Bharat Ki Sarvangeen Unnati Ka Mantra Antyodaya

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Hindi

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एकात्म मानवदर्शन और अंत्योदय के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि हमारी सोच और हमारे सिद्धांत हैं कि असहाय और अशिक्षित लोग हमारे भगवान हैं। हम सभी का यह सामाजिक और मानवीय धर्म है कि इन वंचितों का उत्कर्ष हो। इसी विराट विचार को आत्मसात् कर जन-कल्याण के लिए उपयोगी कार्यों की प्रेरणा हमें पं. दीनदयालजी से मिलती है। भारत-दर्शन का मूल विचार पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति के उदय से है। इस कार्य को पूर्ण करने में हमें कई चुनौतियों का सामना करना पडे़गा। मगर भारत के पूर्ण विकास की कल्पना और सार्थकता इसी अंत्योदय विचार से की जा सकती है।

अंत्योदय से राष्ट्रोदय की संकल्पना को मूर्तरूप प्रदान करती हमारी वैचारिक भावभूमि ही भारत के कल्याण और विकास की अभिलाषा को संतुष्ट करने के क्रम में अनवरत कर्मशील है। गरीबी के बारे में दीनदयालजी का विचार था—राष्ट्र की रक्षा के लिए हर व्यक्ति को न्यूनतम जीवन स्तर, जैसे उसके मौलिक अधिकार, भोजन, कपड़ा, मकान, दवाई, शिक्षा और उसकी सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा का आश्वासन सरकारों द्वारा उन्हें प्रदान किया जाना चाहिए।

यह पुस्तक देश के विकास में हर वर्ग की भागीदारी तय कर राष्ट्र-निर्माण का मार्ग प्रशस्त करनेवाली चिंतनपरक है।

ISBN: 9789390378623

Pages: 160

Avg Reading Time: 5 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

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