Jartushtra Ne Yah Kaha
Author:
Friedrich NietzschePublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 1036
₹
1295
Available
यूनानियों के अनुसार विकास के प्रत्येक चरण का अपना पैग़म्बर हुआ है जिसने अपने समय के लोगों का पथ-प्रदर्शन किया है। हर पैग़म्बर का अपना समय होता है। ‘ज़रतुष्ट्र’ ही वह पहला विचारक था जिसने व्यवहार-चक्र में अच्छाई और बुराई, नेकी और बदी के अन्तर को समझा, नैतिकता के तात्त्विक रूप को पहचाना और कहा कि सच्चाई ही सर्वोत्तम सद्गुण है, कार्य-प्रेरक है और है अपने आप में पूर्ण अर्थात् स्वयंभू।</p>
<p>‘ज़रतुष्ट्र ने यह कहा’ नामक पुस्तक के लेखक विश्व-विख्यात विचारक, दार्शनिक और साहित्यकार फ़्रीडरिश नीत्शे हैं। इनकी विचारधारा एवं लेखन ने अपने समय के विचारशील लोगों को जितना प्रभावित किया। उतना दार्शनिक इमेनुअल कांट को छोड़कर अन्य कोई नहीं कर पाया था, शोपनहार भी नहीं जिनके सिद्धान्तों का प्रभाव यूरोप के अधिकांश भागों में छाया हुआ था। नीत्शे की लेखनी का क्षेत्र बहुत विस्तृत था, उसमें नीतिशास्त्र के अतिरिक्त साहित्य, राजनीति, दर्शन और धार्मिक निष्ठाओं एवं विचारों का मंथन तथा समालोचना सभी सम्मिलित थे।</p>
<p>नीत्शे ने हमारे सम्मुख ऐसे नए और उच्च मूल्यों को रखा जो उत्साहवर्धक हैं और जीवन में ‘आशा और विश्वास’ पैदा करते हैं। मूल्यों की पुरानी सारिणी में उन मूल्यों पर बल दिया गया है जो मनुष्य को कमज़ोर, निरुत्साही और निष्प्रभ बनाते हैं। ऐसे मूल्यों वाले व्यक्ति को ‘माडर्न मैन’ की संज्ञा दी गई। इसके विपरीत, मूल्यों की नई सारिणी में, उन मूल्यों को प्राथमिकता दी गई है जो कौम को स्वस्थ, सबल, शक्तिवान, उत्साही और साहसी बनाते हैं। या यूँ कहिए कि नई मूल्य सारिणी के अनुसार ‘जो गुण शक्ति से विकसित होते हैं, वे अच्छे हैं, और जो कमज़ोरी के परिणाम से उपजते हैं, वे बुरे हैं।’</p>
<p>उम्मीद है, यह महत्त्वपूर्ण कृति हिन्दी के पाठकों, ख़ासकर दर्शन में रुचि रखनेवालों को बेहद पसन्द आएगी।
ISBN: 9788183610322
Pages: 358
Avg Reading Time: 12 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Sanskriti Se Nikalati Rahen
- Author Name:
Ramnaresh Kushwaha
- Book Type:

- Description: हमारा देश अनेक धर्मों एवं जातियों में विभक्त है और सैकड़ों पंथ अपने-अपने दृष्टिकोण से समाज को सुदृढ़ बनाने में प्रयासरत हैं। पर आज भी हमारा समाज अनेक कुरीतियों से ग्रस्त है और आएदिन मनुष्य लालचवश तंत्र-मंत्र एवं तांत्रिकों के चक्कर में फँसकर धन-हानि क्या, प्राण-हानि तक कर डालता है। बाह्य सुख-सुविधाएँ अधिक-से-अधिक प्राप्त करने की जैसे होड़ लगी हुई है। इन सबके बीच व्यक्ति अपने आपको, अपनी अंतश्चेतना को बिलकुल भुला बैठा है। वह एक यांत्रिक प्राणी बनकर केवल भौतिक साधनों की अंधी दौड़ में दौड़ लगा रहा है। संस्कृति से निकलती राहेंहमारे प्राचीन वाङ्मय और धर्म-दर्शन से नि:सृत ज्ञान की अजस्र धारा में हमारा प्रवेश कराती है। यह हमारे मनीषियों, संत-महात्माओं और महापुरुषों के वचनों में उच्चारित हमारी गौरवपूर्ण संस्कृति से हमारा परिचय कराती हुई आत्मिक चेतना, जीवन-मूल्य और सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकारों का मार्ग प्रशस्त करती है। भारतीय धर्म-दर्शन-संस्कृति की गौरवशाली परंपरा के आधार पर जीवन का सन्मार्ग प्रशस्त करनेवाली रोचक व ज्ञानवर्धक पुस्तक।
Kala Pani
- Author Name:
Vinayak Damodar Savarkar
- Book Type:

