Five Children and IT
Author:
E. NesbitPublisher:
FlyDreams PublicationsLanguage:
EnglishCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 199.2
₹
249
Available
FlyWings Classics brings you a World Classic Children's Fantasy Book Series - Five Children and IT by E. Nesbit - - - "Be careful what you wish. You may get it!" A group of children move from their native London to the wild Kent countryside. While playing in an old gravel pit, they discover a strange creature known as a Psammead or sand fairy, who grants them one wish per day. The ensuing adventures--frequently hilarious, sometimes dangerous, and always exciting--teach the children that imagination alone has no limit. Review :- ''Nesbit is the children's writer with whom I most identify.'' - J. K. Rowling , in O, The Oprah Magazine
ISBN: 9789392723162
Pages: 195
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 0-11
Country of Origin: India
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- Description: सतराव्या शतकातील धर्मश्रद्ध वातावरणात छत्रपती शिवाजी महाराजांनी दख्खनमध्ये स्वबळावर हिंदवी स्वराज्य स्थापन केले. अर्थात शिवरायांचा सर्वधर्मसमभावाचा विचार त्यांच्या या हिंदवी स्वराज्याचा मूलाधार होता. खरं तर छत्रपती शिवाजी महाराजांची हिंदू धर्मावर निष्ठा होती. ते धर्माभिमानीही होते, तरीही ते धार्मिक स्वातंत्र्याचे पुरस्कर्ते होते. त्यांनी नेहमीच सहिष्णुतेचे धोरण अवलंबले आणि आपल्या राज्यात सर्व जातिधर्मांच्या लोकांना आश्रय दिला. इतकंच नाही, तर कोणत्याही स्वरूपात धर्मभेद, जातीभेद न करता महाराजांनी शूर, पराक्रमी आणि एकनिष्ठ लोक आपल्याभोवती गोळा केले. त्यांनी कायमच हिंदू आणि मुस्लीम धर्माबद्दल उदार आणि पुरोगामी दृष्टिकोन बाळगला. स्वराज्यातील सर्व धर्मांच्या बांधवांना सन्मान देत सामाजिक सलोखा निर्माण करत सर्वार्थाने हिंदवी स्वराज्य बळकट केले. जगभरात सर्वांनीच गौरविलेल्या शिवरायांच्या या सहिष्णू धार्मिक धोरणाची प्राचार्य डॉ. इस्माईल पठाण यांनी आपल्या या ग्रंथात साधार, तपशीलवार चर्चा केली असून समाजस्वास्थ्याच्या दृष्टिकोनातून ती मार्गदर्शक ठरणारी अशी आहे. वाचक त्याचं दमदार स्वागत करतील अशी आशा. Shivrayanchi Dharmniti | Dr. Ismail Pathan शिवरायांची धर्मनीती | डॉ. इस्माईल पठाण
Syama Prasad Mookerjee : His Death In Detention
- Author Name:
Uma Prasad Mookerjee
- Book Type:

- Description: When it appeared in 1953, Uma Prasad’s book on Dr. Syama Prasad Mookerjee’s detention and death in Kashmir created a wave of indignation. It reproduced documents connected to Dr. Mookerjee’s arrest and death and gave a gripping account of the manner in which he was arrested, detained and allowed to die. Dr. Mookerjee’s mother Jogmaya Debi’s letter to Nehru, pleading for an enquiry, Nehru’s refusal to order it, Sheikh Abdullah’s obfuscations, all of these find place in this book. Why was Dr. Mookerjee allowed to enter Jammu and Kashmir and then arrested? Why were high doses of a particular injection, to which he was allergic, administered to him? How did his diary disappear—are among the many questions that this book raises and attempts to answer. Above all it gives the readers an idea of how obstinate, self-obsessed, arrogant and scheming a man was Jawaharlal Nehru, who, as it comes across in this book, was not only economical with the truth but had literally pushed Dr. Mookerjee to his end. A must read for all those who wish to understand the truth behind the sudden end of a momentous and promising life.
Jeevan Dhara
- Author Name:
Renu Saini
- Book Type:

- Description: यूपी -100 एक ऐसा संगठन है, जो अपराधियों को तो पकड़ता ही है, इसके साथ ही यह संगठन उन नागरिकों की सेवा में भी तत्काल हाजिर हो जाता है, जो अपने दुःखों और परेशानियों से घबराकर झगड़ों, विवादों और दुर्घटनाओं को आमंत्रित करते हैं। यूपी-100 की पुलिस नागरिकों के झगड़ों, विवादों और दुर्घटनाओं पर नियंत्रण करती है और उन्हें जिंदगी के साथ ही आगे बढ़ने की एक नवीन किरण प्रदान करती है। यूपी-100 उत्तर प्रदेश राज्य का एक बड़ा संगठन है, जो पूरे प्रदेश के साथ ही देश व विदेश के नागरिकों की रक्षा के लिए दृढ-प्रतिज्ञ है। आज यह संगठन जिस तेजी और चतुराई से आम जन की समस्याओं को सुलझाने का प्रयत्न कर रहा है, वह निस्संदेह प्रशंसनीय है। पर यह सब इतना सरल भी नहीं था। यूपी-100 ने बहुत ही कम समय में गंभीर-से-गंभीर और छोटे-से-छोटे अपराध को सुलझाने में बेहद समझदारी और परिपक्वता का परिचय दिया है। ये सारी उपलब्धियाँ व समाचार महज समाचार-पत्र के एक कोने में आकर सिमट गई थीं। ज्यादातर लोगों को तो अभी तक यह भी जानकारी नहीं है कि पुलिस उनके जीवन में कितनी बड़ी भूमिका निभा रही है। अब यूपी-100 के कार्य कहानियों के रूप में आपके समक्ष हैं। मैंने घटनाओं के साथ कितना न्याय किया है, यह तो आप सभी की बहुमूल्य प्रतिक्रियाएँ ही बता पाएँगी।
Chehre Aur Chitthiyan
- Author Name:
Kunwar Natwar Singh
- Book Type:

- Description: जीवन के आरम्भिक काल में ही कुँवर नटवर सिंह का अन्तरंग सम्बन्ध विभिन्न क्षेत्रों की शीर्षस्थ प्रतिभाओं से हो गया था। निश्चय ही इनमें से हरेक ने उनके जीवन को अलग-अलग तरह से प्रभावित किया और इसका जो समग्र प्रभाव उनके व्यक्तित्व पर पड़ा उसने उन्हें घटिया जीवन-दृष्टि से बचाए रखा। अपने-अपने क्षेत्र के दुर्लभ गुणोंवाले और विशाल-हृदयी इन व्यक्तित्वों ने समय-समय पर लेखक नटवर सिंह को कृपा-पत्र लिखे। उन पत्रों और उनके व्यक्तित्व के आधार पर एक ऐसी अनूठी पुस्तक लेखक ने तैयार की जिसमें सरलता और त्वरा दोनों हैं। इसमें इन्दिरा गांधी, राजा जी, ई.एम. फ़ॉर्स्टर, नीरद सी. चौधुरी, लार्ड माउंटबेटन, आर. के. नारायण, विजयलक्ष्मी पंडित, हान सुयिन, ज़िया-उल-हक़ और नरगिस दत्त जैसी हस्तियों के व्यक्तित्व की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं का आत्मीय चित्रण किया गया है। इन शख़्सियतों के गहरे प्रभाव के बावजूद लेखक ने काफी हद तक तटस्थ और वस्तुनिष्ठ होने का प्रयत्न किया है। उन्होंने मात्र शब्दचित्र नहीं, बल्कि रेखाचित्र तैयार किए हैं जो पाठकों के सामने इन व्यक्तित्वों का आत्मीय व ऊर्जावान स्वरूप लाते हैं।
Apne Khawab Ki Tabir Chahti Hoon
- Author Name:
Nasera Sharma
- Book Type:

