Hindu Rashtra Darshan
Author:
Vinayak Damodar SavarkarPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
EnglishCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 720
₹
900
Available
A Hindu, to sum up the conclusions arrived at, is he who looks upon the land that extends from Sindhu to Sindhu, from the Indus to the seas, as the land of his forefathers, his pitrabhu, who inherited the blood of that race whose first discernible source is traced to the Vedic Saptasindhus, which, on its onward march, assimilated much that was incorporated and ennobling. The Hindus, who inherited and claimed as their own the culture of that race, as expressed chiefly in their common classic language, Sanskrit, and represented by a common history, a common literature, art and architecture, law and jurisprudence, rites and rituals, ceremonies and sacraments, fairs and festivals, and who, above all, address this land, this Sindhustan, as their punyabhu, as the holy land, the land of their saints and seers, of godmen and gurus, the land of piety and pilgrimage. These are the essentials of Hindutva – a common rashtra, a common jaati, and a common sanskriti. All these essentials could best be summed up by stating in brief that they are Hindu to whom Sindhustan is not only a pitrabhu but also a punyabhu.
—Excerpts from this book
This classic and unique book, Hindu Rashtra Darshan by Swatantrayaveer Savarkar, gives the true meaning and correct picture of the Hindu Rashtra, wherein everyone living on the land this side of Indus river is a Hindu by culture, by values and not by the religion in its narrow definition. The book is divided in three major parts—First part is Hindu Pad-Padshahi, Second is Hindu Rashtra Darshan and third part is Essentials of Hindutva. It is a must read book for all Bharatiyas.
ISBN: 9789353227654
Pages: 496
Avg Reading Time: 17 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Author Name:
Ankur Saxena
- Rating:
- Book Type:

- Description: 15 Minutes! What if you’re told you have just fifteen minutes before being sedated, finally getting relieved of the excruciating pain you’ve endured with every breath for so long? Will you celebrate the end of pain or regret the impending loss of life? How will you face death? How will you spend your last 15 minutes? Happiness, anger, grief, sadness, fear, disgust, guilt, envy, pride, compassion, anxiety, stress, hope, gratitude—which emotion will define your final moments on Earth? What will you ponder about the time you spent on the planet? Rather how will you spend the last 15 minutes of life you are spared with? Do the last 15 minutes really count? Or was life about each second that passed by? Meet MEGHA who had this uncanny ability to live life every moment, an ardent soul that brought smile to every face she met, a bubbly girl that lit up the mood and a persona that personifies life! And as this MEGA life story unfolds, realize that it’s not the years in your life that count. It’s the life in your years that does!
Ek Dalit Ki Aatmkatha
- Author Name:
Ram Rakshadas
- Book Type:

- Description: 15 जुलाई, 1962 को मैं किसी तरह बी.ए. पास कर गया। उस समय पूरा परिवार कर्ज में डूबा हुआ था, घर-गृहस्थी चलाने और पटना में रहकर पढ़ाई करने, पुस्तकें खरीदने के लिए रुपयों की जरूरत थी। आमदनी के नाम पर कॉलेज से मिलनेवाली छात्रवृत्ति एकमात्र साधन था। इससे मेरे और परिवार के खर्च की पूर्ति नहीं हो पाती थी, इसलिए मजबूरी में कर्ज लेना पड़ता था। थोड़ी-बहुत खेती थी, जिससे कुछ महीने का खर्च निकल जाता था। इतना ही नहीं, 5 अप्रैल, 1961 को हमारे एक लड़का भी हो गया, जिसकी परवरिश और दवा-दारू का खर्च बढ़ गया। ऐसी विकट परिस्थिति में मेरे शुभचिंतकों ने राय दी कि मुझे तुरंत नौकरी कर लेनी चाहिए; हमारी स्थिति आगे पढ़ने की नहीं है । सामने पुस्तकें खुली रहती थीं और आँखों के सामने पत्नी का मलिन चेहरा मानसपटल पर कौंध जाता था। पत्नी चाहकर भी मेरी पढ़ाई में बाधक बनना नहीं चाहती थी। मेरे मन में तूफान मचा हुआ था। एक तरफ घर की माली हालत को दुरुस्त करना और दूसरी ओर अपने अरमानों तथा लक्ष्यों को प्राप्त करना, दोनों जरूरी कार्य थे। दोनों की राहें जुदा थीं। एक को छोड़ना ही पड़ेगा। इसी पुस्तक से- संघर्षों, कष्टों और अभावों से जूझकर अपनी अदम्य इच्छाशक्ति तथा जिजीविसाह के बल पर पढ़ाई पूरी कर जीवन में सफलता प्राप्त करने की प्रेरणाप्रद आत्मकथा।
Meri Jindagi Mein Chekhov
- Author Name:
Lydia Evilov
- Rating:
- Book Type:

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Description:
लीडिया एविलोव चेख़व से चार वर्ष छोटी थीं। उनका जन्म 1864 में मॉस्को में हुआ और पहली बार जब वे चेख़व से मिलीं तो केवल पच्चीस की थीं। चेख़व के साथ अपने सम्बन्ध के ब्यौरे में—जो 1942 में, 78 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु के कई वर्ष बाद ‘चेख़व इन माई लाइफ़’ शीर्षक से छपा—उन्होंने 1889 और 1899 के बीच चेख़व के साथ अपनी केवल आठ मुलाक़ातों का वर्णन किया है, मगर साफ़ मालूम होता है कि वे अक्सर ही मिलते रहे होंगे। संस्मरण में काफ़ी कुछ दिलचस्प सामग्री है मगर उसमें भी ख़ास महत्त्व चेख़व के जीवन की उन घटनाओं का है जो उनके सबसे कल्पना-प्रणव नाटक ‘द सी गल’ की पृष्ठभूमि में थीं। इस नाटक ने उनके कई आलोचकों की बुद्धि की आज़माइश की और नाटक के कई पात्रों के विषय में उनके अनुमान अब सर्वथा निराधार मालूम देते हैं।
इस पुस्तक में लीडिया ने अपने और चेख़व के, दस वर्ष तक चले दुखद प्रेम-प्रसंग का वर्णन किया है। यही समय चेख़व के लेखकीय जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण समय भी था। चेख़व के जीवन के अब तक अनजाने इस अध्याय से उनकी कहानियों और नाटकों में उपस्थित उस वेदना और विषाद को समझने में अन्य किसी भी बात से ज़्यादा मदद मिलती है जो ‘चेरी ऑर्चर्ड’ में वायलिन के तार टूटने की मातमी आवाज़ की तरह ही उनकी सृजन-प्रतिभा और लेखनी से निकली हर प्रेमकथा की विशेषता है।
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