Hawa Ka Jhonka Thi Vah
Author:
Anita RashmiPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Academics-and-references0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Available
“अरे मीनवा! इतनी रात को यहाँ?” वह लगभग मुझे धक्का देती हुई अंदर घुसी थी, मेरे लॉन की धूल को अपने पाँवों के साथ लेकर।
“क्या बात है मीना, इतनी घबराई हुई क्यों हो? तुम्हारा हसबैंड तो ठीक है या बच्चे?”
प्रश्नों की बौछार झेलती मीना तन का भार न झेल सकी थी। जमीन पर धम से बैठ गई थी।
तब मैंने देखा कि...
तब तक वह कह चुकी थी, ”दीदी, हम मार देलि। मार दिए उसको...।”
“किसको?”
“ऊ हरामी को। आय रहे हमर मरद मन के मारे, आउर हमके बेइज्जत करे... बस, सब झमेला खतमे कर देलि।”
उसकी खिचड़ी भाषा पर ध्यान नहीं था मेरा, जो वह अब प्राय: बोलने लगी थी। मैं उसके हाथ में लहू से लाल हँसुआ को देखती रह गई थी—किंकर्तव्यविमूढ़!
—इसी संग्रह से
ISBN: 9788196086404
Pages: 152
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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