Kinara
Author:
GulzarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
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Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
साहित्य में ‘मंज़रनामा’ एक मुकम्मिल फ़ार्म है। यह एक ऐसी विधा है जिसे</p>
<p>पाठक बिना किसी रुकावट के रचना का मूल आस्वाद लेते हुए पढ़ सकें। लेकिन मंज़रनामा का अन्दाज़े-बयाँ अमूमन मूल रचना से अलग हो जाता है या यूँ कहें कि वह मूल रचना का इंटरप्रेटेशन हो जाता है।</p>
<p>मंज़रनामा पेश करने का एक उद्देश्य तो यह है कि पाठक इस फ़ार्म से रू-ब-रू हो सकें और दूसरा यह कि टी.वी. और सिनेमा में दिलचस्पी रखनेवाले लोग यह देख-जान सकें कि किसी कृति को किस तरह मंज़रनामे की शक्ल दी जाती है। टी.वी. की आमद से मंज़रनामों की ज़रूरत में बहुत इज़ाफ़ा हो गया है।</p>
<p>‘किनारा’ प्यार के अन्तर्द्वन्द्व की कहानी है। जो संयोगों और दुर्योगों के बीच से होकर जाती है। एक तरफ़ प्यार की वफ़ादारी है जो दिवंगत प्रेमी की स्मृतियों से भी दगा नहीं करना चाहती और दूसरी तरफ़ नए प्यार का अटूट समर्पण है जो एक दुर्घटना के गिल्ट को धोने के लिए अपना सब कुछ हारने को तैयार है। लेकिन नियति अपने लिखित को जब तक उसका एक-एक हर्फ़ सच न हो जाए, अन्त तक उनके बीच बैठी बाँचती रहती है। पीड़ा के अपने चरम पर पहुँच जाने तक। गुलज़ार की फ़िल्में इतने स्वाभाविक ढंग से फ़ार्मूला-मुक्त होती हैं कि हम लोग जो साहित्य में भी फ़ार्मूलों के अभ्यस्त रहे हैं और फ़िल्मों में भी उनकी कथा-योजना को देख हैरान-से रह जाते हैं। फ़िल्म ‘किनारा’ और उसकी कहानी भी ऐसी ही है।
ISBN: 9788183618083
Pages: 104
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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