Kaladrshti

Kaladrshti

Language:

Hindi

Category:

Self-help

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Book Details

भारत में पौराणिक काल से ही कलाशक्षेत्र बहुत विकसित तथा सुव्यवस्थित रहा है। देश में प्रचलित कला और साहित्य के विभिन्‍न माध्यमों ने मानवमात्र को संस्कारित करने के साथ-साथ मूल्यों, परंपराओं आदि को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाया है। कला मानव जीवन की सहचरी रही है। विश्व की प्राचीनतम और समृद्धतम कही जानेवाली - भारतीय सभ्यता और संस्कृति के द्वारा विश्व के-कल्याण के लिए किए गए विभिन्‍न उत्कृष्ट कार्यों को संपूर्ण विश्व तक पहुँचाने का महत्पूर्ण कार्य भारतीय कला ओर साहित्य के द्वारा ही हुआ है। भारतीय कला और साहित्य ने सदा समाज को जाग्रत्‌ और संस्कारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, सकारात्मकता से अपना धर्म निभाया है तथा संस्कारों की संवाहक रही है, परंतु अपने भारत देश की अनेक वर्षो की पराधीनता के कारण भारतीयों के मन-मस्तिष्क से अपने गत वैभव का स्मृतिभ्रंश हो गया था और भारतीय कला भी इन कुठाराघातों से नहीं बच पाई थी।
सन्‌ 1981 से कलाक्षेत्र में कार्यरत 'संस्कार भारती' सरीखा अखिल भारतीय संगठन कला को हिंदू कला दृष्टि से पुनः स्थापित करना चाहता है और कला-विधाओं और उत्सवों को आधार बनाकर कलाकारों के माध्यम से प्रत्येक भारतीय के हृदय में अपनी मातृभूमि के प्रति निष्ठा और कर्तव्यपरायणता का भाव जगाना चाहता है। इस दृष्टि से ही इस पुस्तक में “संस्कार भारती ' से जुड़कर संपूर्ण भारत में कार्य कर रहे कार्यकर्ताओं के लिए सैद्धांतिक व व्यावहारिक जानकारी दी गई है।

ISBN: 9789355212153

Pages: 200

Avg Reading Time: 7 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

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