Bharatbodh: Sanatan Aur Samayik
Author:
Dr. Rajaneesh Kumar ShuklaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
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Price: ₹ 240
₹
300
Unavailable
भारत केवल भौगोलिक रचना या भूखंड मात्र नहीं है, न तो भारतबोध मात्र इतिहास से बनता है । वस्तुत: भारतबोध एक सनातनबोध की प्रक्रिया है, जो नित्य और निरंतर, इन दोनों के साथ गुंफित होता है। नित्यता से शाश्वत मूल्य आते हैं तो निरंतरता से समय के साथ उनका समंजन होता है। भारतबोध राष्ट्रीयता है, संस्कृति है और धर्म भी है। भारतबोध पद से जो अर्थ अभिहित होता है--वह सनातन और निरंतर सभ्यता की जीवन-प्रणाली की अभिव्यंजना है।
भारतीयता का विचार, भारतबोध का प्रश्न इस रूप में समझा जा सकता है कि यह कृतज्ञता की संस्कृति है और कृतज्ञता का प्रारंभ इस मान्यता, इस विश्वास के साथ होता है कि हम कुछ ऋणों के साथ उत्पन्न हुए हैं । हमने इस धरती में जन्म लेने के साथ ही समाज का, धरती का, परिवार का, शिक्षकों का, आचार्यों का ऋण प्राप्त किया है और वास्तविक मुक्ति हमें तब होगी, जब हम इन ऋणों से मुक्त होंगे; और इससे ऋण मुक्ति का तरीका इतना ही है कि हमें मनुष्य बनना है; न तो यह सभ्य बनने की प्रणाली है और न ही यह जीनियस बनने की । भारत धर्म भी है और यह धर्म उपासना-पंथों से परे भी । यह धर्म मानवीय मूल्यों का पुंज है।
भारतबोध की दृष्टि से इस पुस्तक में कुछ सूत्रों की चर्चा है और कुछ सूत्रों का आज के परिप्रेक्ष्य में पल्ल्वन भी है। समकाल के भारत की भूमिका को उभारने की कोशिश की गई है और समकाल के भारत के लिए, भारत में जन्म लिये हुए लोगों को किस प्रकार की जीवन प्रणाली को स्वीकार करना है; किस मूल्य-व्यवस्था को स्वीकार करना है, इस पर किंचित् विवेचन किया गया है.
ISBN: 9789395386388
Pages: 192
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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