- Description: काला पानी की भयंकरता का अनुमान इसी एक बात से लगाया जा सकता है कि इसका नाम सुनते ही आदमी सिहर उठता है। काला पानी की विभीषिका, यातना एवं त्रासदी किसी नरक से कम नहीं थी। विनायक दामोदर सावरकर चूँकि वहाँ आजीवन कारावास भोग रहे थे, अतः उनके द्वारा लिखित यह उपन्यास आँखों-देखे वर्णन का-सा पठन-सुख देता है। इस उपन्यास में मुख्य रूप से उन राजबंदियों के जीवन का वर्णन है, जो ब्रिटिश राज में अंडमान अथवा ‘काला पानी’ में सश्रम कारावास का भयानक दंड भुगत रहे थे। काला पानी के कैदियों पर कैसे-कैसे नृशंस अत्याचार एवं क्रूरतापूर्ण व्यवहार किए जाते थे, उनका तथ वहाँ की नारकीय स्थितियों का इसमें त्रासद वर्णन है। इसमें हत्यारों, लुटेरों, डाकुओं तथा क्रूर, स्वार्थी, व्यसनाधीन अपराधियों का जीवन-चित्र भी उकेरा गया है। उपन्यास में काला पानी के ऐसे-ऐसे सत्यों एवं तथ्यों का उद्घाटन हुआ है, जिन्हें पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
Main Koi Aur
- Author Name:
Padmaja
- Book Type:

- Description: स्मृतिलोप से स्मृतियुक्त समय में वापसी का आख्यान या कुछ पुराने और बहुत कुछ नए बनते अनुभव-संसार में जीने की डायरी। वर्तनी और व्याकरण के फ़्रेम से बाहर, जीवन की चालढाल में बनती हुई भाषा में लिखी गई यह किताब–‘मैं कोई और’–जीवन संघर्ष का गद्य है। अविश्वसनीय, किन्तु विश्वसनीय। रचनात्मक और प्रेरक।
Mashhoor Hue To Kya Hua?
- Author Name:
Soha Ali Khan
- Book Type:

- Description: मंसूर अली खान पटौदी की बेटी होना कैसा लगता है? या शर्मिला टैगोर जैसी मशहूर माँ की बेटी होना कैसा लगता है? या जब लोग सैफ अली खान की बहन के तौर पर जानते हैं? या फिर करीना कपूर की ननद होना कैसा लगता है? और उन सबके बीच मैं खुद को कहाँ पाती हूँ? अभिनेत्री सोहा अली खान की यह पहली पुस्तक वास्तव में उन निजी लेखों का एक बेहतरीन संग्रह है, जिनमें वह अपनी खिल्ली उड़ाने के मजाकिया अंदाज में बताती हैं कि किस प्रकार वह देश के सबसे विख्यात परिवारों में से एक में जनमी-बढ़ीं। लेखिका के पारिवारिक चित्रों के खजाने से पहली बार अनदेखी तसवीरों के साथ प्रकाशित यह किताब हमें उनके जीवन के दिल को छू लेनेवाले पलों से होकर ले जाती है, जिनमें आधुनिक युग की राजकुमारी से बल्लिओल कॉलेज के दिनों की उनकी जिंदगी और फिर सोशल मीडिया की संस्कृति वाले समय में एक हस्ती बनने तक की कहानी है, जिन्हें उन जगहों पर प्यार मिला जहाँ उम्मीद नहीं थी, और यह सबकुछ ताजगी भर देनेवाली बेबाकी और चुटीले अंदाज में बताया गया है। एक शाही परिवार में जन्म लेने के बाद भी कैसे आप लोगों की संवेदना को कोई महसूस कर सकता है, यह इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आपको जानना आसान होगा।
Pareeksha Leti Zindagi
- Author Name:
Ramesh Pokhriyal 'Nishank'
- Book Type:

