Asli Jharkhand
Author:
Anuj Kumar SinhaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Other0 Reviews
Price: ₹ 560
₹
700
Unavailable
Awating description for this book
ISBN: 9789353223960
Pages: 344
Avg Reading Time: 11 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Khuli Daraj Aur Bikhari Khushbuyen
- Author Name:
Sanjay Jain
- Book Type:

- Description: कहानी अपनी जिजीविषा उस अंतर्द्वंद्व से हासिल करती है, जो विचार और संवेदना के बीच होता है। इस अंतर्द्वंद्व को समझे बिना भ्रम और भटकाव के रास्ते जल्दी से खुलने लगते हैं। सरोकार के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए कहानी में संवेदना जरूरी तत्त्व है। किसी भी कहानी को यदि संवेदना की ममता नहीं मिलती है तो रचना जल्दी से अनाथ होने लगती है। प्रस्तुत कहानी-संग्रह इस अर्थ में उल्लेखनीय है कि रचना में संवेदन उपस्थिति के लिए एक ईमानदार इच्छा तत्पर है। इन कहानियों में सामाजिक लगाव की मौजूदगी के लिए लेखक की व्याकुल निष्ठा निरंतर प्रयत्न करती रहती है। साथ ही यह प्रयत्न कहानी में अनुभव के तनाव के लिए भी जगह बनाता रहता है। 'खुली दराज' संग्रह की कहानियाँ कथा-निष्ठा की कहानियाँ हैं, जो हर आयु वर्ग के पाठक के लिए मनोरंजक व ज्ञानवर्धक ही नहीं, संग्रहणीय भी हैं ।
CHATUR LOMDI (FLN)
- Author Name:
SANJAY JHA
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Uttari Bharat Ki Sant Parampara
- Author Name:
Parshuram Chaturvedi
- Book Type:

-
Description:
‘उत्तरी भारत की सन्त-परम्परा’ कृति आचार्य परशुराम चतुर्वेदी की साहित्यिक साधना की वह अनन्यतम प्रस्तुति है, जिसके समानान्तर आज कई दशक बाद भी हिन्दी साहित्य के अन्तर्गत वैसी कोई दूसरी रचना सामने नहीं आ सकी है। सन्त साहित्य के उद्भव से जुड़े अनेक प्रक्षिप्त मतों का खंडन करते हुए उसके मूल प्रामाणिक प्रेरणास्रोतों को प्रकाश में लाकर चतुर्वेदी जी ने उसकी अखंडता का जो अपूर्व परिचय प्रस्तुत किया है, वह हमारी साहित्यिक मान्यताओं से जुड़ी शोध-परम्परा का सर्वमान्य ऐतिहासिक साक्ष्य है।
परवर्ती काल में यह सन्त साहित्य उत्तर भारत के बीच पर्याप्त रूप से समृद्ध हुआ, किन्तु इसके प्रेरणासूत्र समग्र भारतीयता से सम्बद्ध है। महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओड़िसा, बंगाल, आसाम, पंजाब आदि राज्यों में फैले हुए इसके प्रारम्भिक तथा परवर्ती सूत्र इस तथ्य के प्रमाण हैं कि यह जन-आन्दोलन के रूप में समग्र भारतीय लोकजीवन से जुड़ा रहा है। सन्त नामदेव, ज्ञानदेव, नानक, विद्यापति, कबीरदास, दादू आदि सन्तों ने अपनी सन्तवाणी से समग्र भारत की एकता, अखंडता को जोड़ते हुए हमें अन्धविश्वासों एवं रूढ़ मान्यताओं से मुक्त किया है। आचार्य परशुराम चतुर्वेदी की यह कृति इन तथ्यों की प्रस्तुति का सबसे प्रामाणिक और सबसे सशक्त दस्तावे़ज़ है।
आचार्य चतुर्वेदी की इस ऐतिहासिक धरोहर को पुन: समक्ष रखते हुए हम गर्व का अनुभव करते हैं और आशा करते हैं कि पाठक समाज इसे पूर्ववत् निष्ठा के साथ स्वीकार करेगा।
Bhagini Nivedita Aur Bhartiya Navjagran
- Author Name:
Omprakash Verma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Sachchidanand Sinha Rachnawali : Vol. 1-8
- Author Name:
Sachchidanand Sinha
- Book Type:

- Description: मुद्रित शब्दों की मुख्यधारा के हिन्दी संसार को यह रचनावली ऐसा बहुत कुछ देनेवाली है जिससे हम अभी तक वंचित रहे आए हैं। यह राजनीति, अर्थशास्त्र, इतिहास, समाजशास्त्र के साथ-साथ दर्शन, कला, संस्कृति और धर्म आदि सभी विषयों पर मौलिक, वैकल्पिक और दिशादर्शक चिन्तन-लेखन करनेवाले भारतीय समाजशास्त्री सच्चिदानन्द सिन्हा के समग्र लेखन की प्रस्तुति है जिसका अधिकांश ऐसा है जो पाठकों के सामने पहली बार व्यवस्थित रूप में आ रहा है। व्यापक अध्ययन और उतने ही बड़े फलक पर उनकी राजनीतिक-सामाजिक सक्रियता ने सच्चिदा जी को विचार, विवेचना और अभिव्यक्ति की जो सामर्थ्य दी वह उनके लेखन को भी विशिष्ट बनाती है और उनके जीवन को भी। उनके विचार संघर्षशील जन से उनके सीधे जुड़ाव से परिपक्व हुए, उन्होंने जो लिखा वह अपने समाज, देश और जन-गण की परिस्थितियों में वास्तविक परिवर्तन को लक्ष्य करके लिखा। उनका लेखन न तो शोधवृत्तियों और वजीफों के परिणामस्वरूप हुआ, और न ही किसी अकादेमिक उपलब्धि के लिए, उसकी प्रेरणा इससे कहीं ज्यादा गहरी थी और पढ़नेवाले को वह उतनी ही गहराई में छूती भी है। उन्होंने अनेक विषयों पर लिखा, अनेक रूपों में लिखा, और अलग-अलग मकसद से लिखा। गहन अवधारणात्मक चिन्तन पुस्तकों में आया, समकालीन मुद्दों पर अखबारों-पत्रिकाओं में लिखा, कार्यकर्ता-शिविरों के लिए अलग ढंग से लिखा, और जरूरत महसूस हुई तो बच्चों के लिए गीत भी लिखे। इस रचनावली में यह सब समेटने का प्रयास किया गया है। सच्चिदानन्द रचनावली के इस पहले खंड में कला, संस्कृति, भारतीयता, जीवन तथा कला-बोध से सम्बन्धित उनके लेखन को शामिल किया गया है। इसमें तीन पुस्तकें, कुछ भाषण और कुछ लेख संकलित हैं। कला की बुनियादी समझ बनानेवाली उनकी चर्चित पुस्तक ‘अरूप और आकार’ को भी इसमें संकलित किया गया है। इस खंड की सामग्री कला और समाज की पारस्परिकता, तथा संस्कृति व मनुष्य की अन्तर्निर्भरता के व्यापक परिप्रेक्ष्य में हमें एक समग्र जनसापेक्ष दृष्टि विकसित करने में सहायता देती है।
Manager Nahin Smart Manager Banen
- Author Name:
R Gopalakrishnan
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Network Marketing Judo, Jodo, Jeeto
- Author Name:
Dr. Ujjwal Patni
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Vishwas Ka Jadu
- Author Name:
Joseph Murphy
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Dhoop Ka Chhor
- Author Name:
Seema Pandey Mishra
- Book Type:

- Description: This book has no description
UPSSSC Stenographer Main Exam - 2025 (Mukhya Pareeksha) 20 Practice Sets With Latest Solved Papers
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Ayoddhya Ka Rawan Lanka Ke Ram
- Author Name:
Dinkar Joshi
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
The Future Is Mine
- Author Name:
Vandana Kumari Jena
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Motivating Thoughts of Elon Musk
- Author Name:
Ridhima Sharma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Corporate Guru Narayan Murthy
- Author Name:
N. Chokkan
- Book Type:

- Description: "इन्फोसिस की विस्मयजनक उन्नति का श्रेय श्री एन.एम. नारायण मूर्ति की कल्पनाशीलता और दूरदृष्टि को जाता है। उन्होंने बीस वर्षों तक कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की हैसियत से अपनी प्रतिभा, लगन, परिश्रम से सींचकर इसे पुष्पित-पल्लवित किया। सन् 1981 में अपनी पत्नी श्रीमती सुधा मूर्ति से दस हजार रुपए लेकर जब उन्होंने इस कंपनी की स्थापना की थी, तब कोई स्वप्न में भी कल्पना नहीं कर सकता था कि वर्ष 1999 आते-आते ही इसकी ख्याति अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँच जाएगी तथा कंपनी नास्डैक (Nasdaq) में सूचीबद्ध होगी। किन विपरीत परिस्थितियों में नारायण मूर्ति ने अपनी कंपनी का विकास किया, उसका थोड़ा सा अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि एक टेलीफोन कनेक्शन के लिए उन्हें पूरे साल प्रतीक्षा करनी पड़ी। फोन करने के लिए उन्हें एस.टी.डी. की दुकान पर जाना पड़ता था। उन दिनों कंप्यूटर आयात होते थे। इंफोसिस को अपने काम के लिए विदेश से कंप्यूटर मँगवाने में ही तीन साल लग गए। कंपनी को परेशानियों के भँवर से निकालकर सफलता के उत्कर्ष तक पहुँचाने का हौसला नारायण मूर्ति का ही था। सात लोगों के साथ उन्होंने जिस कंपनी की स्थापना की थी, आज उसमें एक लाख से अधिक कर्मचारी हैं। जो कंपनी मात्र दस हजार रुपए की पूँजी से शुरू हुई थी, उसका वार्षिक राजस्व (वित्तीय वर्ष 2009) बीस हजार करोड़ रुपए से अधिक है। क्या कुछ और कहने की आवश्यकता है? उद्यमी ही नहीं, जनसामान्य के लिए भी एक प्रेरणादायी पुस्तक। "
SHER AUR CHUHA
- Author Name:
Yash
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Yoddha Sannyasi : Vivekanand
- Author Name:
Vasant Potdar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Fijeedvip Mein Mere 21 Varsh
- Author Name:
Totaram Sanadhya
- Book Type:

