Aap Bhi Ameer Ban Sakte Hain
Author:
Joseph MurphyPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Other0 Reviews
Price: ₹ 360
₹
450
Available
Awating description for this book
ISBN: 9789353225360
Pages: 224
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Oliver Twist
- Author Name:
Charles Dickens
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
37 Years NEET Chapterwise & Topicwise Solved Papers Physics (2024-1998) | As Per NCERT Class 11 & 12 Include New Syllabus PYQs Question Bank For 2025 Exam
- Author Name:
Subhash Jain
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Dharma Aur Vigyan
- Author Name:
Dr. Hariprasad Somani
- Book Type:

- Description: "भारतीय संस्कार, रीति-रिवाज, परंपराएँ, प्रथाएँ एवं धार्मिक कृत्य शास्त्रीय हैं या ऐसा कहें कि अपना धर्म और शास्त्र एक ही सिक्के के दो बाजू हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। अपने ऋषियों और प्राचीन काल के निष्णात गुरुओं ने अपनी अंतरात्मा की अनंत गहराई में उतरकर चेतना का जाग्रत् आनंद लिया था। अपने अंतर्ज्ञान के अनुभव और आध्यात्मिक परंपराओं को संस्कार एवं संस्कृति के रूप में उन्होंने जनमानस में वितरित किया। परंपराएँ तो चलती जा रही हैं, किंतु इनके मूल ज्ञान और मूल आधार से हम अनभिज्ञ होते जा रहे हैं। भारतीयों को गुलामी झेलनी पड़ी। विशेष करके मुगलों के शासन काल में काफी धार्मिक अत्याचार सहने पड़े। हिंदुओं को धर्म-परिवर्तन के लिए बाध्य किया जाने लगा। इसलिए उस समय के धार्मिक गुरुओं ने अपनी संस्कृति बचाने के लिए हर कर्म को धार्मिक रूप दे दिया, जिससे धर्म के नाम पर ही सही, जो संस्कार ऋषि-मुनियों ने दिए थे, उन्हें हमारे पूर्वज अपनाकर, अपनी धरोहर मानकर, सँजोकर रखने में सफल रहे। समय के साथ इन प्रथाओं ने धार्मिक विधि का रूप ले लिया और बिना कुछ सोचे-समझे ही धर्म की आज्ञा मानकर ये रीतियाँ चलती रहीं। किंतु आज की युवा पीढ़ी हर कर्म, विधि या संस्कार को मानने से पूर्व इसके पीछे क्या कारण है, यह जानने को उत्सुक है। हिंदू धर्म की विभिन्न परंपराओं और प्रथाओं को वैज्ञानिकता के आधार पर प्रमाणित करती पठनीय पुस्तक। "
Lok Seva Mein Naitikta : 100 Case Studies Sahit
- Author Name:
Alok Ranjan
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Birbal Sahni
- Author Name:
Anil Kumar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Kalpantak Yogi Brahmarishi Devraha Baba Jivan Parichay Book In Hindi
- Author Name:
Amit Kumar Pandey
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
The Great Bank Scam: Mystery of A Digital Robbery
- Author Name:
Ajay Mohan Jain
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Divya Garbha Sanskar Vigyan : Garbha Vidya—Ancient Wisdom to Smart Mothers for Super-Child Birth
- Author Name:
Dr. Usha Rajender Pensiya
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Nirala Rachanawali : Vols. 1-8
- Author Name:
Suryakant Tripathi 'Nirala'
- Book Type:

-
Description:
निराला “आरम्भ से ही विद्रोही कवि के रूप में हिन्दी में दिखाई पड़े। गतानुगतिकता के प्रति तीव्र विद्रोह उनकी कविताओं में आदि से अन्त तक बना रहा। व्यक्तित्व की जैसी निर्बाध अभिव्यक्ति इनकी रचनाओं में हुई है, वैसी अन्य छायावादी कवियों में नहीं हुई।...सर्वत्र व्यक्तित्व की अत्यन्त पुरुष अभिव्यक्ति ही निराला की कविताओं का प्रधान आकर्षण है। फिर भी विरोधाभास यह है कि निराला में अपने व्यक्तित्व को सबसे अलग करके अभिव्यक्त करने की चेतना सबसे कम है।...यह ध्यान देने की बात है कि निराला जी के आरम्भिक प्रयोग छन्द के बन्धन से मुक्ति पाने का प्रयास है। छन्द के बन्धनों के प्रति विद्रोह करके उन्होंने उस मध्ययुगीन मनोवृत्ति पर ही पहला आघात किया था जो छन्द और कविता को प्राय: समानार्थक समझने लगी थी।...परन्तु निराला जी ने जब छन्दों के प्रति विद्रोह किया तो उनका उद्देश्य छन्द की अनुपयोगिता बताना नहीं था। वे केवल कविता में भावों की—व्यक्तिगत अनुभूति के भावों की—स्वछन्द अभिव्यक्ति को महत्त्व देना चाहते थे। जिसे वे मुक्तछन्द कहते थे, उसमें भी एक प्रकार की झंकार और एक प्रकार का ताल विद्यमान है। परिमल की जिन रचनाओं में वस्तु-व्यंजना की ओर कवि का ध्यान है, उनमें उनका व्यक्तित्व स्पष्ट नहीं हुआ किन्तु ‘तुम और मैं’, ‘जूही की कली’ जैसी कविताओं में उनकी कल्पना उनके आवेगों के साथ होड़ करती है। यही कारण है कि ये कविताएँ बहुत लोकप्रिय हुई हैं। बड़े कथात्मक प्रयोगों में निराला जी को अधिक सफलता मिली। वे पन्त की तरह अत्यधिक वैयक्तिकतावादी कवि नहीं हैं। बड़े आख्यानों—जैसे काव्य-विषय में उन्हें वस्तु-व्यंजना का भी अवसर मिला है और कल्पना के पंख पसारने का भी मौक़ा मिल जाता है। इसीलिए उनमें निराला अधिक सफल हुए हैं। ‘तुलसीदास’, ‘राम की शक्तिपूजा’ और ‘सरोज-स्मृति’ जैसी कविताएँ उनकी सर्वोत्तम कृतियाँ हैं। इनमें भाषा का
अद्भुत प्रवाह पाठक को निरन्तर व्यस्त बनाए रहता है। कल्पना यहाँ आवेगों के सामने फीकी लगती है।”—हजारी प्रसाद द्विवेदी
‘परिमल’, ‘गीतिका’, ‘अनामिका’ और ‘तुलसीदास’ नामक काव्यकृतियों को सँजोए हुए रचनावली का यह खंड महाकवि की पूर्ववर्ती काव्य-साधना का सजीव साक्ष्य प्रस्तुत करता है। विचार-समृद्ध भावोद्रेक और सहज उदात्त स्वर निराला-काव्य की विशिष्ट पहचान है और अपनी काव्य-साधना के माध्यम से उन्होंने वस्तुओं एवं घटनाओं के भीतर पैठकर असाधारण रूप से भावात्मक सत्य का सन्धान किया है।
New Delhi Times
- Author Name:
Gulzar
- Book Type:

- Description: साहित्य में मंज़रनामा एक मुकम्मिल फ़ॉर्म है। यह एक ऐसी विधा है जिसे पाठक बिना किसी रुकावट के रचना का मूल आस्वाद लेते हुए पढ़ सकें। लेकिन मंज़रनामा का अन्दाज़े-बयान अमूमन मूल रचना से अलग हो जाता है या यूँ कहें कि वह मूल रचना का इन्टरप्रेटेशन हो जाता है। मंज़रनामा पेश करने का एक उद्देश्य तो यह है कि पाठक इस फ़ॉर्म से रू-ब-रू हो सकें और दूसरा यह कि टी.वी. और सिनेमा में दिलचस्पी रखनेवाले लोग यह देख-जान सकें कि किसी कृति को किस तरह मंज़रनामे की शक्ल दी जाती है। टी.वी. की आमद से मंज़रनामों की ज़रूरत में बहुत इज़ाफ़ा हो गया है। चर्चित फिल्म ‘न्यू देहली टाइम्स’ का मंज़रनामा पाठक को समय, समाज और राजनीति के दबावों में नाना प्रकार के रूप धारण करते मीडिया से परिचित कराता है। सबकी ख़बर लेने और सबकी ख़बर देनेवाला मीडिया स्वयं बहुत सारे अन्तर्विरोधों से भरा हुआ है। ऐसे में उन मीडियाकर्मियों के संघर्ष और अन्तर्द्वन्द्व का अनुमान लगाया जा सकता है जो सत्य के पक्ष में खड़े हैं। यह मंज़रनामा दिन पर दिन जटिल होते ‘समाज’ और ‘सूचना समाज’ के रिश्तों का यथार्थवादी चित्रण करता है।
SAMVEDNA KI AADRATA
- Author Name:
Pushpita Awasthi
- Book Type:

- Description: Article
Shrimadbhagwadgita
- Author Name:
Dr. Jagmohan Sharma
- Book Type:

- Description: श्रीमद्भगवद्गीता संपूर्ण मानव जगत् के लिए प्रासंगिक है। यह एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें सृष्टि के समस्त आध्यात्मिक पक्षों का समावेश किया गया है| इसमें संगृहीत सात सौ श्लोक सात महाद्वीपों के समान गंभीर हैं, जिन्हें समझकर भारतीय चिंतन का समस्त सार ज्ञात हो सकता है। युद्धभूमि में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया ज्ञान सार्वभौमिक है । उसमें किसी भी देश, धर्म, जाति के लिए समान रूप से कर्म का संदेश समाहित है । प्रस्तुत पुस्तक श्रीमद्भगवद्गीता के सात सौ श्लोकों का बहुत सुंदर शब्दों में दोहे रूप में रूपांतरण है । उदाहरण के लिए-- यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदाssत्मानं सृजाम्यहम्॥ दोहा-- हानि होय जब-जब धरम, अति अधर्म बढ़ जाय। हे भारत ! संसार में, तब-तब प्रकटूँ आय॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे ॥ दोहा-- पापी करूँ विनाश मैं, करूँ साधु उद्धार । युगों-युगों में प्रकटता, धर्म स्थापना सार ॥ मानवीय संबंधों और जीवनमूल्यों को वर्णित करती सरल-सहज कृति, जो हर पाठक के हृदय को छू लेगी और वे 'गीता-ज्ञान' से संपकृत हो जाएँगे।
Anand Versha
- Author Name:
Sudhir Kakkar
- Book Type:

- Description: ‘आनन्द-वर्षा’ एक रहस्यवादी के निर्माण और आध्यात्मिक पथ पर उसके आश्चर्यजनक अनुभवों की कथा है। यह दो ऐसे पुरुषों की कहानी भी है जिनका चरित्र एक-दूसरे से बिलकुल अलग है, लेकिन एक निर्णायक मुलाक़ात के बाद जिनके बीच एक दुर्लभ सम्बन्ध विकसित होता है। बुजुर्ग मध्वाचार्य जो सम्पूर्ण समर्पण और निर्द्वन्द्व भक्ति-भाव में डूबा है, युवा गोपाल का गुरु बनता है, जबकि गोपाल का विकास पश्चिमी तर्कवाद और इस विश्वास के साथ हुआ है कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता ख़ुद है। गुरु अपने शिष्य का परिचय आत्मा से कराता है और इस प्रकार उसके भीतर एक निहायत ही निजी युद्ध की शुरुआत कर देता है—युद्ध जो भावना और विवेक तथा विश्वास और तर्क के बीच चलता है। इस उपन्यास के विषय में ‘डकन हेराल्ड’ का मत है : “(यह कथा) कई स्तरों पर चलती है। इसमें अनेक रहस्य और व्याख्याएँ निहित हैं जो विचारोत्तेजक हैं, हमारे सामने कई उद्घाटन करती हैं और अन्ततः बहुत मानवीय हैं। यह हमें दैवीय के प्रति मनुष्य की चाह का सन्देश देती है। दैवीय जो मनुष्य में ही निहित है।’’ अंग्रेज़ी के प्रख्यात लेखक खुशवंत सिंह के अनुसार यह ‘अत्यन्त पठनीय’ पुस्तक है जिस पर ‘सभी गम्भीरचेता लोगों को ध्यान देना चाहिए।’
Neil Armstrong
- Author Name:
Rakesh Sharma
- Book Type:

- Description: नील आर्मस्ट्रांग पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सर्वप्रथम चंद्रमा पर अपना कदम रखा। 5 अगस्त, 1930 को संयुक्त राज्य अमेरिका के वापाकोनेटा, ओहियो में जनमे आर्मस्ट्रांग की रुचि शुरू से ही चंद्रमा, तारों और अंतरिक्ष में थी, इसलिए उन्होंने इसी को अपने कॅरियर के रूप में अपनाया। कुछ समय नौसेना में काम करने के बाद सन् 1955 में उन्होंने नेशनल एडवाइजरी कमेटी फॉर एयरोनॉटिक्स (एन.ए.सी.ए.) में कार्यारंभ किया। इसी कमेटी का नाम बाद में ‘नासा’ (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड रचेश एडमिनिस्टे्रशन) पड़ा। 16 मार्च, 1966 को जैमिनी-8 अभियान के तहत वे पहले-पहल अंतरिक्ष में गए। इसके बाद अपोलो-2 में बतौर कमांडर वे चंद्रमा की सतह पर उतरे और इतिहास रच दिया। नील ऑर्मस्ट्रांग को सैकड़ों पुरस्कार व सम्मान मिले, लेकिन उनकी अंतरिक्ष जितनी ऊँची पहुँच के आगे वे सब गौण रहे। 82 वर्ष की आयु में 25 अगस्त, 2012 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। एक महान् अंतरिक्षयात्री के साहसपूर्ण, खोजपूर्ण और रोमांचक जीवन की पूरी बानगी है यह पुस्तक।
Jyotsna Milan ki Lokpriya Kahaniyan
- Author Name:
Jyotsna Milan
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
1000 Patrakarita Evam Jansanchar Prashnottari
- Author Name:
S.P. Chaitanya
- Book Type:

- Description: वर्तमान युग में जन-संचार माध्यमों की भूमिका का क्षेत्र काफी विस्तृत हो गया है । आजादी के बाद के साठ वर्षों में जीवन के हर क्षेत्र में बदलाव आया है । आज अखबार मित्रता करना भी सिखा रहे हैं । अखबार उपहार दिलाते हैं, विदेश की सैर कराते हैं और नकद इनाम भी दिलाते हैं ।पत्रकारिता एवं जन-संचार के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व बदलाव आया है । प्रिंट मीडिया की आज देश के कोने-कोने तक पहुँच है । खोजी पत्रकारिता एवं स्टिंग ऑपरेशन आज खूब लोकप्रिय हैं । प्रेस का दायरा एवं दायित्व बहुत बढ़ गए हैं । लोकतंत्र में पत्रकारिता यानी मीडिया को चौथा स्तंभ माना जाता है ।आज की भागमभाग की जीवनचर्या में सभी के पास समय का अभाव है । दूसरे, आज हर क्षेत्र में प्रतियोगिता का बोलबाला है । इसी को ध्यान में रखकर पत्रकारिता जगत् की समस्त जानकारी वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के रूप में दी गई है । प्रस्तुत पुस्तक में जनसंचार के सिद्धांत प्रशिक्षण, पत्रकारिता का इतिहास, प्रिंट मीडिया, फोटो पत्रकारिता, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, रेडियो, टी.वी., केबल चैनल, कंप्यूटर, इंटरनेट, प्रेस कानून, विज्ञापन, स्टिंग ऑपरेशन, जनसंपर्क इत्यादि से संबंधित एक हजार प्रश्न दिए गए हैं ।प्रस्तुत पुस्तक विभिन्न विश्व- विद्यालयों में पढ़ाए जानेवाले पत्रकारिता एवं जन-संचार के पाठ्यक्रमों के आधार पर तैयार की गई है । निश्चय ही यह विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं सामान्य पाठकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध हो सकती है ।
Main Tilak Bol Raha Hoon
- Author Name:
Giriraj Sharan Agrawal
- Book Type:

- Description: "भारत माँ के अमर सपूत लोकमान्य बालगंगाधर तिलक एक संघर्षशील राजनेता थे। उन्होंने मृतप्राय भारतीय समाज को संघर्ष करने की प्रेरणा दी। इस संघर्ष से एक नए समाज का उदय हुआ, एक नए युग का आरंभ हुआ। स्वराज्य उनके लिए धर्म था, स्वराज्य उनके लिए जीवन था। स्वदेशी आंदोलन के लिए उन्होंने गणपति महोत्सव शुरू किया, भारतीयों को विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए तैयार किया। कोरे आदर्शवाद से लोकमान्य का संपर्क नहीं था। उन्होंने व्यावहारिक विषयों पर व्यावहारिक दृष्टिकोण से चिंतन किया। उनका चिंतन उनके कार्यों का आधार बना। लोकमान्य तिलक तत्कालीन शिक्षा-प्रणाली से पूर्णत: असंतुष्ट थे। तिलक चाहते थे कि हमारी शिक्षा-प्रणाली स्वतंत्र देश के समान हो। उन्होंने राष्ट्रीय एकता के लिए मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा दिए जाने पर जोर दिया। तिलक अपने तेज से एक पूरे युग को नई आभा से मंडित कर गए। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता-आंदोलन को केवल प्रेरणा ही नहीं दी, वरन् संघर्ष करने की एक निश्चित योजना भी दी। ऐसे अमर साधक, कर्मयोगी, राष्ट्ररक्षक और सत्य के प्रतिपालक लोकमान्य बालगंगाधर तिलक की विचारधारा से अपने देश की युवा पीढ़ी को परिचित कराने और प्रेरित करने का मंगलकारी संकल्प लेकर तैयार किया गया प्रस्तुत संकलन युवा पीढ़ी को समर्पित है। "
The Reverse Swing
- Author Name:
Ashok Tandon
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Ikigai
- Author Name:
Dr. Rashmi
- Rating:
- Book Type:

- Description: क्या है इकिगाई इकिगाई के बारे में कोई भी चर्चा मिएको कामिया के उल्लेख के बिना पूरी नहीं होगी, जिन्हें प्राय: ‘इकिगाई मनोविज्ञान की माँ’ कहा जाता है। वह इकिगाई के अध्ययन में अग्रणी लोगों में शामिल थीं और अपनी पुस्तक ‘इकिगाईनी- सुइत’ (क्या हमारे जीवन को जीने योग्य बनाता है) में उन्होंने अपने विचारों और शोध कार्य को प्रस्तुत किया है। पुस्तक को इकिगाई साहित्य में श्रेष्ठ ग्रंथों में माना जाता है, इस तथ्य के बावजूद कि यह सन 1966 में प्रकाशित हुई थी। —इसी पुस्तक से इकिगाई में जीवन में खुशियाँ समाई हैं। यह हमारे होने का कारण है। इकिगाई की मदद से आप जीवन में हर दिन संतुलन, प्रसन्नता और तृप्ति ढूँढ़ पाते हैं। इकिगाई मात्र एक जीवन-दर्शन या विचारधारा नहीं बल्कि एक परिवर्तनकारी मानव-अनुभव है। इकिगाई किसी कंपास की तरह कॅरियर और जीवन के फैसलों में राह दिखा सकता है।
Marathi Ki Lokpriya Kahaniyan
- Author Name:
Dr. Damodar Khadse
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...