Parashakti Shri Sita
Author:
Suresh Kumar SinghPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Religion-spirituality0 Reviews
Price: ₹ 320
₹
400
Available
श्री सुरेश कुमार सिंह, प्रशासनिक पद पर होते हुए भी आध्यात्मिक चिन्तन और लेखन में लीन रहते हैं। उनकी आध्यात्मिक चेतना और शोध-दृष्टि स्पृहणीय है। ‘पराशक्ति श्रीसीता’ और उनसे सम्बन्धित स्थल की प्रामाणिक खोज उनके व्यक्तित्व को उजागर करती है। एक प्रशासनिक अधिकारी के गुरुतर दायित्वों का निर्वहन करते हुए इक्यावन शक्तिपीठों का अन्वेषण, उपनिषदों में देवी के विविध स्वरूपों का शोधपरक विश्लेषण तथा ‘पराशक्ति श्रीसीता’ के विविध स्वरूपों का विवेचन इनकी वैचारिक ऊँचाइयों का दिग्दर्शन कराता है। भदोही जनपद के ख्यातिलब्ध विद्वानों—शास्त्र चूड़ामणि, डॉ. विद्याशंकर त्रिपाठी, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ. भारतेन्दु द्विवेदी तथा डॉ. लक्ष्मीधर चतुर्वेदी ने पुस्तक को उपयोगी बनाने में अहम् भूमिका निभाई है। विश्वास है, यह पुस्तक ‘पराशक्ति श्रीसीता’ और वाल्मीकि आश्रम सीतामढ़ी के सन्दर्भ में मील के पत्थर का काम करेगी।
ISBN: 9789383522163
Pages: 175
Avg Reading Time: 6 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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‘गुरुग्रन्थ’ की अधिकांश रचनाएँ उन सिक्ख गुरुओं की हैं जो सीधे गुरु नानक देव की शिष्य-परम्परा में आते हैं तथा जिन्हें क्रमश: उन्हीं की ‘ज्योति का प्रतिरूप’ रहते आने के कारण, 'नानक' संज्ञा द्वारा अभिहित करने की परिपाटी भी चली आई है।
इसमें संगृहीत वाणियों के रचयिताओं की चेष्टा अधिकतर यही जान पड़ती है कि जो कुछ वास्तविक सत्य के रूप में अनुभूत हो उसे स्वयं अपने जीवन में भी उतारा जाए तथा वैसा ही करने का परामर्श किसी दूसरे को भी दिया जाए। वैसे सत्य का स्वरूप सदा एकरस एवं विश्वजनीन ही हो सकता है।
‘गुरुग्रन्थ' की एक ऐसी अन्य विशेषता, उसमें संगृहीत विविध रचनाओं के क्रमदान में भी पाई जा सकती है। उसमें आए हुए पदों को कोई ऐसा शीर्षक भी दिया हुआ नहीं मिलता जो विषयानुसार निश्चित किया गया हो तथा जिसके सहारे हमें उस मत-विशेष का परिचय मिल सके जिसे उनके रचयिताओं ने प्रकट किया होगा। उनका क्रम केवल रागानुसार ही स्थिर किया गया जान पाता है जिससे इस विषय में, हमें कोई भी सहायता नहीं मिल पाती। हमें यहाँ प्रत्यक्षत: केवल इतना ही पता चल पाता है कि सिक्ख गुरुओं ने, तथा कतिपय सन्तों, भक्तों ने एवं सूफियों तक ने भी एक ही प्रकार के गीत गाए होंगे।
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