Taqut Watan Ki Humse Hai
Author:
Rachna Bisht RawatPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
क्या आप जानते हैं कि सेना एक ऐसा पेशा है, जो आपको विचित्र चीजें करने की छूट देता है, जैसे स्काई डाइविंग, रैली ड्राइविंग, पर्वतारोहण, काम पर जाने के लिए हेलीकॉप्टर उड़ाने जैसा काम। आप किसी अन्य क्षेत्र में कल्पना कर सकते हैं क्या? आपको उस काम के लिए पैसा दिया जाता है, जिसे पूरा करने के लिए आप कहीं और खर्च करने के लिए तत्पर रहते हैं और संभव है कि वे अवसर जीवन में शायद कभी हाथ नहीं आते।
यह पुस्तक आपको बताएगी कि सेना के अधिकारी वास्तव में करते क्या हैं और इसके लिए 21 सैन्य अधिकारियों के जीवन की असल कहानियों के माध्यम से आपको रू-ब-रू कराया जाएगा। तथ्य यह है कि सेना के हर अधिकारी के पास दिलचस्प कहानी होती ही है बताने के लिए। लेकिन चूँकि उनको अपने काम और मिशनों के बारे में ज्यादा बात करने की छूट नहीं होती, इसलिए हम उनके तमाम साहसिक कारनामों के बारे में न सुन पाते हैं, न जान पाते हैं। ऐसा शायद पहली बार है, जबकि भारतीय फौजियों ने अपने हैरतअंगेज अनुभव साझा किए हैं।
युवाओं को उत्साहित करने की अद्भुत क्षमता रखनेवाली ये कहानियाँ उन्हें राष्ट्र-कार्य हेतु सक्रिय होने के लिए प्रेरित करेंगी।
ISBN: 9789353221126
Pages: 240
Avg Reading Time: 8 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Jahan Auratein Gadhi Jati Hain
- Author Name:
Mrinal Pande
- Book Type:

- Description: हिन्दी की वरिष्ठ कथाकार और पत्रकार मृणाल पाण्डे अपने लेखन में समय तथा समाज के गम्भीर मसलों को लगातार उठाती रही हैं। भारतीय स्त्रियों के संघर्ष और जिजीविषा को भी वे इसी व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखती–परखती रही हैं। यही कारण है कि स्त्री–प्रश्न के प्रति गहरी प्रतिबद्धता के बावजूद, उनका लेखन स्त्री–विमर्श के संकीर्ण दायरे में सिमटा हुआ नहीं है। वे ‘अन्दर के पानियों का सपना’ देखती हैं, तो ‘नारीवादी आन्दोलन की विडम्बना’ को भी उजागर करती हैं। इस पुस्तक में समय–समय पर लिखी गई उनकी टिप्पणियाँ और आलेख संकलित हैं। लेखिका ने राजनीति में ‘महिला सशक्तिकरण’ और ‘पंचायती राज में महिला भागीदारी’ जैसे बड़े सवालों के साथ–साथ कई छोटे–छोटे मसलों और प्रश्नों को भी उठाया है, जिनसे गुज़रते हुए एक ऐसा ‘हॉरर शो’ पाठकों के सामने उपस्थित होता है, जिसमें पुरुषवादी समाज की नृशंसता में फँसी स्त्री की छटपटाहटों के कई रूप दिखलाई देते हैं। इसमें सिर्फ़ पराजय ही नहीं, प्रतिकार की छटपटाहट भी है। करुणा के भीतर की बेचैनी को रेखांकित करना मृणाल पाण्डे के लेखन की ख़ास विशेषता है। एक पत्रकार के नाते वे हर छोटे–बड़े सवाल को शिद्दत के साथ उठाती हैं, लेकिन, अपने पात्रों को जड़ पदार्थ मानकर छोटा नहीं बनातीं, बल्कि एक लेखिका के नाते संवेदना के स्तर पर उनसे जुड़ जाती हैं—यही चीज़ मृणाल पाण्डे के लेखन को सबसे अलग और विशिष्ट बनाती है।
Aksharon Ki Kahanee
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: Aksharon Ki Kahanee-language teaching
Pashchatya Darshan Aur Samajik Antarvirodh
- Author Name:
Ramvilas Sharma
- Book Type:

