Bijji Ka Katha Lok

Bijji Ka Katha Lok

Authors(s):

Dinesh Charan

Publisher:

Pustaknama

Language:

Hindi

Pages:

104

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

208 mins

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Book Description

लोकजीवन से गहरी संसक्ति और लोकमानस की वैज्ञानिक समझ रखनेवाले सर्वोपरि कथाकारों में बिज्जी का नाम बेहिचक लिया जा सकता है। उनकी कहानियों को पढ़ते हुए निरंतर यह महसूस होता है कि वे स्वयं लोक के अभिन्न अंग भी हैं और द्रष्टा भी। यही वजह है कि अपने नितांत निजी अनुभवों को कथा में पिरोते हुए भी उनमें भावुकता का लेशमात्र भी दिखाई नहीं देता। यह बिज्जी की रचनाधर्मिता की ख़ासियत है। इसी के बलबूते वे अपनी रचनाओं में ऐसा लोक रच पाए जो वास्तविक भी है और उनका कल्पनालोक भी है। सामंती परिवेश के भीतर रहनेवाले पात्रों में प्रगतिशील विवेक और रूढ़ियों से टकराने की क्षमता इसी से उपजी है। राजस्थानी लोकमानस की मुकमल पहचान बिज्जी के कथालोक में डूबकर ही की जा सकती है। किसी रचनाकार के लिए किंवदंती में बदल जाना यदि सबसे बड़ी उपलब्धि मान ली जाए तो बिज्जी इस उपलब्धि को अपने जीवनकाल में ही हासिल कर चुके थे। राजधानियों की चमक-दमक से कोसों दूर ग्रामांचल में रहकर साहित्य साधना करते हुए नोबेल नोमिनेशन तक की यात्रा ने इस किंवदंती को संभव बनाया। डॉ. दिनेश चारण युवा पीढ़ी के उन भाग्यशाली लोगों में हैं जिन्हें बिज्जी का सान्निध्य मिला है। वे ख़ुद कथाकार हैं और लोक के मर्मज्ञ हैं। इस पुस्तक को पढ़ते हुए उनकी सूक्ष्म दृष्टि और विवेचनात्मक विवेक से रूबरू होने तथा बिज्जी के कथालोक का हिस्सा होने का सुख मिलता है। डॉ. जगदीश गिरी

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