणियाँ/आइडियोलॉजीज़ की तंत्रात्मक सत्ता, आदि परिबलों से शासित होने से भारतीय क्षमता को बचाते हुए, उस का संवर्धन होता रहे। गुजराती में से मेरे लेखों के हिन्दी अनुवाद करने का काम सरल तो था नहीं। गुजराती साहित्य की अपनी निरीक्षण परम्परा तथा सृजनात्मक लेखन की धारा बड़ी लम्बी है और उसी में से मेरी साहित्य तत्त्व-मीमांसा एवं कृतिनिष्ठ तथा तुलनात्मक आलोचना की परिभाषा निपजी है। उसी में मेरी सोच प्रतिष्ठित (एम्बेडेड) है। भारतीय साहित्य के गुजराती विवर्तों को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में जाने बिना मेरे लेखन का सही अनुवाद करना सम्भव नहीं है, मैं जानता हूँ। इसीलिए इन लेखों का हिन्दी अनुवाद टिकाऊ स्नेह और बड़े कौशल्य से जिन्होंने किया है, उन अनुवादक सहृदयों का मैं गहरा ऋणी हूँ। ये पुस्तक पढ़नेवाले हिन्दीभाषी सहृदय पाठकों का सविनय धन्यवाद, जिनकी दृष्टि का जल मिलने से ही तो यह पन्ने पल्लवित होंगे।
—सितांशु यशश्चन्द्र (प्रस्तावना से)
''हमारी परम्परा में गद्य को कवियों का निकष माना गया है। रज़ा पुस्तक माला के अन्तर्गत हम इधर सक्रिय भारतीय कवियों के गद्य के अनुवाद की एक सीरीज़ प्रस्तुत कर रहे हैं। इस सीरीज़ में बाङ्ला के मूर्धन्य कवि शंख घोष के गद्य का संचयन दो खण्डों में प्रकाशित हो चुका है। अब गुजराती कवि सितांशु यशश्चन्द्र के गद्य का हिन्दी अनुवाद दो जि़ल्दों में पेश है। पाठक पाएँगे कि सितांशु के कवि-चिन्तन का वितान गद्य में कितना व्यापक है—उसमें परम्परा, आधुनिकता, साहित्य के कई पक्षों से लेकर कुछ स्थानीयताओं पर कुशाग्रता और ताज़ेपन से सोचा गया है। हमें भरोसा है कि यह गद्य हिन्दी की अपनी आलोचना में कुछ नया जोड़ेगा।" —अशोक वाजपेयी
Super Speed English Speaking Course
- Author Name:
Rashmeet Kaur
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Chanakyament
- Author Name:
Chandresh Makwana
- Book Type:

- Description: अपने हाथ में एक भी हथियार उठाए बिना एक साधारण शिक्षक ने एक पूरे साम्राज्य को उखाड़ फेंका, नंदवंश को नष्ट कर दिया और मौर्यवंश की स्थापना की। ऐसा क्या था उस शिक्षक के पास? सूक्ष्म संचालन शक्ति! कौन था वह शिक्षक? मूल नाम आचार्य विष्णुगुप्त, जिन्हें अपने पिता के नाम ‘चाणक’ से ‘चाणक्य’ नाम की उपाधि मिली थी। मैनेजमेंट के मामले में चाणक्य एक माइलस्टोन हैं, जिसे जो कोई भी पढ़ता है, उसे वह स्वीकार ही करना पड़ता है। मैनेजमेंट मानव जीवन का सबसे अनिवार्य हिस्सा है। जितने पहलू मानव जीवन के, उतने ही पहलू मैनेजमेंट के भी हैं। जब हम मैनेजमेंट शब्द को केवल व्यापार के संदर्भ में देखते हैं, तब वह बहुत संकुचित अर्थ दरशाता है। वास्तव में, मैनेजमेंट एक बहुत बड़ी चीज है, जो जीवन के हर पहलू को कवर करती है। हम देखते हैं कि मनुष्य हर क्षेत्र में सफलता के शिखर पर पहुँचना चाहता है...वह हर चरण में कुछ नया करना चाहता है, यही शाश्वत सत्य है और इसलिए जीवन के प्रत्येक चरण में मैनेजमेंट न केवल आवश्यक है, बल्कि अनिवार्य भी है। यह पुस्तक चाणक्य के ‘अर्थशास्त्र’ और ‘पूर्ण चाणक्यनीति’ पर आधारित है। इसमें से बुद्धिमान पाठकों को वह दृष्टि मिल जाएगी, जो वे चाहते हैं। शासक को शासन के संबंध में, व्यापारी को व्यवसाय के संबंध में, गृहस्थ को अपने घर के संबंध में और व्यवस्थापक को संचालन के संबंध में कुछ-न-कुछ तो मिल ही जाएगा।
Pramod Verma Samagra : Vols. 1-4
- Author Name:
Vishva Ranjan
- Book Type:

- Description: Pramod Verma Samagra : Vols. 1-4
Vinamrata
- Author Name:
Ramesh Pokhriyal 'Nishank'
- Book Type:

- Description: "विनम्रता मानव जीवन में सबसे शक्तिशाली और महत्त्वपूर्ण गुणों में से एक है। विनम्र होना विश्वास बनाने में मदद करता है और सीखने की सुविधा देता है, जो नेतृत्व और व्यक्तिगत विकास के प्रमुख पहलू हैं। नम्रता वस्तुतः वह भावना या दृष्टिकोण है, जहाँ आप स्वयं को विशेष महत्त्व न देकर अभिमान रहित, निस्स्वार्थ भाव से दूसरों की भलाई के विषय में तत्पर रहते हैं। पहली नजर में विनम्रता एक नकारात्मक गुण की तरह लग सकती है—एक ताकत के बजाय कमजोरी के संकेत की तरह, परंतु वास्तव में विनम्रता एक ऐसा गुण है, जो आपको दूसरों की अपेक्षा श्रेष्ठ स्थापित करते हुए आपके जीवन को बहुत आगे ले जाएगी। आइए, इसे दूसरे तरीके से देखें। जिस व्यक्ति में नम्रता का अभाव होता है, वह अपने बारे में सोचता है और खुद को दूसरों से ऊँचा और बेहतर देखता है। ऐसे व्यक्ति से सब बचना चाहते हैं। हम जिस अहंकार के युग में रहते हैं, उसमें विनम्रता की शक्ति छिपी हुई है, उसे व्यक्तित्व का हिस्सा बनाना अत्यंत आवश्यक है। विनम्रता के लिए अत्यधिक आत्मज्ञान, आत्मनियंत्रण और आत्मसम्मान की आवश्यकता होती है। चाहे व्यक्ति हो, संगठन हो या संस्था हो, विनम्रता से ही शिखर तक पहुँचा जा सकता है। इसलिए विनम्रता को सफलता का मूलमंत्र भी कहा गया है। अगर नेतृत्व विनम्र है तो सब लोगों को साथ लेकर चलने की कला का स्वतः ही विकास हो जाता है। जरूरत पड़ने पर सब की सलाह और सहयोग लेने की क्षमता भी विकसित हो जाती है।
BPSC Bihar Public Service Commission General Studies Combined Competitive Preliminary Exam (Solved Papers 1992–2023)
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Ramvilas Sharma Rachanawali (Part-2 Bhasha Aur Vigyan)
- Author Name:
Ramvilas Sharma
- Book Type:

-
Description:
भाषा, विचार, साहित्य, दर्शन, संस्कृति, इतिहास और समाजशास्त्र समेत मानव, उसके वर्तमान और भविष्य को लक्षित आलोचना के विराट व्यक्तित्व रामविलास शर्मा का लेखन न केवल परिमाण में विपुल है, बल्कि चिन्तन की लगभग सभी सम्भव दिशाओं में मौलिक दृष्टि तथा गहन अध्ययन से प्रसूत पथ-निर्देशक अवधारणाओं का विशाल आगार है।
उनको पढ़ना हिन्दी मेधा के शिखर से गुजरना है। साहित्य-रचना के मर्म तक पहुँचने के लिए उनकी आलोचकीय जिज्ञासा रस, लय, शब्द-संयोजन आदि की पड़ताल करते हुए भाषा-विज्ञान, भाषा-इतिहास और दर्शनशास्त्र तक पहुँची। मार्क्सवादी विश्व-दृष्टि उनके चिन्तन और विवेचन की अविचल आधारभूमि रही, लेकिन उसे भी उन्होंने अपनी सीमा नहीं बनने दिया।
आलोचना-समीक्षा करते समय उन्होंने सिद्धान्तों या प्रतिमानों को विशेष महत्त्व नहीं दिया। उनके अनुसार, 'प्रतिमान आलोचना की अग्रभूमि में स्थित नहीं हैं। प्रत्येक रचना अपना प्रतिमान गढ़ती है; आलोचक उसका अन्वेषण करते हुए रचनाकार की विश्व-दृष्टि, उसकी परिस्थिति, परिवेश और यथार्थ-चित्रण का मूल्यांकन करता है।’
यह रामविलास शर्मा रचनावली का दूसरा भाग है जिसमें उनके भाषा तथा भाषाविज्ञान सम्बन्धी लेखन को प्रस्तुत किया गया है। भाषा को लेकर भी रामविलास जी का अध्ययन व्यापक और विचारोत्तेजक रहा है जिसमें उन्होंने भावी अध्ययन तथा विचार-विमर्श के लिए कई नए प्रस्थान बिन्दु प्रस्तुत किए।
रचनावली के इस बीसवें खंड में रामविलास शर्मा के बहुचर्चित अध्ययन ‘भाषा और समाज’ को प्रस्तुत किया गया है। समाज के विकास के सन्दर्भ में भाषा का अध्ययन करते हुए उन्होंने इसमें भाषाविज्ञान और समाजविज्ञान की अनेक मान्यताओं का तर्क सहित खंडन-मंडन किया है। भाषा-सम्बन्धी अनेक व्यावहारिक समस्याएँ भी यहाँ उनके विवेचन का विषय बनी हैं।
रचनावली के इस इक्कीसवें खंड में रामविलास जी की बहुचर्चित कृति ‘भारत की भाषा-समस्या’ को प्रस्तुत किया जा रहा है। इस पुस्तक में भाषा-समस्या के विभिन्न पक्षों पर विस्तार से विचार करते हुए वे अन्य बिन्दुओं के साथ यह भी स्पष्ट करते हैं कि हिन्दी और उर्दू के मध्य एक बुनियादी एकता है और सभी जनपदीय बोलियाँ परस्पर सम्बद्ध हैं।
रचनावली के इस बाईसवें खंड में उनकी दो महत्त्वपूर्ण पुस्तकें ‘आर्य और द्रविड़ भाषा-परिवारों का सम्बन्ध’ तथा तीन जिल्दों में प्रकाशित ‘भारत के भाषा परिवार और हिन्दी’ का पहला खंड शामिल किया गया है। भाषा-सम्बन्धी उनके सुदीर्घ चिन्तन में इन पुस्तकों की विशेष महत्ता रही है।
रचनावली के इस तेईसवें खंड में ‘भारत के प्राचीन भाषा-परिवार और हिन्दी’ का दूसरा खंड प्रस्तुत किया जा रहा है। इस पुस्तक में उन्होंने इण्डो-यूरोपियन भाषा-परिवार की भारतीय पृष्ठभूमि का विस्तृत विश्लेषण किया है। वे बताते हैं कि हिन्दी का विकास एक ‘वृहत्तर विकास-प्रक्रिया का अंग है’ और इसे समझने के लिए केवल संस्कृत की पृष्ठभूमि पर्याप्त नहीं है।
रचनावली के इस चौबीसवें खंड में ‘भारत के प्राचीन भाषा-परिवार और हिन्दी’ शीर्षक उनके विशद अध्ययन का तीसरा खंड प्रस्तुत है। इस पुस्तक में नाग, द्रविड़ और कोल भाषा-परिवारों व हिन्दी प्रदेश की विशेषताओं का विवेचन किया गया है। भारतीय व्याकरण परम्परा तथा भाषाविज्ञान और भौतिकवाद विषयक चिन्तन भी इस खंड का हिस्सा है।
Parmarth Hi Jeevan
- Author Name:
Ram Sahay
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
BPSC General Studies (SAMANYA ADHYAYAN) Guide by Dr. Virendra Prasad (IAS)
- Author Name:
Dr. Virendra Prasad (Ias)
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Reshmi Khwabon Ki Dhoop Chhaon
- Author Name:
Prahlad Agarwal
- Book Type:

- Description: यश चोपड़ा रूमान के जादूगर थे। उन्होंने हिन्दी सिनेमा में तीन पीढ़ियों के साथ सफ़र किया। जब यश चोपड़ा ने अपनी रचना-यात्रा शुरू की तब महबूब, बिमल राय, राजकपूर, गुरुदत्त, विजय आनन्द वग़ैरह का गौरवगान था और फिर वे सूरज बड़जात्या, करन जौहर, संजय लीला भंसाली, राम गोपाल वर्मा और आशुतोष गोवारीकर जैसे फ़िल्मकारों की पीढ़ी के साथ सृजनरत रहे। इस पीढ़ी के साथ सफ़र करते हुए उन्होंने ‘डर’, ‘दिल तो पागल है’ और ‘वीर जारा’ जैसी फ़िल्में बनाईं जिनसे वे सिर्फ़ रोमान के बादशाह ही साबित नहीं हुए—वरन् नई पीढ़ी के साथ इस तरह खड़े हुए कि उसके मार्गदर्शक भी बन गए। पर हमारे इस आख्यान के कथानायक मात्र ‘निर्देशक’ यश चोपड़ा हैं। वे फ़िल्म निर्देशक होने के साथ ही और भी बहुत कुछ थे। फ़िल्म-निर्माता से लेकर स्टूडियो के मालिक तक और फिर फिल्मोद्योग के एक एम्बेसेडर की तरह भी उन्हें देखा गया। इन तमाम रूपों के बीच से यह सिर्फ़ उस यश चोपड़ा का क़िस्सा है जिसने 1959 से 2004 के बीच पैंतीस सालों में इक्कीस फ़िल्मों का निर्देशन किया और अपने जीवनकाल में ही अपनी विरासत को अगली पीढ़ी के हाथों सौंप दिया और उसे अपने ज़माने से भी अधिक फलता-फूलता देखा।
Safal Businessman Kaise Banen?
- Author Name:
Dinanath Jhunjhunwala
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Hindi Varnamala ke Akshar "हिंदी वर्णमाला के अक्षर" Color Book
- Author Name:
Niharika
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...