- Description: जीवन में हर मोड़ पर हमें अनेक प्रकार की परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है जहाँ हर व्यक्ति के समक्ष समस्याएँ और संकट निश्चित ही आते हैं। जीवन में आए इन संकटों और समस्याओं से जब आप जूझते हैं और इनके विरुद्ध संघर्ष करते हैं तो आपका आत्मविश्वास उतना ही बढ़ जाता है। यही आत्मविश्वास आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा और प्रोत्साहन प्रदान करता है। इस संग्रह में श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के प्रकाशित अनेक काव्य-संग्रहों में से कुछ चुनिंदा कविताएँ समाहित की गई हैं। श्री निशंक उद्दात चिंतन और श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों तथा संवेदनाओं के पक्षधर साहित्यकार के रूप में जाने-पहचाने जाते हैं। इन कविताओं में उनका यही जीवन-दर्शन मुखरित होता है। ये कविताएँ समाज की जटिलताओं और विसंगतियों से उपजी हताशा और निराशाओं को दूर करने की विगीजीषु और संघर्ष करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं तो दूसरी ओर जिंदगी की हर कठिन परीक्षाओं से गुजर कर सफलताओं के शिखर तक पहुँचने का मार्ग भी बतलाती हैं।
Prajanan-Tantra Tatha Daivee Bhawna
- Author Name:
Tapi Dharma Rao
- Book Type:

-
Description:
स्व. धर्माराव जी की तीन रचनाएँ ‘पेल्लिदानि पुट्टुपूर्वोत्तरालु’, सन् 1960 (विवाह-संस्कार : स्वरूप एवं विकास), ‘देवालयालमीद बूतु बोम्मल्य ऐंदुकु’, सन् 1936 (देवालयों पर मिथुन-मूर्तियाँ क्यों?) तथा ‘इनप कच्चडालु’, सन् 1940 (लोहे की कमरपेटियाँ) तेलगू-जगत में प्रसिद्ध हैं। इन रचनाओं में प्रस्तुत किए गए विषयों में बीते युगों की सच्चाइयाँ हैं। इतिहास में इन सच्चाइयों का महत्त्व कम नहीं है। तीनों रचनाओं के विषय यौन-नैतिकता से सम्बन्धित हैं। इन रचनाओं में समाज मनोविज्ञान का विश्लेषण हुआ है।
लेखक ने इन पुस्तकों द्वारा अतीत के एक महत्त्वपूर्ण चित्र को हमारे सामने रखने का प्रयत्न किया है। एक समय में देवालयों में मिथुन-पूजा की जाती थी, कहने का मतलब यह कदापि नहीं कि आज भी देवालयों को उसी रूप में देखें। लेखक का उद्देश्य देवालय के उस आरम्भिक रूप तथा एक ऐतिहासिक सत्य की जानकारी देना है। आधुनिक देवालय दैवी-भक्ति तथा आध्यात्मिक चिन्तन के साथ जुड़े हुए हैं। आज देवालय जिस रूप में हैं, उसी रूप में रहें। आज हमें आध्यात्मिक चिन्तन की सख़्त ज़रूरत है।
पुस्तक साधारण पाठक हों या विज्ञ पाठक, दोनों पर समान प्रभाव डालती है। जिज्ञासु पाठक इस प्रश्नचिह्न का उत्तर ढूँढ़़ने का प्रयास भी करते हैं। इस रचना में सारी दुनिया की सभ्यताओं की यौन-नैतिकता का चित्रण हमें मिलता है। देवालय तथा प्रजनन-तंत्रों के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध है। जब यह सम्बन्ध टूट जाएगा तब देवालयों का महत्त्व कम हो जाएगा। देवालय केवल प्राचीन अवशेषों के रूप में रह जाएँगे। प्रजनन-तंत्रों के साथ दैवी भावना जुड़ी हुई है। देवालयों में मिथुन-मूर्तियाँ रखने के पीछे मिथुन-पूजा की भावना झलकती है। लेखक ने ऐसे कई उदाहरण देकर यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि पूजा के कई उपकरण स्त्री-पुरुष गुप्तांगों के ही प्रतीक हैं। देवालयों का निर्माण क्यों हुआ? इनमें मिथुन-मूर्तियाँ क्यों रखी जाती हैं? लिंग-पूजा का महत्त्व क्या है? पुरुष तथा स्त्री देवदासियों की आवश्यकता क्यों पड़ी? वीर्य-शक्ति का अर्पण कैसे होता है? फिनीशिया, बेबिलोनिया, अस्सीरिया, अमेरिका, न्यूगिनी आदि देशों की कई प्रथाओं में मिथुन-पूजा की भावना क्यों झलक पड़ती है? पंडा शब्द का अर्थ क्या है? पंडाओं का देवालयों के साथ किस प्रकार का सम्बन्ध है? आन्ध्र के कुछ त्योहारों में तथा श्राद्ध में बनाए जानेवाले कुछ व्यंजनों के आकारों के पीछे की भावना क्या है? कुछ उत्सवों में लोग स्त्री-पुरुष गुप्तांगों से सम्बन्धित अश्लील गालियाँ क्यों देते हैं? मंत्रपूत सम्भोग क्या है? क्यों किया जाता है? अश्वमेध यज्ञ, काम-दहन, चोली-त्योहार आदि क्यों मनाए जाते हैं? समाजशास्त्र की दृष्टि से तथा स्त्री-पुरुषों के मनोविज्ञान की दृष्टि से इनका महत्त्व क्या है? आदि विषयों का प्रमाण सहित विश्लेषण यहाँ किया गया है और इन प्रश्नों का समाधान सामाजिक मनोविज्ञान की दृष्टि से प्रस्तुत किया गया है।
जिज्ञासु पाठकों के लिए ‘देवालयों पर मिथुन-मूर्तियाँ क्यों?’ एक महत्त्वपूर्ण जानकारी देनेवाली रचना है।
Tarkshastra
- Author Name:
Neelima Mishra
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
The Riligion Of The Forest
- Author Name:
Rabindranath Thakur
- Rating:
- Book Type:

- Description: We stand before this great world. The truth of the life depends upon our attitude of mind toward it - an attitude which is formed by our habit of dealing with is according to the special circumstance of our surroundings and our temperaments. It guides our attempts to establish relations with the universe either by conquest or by union, either through the cultivation of power or through that of sympathy. And thus, in our realization of the truth of existence, we put our emphasis either upon the principle of unity.
Atma Nirbhar Bharat : Vol. 4
- Author Name:
M. Veerappa Moily
- Book Type:

-
Description:
सन् 2001 में शिक्षा के अधिकार से सम्बन्धित विधेयक पारित होने और शिक्षा को मौलिक अधिकारों के रूप में मान्यता दिये जाने के चलते भारत का ‘हर व्यक्ति को शिक्षा’ का संकल्प एक निर्णायक यात्राा पूरी कर चुका है, फिर भी भारतीय शिक्षा-व्यवस्था में गहरे पैठी खामियों को समझने की चुनौती आज भी उतनी ही बड़ी है। यह सचमुच आश्चर्यजनक है कि उच्चशिक्षा के सन्दर्भ में विश्व की विशालतम शिक्षा-व्यवस्थाओं में शामिल भारत की ‘ड्रॉप आउट’ दर चिन्ताजनक है।वीरप्पा मोइली की पुस्तक-श्ाृंखला ‘अनलेशिंग इंडिया’ का यह चैथा खंड भारतीय शिक्षा-व्यवस्था के ऐसे ही अनसुलझे सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश है। इस पुस्तक में लेखक ने भारत, चीन, अमेरिका, सिंगापुर और अन्य कुछ देशों की तुलना करते हुए कुछ सुझाव प्रस्तुत किए हैं जिनमें पाठ्यक्रम में व्यावहारिक प्रशिक्षण को जोड़ने, शिक्षा के आधारभूत ढाँचे के विस्तार तथा पाठ्यक्रमों और पाठ्यपुस्तकों में निवेश को बढ़ाए जाने पर जोर दिया गया है।
पुस्तक के अनुसार इस समय जबकि देश एक ज्ञान-समृद्ध राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है, शिक्षा-व्यवस्था की सघन पुनव्र्याख्या और शिक्षा तथा विकास के मध्य मौजूदा फासले को पाटने की बेहद जरूरत है।
Jharkhand GK: General Knowledge Book - 2025 For JPSC, JSSC, JTET, JSERC
- Author Name:
Dr. Manish Rannjan
- Book Type:

- Description: Jharkhand emerges as a vibrant canvas, portraying a mesmerizing blend of diverse natural, cultural, social, political, and geographical aspects. Across its enchanting terrain, a symphony of vibrant music and captivating dances fills the air, echoing the collective heartbeat of its inhabitants. The rhythmic beats of dhol, mandar, and flute reverberate, underscoring the region’s rich cultural tapestry. Festivals and rituals such as Karma Puja, Sarhul, Tusu, and Sohrai are intricately interwoven into the fabric of daily life, serving as a poignant expressions of reverence towards nature’s profound essence. In this harmonious celebration, the pure simplicity, charm, and equilibrium of Jharkhand's landscape find eloquent expression. In this comprehensive volume, we embark on a meticulous journey through the diverse dimensions of Jharkhand, spanning across 20 insightful chapters. From delving into its historical and geographical roots to dissecting its political, social, cultural, and economic landscapes, every facet is meticulously examined. The narrative doesn’t just stop at the past; it extends to elucidate contemporary developments, programmes, and policies, complemented by enlightening statistical diagrams that provides a clear understanding of the present scenario. Designed as a companion for both aspirants of competitive examinations and avid learners, this book is a treasure trove of knowledge. With 893 objective questions, their detailed answers, and 100 practice question sets, it serves as an indispensable tool for those striving to carve out successful careers. Anticipated to be a prized possession not only for students but also for researchers, educators, and enthusiasts keen on unraveling the enigmatic allure of this state, this volume promises an enriching exploration into the captivating essence of Jharkhand.
Mantunma
- Author Name:
Sunil Kumar "Bhanu"
- Book Type:

- Description: कोसी के आंचलिक भाषा में लिखी गई यह किताब आपको इसलिये भी पढ़नी चाहिये ताकि शहर की दौड़-भाग में भूल चूकें गाँव और उसमें बिताएं बचपन को याद किया जा सके । मन्टुनमा के बारे में यही कहा जा सकता है कि उसके पीछे ‘मा’ लगा है इसलिए वो गवाँर है जाहिल है अनपढ़ है। जिस दिन ये हट गया, ये गवाँर, जाहिल और अनपढ़ का तमगा भी हट जाएगा। हम बिहारियों ने ढर्रा बना लिया है जिसके भी पीछे या, वा, मा, आ आदि प्रत्यय लगा होता है उसे गवाँर समझ लेते हैं। मन्टुनमा 24 साल से इसी प्रत्यय को हटाने में दिन रात लगा है। जिस दिन ये हट गया उस दिन से ये भी नवाब …वरना जिन्दगी भर के लिए तो गवाँर, जाहिल और अनपढ़ है ही। यह किताब आपको गुदगुदाएगी भी लेकिन इसके तीखे व्यंवग्य समाज के रूढ़ विचारधारा की पोल भी खोलकर रख देगी ।
Bhukamp
- Author Name:
Harinarayan Srivastava
- Book Type:

- Description: भूकम्प है क्या? यह किन परिस्थितियों में विध्वंसक हो जाता है? क्या इससे बचने का कोई उपाय है? इन और ऐसे ही अनेक प्रश्नों के माध्यम से इस पुस्तक में भूकम्प जैसे भौगोलिक और वैज्ञानिक विषय की शोध–खोज की गई है—यानी पृथ्वी के भीतरी, सर्वाधिक भयावह और रोमांचक घटना–क्षणों की विस्तृत और रोचक छानबीन। भूकम्पों के कारण, उनके पूर्वानुमान, भूकम्प–विज्ञान के विभिन्न उपयोगों—जैसे भूकम्प इंजीनियरिंग, नाभिकीय विस्फोटों का पता एवं चन्द्र–कम्पों आदि के बारे में आधुनिक अनुसन्धानों की विस्तृत चर्चा इस पुस्तक में की गई है। यद्यपि यह विषय भौतिकी और गणित के मूल सिद्धान्तों पर आधारित है, पर अपनी सहज भाषा–शैली और सार्थक प्रस्तुति के कारण दुरूह बिलकुल नहीं रह गया है। भूगोल के विद्यार्थियों, प्रोफ़ेसरों, भूगर्भशास्त्रियों, इंजीनियरों और धरती के गर्भ में पलते–पनपते, उमड़ते–घुमड़ते रहस्यों को जानने की इच्छा रखनेवाले सामान्य पाठकों के लिए भी यह सचित्र प्रकाशन समान रूप से उपयोगी और अनूठा है।
Aadivasi Kaun
- Author Name:
Ramanika Gupta
- Book Type:

- Description: आज अगर सबसे बड़ा ख़तरा आदिवासी जमात को है, तो वह है उसकी पहचान मिटने का। इक्कीसवीं सदी में उसकी पहचान मिटाने की साज़िश एक योजनाबद्ध तरीक़े से रची जा रही है। किसी भी जमात, जाति, नस्ल या कबीले अथवा देश को मिटाना हो तो उसकी पहचान मिटाने का काम सबसे पहले शुरू किया जाता है। ‘आदिवासी’ की पहचान और नाम छीनकर उसे ‘वनवासी’ घोषित किया जा रहा है ताकि वह यह बात भूल जाए कि वह इस देश का मूल निवासी यानी आदिवासी है—वह भूल जाए अपनी संस्कृति, भाषा और अपना मूल धर्म ‘सरना’। यह पुस्तक आदिवासियों के जीवन के कई ऐसे अनछुए पहलुओं को हमारे सामने लाती है जिनसे अभी तक हम अपरिचित थे। स्वयं आदिवासियों द्वारा क़लमबद्ध किए गए विचारों को यहाँ दिया गया है। आदिवासियों की दशा में परिवर्तन कैसे हो, उनकी शिक्षा कैसी हो व किस प्रकार उनके जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं का निदान किया जाए, जैसे सवालों को भी यहाँ उठाया गया है। आदिवासियों के अस्तित्व की बानगी प्रस्तुत करती यह पुस्तक सभी के लिए महत्त्वपूर्ण है।
Jambudweepe Bharatkhande
- Author Name:
Dr. Mayank Murari
- Book Type:

- Description: भारतीय चिंतन में कल्प की अवधारणा का समय के साथ-साथ व्योम, यानी देश के हिसाब से भी विचार किया गया है। पृथ्वी के द्वारा सूर्य का परिभ्रमण करने से संवत्सर काल बनता है। इसी प्रकार जब सूर्य अपनी आकाशगंगा का चक्कर लगाता है तो उसका एक चक्र पूरा होने के समयखंड को मन्वंतर कहा जाता है। इस प्रकार आकाशगंगा भी इस ब्रह्मांड में किसी ध्रुवतारे या सप्तर्षि या अन्य तारे का चक्कर लगाती है, उसके एक चक्कर की गणना को ही कल्प कहा गया। हमारा सौरमंडल आकाशगंगा के बाहरी इलाके में स्थित है और उसके केंद्र की परिक्रमा कर रहा है। इसे एक परिक्रमा पूरी करने में लगभग 22.5 से 25 करोड़ वर्ष लग जाते हैं। —इसी पुस्तक से भारतीय जीवन में देश और काल है। काल के साथ गति है और गति के संग जीवनदर्शन जुड़ा है। यह बात ही भारत को विशिष्ट बनाती है। कालचक्र, युगचक्र, ऋतुचक्र, धर्मचक्र, भाग्यचक्र और कर्मचक्र के विधान भारतीय सांस्कृतिक चेतना में समाए हुए हैं। सनातन के माहात्म्य, भारतीय चिंतन की वैज्ञानिकता और भारतीय जीवन-मूल्यों की पुनर्स्थापना करती विचारोत्तेजक पठनीय कृति।
MBA: May The Boom Be Avoided
- Author Name:
Pratyush Bhatt
- Book Type:

- Description: “Undergraduate degree isn’t enough for good employment, existential crisis is killing me, I lack funds for my start-up plans, my job sucks…DAMN IT!” These are some of the very common and natural concerns among the youths. However, if you too are considering an MBA to overcome any of them, you might want to know everything about the career decision that will create a huge impact in your life. Needless to say, it will demand considerable time and effort to get aware of its ins & outs with a guarantee of authenticity. It is indeed loads of work, but there is nothing to worry about. Why so? Because this book takes care of all of it. It reveals almost every detail about the Indian MBA scenario through insights from some of the most prominent management professionals in this country. Motivated by millions of youths facing the challenges of massive unemployment and personal crisis even after an MBA, this book is a one-stop-shop for all your concerns spanning across:- •job market •packages •work-life balance •entrepreneurship prospects •education •Solution •and much more... 'Hold on. Everything seems straightforward except 'Solution.' What is it?' This book goes beyond sharing the rarely known reality to its readers. Once you're done with the read, be it any career choice you make (even if an MBA), you'll be much clear about your final decision than you might have ever been...so clear that you will hold no regrets for it, and that too, forever. Sounds like an unrealistic commitment? Try giving it a shot as the Solution has already been proven to work for many! P.S. It isn't the typical 'follow your passion' or 'chase your dreams.'
Meri Dhaka Diary
- Author Name:
Madhu Kankariya
- Book Type:

- Description: वरिष्ठ कथाकार मधु कांकरिया की 'मेरी ढाका डायरी' एक प्रबुद्ध व्यक्ति की आँख से एक देश और उसके समाज की ली गई थाह है। यह देश है पड़ोस का बांग्लादेश जिससे हम भारतीयों की हमेशा से साझेदारी रही है, कुछ इतनी गहरी कि वक़्त की करवटों की बदौलत बीच में खिंच गई नई सरहद के बावजूद, आज भी दोनों देशों के आम अवाम के दिल में बहुत कुछ एक-सा धड़कता है। यह किताब वक़्त की उन करवटों और उस ‘एक-सी धड़कन’, दोनों का जायज़ा लेती है। लेखक की ख़ासियत यह है कि बांग्लादेश में प्रवास के दौरान वह न केवल वहाँ की परिस्थितियों को हिसाब में लेती हैं बल्कि उन परिस्थितियों से प्राप्त सूत्रों से उन कारणों की शिनाख़्त भी करती चलती हैं जिनसे ‘सोनार बांग्ला’ की श्यामल भूमि का सहज हास बाधित हो रहा है। ये कारण हैं ग़रीबी की गहरी जड़ें, बहुसंख्यक आबादी के बीच साम्प्रदायिकता की बढ़ती पैठ और अल्पसंख्यकों में बढ़ता असुरक्षाबोध आदि। एक संवेदनशील लेखक के तौर पर मधु कांकरिया आज के बांग्लादेश के इन सभी पहलुओं को देखती हैं और ढाका के अभिजात इलाक़ों से लेकर ग़रीब-गुरबा की दैनिक जद्दोजहद तक को अपने दायरे में लेती हुईं वर्तमान बांग्लादेश से हमारा परिचय कराती हैं। कह सकते हैं कि यह पाठ एक देश ही नहीं, मानवीय जीवन की भी महागाथा है।
Dalit-Vimarsh Aur Hindi Sahitya
- Author Name:
Deepak Kumar Pandey
- Book Type:

- Description: हिन्दी में दलित रचनाकारों की रचनाएँ लगभग तभी से मिलती हैं, जब से हिन्दी साहित्य का आरम्भ होता है। सिद्धों-नाथों की बानियों से लेकर सन्त साहित्य तक दलित रचनाकारों द्वारा रचित विपुल साहित्य हिन्दी की अमूल्य सम्पदा है। आधुनिक युग में समता, न्याय और सामाजिक सम्मान के लिए अम्बेडकरवादी वैचारिक प्रेरणा से लिखे गए सामाजिक बदलाव के साहित्य को ‘दलित साहित्य’ की संज्ञा प्राप्त हुई। सचेत अम्बेडकरवादी प्रेरणा का साहित्य हिन्दी से पहले ही मराठी आदि अन्य भारतीय भाषाओं में लिखा गया। पिछली सदी में 1980 के दशक से हिन्दी का दलित लेखन परिमाण और गुणवता, दोनों ही स्तरों पर अपनी सुस्पष्ट स्वतंत्र पहचान बनाता है। दलित साहित्य अखिल भारतीय परिघटना है। हिन्दी में पिछले चार दशक से सक्रिय दलित रचनाकारों की अनेक पीढ़ियों के प्रतिनिधि स्वरों से रचा गया यह संकलन वक़्त की माँग है।
Jahan Auratein Gadhi Jati Hain
- Author Name:
Mrinal Pande
- Book Type:

- Description: हिन्दी की वरिष्ठ कथाकार और पत्रकार मृणाल पाण्डे अपने लेखन में समय तथा समाज के गम्भीर मसलों को लगातार उठाती रही हैं। भारतीय स्त्रियों के संघर्ष और जिजीविषा को भी वे इसी व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखती–परखती रही हैं। यही कारण है कि स्त्री–प्रश्न के प्रति गहरी प्रतिबद्धता के बावजूद, उनका लेखन स्त्री–विमर्श के संकीर्ण दायरे में सिमटा हुआ नहीं है। वे ‘अन्दर के पानियों का सपना’ देखती हैं, तो ‘नारीवादी आन्दोलन की विडम्बना’ को भी उजागर करती हैं। इस पुस्तक में समय–समय पर लिखी गई उनकी टिप्पणियाँ और आलेख संकलित हैं। लेखिका ने राजनीति में ‘महिला सशक्तिकरण’ और ‘पंचायती राज में महिला भागीदारी’ जैसे बड़े सवालों के साथ–साथ कई छोटे–छोटे मसलों और प्रश्नों को भी उठाया है, जिनसे गुज़रते हुए एक ऐसा ‘हॉरर शो’ पाठकों के सामने उपस्थित होता है, जिसमें पुरुषवादी समाज की नृशंसता में फँसी स्त्री की छटपटाहटों के कई रूप दिखलाई देते हैं। इसमें सिर्फ़ पराजय ही नहीं, प्रतिकार की छटपटाहट भी है। करुणा के भीतर की बेचैनी को रेखांकित करना मृणाल पाण्डे के लेखन की ख़ास विशेषता है। एक पत्रकार के नाते वे हर छोटे–बड़े सवाल को शिद्दत के साथ उठाती हैं, लेकिन, अपने पात्रों को जड़ पदार्थ मानकर छोटा नहीं बनातीं, बल्कि एक लेखिका के नाते संवेदना के स्तर पर उनसे जुड़ जाती हैं—यही चीज़ मृणाल पाण्डे के लेखन को सबसे अलग और विशिष्ट बनाती है।
Aahat Desh
- Author Name:
Arundhati Roy
- Book Type:

-
Description:
‘‘वह जंगल जो दण्डकारण्य के नाम से जाना जाता था और जो पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ से लेकर आन्ध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों को समेटता हुआ महाराष्ट्र तक फैला है, लाखों आदिवासियों का घर है। मीडिया ने इसे ‘लाल गलियारा’ या ‘माओवादी गलियारा’ कहना शुरू कर दिया है। लेकिन इसे उतने ही सटीक ढंग से ‘अनुबन्ध गलियारा’ कहा जा सकता है। इससे रत्ती-भर फ़र्क़ नहीं पड़ता कि संविधान की पाँचवीं सूची में आदिवासी लोगों के संरक्षण का प्रावधान है और उनकी भूमि के अधिग्रहण पर पाबन्दी लगाई गई है। लगता यही है कि वह धारा वहाँ महज़ संविधान की शोभा बढ़ाने के लिए रखी गई है—थोड़ा-सा मिस्सी-ग़ाज़ा, लिपस्टिक-काजल। अनगिनत निगम, छोटे अनजाने व्यापारी ही नहीं, दुनिया के दैत्याकार-से-दैत्याकार इस्पात और खनन निगम—मित्तल, जिन्दल, टाटा, एस्सार, पॉस्को, रिओ टिंटो, बीएचपी बिलिटन और हाँ, वेदान्त भी—आदिवासियों के घर-बार को हड़पने की फ़िराक़ में हैं।
हर पहाड़ी, हर नदी और हर जंगल के लिए समझौता हो गया है। हम अकल्पनीय स्तर पर व्यापक सामाजिक और पर्यावरणीय कायाकल्प की बात कर रहे हैं। और इसमें से ज़्यादातर गुप्त है। मुझे क़तई नहीं लगता कि दुनिया के सबसे पुराने और दिव्य जंगल, परिवेश और आदिम समुदाय को नष्ट करने के लिए जो परियोजनाएँ शुरू हुई हैं, उनकी चर्चा भी कोपेनहेगेन में होनेवाले ‘जलवायु परिवर्तन सम्मेलन’ में होगी। माओवादी हिंसा की भयावह कहानियाँ खोजनेवाले (और न मिलने पर उन्हें गढ़ लेनेवाले) ख़बरिया चैनल लगता है, क़िस्से के इस पक्ष में बिलकुल दिलचस्पी नहीं रखते। मुझे अचरज है, ऐसा क्यों?’’
युद्ध, भारत की सीमाओं से चलकर देश के हृदय-स्थल में मौजूद जंगलों तक फैल चुका है। भारत की सर्वाधिक प्रतिष्ठासम्पन्न लेखिका द्वारा लिखित यह पुस्तक ‘आहत देश’ कुशाग्र विश्लेषण और रिपोर्टों के संयोजन द्वारा उभरती हुई वैश्विक महाशक्तियों के समय में प्रगति और विकास का परीक्षण करती है और आधुनिक सभ्यता को लेकर कुछ मूलभूत सवाल उठाती है।
Bhojpur : Bihar Mein Naksalvadi Andolan
- Author Name:
Kalyan Mukherji +1
- Book Type:

- Description: वर्तमान भारत के सम्मुख जो ज्वलन्त प्रश्न हैं, उनमें से एक है नक्सलवाद। नक्सलवाद का जन्म अनेक सामाजिक कारणों से हुआ है और वह आज अतिवाद का पर्याय-सा समझा जा रहा है। ‘भोजपुर : बिहार में नक्सलवादी आन्दोलन’ पुस्तक दक्षिण बिहार के भोजपुर ज़िले पर केन्द्रित है। इसी ज़िले के सहार ब्लॉक में एकवारी गाँव है, जिसे कभी ‘भोजपुर का नक्सलबाड़ी’ कहा जाता था। कल्याण मुखर्जी और राजेन्द्र सिंह यादव ने अपने अनुभवों की प्रामाणिकता व तीव्रता के साथ इस पुस्तक की रचना की है। लेखकों के अनुसार भोजपुर ज़िले में किसी भी व्यापक आन्दोलन के दो दौर हैं : 1930 का दशक, यानी त्रिवेणी संघ का दौर और 1960 का दशक अर्थात् नक्सलवादी उथल-पुथल का दौर। लेखकद्वय नक्सलवादी आन्दोलन से जुड़े प्रमुख लोगों का स्मरण करते हुए कहते हैं, ‘...इन लोगों ने जिस संघर्ष की शुरुआत की, वह उत्तर बंगाल के नक्सलबाड़ी और आन्ध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम के उस हथियारबन्द संघर्ष की ही अगली कड़ी थी, जो इस समय तक उन इलाक़ों में ख़त्म हो चला था।’ समय के एक विशेष खंड में समाहित सक्रियताओं का तार्किक विवरण आज के कई प्रश्नों का उत्तर तलाशने में मददगार होगा। वर्तमान सन्दर्भों में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पुस्तक।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...