Sanchar Kaushal Aur Vyaktitva Vikas
Publisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Other0 Reviews
Price: ₹ 100
₹
125
Available
Awating description for this book
ISBN: 9789355211446
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
NCERT Ki Pathshala Bharat Ka Samvidhan Evam Rajvyavastha (Class 6-12)
- Author Name:
Dr. Ranjit Kumar Singh
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Hindu "हिंदू" Book in Hindi by Maithili Sharan Gupt
- Author Name:
Maithili Sharan Gupt
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
KUCHH TO HAI TUMSE RABTA
- Author Name:
Preeti Shenoy
- Book Type:

- Description: This Book Doesn't have Description
Selected Stories of Premchand
- Author Name:
Purnima Mazumdar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
NCERT MCQs General Science & Technology Class 6 To 12 Useful Book For UPSC, State PSCs & All Competitive Exam Chapter-wise and Topic-wise Solved Paper 2025
- Author Name:
Dr. Ranjit Kumar Singh
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Art of Interview: A Complete Guide How To Take An Interview
- Author Name:
Sunil Badal
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Sarvashreshtha Mann Dwara Safalta Payen
- Author Name:
Joseph Murphy
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Vetal Pachchisi "वेताल पच्चीसी" | Adventures Stories From Vikram Betal Indian Mythology | Book in Hindi
- Author Name:
Mahesh Dutt Sharma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Shriramcharitmanas Hindi
- Author Name:
Tulsidas
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
NTA (National Testing Agency) Cuet (UG) Common University Entrance Test (Under-Graduate)
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Doosri Jung "दूसरी जंग" | Poems Book in Hindi
- Author Name:
Ravindra Kumar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
SAAT BAUNE AUR RAJKUMARI
- Author Name:
Rashmi Bala
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
RANG SHIRSH JAIDEV TANEJA
- Author Name:
Edited By Gyantosh Kumar Jha
- Book Type:

- Description: Citicism of Drama by Jaydev Taneja
Bhartiya Rashtravad : Ek Anivarya Paath
- Author Name:
S. Irfan Habib
- Book Type:

-
Description:
राष्ट्रवाद क्या है? राष्ट्रवाद से आप क्या समझते हैं? अच्छा राष्ट्रवादी कौन है? अगर आप सरकार की आलोचना करें तो क्या आपको राष्ट्रद्रोही मान लिया जाए? ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो आजकल की ज़्यादातर बहसों में हावी रहते हैं? लेकिन ये बहसें नई नहीं हैं। आज राष्ट्रवाद के बारे में सबसे ऊपर सुनाई देनेवाली आवाज़ें ज़रूर हमें यह विश्वास दिलाने पर आमादा हैं कि भारतीय राष्ट्रवाद एक संकीर्ण, संकुचित और दूसरे लोगों और संस्कृतियों से भयभीत कोई चीज़ रहा है और आज भी ऐसा ही है, लेकिन भारत के सबसे प्रबुद्ध और सुलझे हुए नेताओं, चिन्तकों, वैज्ञानिकों और लेखकों की समझ इससे बिलकुल अलग है; और ये वो लोग हैं जिन्होंने उन्नीसवीं सदी के आरम्भ से ही इस विषय पर सोचना शुरू कर दिया था।
राष्ट्रवाद जिस रूप में आज हमारे सामने है, उसे वजूद में आए सौ साल से ज़्यादा हो गए हैं। दुनिया के इतिहास में इसकी भूमिका को लेकर अनेक इतिहासकारों, राजनीतिशास्त्रियों और समाजवैज्ञानिकों ने अध्ययन किया है। देखा गया है कि राजनीति के लिए यह सबसे निर्णायक कारकों में से एक रहा है। इसकी आलोचना भी ख़ूब हुई है। यह एक दोधारी तलवार है जो लोगों को जोड़ भी सकती है और राजनीति, संस्कृति, भाषा और धर्म के आधार पर बाँट भी सकती है।
ऐतिहासिक महत्त्व के इस संकलन में इतिहासकार एस. इरफ़ान हबीब उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध से भारत में राष्ट्रवाद के उदय, विकास और इसके विभिन्न रूपों और चरणों की पड़ताल भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण चिन्तकों और नेताओं के विचारों के माध्यम से करते हैं। इस संकलन में उन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रमुख नेताओं और चिन्तकों के वे लेख और भाषण-अंश काफ़ी तलाश के बाद एकत्रित किए हैं जो स्पष्ट करते हैं कि आज़ादी के संघर्ष में देश को रास्ता दिखाने वाले और आज़ादी के बाद भी राष्ट्र की दशा-दिशा पर ईमानदार निगाह रखने वाले इन नेताओं की नज़र में राष्ट्रवाद क्या था और वे किस तरह के राष्ट्र और राष्ट्रवाद को फलते-फूलते देखना चाहते थे!
यह किताब हमें बताती है कि आज की परिस्थितियों में हम राष्ट्रवाद को कैसे समझें और कैसे उसे आगे बढ़ायें ताकि एक सर्वसमावेशी, स्वतंत्र और मानवीय राष्ट्र के निर्माण की प्रक्रिया बिना किसी अवरोध के जारी रह सके।
Ghatak Rogon Se Kaise Bachen
- Author Name:
M.P. Srivastava
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Ram Phir Laute "राम फिर लौटे" Book In Hindi
- Author Name:
Hemant Sharma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Delhi Me Sangh Karya
- Author Name:
Ramesh Gupt 'Anil'
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Celebrating Parenting
- Author Name:
Shabanam Gupta
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Sansar Mein Nirmal Verma : Uttararddh
- Author Name:
Nirmal Verma
- Book Type:

-
Description:
संसार में निर्मल वर्मा का यह दूसरा खंड—उत्तरार्द्ध—उनके उत्कर्षकाल के दिनों में लिये गए साक्षात्कारों की प्रस्तुति है। यह उनके जीवन का वह दौर भी था जब अपने विचारों और उनकी निडर अभिव्यक्ति के चलते उन्हें बार-बार विवादों का सामना करना पड़ा। इन साक्षात्कारों में निःसंदेह इन विवादों की प्रतिध्वनियाँ भी सुनाई देती हैं।
अपनी वैचारिक और रचनात्मक यात्रा के अलावा यहाँ निर्मल जी अपने बचपन, पारिवारिक पृष्ठभूमि, इतिहास के कुछ निर्णायक पलों—मसलन बँटवारा और गाँधी जी की हत्या—से जुड़ी अपनी निजी अनुभूतियों को भी शब्द देते हैं। धर्म, इतिहास, मार्क्सवाद, भाषा, अन्तरराष्ट्रीय साहित्य, भारतीय राजनीति, आपातकाल आदि विषयों पर उनके विचारों को जानना उद्घाटनकारी भी है और विचारोत्तेजक भी।
मिसाल के तौर पर हिन्दी-भाषी समाज के संकट पर विचार करते हुए वे कहते हैं कि किसी हिन्दी-भाषी व्यक्ति को अगर केरल की फ़िल्म समझ न आए, यह बात समझ में आती है लेकिन हिन्दी लेखकों या हिन्दी फ़िल्मकारों को समझने में आम जनता को मुश्किल पड़ती है, तो ये एक गहरे सांस्कृतिक संकट का संकेत है।
इसी तरह कई अन्य चीज़ों पर नए ढंग से सोचने के लिए इन साक्षात्कारों में अनेक मौलिक प्रस्थान बिन्दु मिलते हैं। साक्षात्कारों के अलावा इस जिल्द में उन पर बनी फ़िल्मों और विविध मीडिया कार्यक्रमों के दौरान की गई वार्ताओं के अंश भी सम्मिलित कर लिये गए हैं।
Ek Aurat Ki Note Book
- Author Name:
Sudha Arora
- Book Type:

- Description: ‘एक औरत की नोटबुक’ नारीवाद के एक महत्त्वपूर्ण सूत्र ‘द पर्सनल इज़ पॉलिटिकल’ (The Personal is Political) को वाणी देती है—जहाँ स्त्री के वैयक्तिक यथार्थ का विस्तार समाज की नीतिसम्मत सत्ता से जा जुड़ता है। इस पुस्तक के आलेख अगर पुरुष वर्चस्व और स्त्री सशक्तीकरण के चिन्तन को अपना विषय बनाते हुए स्त्री को उसके ‘क्लोज़ेट’ (बन्द कमरे) से बाहर लाने का प्रयास करते हैं तो इसकी कहानियाँ उस ‘क्लोज़ेट’ के अन्दर डरी-सहमी बैठी स्त्री की त्रासद दशा का जीवन्त प्रस्तुतिकरण करती हैं—सुधा अरोड़ा के एक्टिविस्ट सरोकार के साथ उनकी सृजनात्मक प्रतिभा को प्रदर्शित करती हुई। —डॉ. दीपक शर्मा यह किताब एक सामाजिक दायित्व को निभाती है। जो लेखिका पिछले पैंतालीस वर्षों से निरन्तर लिख रही हो, जिसका लेखन-स्तर अपनी स्तरीयता से कभी डिगा न हो, जिसकी क़लम की धार समय के साथ-साथ पैनी होती गई हो, और कहानियाँ लिखने के अतिरिक्त जिसकी सामाजिक चेतना और सामाजिक समझ ने उसे ज़मीनी सामाजिक कार्यों से जोड़ रखा हो, उसकी हर नई किताब अपना परिचय ख़ुद होती है। —शालिनी माथुर ‘एक औरत की नोटबुक’ का जन्म सदियों की ख़ामोशी के टूटने की प्रक्रिया से होता है। ये वे आवाज़ें हैं जो इतिहास द्वारा युगों से दबाई जाती रही हैं। यह चुप्पी जब टूटती है तो इसकी दरारों से जो सच झाँकता है, वह हमारे समाज को नंगा करनेवाला है। इतिहास द्वारा इस ख़ामोशी के जाल को निर्मित करने की एक लम्बी सामाजिक-सांस्कृतिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा स्त्री-व्यवहार का अनुकूलन किया गया और इस प्रकार समाज के आधे तबक़े को मानवाधिकारों से वंचित किया गया। —सुनीता गुप्ता चर्चित कथाकार और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी सुधा अरोड़ा की पुस्तक—‘एक औरत की नोटबुक’ में धैर्य, संस्कार, विवशता की परतों के नीचे छुपी वे सच्चाइयाँ हैं जिनकी भोक्ता औरतें हैं। सुधा पहले कथाकार हैं फिर सक्रिय कार्यकर्ता, स्त्री-सरोकारों की पक्षधर। इसीलिए वे जहाँ भी जाती हैं, जो भी देखती हैं, उनका सृजनशील व्यक्तित्व हमेशा चौकस और सक्रिय रहता है। यही वजह है कि उनका विमर्श बोझिल और उबाऊ नहीं होता। वसुधा अरोड़ा कहानियाँ गढ़ती नहीं हैं, वे प्रामाणिक प्रसंगों को चुनती हैं और अपने पक्ष को मार्मिक बनाती हैं। याद यह भी रखना होगा कि मार्मिकता और भावुकता में बड़ा फ़र्क़ होता है, सुधा ने जहाँ अपना पक्ष रखते हुए अपने को भावुकता से बचाया है, वहीं यह किताब पाठक को वैचारिक उत्तेजना से आवेशित करती है। —डॉ. प्रमोद त्रिवेदी
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...