- Description: बकौल नासिरा शर्मा ‘बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद के बाद एक नया हिन्दुस्तान उभरा है, जिसको अभी ठीक से समझा जाना बाक़ी है। पहले भारत ज़मीन के स्तर पर दो फाँक हुआ था, अब विचार और संवेदना के स्तर पर सियासत ने उसे चार फाँक कर दिया है।’ नासिरा शर्मा न सिर्फ़ भारत बल्कि ईरान, अफ़ग़ानिस्तान और यूरोप की भी सामाजिक-सांस्कृतिक पेचीदगियों की जानकार हैं, और मनुष्यता की स्वाभाविक सकारात्मकता विशेषत: स्त्री सरोकार के प्रति अपनी पक्षधरता के लिए जानी जाती हैं। ‘अपने ख़्वाब की ताबीर चाहती हूँ’ उनके साक्षात्कारों का संकलन है। समकालीन पुरुष पत्रकारों-लेखकों-चिन्तकों, जिनमें देश से बाहर के भी कुछ नाम शामिल हैं, द्वारा लिए गए इन साक्षात्कारों को वे ‘आदम के सवाल हव्वा से’ कहती हैं। इन साक्षात्कारों में हम उनके लेखन से परिचित होते हैं, उनकी स्त्री से भी, और सबसे ज़्यादा उस सजग-चिन्तनशील व्यक्ति से जिसने भौगोलिक और राजनीतिक अर्थों में एक विराट और वैविध्यपूर्ण अनुभव को बहुत नज़दीक से देखा-जिया है। इसीलिए वे जिस विषय पर बात करती हैं, उसमें गहरा आत्मविश्वास और प्रामाणिकता स्पष्ट दिखाई देते हैं। मुस्लिम कठमुल्लावाद और हिन्दू कट्टरता से बराबर लोहा लेती आ रहीं नासिरा जी ने इन वार्ताओं में अनेक ऐसे सवाल उठाए हैं, और अनेक ऐसे सवालों के जवाब भी दिए हैं जिनका गहरा ताल्लुक़ हमारे आज के सामाजिक और राजनीतिक माहौल से भी है। मसलन हिन्दू-मुसलमान के बीच बढ़ाए जा रहे विद्वेष पर वे कहती हैं कि ‘इन सारे जालों को साफ़ करने का काम उतने प्रभावी ढंग से हमारी क़लम नहीं कर पाई जितना राजनेता समाज को काटने और दिलों को बाँटने में कामयाब हुए हैं।’ इस पुस्तक में कुछ सवालों के जवाब में उन्होंने ईरान और अफ़ग़ानिस्तान के राजनीतिक-सामाजिक घटनाक्रम पर विस्तार से चर्चा की है, और अन्य सामयिक मुद्दों पर भी जिनमें हिन्दी कहानी, साहित्य, दुनियाभर की स्त्री का लेखन और जीवन, बँटवारा, दंगे, भारत में मुस्लिम जीवन आदि शामिल हैं। आज जब हम कई निर्णायक मोर्चों पर किंकर्तव्यविमूढ़ खड़े हैं, एक बड़ी क़लम के ये विचार नि:सन्देह हमें कुछ रौशनी देंगे।
Chalen Gaon Ki Ore
- Author Name:
M.D. Mishra 'Anand'
- Book Type:

- Description: कहानियाँ अंतर्मन की वेदनाओं, समाज में फैली कुरीतियों, अंधविश्वास और अन्याय तथा राग-द्वेष को उजागर करते हुए सचेत करती हैं, सही मार्ग प्रशस्त करती हैं। हमारा देश कृषि प्रधान और ग्रामों का समूह है। इसमें निवास करनेवाला वर्ग प्रारंभ से ही शोषित रहा है। किसानों की स्थिति दयनीय रही और आज भी है। पहले से ग्राम्य जीवन में बहुत बदलाव आए हैं। किसानों और खेतिहर मजदूरों की स्थिति सुधारने के लिए शासन द्वारा अनेक योजनाएँ चलाकर उनके उत्थान के प्रयास किए जा रहे हैं, किंतु बुनियादी परिवर्तन नहीं हो पा रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि नीचे से ऊपर शासन और प्रशासन जिन भावनाओं के साथ योजनाएँ बनाते हैं, उनका क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। लालची और भ्रष्ट लोगों की जो शृंखला बनी हुई है, उसको तोड़ पाना कठिन हो रहा है। वे प्रत्येक मार्ग में अवरोध और अड़ंगे लगाने के विकल्प ढूँढ़ लेते हैं। तू डाल-डाल, मैं पात-पात—इसी साँप-सीढ़ी के खेल में कृषक, मजदूर तथा असहाय वर्ग फँसे हुए हैं। उनके द्वारा भोगे जा रहे यथार्थ का चित्रण ग्राम्य जीवन की इन कहानियों में समाहित है। ग्रामीण परिवेश और देहात में किसान एवं आम जन को होने वाली कठिनाइयों, विसंगतियों, ज्यादतियों एवं उत्पीड़न को कहानियों के माध्यम से सामने लानेवाला यह कहानी-संग्रह ‘चलें गाँव की ओर’ रोचक-मनोरंजक तो है ही, पाठकों के मन को उद्वेलित करनेवाला भी है।
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