Bharatiya Jeevan Drishti
Author:
Braj Kishore KuthialaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 400
₹
500
Available
भारतीय जीवन दृष्टि
प्रो. बृज किशोर कुठियाला का जीवन और दर्शन उनके लेखों में व्यापक रूप से दृश्यमान है, जो भारतीय संस्कृति का प्रतिमान है। जीवन पंचतत्त्व से उत्पन्न और पंचतत्त्व में समा जाने की यात्रा का वृत्तांत है। तत्त्वों के पारस्परिक उपयुक्त साहचर्य ही संतुलन कारक हैं। आत्मा और परमात्मा का संबंध देह से देहावसान तक और फिर मुक्ति की बैकुंठी भारतीय पुराणों में पढ़ने को मिलती है। जीवन एक सतत प्रवाह है, हमारे बाद भी चलेगा। ‘ब्रह्मसत्यम जगद् मिथ्या’ या ‘अहम् ब्रह्मास्मि तत्त्वमसि’ सूत्र वाक्य बहुत कुछ कह जाते हैं। संवाद जोड़ने का काम करता है, विवाद तोड़ने का। भारतीय संस्कृति समग्रता की दृष्टि से अस्तित्व में है।
प्रो. कुठियाला के लेख वेदांत दर्शन अथवा एकात्म मानवदर्शन की भावना को व्यक्त करते हैं। भारतीय चिंतन में देवऋण, ऋषिऋण और पितृऋण से मुक्ति की बातें हैं। व्यक्ति पर समाज का ऋण भी है। मनुष्य राष्ट्रकल्याण, समाज-कल्याण, और लोक-कल्याण से इस ऋण से मुक्त हो सकता है। इसके लिए आवश्यक है हम लोक के साथ संवाद बनाए रखें। वादे वादे जायते तत्त्व बोधः। बात करते रहने से तत्त्व मिलता है। नारद और ब्रह्माजी, शौनकादि ऋषि और सूतजी, कृष्ण और अर्जुन, काकभुशुण्डि और गरुड़जी, आचार्य मंडन मिश्र और आदि-शंकराचार्य से जो ज्ञान मिला वह केवल मानव कल्याण के लिए नहीं है, बल्कि समस्त ब्रह्मांड के लिए है। प्रो. कुठियाला के लेखों में यह मंतव्य पढ़ने के बाद एहसास होगा। सभी लेख चिंतन, मनन और ज्ञानवर्धन के लिए उपयोगी हैं।
—पार्थसारथि थपलियाल
ISBN: 9789390923052
Pages: 192
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: "तोलोलिंग की चोटी पर बीस दिन से भारतीय जवान शहीद हो रहे थे। आखिरी हमले की रात वे दुश्मन के बंकर के बेहद करीब पहुँच गए, लेकिन तभी गोलियों की बौछार हो गई। वे घायल थे, लेकिन वापसी उन्हें मंजूर नहीं थी। शरीर से बहते खून की परवाह किए बिना उन्होंने एक ग्रेनेड दागा और कारगिल में भारत को पहली जीत मिल गई। उसके सामने 100 चीनी सिपाही खड़े थे; गिनती की गोलियाँ बची थीं, लेकिन मातृभूमि का कर्ज चुकाते वक्त उसके हाथ नहीं काँपे और उसने युद्ध के मैदान को दुश्मन सिपाहियों का कब्रिस्तान बना दिया। ये भारतीय सेना की वे युद्ध गाथाएँ हैं, जो आप शायद आज तक नहीं जान पाए होंगे। रणभूमि में कान के पास से निकलती गोलियाँ जो सरसराहट पैदा करती हैं, वही कहानी इस किताब में है। बडगाम में मेजर सोमनाथ शर्मा की कंपनी ने कैसे श्रीनगर को बचाया और सियाचिन में पाकिस्तान के किले को किसने ढहाया, इस पराक्रम के हर पल का ब्योरा यह किताब देती है। सन् 1947 से लेकर करगिल तक भारतीय सैनिकों की वीरता की ये वे सच्ची कहानियाँ हैं, जो बताती हैं कि विपरीत हालात के बावजूद कैसे अपने प्राणों की परवाह किए बिना हमारे सैनिकों ने अदम्य साहस और शौर्य दिखाया। यह उस पराक्रम की झलक है, जो युद्धभूमि में दिखा और आज इस पुस्तक के जरिए आप तक पहुँच रहा है। भारतीय जाँबाजों के शौर्य, साहस, निडरता और राष्ट्रप्रेम का जीवंत प्रमाण है यह कृति ‘पराक्रम’, जो पाठकों को न केवल प्रेरित करेगी, वरन् भारतीय सैनिकों के समर्पण के प्रति श्रद्धा से नतमस्तक कर देगी।"
Lekhak Ka Samay
- Author Name:
Sangeeta Gupta
- Book Type:

- Description: Lekhak Ka Samay is a compilation of interviews she conducted with eminent women writers.
DADA-DADI KI KAHANIYON KA PITARA
- Author Name:
Smt. Sudha Murty
- Book Type:

- Description: हर दिन एक कहानी मुश्किलों के बिन जिंदगानी! यह वर्ष 2020 की बात है, जब बच्चे घरों में कैद होकर रह गए; क्योंकि नोवेल कोरोना वायरस भारत में आ धमका है। पूरे देश में लॉकडाउन घोषित हो चुका है, और इस बढ़ते संकट के बीच अज्जा और अज्जी अपने पोते-पोतियों और कमलु अज्जी का शिग्गाँव स्थित अपने घर में स्वागत करते हैं। मास्क सिलने से लेकर, घर के काम में हाथ बँटाने और श्रमिकों के लिए खाना तैयार करने से लेकर कालातीत कहानियों में खो जाने तक बच्चों के लिए लॉकडाउन का समय यादगार बन जाता है, जब वे देवी-देवताओं, राजाओं, राजकुमारों, साँपों, जादुई फलियों, चोरों, साम्राज्यों और महलों की दिलचस्प दुनिया में कदम रखते हैं। दादा-दादी की सुनाई अनगिनत कहानियाँ उनके जीवन में खुशियाँ भर देती हैं, जिनसे बच्चे दुनियादारी को लेकर पहले से कहीं अधिक दयालु और समझदार हो जाते हैं। भारत की लोकप्रिय लेखिका सुधा मूर्ति आपके लिए नैतिक गुणों से भरी ‘दादा-दादी की कहानियों का पिटारा’ का ऐसा संग्रह लेकर आई हैं, जिसे उन्होंने लॉकडाउन के दौरान बड़े प्यार से सँजोया है, ताकि नन्हे-मुन्ने पाठकों को सुकून मिले और वे दूसरों की देखरेख तथा उनके साथ चीजों को साझा करने के चमत्कार का अनुभव प्राप्त कर सकें। उनकी चिर-परिचित शैली में बेहतरीन ढंग से बुनी गई पुस्तक को आप पढ़ने लगें तो उसे छोड़ने का मन नहीं करेगा और यह हर बच्चे के बुकशेल्फ के लिए एक आवश्यकता तो है ही!
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