Sanskriti Bhasha Aur Rashtra

Sanskriti Bhasha Aur Rashtra

Language:

Hindi

Pages:

291

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

582 mins

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Book Description

‘संस्कृति, भाषा और राष्ट्र’ राष्ट्रकवि दिनकर के सारगर्भित भाषणों, आलेखों और निबन्धों का कालातीत और हमेशा प्रासंगिक रहनेवाला संकलन है।</p> <p>‘संस्कृति के चार अध्याय' के लेखक के रूप में साहित्य-जगत् को कवि दिनकर की विराट प्रतिभा के दर्शन हुए थे। वे कवि तो थे ही, साथ-साथ विद्वान् चिन्तक और अनुसन्धानकर्ता भी थे।</p> <p>इस पुस्तक में दिनकर की गम्भीर चिन्तन-दृष्टि की झाँकी हमें मिलती है। उनके निबन्ध, लेख और भाषण प्रमाणित करते हैं कि हिन्दू-धर्म और हिन्दू-संस्कृति के निर्माण में केवल आर्यों और द्रविड़ों का ही नहीं, बल्कि उनसे पूर्व के आदिवासियों का भी काफ़ी योगदान है। यही नहीं, हिन्दुत्व, बौद्ध मत और जैन मत के पारस्परिक मतभेद भी बुनियादी नहीं हैं।</p> <p>पुस्तक में दिनकर बेहद सरल, सुबोध भाषा-शैली में हमें बताते हैं कि जातियों का सांस्कृतिक विनाश तब होता है, जब वे अपनी परम्पराओं को भूलकर दूसरों की परम्पराओं का अनुकरण करने लगती हैं तथा सांस्कृतिक दासता का भयानक रूप वह होता है जब कोई जाति अपनी भाषा को छोड़कर दूसरों की भाषा अपना लेती है। फल यह होता है कि वह जाति अपना व्यक्तित्व खो बैठती है और उसके स्वाभिमान का विनाश हो जाता है।</p> <p>प्रस्तुत पुस्तक प्राचीन भारत के विभिन्न सम्प्रदायों, धर्मों, जातियों और संस्कृतियों की मूलभूत एकता और उनकी विषमता को रेखांकित करनेवाली अमूल्य कृति है।

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