Sati Vishakha (Ek Mochi ki Beti)
Author:
Babulal Sankhala 'Saini Babu'Publisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Academics-and-references0 Reviews
Price: ₹ 160
₹
200
Available
यह पुस्तक एक गाँव की कहानी है, जो अशिक्षा, जातिवाद और अंधविश्वासों से घिरा हुआ है। विशाखा गरीब मोची की बेटी है। रामाशंकर गाँव के प्रतिष्ठित पंडित दयाशंकरजी का बेटा है। वह विशाखा से उम्र में छोटा है। वह विशाखा के गाने को बहुत पसंद करता है। यही बात दोनों को करीब ले आती है, और उन दोनों के बीच एक परस्पर स्नेह का जन्म होता है। किंतु वहाँ प्रणय नहीं है। इसी गाँव के ठाकुर साहब का लड़का शरारती है। वह विशाखा से छेडख़ानी करता है। यह बात रामाशंकर से हजम नहीं होती। वह ठाकुर के बेटे को पत्थर मारकर लहूलुहान कर देता है। विशाखा भी उसे अपनी जूती से मारती है, जिसकी वजह से ठाकुर के बेटे के अहं पर चोट लगती है। वह विशाखा को बदनाम करने लगता है। आगे के घटनाक्रम कुछ यों होते हैं कि दोनों की एक ही चिता में जलकर मृत्यु हो जाती है। रामाशंकर चूँकि दयाशंकरजी का अकेला लड़का था, वे बेटे की ऐसी मृत्यु से बहुत दु:खी थे। उन्हें अहसास होता है कि जातिवाद ही समस्या की मूल वजह है, जिसके कारण उन्हें अपना पुत्र खोना पड़ा। वे चतुरतापूर्वक जातिवाद के विरुद्ध कार्य करते हुए विशाखा और रामाशंकर का एक मंदिर बनवाते हैं, जिसे पूरा गाँव पूजता है और उसका पुजारी एक चमार है। कुल मिलाकर यह उपन्यास जातिवाद के दंश को उजागर करता है। बाकी पाठकों की प्रतिक्रिया समय आने पर निर्भर करेगी।
ISBN: 9789355214195
Pages: 104
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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