-
Description:
यह पुस्तक लगभग ढाई हज़ार साल में फैले पाश्चात्य दर्शन के इतिहास को समेटती है। किन्तु उक्त ऐतिहासिक विकासक्रम का सिलसिलेवार अध्ययन करना इसका उद्देश्य नहीं है। इस लिहाज़ से देखें तो यह ध्यान में रखना होगा कि रामविलास जी उन इतिहासकारों में से नहीं थे, जो आँकड़ों को अतिरिक्त महत्त्व देते हैं। दर्शन के इतिहास से सम्बन्धित अनिर्णीत विवादों की विवेचना के लक्ष्य के मद्देनज़र रामविलास जी अपनी मान्यता प्रस्तुत करने में किसी दुविधा या हिचक का अनुभव नहीं करते। भाषाविज्ञान, पुरातत्त्व, इतिहास, समाजशास्त्र और साहित्य के अद्यतन ज्ञान से लैस होने तथा चिन्तन की द्वन्द्वात्मक पद्धति के सटीक विनियोग के परिणामस्वरूप उनके निष्कर्ष वैचारिक उत्तेजना तो पैदा करते ही हैं, रोचक और ज्ञानवर्द्धक भी होते हैं।
मानव-सभ्यता के विकास के क्रम में दर्शन का उद्भव और विकास कैसे हुआ? क्या यूनानी दर्शन के उद्भव के मूल में मिस्र, बेबिलोन, भारत, चीन आदि का भी योगदान था? समाज की ठोस अवस्थाओं के सापेक्ष सन्दर्भ के बिना क्या किसी दार्शनिक चिन्तन, किसी दार्शनिक धारा अथवा अवधारणाओं का अभिप्राय समुचित ढंग से समझा जा सकता है? इन प्रश्नों के अतिरिक्त, दर्शन को ज्ञान की अन्य शाखाओं और अनुशासनों के साथ किस प्रकार समझा जा सकता है, इस दृष्टि से भी पाश्चात्य दर्शन पर रामविलास जी का लेखन सार्थक और मूल्यवान है।
यूनानी दर्शन, रिनासां काल के चिन्तन, दार्शनिक प्रतिपत्तियों पर सामाजिक अन्तर्विरोध के प्रभाव, अधिरचना और बुनियाद के जटिल अन्तर्सम्बन्ध, एशिया-अफ़्रीका की सभ्यता के प्रति पश्चिमी दृष्टि के पूर्वग्रह आदि पर रामविलास जी दो टूक ढंग से अपनी बात कहते हैं।
हिन्दीभाषी लोगों के लिए यह पुस्तक दर्शन-सम्बन्धी ज़रूरी ज्ञान का एक सुग्राह्य संचयन है।
Ink, Saffron & Freedom
- Author Name:
Kedar Nath Gupta
- Book Type:

- Description: How does one capture a lifetime of memories, a city's soul, and the tides of history in mere words? In Ink, Saffron & Freedom, veteran journalist Kedar Nath Gupta takes readers on a spellbinding journey through his life and times, offering a deeply personal yet panoramic view of Bharat's transformation in the last hundred years. From the vibrant fairs of Garhmukteshwar to the hallowed halls of journalism, from the communal riots of 1946 to the corridors of power, the 94-year old author has lived through some of Bharat's most defining moments. As a young boy, he witnessed the upheavals of Partition. As a journalist, he reported on the country's changing political landscape, rubbing shoulders with leaders and ideologues who shaped modern Bharat. And, as a devoted Swayamsevak, he remained steadfast in his vision of 'Akhand Bharat. Rich with nostalgia, wit, and historical insight, this memoir of a Dilliwala is not just an autobiography-it is a love letter to the city where he was born, to journalism which is his passion, and to a life lived with conviction. Gupta's storytelling is both evocative and unflinching, blending personal anecdotes with incisive commentary on Bharat's socio-political evolution. For those who long to understand our country beyond its monuments, who cherish the ideals of fearless journalism, or who seek an intimate account of a life intertwined with history, this book is an unmissable read. As Gupta himself writes, This is as much my story as it is the story of my city, my country, and my times. Turn the pages and step into the world of resilience, nostalgia, and undying passion for the truth
I Gaze, Therefore I Am
- Author Name:
Subramoniam Rangaswami
- Rating:
- Book Type:

- Description: We live in a visual age. I Gaze, Therefore I Am is a book on medical gaze first described by Michel Foucault, French philosopher and historian of ideas. The journey the medical gaze has taken from its archaic beginnings to our era of digital culture has been noteworthy. In this book, Rangaswami takes us through this historic journey, blending stories from the history of science and medicine with a rich collection of tales from scriptures and legends as well as iconic episodes from his personal experience, stirring them in his unique style with a wide range of topics for academic discussions. This book is a compelling narrative of the shifting optics of gaze, especially medical gaze, poised in our age of human transition from Homo visualis to Homo virtualis.
Bundelkhand Ki Sanskrtik Nidhi
- Author Name:
Mahendra Kumar Navaiya
- Book Type:

- Description: वैसे तो देश में हजारों बोलियाँ बोली जाती हैं और इन सब बोलियों का अपना-अपना महत्त्व अपनी-अपनी जगह है | मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में भी बुंदेलखंडी बोली बोली जाती है, जिसका अपना एक अंदाज है | किसी भी बोली को अलंकृत करने, मोहक और ज्ञानवर्धक बनाने के लिए उस बोली में पहेलियों, कहावतों, मुहावरों, कहानियों और अहानों का विशेष महत्त्व होता है। बुंदेलखंडी बोली में लोक-स्मृति में आज भी ऐसी पहेलियाँ, कहावतें, कहानी, अहाने और मुहावरे सुरक्षित एवं संरक्षित हैं | यह सब पुरानी पीढ़ी के पास ही है, ऐसी लोक-स्मृतियों को एक जगह समेटने में आज तक कोई प्रयास नहीं हुआ है, संभवत 'बुंदेलखंड की सांस्कृतिक निधि' एकमात्र ऐसी पुस्तक है, जिसे लेखक ने लोक स्मृतियों से निकालकर साहित्य के रुप में संरक्षित किया है। इतना ही नहीं, बुंदेलखंड की सांस्कृतिक निधि पुस्तक बच्चों, युवाओं और सभी आयु वर्ण के लोगों को बुंदेलखंड के रीति-रिवाज, बुंदेली बोली के गूढ़ रहस्यों, पहेलियों, कहावतों, कहानियों, मुहावरों और अहान से परिचित कराने में मील का पत्थर है। निश्चित रूप से आज की चकाचौंध भरी दुनिया में ऐसे ज्ञानमयी साहित्य की आवश्यकता है, जिसे लेखक ने इस पुस्तक में बखूबी सजाया है|
Ras Aakhetak
- Author Name:
Kuber Nath Rai
- Book Type:

- Description: कुबेरनाथ राय के निबंधों में उनके सांस्कृतिक ज्ञान की प्रतिच्छवि भरपूर रहती है और बड़ा विस्मय होता है कि अंग्रेजी के अध्यापक को भारतीय संस्कृति के विभिन्न आयामों का और प्राचीन भारतीय साहित्य का इतना गहरा मर्म क्या केवल निजी साधना के बल पर मिला। —विद्यानिवास मिश्र हिंदी की ललित निबंध परंपरा के निष्ठ प्रतिनिधि थे कुबेरनाथ राय। उन्होंने आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के फक्कड़ अंदाज और खुलेपन के बदले अपनी निजी शास्त्री किस्म की रसज्ञता की राह चुनी थी। उन्होंने जो भी लिखा, वह गहरी आस्था और निष्ठा से लिखा। सांस्कृतिक समयबोध उनमें प्रभूत ज्ञान और अंततः प्रज्ञा से जुड़ा पुष्ट हुआ। —प्रभाकर श्रोत्रिय कुबेरनाथ राय निबंध साहित्य, विशेषकर ललित निबंध के कीर्तिमान हैं। उन्होंने इस विधा की आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की परंपरा को अपनी गौरवशाली सृजन-शृंखला से प्रतिष्ठित किया है। इनके निबंधों में गंभीर पांडित्य, चिंतन, अन्वेषण और विश्लेषण के साथ भावावेश की अजस्र ऊर्जा लक्षित होती है। इनकी ऊँचाइयों को छानते हुए भी वे गाँव की जमीन से निरंतर जुड़े होते हैं, यह उनकी अन्यतम विशेषता है। ग्राम-संस्कृति के माध्यम से बृहत्तर भारतीय संस्कृति की खोज वाली विचार प्रवण दृष्टि कुबेरनाथ राय में है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। खेत-खलिहान की आत्मीयता, ग्राम-संस्कृति के सूक्ष्म रस-गंधों की पहचान, वर्तमान विकृति के भीतर से आदिम सांस्कृतिक स्रोतों का अन्वेषण और सबको वैदिक जीवन से जोड़ते हुए अप्रतिहत जीवन के प्रवाह रूप में उपस्थित करना लेखक की अद्भुत प्रतिभा का प्रमाण है। —विवेकी राय
Antarrashtriya Mudra Kosh (ICWA)
- Author Name:
V. Srinivas
- Book Type:

- Description: भारत के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी द्वारा भारत के आर्थिक इतिहास में महत्त्वपूर्ण पलों का व्यावहारिक विश्लेषण और भावी वैश्विक संकट के समाधान का निर्णय कर सकनेवाले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में बहुपक्षीयता का भविष्य। यह पुस्तक वी. श्रीनिवास भारत सरकार के विशिष्ट अपर सचिव, कार्यकारी निदेशक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्व सलाहकार और भारत के वित्तमंत्री के निजी सचिव द्वारा 17 माह के शोध और साक्षात्कार के आधार पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ भारत के संबंधों की अनेक बड़ी घटनाओं का व्यापक विश्लेषण है। इसमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के संस्थापक सदस्य के रूप में भारत की भूमिका का परिदृश्य है। यह भारत के 1966, 1981 और 1991 अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष कार्यक्रमों, 2010 में आई.एम.एफ. से भारत द्वारा स्वर्ण क्रय, जी20 के उदय और विश्व में तीव्र गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के उद्भव के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। वी. श्रीनिवास ने अंतिम ऋणदाता के रूप में आई.एम.एफ. की भूमिका, सदस्य देशों के साथ निपटने में असीमित शक्ति की एक संस्था के रूप में आई.एम.एफ. 2008 के बाद वैश्विक वित्तीय संकट में आई.एम.एफ. की वृहत्तर भूमिका और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में चीन के उदय पर अंतर्दृष्टि प्रदान की है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ भारत के संबंध के परिप्रेक्ष्य में पहले 25 वर्षों पर व्यापक शोध है, जिसके बारे में गहन अध्ययन और शोध करके समस्त जानकारियाँ संकलित की गई हैं, जिन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
Charaksanhita Ke Jiva-Jantu
- Author Name:
Ramesh Bedi
- Book Type:

- Description: चरकसंहिता व्यापक रूप से पढ़ा-पढ़ाया जाने वाला आयुर्वेद का प्रतिष्ठित ग्रन्थ है। महर्षि चरक ने इसमें अनेक प्रकार के मानव उपयोगी जीव-जन्तुओं का उल्लेख किया है। वनों, वनस्पतियों और जीव-जन्तुओं के अन्वेषक, प्राणि-विशेषज्ञ रामेश बेदी ने अपनी दीर्घकालीन अनुभव के आधार पर उनकी प्रकृति और जातियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें निम्नलिखित वर्गों में श्रेणीबद्ध किया है—स्तनपायी की 44 जातियाँ, पक्षियों की 42 जातियाँ, सरीसृपों की 12 जातियाँ, क्षुद्र जीवों की 12 जातियाँ, कुल 110 जातियाँ। इन जीव-जन्तुओं के सम्बन्ध में दिए गए 46 रंगीन फोटो तथा 128 सादे चित्र इनके स्वरूप को भली भाँति समझने में सहायक होंगे। चरकसंहिता के जीव-जन्तुओं के स्वरूप, रहन-सहन, आहार-विहार, पारिवारिक जीवन, प्रजनन, सन्तान का पालन-पोषण, इन्सान के साथ उनका स्नेहिल व्यवहार, इन्सान के लिए उनकी उपादेयता का लेखक ने विस्तार से परिचय दिया है। लेखक के अनुभव रोचक हैं। भाषा सरल, प्रवाहमयी और आकर्षक है।
Hindutva Ka Mohini Mantra
- Author Name:
Badri Narayan
- Book Type:

-
Description:
भारत के वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में दलित एक बड़ी चुनावी ताक़त के रूप में उभरकर आए हैं और लगभग सभी राजनीतिक दलों के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि वे उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश करें।
‘हिन्दुत्व का मोहिनी मंत्र’ पुस्तक हिन्दुत्ववादी शक्तियों द्वारा दलितों को अपनी तरफ़ खींचने की मोहक रणनीतियों का विखंडन दिखाती है कि कैसे ये ताक़तें दलित जातियों के लोकप्रिय मिथकों, स्मृतियों और किंवदन्तियों को खोजकर उनकी हिन्दुत्ववादी व्याख्या करती हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में किए गए मौलिक शोध पर आधारित इस पुस्तक में बताया गया है कि दलित नायकों को मुस्लिम आक्रान्ताओं के विरुद्ध लडऩेवाले योद्धाओं के रूप में प्रस्तुत करते हुए हिन्दुत्ववादी शक्तियाँ उन्हें हिन्दू धर्म और संस्कृति के रक्षकों के रूप में पुनर्व्याख्यायित करती हैं, या फिर उन्हें राम का अवतार बताकर दलित मिथकों को एक बड़े और एकीकृत हिन्दू महावृत्तान्त से जोड़ने का प्रयास करती हैं। लेखक ने पुस्तक में उत्तर भारत के ग्रामीण समाज में ‘पॉपुलर’ की संरचना और उसमें पिरोए गए साम्प्रदायिक तत्त्वों को भी समझने की कोशिश की है। सबसे दिलचस्प तथ्य पुस्तक में यह निकलकर आता है कि दलितों के अतीत की हिन्दुत्ववादी पुनर्व्याख्या को दलित समुदाय एक शक्तिशाली पूँजी के रूप में लेते हैं जिसे वे एक तरफ़ ऊपरी जातियों में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने और दूसरी तरफ़ सवर्ण प्रभुत्व को क्षीण करने के लिए साथ-साथ इस्तेमाल करते हैं। इतिहास, राजनीति, नृतत्त्वशास्त्र और दलित अध्ययन में रुचि रखनेवाले छात्रों, शोधार्थियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए समान रूप से उपयोगी पुस्तक।
Utho! Jago! Aage Barho
- Author Name:
Sandip Kumar Salunkhe
- Book Type:

- Description: हमारी आत्मा में ऐसी कई सूक्ष्म आवाजें बसती हैं जो अमूर्त हैं और जिन्हें शब्दों में अभिव्यक्त कर पाना असंभव सा है। उन्हें हम स्वयं अनुभूत करते हैं। ये अनमोल किताबें 'उस’ आवाज को सुनने की क्षमता रखती हैं। जिस प्रकार से प्रकृति में समाई एक अनजान शक्ति ही बीज को अंकुरित होने में, पेड़ बनने में, फलने-फूलने में सदैव प्रेरित करती है, ठीक उसी तरह हमारी अंतरात्मा में भी एक अनजान प्रेरणा बसती है, जो हमारे 'स्व’ रूप के सम्यक् ज्ञान की प्राप्ति की ओर, जीवन के सही अर्थ को खोजने की दिशा में प्रेरित करती है। जीवन सफर के पहले दौर में हम बाहरी जगत् में आदर्श को खोजने में लग जाते हैं। हम संघर्ष करते हैं। बार-बार गिरते हैं और क्षत भी होते रहते हैं। फिर साहस से उठते हैं और संघर्ष के साथ-साथ आगे बढ़ते हैं। हमारे अंदर समाई क्रांति के सफर में यह संघर्ष महत्त्वपूर्ण है। अनिवार्य भी है। अंत में इच्छित क्रांतिकारी पल हमारे जीवन में अवश्य आता है। जीवन को पूर्णतया बदल डालने की ताकत शब्दों में होती है। सारी निराशा को, आलस्य को दूर करने की क्षमता उनमें होती है। तमाम अवगुणों को जलाकर, भस्म कर, अंतर्मन की शक्ति को जाग्रत् करने की शक्ति, क्षमता शब्दों में होती है। अत: 'उठो, जागो और ध्येयसिद्धी की राह पर अविरत चलते रहो। जब तक ध्येय प्राप्त न हो, रुको मत।’
Lekhak Ka Samay
- Author Name:
Sangeeta Gupta
- Book Type:

- Description: Lekhak Ka Samay is a compilation of interviews she conducted with eminent women writers.
Bhartiya Sanskriti Aur Sex
- Author Name:
Geetesh Sharma
- Book Type:

- Description: जहाँ तक 'हिन्दू संस्कृति' का प्रश्न है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरोधाओं ने जिस रूप में इसकी व्याख्या की, पहले भी लिखा जा चुका है कि वह बहुत ही संकुचित और विकृत व्याख्या है, जो लोगों में इस संस्कृति के प्रति एक भ्रम पैदा करती है। जिन विद्वानों ने वास्तविकता पर आधारित तथ्यपरक व्याख्या की, उनको यह कहकर सिरे से ख़ारिज कर दिया गया कि उन पर पश्चिम के विद्वानों का प्रभाव है और वे एकांगी दृष्टि से संस्कृति को देखते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि वेदों से प्रारम्भ कर भारतीय संस्कृति का समग्र रूप मनुष्य की समस्त जीवन-शैली के अच्छे-बुरे पक्ष को ज़ाहिर करता है, जो समय के अनुसार बदलती रही है। हमारे देश में एक प्रचलन यह भी रहा है कि हम प्राचीन धार्मिक ग्रन्थों पर तिलक-चंदन चढ़ाते हैं, उनकी पूजा करते हैं, पर उन्हें पढ़ते नहीं हैं। पढ़ते तो संस्कृति के नाम पर जो दुष्प्रचार किया जाता रहा है, वह सम्भव नहीं था।
Dalit-Vimarsh Aur Hindi Sahitya
- Author Name:
Deepak Kumar Pandey
- Book Type:

- Description: हिन्दी में दलित रचनाकारों की रचनाएँ लगभग तभी से मिलती हैं, जब से हिन्दी साहित्य का आरम्भ होता है। सिद्धों-नाथों की बानियों से लेकर सन्त साहित्य तक दलित रचनाकारों द्वारा रचित विपुल साहित्य हिन्दी की अमूल्य सम्पदा है। आधुनिक युग में समता, न्याय और सामाजिक सम्मान के लिए अम्बेडकरवादी वैचारिक प्रेरणा से लिखे गए सामाजिक बदलाव के साहित्य को ‘दलित साहित्य’ की संज्ञा प्राप्त हुई। सचेत अम्बेडकरवादी प्रेरणा का साहित्य हिन्दी से पहले ही मराठी आदि अन्य भारतीय भाषाओं में लिखा गया। पिछली सदी में 1980 के दशक से हिन्दी का दलित लेखन परिमाण और गुणवता, दोनों ही स्तरों पर अपनी सुस्पष्ट स्वतंत्र पहचान बनाता है। दलित साहित्य अखिल भारतीय परिघटना है। हिन्दी में पिछले चार दशक से सक्रिय दलित रचनाकारों की अनेक पीढ़ियों के प्रतिनिधि स्वरों से रचा गया यह संकलन वक़्त की माँग है।
Chanakya Ka Naya Ghoshnapatra
- Author Name:
Pawan Kumar Verma
- Book Type:

-
Description:
लगभग 2500 वर्ष पहले, ईसा पूर्व चौथी सदी में, जब विश्व के अधिकांश भागों की सभ्यता अपनी शैशवावस्था में थी, चाणक्य नाम के एक विद्वान और विचारक ने ‘अर्थशास्त्र’ शीर्षक से एक ग्रन्थ लिखा, जो संसार में राजनीति पर सर्वाधिक गहन और सघन रचनाओं में से एक है।
‘अर्थशास्त्र’ में लगभग 6000 श्लोक और सूत्र हैं। यहाँ व्यवस्थित रूप से प्रभावशाली प्रशासन,
लोककल्याण, आर्थिक समृद्धि, शासक के गुण, उसके मंत्रियों की योग्यता, अधिकारियों के कर्तव्यों, प्रशासनिक क्षमता, नागरिक दायित्व, क़ानून के शासन का महत्त्व, प्रभावी न्याय व्यवस्था, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के तरीक़े, दंडनीति अथवा अपराधियों को दंडित करने की नीति, विदेशनीति के संचालन, युद्ध की तैयारी और संचालन, गठबन्धनों की नीति और अन्य बातों पर राष्ट्रीय हितों की सर्वोपरिता की चर्चा की गई है।
यह निश्चित रूप से वही क्षेत्र हैं, जिनमें अपेक्षाकृत नवस्वतंत्र गणतंत्र भारत लगता है कि राह से भटका हुआ है। किन्तु यदि दो हज़ार साल पहले चाणक्य जैसा कोई व्यक्ति, इन्हीं परिस्थितियों में परिवर्तन ला सकता था और प्रशासन का एक नूतन दृष्टिकोण रच सकता था, तो कोई कारण नहीं कि हम भी यह न कर सकें और इस पुस्तक का प्रतिपाद्य भी यही है। क्षुद्र अहंमन्यता, बौद्धिक विशिष्टता या पक्षधर संकीर्णता से परे इसका उद्देश्य केवल यह है कि ‘परिवर्तन’ के लिए राष्ट्रव्यापी रूप से तत्काल और गहन बहस की शुरुआत हो सके।
Delhi Ki Anusuchit Jatiyan Va Aarakshan Vyavastha
- Author Name:
Ramesh Chander
- Book Type:

- Description: संविधान निर्मात्री सभा को स्पष्ट था कि यदि हिंदू समाज और देश चाहता है कि देश का प्रत्येक नागरिक सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक व शैक्षणिक विकास करे तो इन अनुसूचित जातियों के लिए विशेष विकासपरक प्रावधान करने होंगे और इसी विकास की आकांक्षा में संविधान में अनुसूचित जातियों के लिए राजनैतिक, नौकरियों इत्यादि क्षेत्रों में आरक्षण की व्यवस्था की गई। प्रस्तुत लघु पुस्तक में उन परिस्थितियों की संक्षेप में चर्चा की गई है, जिसने हमारे संविधान निर्माताओं को आरक्षण व्यवस्था को लागू करने के लिए प्रेरित किया। इसी प्रकार पुस्तक में अभागे अछूतों (जो आज दलित या अनुसूचित जातियाँ कहलाते हैं) के प्रति अमानवीय परंपराओं व भेदभावपूर्ण नीतियों की चर्चा की गई है, जिसके चलते समाज का एक बड़ा हिस्सा गर्त में चला गया था। पुस्तक को इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है कि समाज के सभी वर्गों (कर्मचारी, अधिकारी, प्रमाण-पत्र प्रार्थी व अन्य सभी) को दिल्ली की अनुसूचित जातियों के बारे में सही मूलभूत जानकारी मिले, जिससे आरक्षण नीति के औचित्य एवं इसे सही ढंग से लागू करने व समाज को समझने में मदद मिले। ऐसी अनेकों जातियाँ हैं, जिनसे हम अनभिज्ञ हैं। विश्वास है कि इस पुस्तक से इन जातियों के बारे में यह अनभिज्ञता दूर होगी।
India's Most Fearless
- Author Name:
Shiv Aroor +1
- Book Type:

- Description: भारतीय लष्करी दलांमधील शौर्याच्या सत्यकथा एल.ओ.सी.च्या पलीकडे जाऊन सप्टेंबर 2016मध्ये पाकिस्तानी अतिरेक्यांच्या ठाण्यांवरच्या यशस्वी हल्ल्याचे नेतृत्व करणारे मेजर, 11 दिवसांत 10 अतिरेक्यांना ठार मारणारा सैनिक, कुठल्याही क्षणी युद्ध सुरू होणार्या भूमीवरून शेकडो लोकांची सुटका करण्यासाठी, भयावह वातावरणातल्या बंदरावर जहाज घेऊन जाणारे नौदलातले अधिकारी आणि रक्तबंबाळ स्थितीतही जळतं जेट विमान चालवणारा हवाई दलाचा पायलट! ह्या सगळ्यांच्या शौर्याचा कस लावणार्या घटनांचं हे कथन! काही त्यात प्रत्यक्ष सहभागी असणार्यांनी दिलेल्या माहितीवर आधारित, तर काही त्यांच्याबरोबरच्या मोहिमेत त्यांना अखेरपर्यंत साथ देणार्या इतरांनी सांगितलेल्या माहितीवर आधारलेल्या, अशा ह्या कथा! ‘इंडियाज मोस्ट फिअरलेस’ हे पुस्तक असामान्य शौर्य आणि कमालीची निर्भयता, ह्यांचं दर्शन वाचकांना घडवतं. अत्यंत विपरीत परिस्थितीत आणि गंभीर आव्हानं समोर असतानाही, भारताच्या ह्या शूरवीरांनी ज्या धाडसाने त्यांच्यावर मात केली आहे, त्याच्या खिळवून ठेवणार्या हकिगती लेखकांनी ह्यात पुस्तकातून वाचकांपुढे ठेवल्या आहेत. India's Most Fearless - Shiv Aroor, Rahul Singh इंडियाज मोस्ट फिअरलेस - शिव अरूर, राहुल सिंग
Dakshin-Poorva Asia Ka Praveshdwar Thailand
- Author Name:
Ramesh Pokhriyal 'Nishank'
- Book Type:

- Description: "थाईलैंड, दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश- द्वार है। इस क्षेत्र में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक लुभावने प्राकृतिक सौंदर्य वाले स्थान, अलंकृत मंदिर एवं समृद्ध सांस्कृतिक केंद्र पाए जाते हैं। वास्तविकता में देखा जाए तो थाईलैंड सुंदरता का देश है। आकर्षक और अद्वितीय थाई संस्कृति से स्वादिष्ट व्यंजनों, बौद्ध मंदिरों और जीवंत बाजारों तक थाईलैंड में देखने के लिए बहुत कुछ है। भारतीय पर्यटकों के लिए अच्छी बात यह है कि भारतीय और थाई लोग एक धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई विरासत साझा करते हैं। इसी क्रम में भारतीय संस्कृति ने थाईलैंड के कई पहलुओं को प्रभावित करने में एक अभिन्न भूमिका निभाई है, जिसमें धर्म, शिक्षा, उत्सव, समारोह, भाषा, साहित्य, नृत्य और भोजन शामिल हैं। थाईलैंड में समृद्ध विरासत एवं परपंराएँ, विश्वविख्यात स्थापत्य कला समेटे भवन, शिक्षा के उत्कृष्ट केंद्र, युद्ध स्मारक, मनमोहक प्राकृतिक छटा के अतिरिक्त यहाँ अत्यंत मैत्रीपूर्ण संबंध वाले लोग हैं। इस पुस्तक में थाईलैंड की संस्कृति, अर्थव्यस्था, रीति-रिवाज, इतिहास, भूगोल से लेकर वहाँ के पर्यटक स्थलों, शैक्षिक तंत्र, धार्मिक विविधता, भाषा, जैव विविधता, राजनीतिक व्यवस्था की जानकारी उपलब्ध करने का प्रयास किया है। इन विषयों पर कुछ प्रकाश डालने के अतिरिक्त भारत-थाई द्विपक्षीय संबंधों पर भी प्रकाश डाला गया है। "
Prajanan-Tantra Tatha Daivee Bhawna
- Author Name:
Tapi Dharma Rao
- Book Type:

-
Description:
स्व. धर्माराव जी की तीन रचनाएँ ‘पेल्लिदानि पुट्टुपूर्वोत्तरालु’, सन् 1960 (विवाह-संस्कार : स्वरूप एवं विकास), ‘देवालयालमीद बूतु बोम्मल्य ऐंदुकु’, सन् 1936 (देवालयों पर मिथुन-मूर्तियाँ क्यों?) तथा ‘इनप कच्चडालु’, सन् 1940 (लोहे की कमरपेटियाँ) तेलगू-जगत में प्रसिद्ध हैं। इन रचनाओं में प्रस्तुत किए गए विषयों में बीते युगों की सच्चाइयाँ हैं। इतिहास में इन सच्चाइयों का महत्त्व कम नहीं है। तीनों रचनाओं के विषय यौन-नैतिकता से सम्बन्धित हैं। इन रचनाओं में समाज मनोविज्ञान का विश्लेषण हुआ है।
लेखक ने इन पुस्तकों द्वारा अतीत के एक महत्त्वपूर्ण चित्र को हमारे सामने रखने का प्रयत्न किया है। एक समय में देवालयों में मिथुन-पूजा की जाती थी, कहने का मतलब यह कदापि नहीं कि आज भी देवालयों को उसी रूप में देखें। लेखक का उद्देश्य देवालय के उस आरम्भिक रूप तथा एक ऐतिहासिक सत्य की जानकारी देना है। आधुनिक देवालय दैवी-भक्ति तथा आध्यात्मिक चिन्तन के साथ जुड़े हुए हैं। आज देवालय जिस रूप में हैं, उसी रूप में रहें। आज हमें आध्यात्मिक चिन्तन की सख़्त ज़रूरत है।
पुस्तक साधारण पाठक हों या विज्ञ पाठक, दोनों पर समान प्रभाव डालती है। जिज्ञासु पाठक इस प्रश्नचिह्न का उत्तर ढूँढ़़ने का प्रयास भी करते हैं। इस रचना में सारी दुनिया की सभ्यताओं की यौन-नैतिकता का चित्रण हमें मिलता है। देवालय तथा प्रजनन-तंत्रों के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध है। जब यह सम्बन्ध टूट जाएगा तब देवालयों का महत्त्व कम हो जाएगा। देवालय केवल प्राचीन अवशेषों के रूप में रह जाएँगे। प्रजनन-तंत्रों के साथ दैवी भावना जुड़ी हुई है। देवालयों में मिथुन-मूर्तियाँ रखने के पीछे मिथुन-पूजा की भावना झलकती है। लेखक ने ऐसे कई उदाहरण देकर यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि पूजा के कई उपकरण स्त्री-पुरुष गुप्तांगों के ही प्रतीक हैं। देवालयों का निर्माण क्यों हुआ? इनमें मिथुन-मूर्तियाँ क्यों रखी जाती हैं? लिंग-पूजा का महत्त्व क्या है? पुरुष तथा स्त्री देवदासियों की आवश्यकता क्यों पड़ी? वीर्य-शक्ति का अर्पण कैसे होता है? फिनीशिया, बेबिलोनिया, अस्सीरिया, अमेरिका, न्यूगिनी आदि देशों की कई प्रथाओं में मिथुन-पूजा की भावना क्यों झलक पड़ती है? पंडा शब्द का अर्थ क्या है? पंडाओं का देवालयों के साथ किस प्रकार का सम्बन्ध है? आन्ध्र के कुछ त्योहारों में तथा श्राद्ध में बनाए जानेवाले कुछ व्यंजनों के आकारों के पीछे की भावना क्या है? कुछ उत्सवों में लोग स्त्री-पुरुष गुप्तांगों से सम्बन्धित अश्लील गालियाँ क्यों देते हैं? मंत्रपूत सम्भोग क्या है? क्यों किया जाता है? अश्वमेध यज्ञ, काम-दहन, चोली-त्योहार आदि क्यों मनाए जाते हैं? समाजशास्त्र की दृष्टि से तथा स्त्री-पुरुषों के मनोविज्ञान की दृष्टि से इनका महत्त्व क्या है? आदि विषयों का प्रमाण सहित विश्लेषण यहाँ किया गया है और इन प्रश्नों का समाधान सामाजिक मनोविज्ञान की दृष्टि से प्रस्तुत किया गया है।
जिज्ञासु पाठकों के लिए ‘देवालयों पर मिथुन-मूर्तियाँ क्यों?’ एक महत्त्वपूर्ण जानकारी देनेवाली रचना है।
4 Baal Upanyas
- Author Name:
Prakash Manu
- Book Type:

- Description: साहित्य अकादेमी के पहले बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित प्रकाश मनु बच्चों के सुविख्यात कथाकार हैं। बच्चे और किशोर पाठक उनकी कहानियों और बाल उपन्यासों को खूब रस ले-लेकर पढ़ते, सराहते और जीवन भर अपनी यादों के पिटारे में सहेजकर रखते हैं। प्रकाश मनु उस्ताद किस्सागो हैं, इसीलिए देश के कोने-कोने में फैले हजारों बच्चे उनके मुरीद हैं, जिन्हें उनकी लिखी कहानी की नई पुस्तकों और उपन्यासों का इंतजार रहता है। मनुजी की कलम का जादू इस कदर बाल पाठकों के मन को बाँध लेता है कि उनके साथ बहते हुए, कब वे देश-दुनिया की नई-नई और रोमांचक जगहों की सैर करके आ गए, उन्हें खुद पता नहीं चलता। ‘चार बाल उपन्यास’ प्रकाश मनुजी के दिलचस्प और भावनापूर्ण बाल उपन्यासों की नई पुस्तक है, जिसे पढ़कर बच्चे रोमांचित हो उठेंगे और खेल-खेल में बहुत कुछ सीखेंगे भी। पुस्तक में मनुजी के चार बड़े ही कौतुकपूर्ण बाल उपन्यास शामिल हैं—‘चिंकू-मिंकू और दो दोस्त गधे’, ‘भोलू पढ़ता नई किताब’, ‘सांताक्लाज का पिटारा’ तथा ‘गोलू भागा घर से’। ये चारों ऐसे उपन्यास हैं, जिनका जादू बाल पाठकों के दिलों पर तारी हो जाएगा, और जब तक वे उन्हें पूरा पढ़ नहीं लेंगे, पुस्तक उनके हाथ से छूटेगी नहीं। निस्संदेह ‘चार बाल उपन्यास’ एक ऐसा बहुरंगी, मनमोहक उपहार है, जिसे बच्चे हमेशा सँजोकर रखेंगे और बार-बार पढ़ना चाहेंगे।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...