- Description: ब्रिटिशकालीन भारतीय पराधीनता का एक त्रासद अध्याय है गिरमिटिया। गिरमिटिया यानी एग्रीमेंट के तहत देश के बाहर कुलीगीरी करने के लिए जबरन भेजा जाना। भूख, बेरोजगारी, उत्पीड़न या गृह कलह के चलते घर-परिवार छोड़नेवाले स्त्री-पुरुषों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें झाँसा देकर अज्ञात देश में भेज देना। सन् 1879 से लेकर सन् 1916 तक 60553 भारतीय ‘गिरमिटिया’ बनाकर फिजीद्वीप भेजे जा चुके थे। इन अभिशप्त भारतीयों के शापमोचन के लिए जो लोग आगे आये उनमें एक नाम था पण्डित तोताराम सनाढ्य का। कौन थे ये तोतारामजी? क्या रिश्ता बनता था उनका फिजी से और गिरमिटिया भारतीयों से? परदुखकातर एक सामान्य भारतीय जिन्होंने खुद इक्कीस वर्षों तक गिरमिटिया की यातना-भरी जिन्दगी जी; मुक्ति संघर्ष का आगाज किया। यूँ तो ‘गिरमिटिया’ प्रथा पर प्रेमचन्द और प्रसाद समेत कई दिग्गजों ने लिखा है पर स्वयं का भोगा हुआ सच सिर्फ और सिर्फ तोताराम सनाढ्य का ही है। इतिहास के अध्येताओं से लेकर आम पाठकों तक के लिए जानकारियों से भरी एक रोचक और जरूरी किताब!
Indian Mujahideen
- Author Name:
Brij Lal
- Book Type:

- Description: India was divded because of the obduracy of Jinnah, and in August 1947 India was partitioned and a separate country Pakistan came into existence. The demand for creation of a separate Islamic country for Muslims by dividing India was being raised since 1940. Babasaheb Dr. Bhimrao Ambedkar believed that the partition of India into two countries on religious lines was not practically possible, and such a partition would be more harmful for humanity than the Nation, and lead to large-scale violence, which actually happened. Dr. Ambedkar believed that Hindus and Sikhs in the newly-created nation of Pakistan should come to India, and Muslims in India should go to Pakistan, an Islamic country created on religious lines. Despite so many years have passed, some terrorist organisations (state actors) such as Indian Mujahideen, Lashkar-e-Tayyiba, Jaish-e-Muhammed, Hizbul Mujahideen etc. have continu- ously waged a war against India and have gone forward to destabilise and disturb our socio-economic situations. This book takes an in-depth look at the heinous misdeeds of the 'Indian Mujahideen', the masterminds of Islamic terrorism, who created an army of Islamic Jihadis whose brutal and bestial acts have put humanity to shame. These heretics have worked to bring the world to its knees by creating an atmosphere of fear and intimidation by making videos of their heinous inhuman acts of torture and broadcast- ing them across the world. A well-researched readable book exposing the activities, mechanisms, working style and dangerous intentions of the terrorist organisation 'Indian Mujahideen', which has become synonymous with terror.
Ek Kahani Beech Me Hai
- Author Name:
Krishn Bihari Noor
- Book Type:

- Description: बीसवीं सदी के बेहद लोकप्रिय शायर कृष्ण बिहारी 'नूर' की ये किताब उनकी ग़ज़लों, गीतों, नज़्मों और अशआर का संकलन है। 'नूर' की ये किताब एहसास, जमाल, गुदाज़ और इख़्लास की शायरी से भरपूर है। इस किताब में अक्सर ऐसी लतीफ़ कैफ़ियतों को ज़बान दी गई है जो आसानी से लफ़्ज़-ओ-बयान की गिरफ़्त में आती हैं। इस संकलन में बहुत से आईने बोलते नज़र आते हैं, बोलते सुनाई देते हैं, और बोलते महसूस होते हैं।
How to Win Friends and Influence People
- Author Name:
Dale Carnegie
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...