Jai Hind

Jai Hind

Language:

Hindi

Category:

Self-help

0 Reviews

Price: ₹ 200

250

Unavailable

Format:
This Book is out of stock
About
Book Details

"यह सुनकर कि अंग्रेजी सेनाएँ मीकतिला और पोपा की ओर बढ़ रही हैं, नेताजी भयभीत नहीं हुए । खतरे के क्षेत्र मीकतिला में तो वे थे ही, उन्होंने पोपा पहुँचकर अपनी लड़ती हुई सेना का साथ देने का निर्णय कर डाला । जिस स्थान पर अपने कुछ साथियों के साथ बैठकर वे विचार-विमर्श कर रहे थे, वहाँ उन्हें बार- बार बिजली की चमक जैसी दिखाई दे जाती थी । यह चमक अंग्रेजी तोपों के चलने से उत्पन्न हो रही थी । शत्रु उस स्थान पर किसी समय भी पहुँच सकता था । नेताजी पोपा पहुँचने की अपनी जिद पर अड़े हुए थे । नेताजी की जिद देखकर मेजर जनरल शहनवाज खाँ ने एक चुभती हुई बात उनसे कही-
'' नेताजी, अब स्वयं अपने जीवन पर आपका अधिकार नहीं है । वह राष्‍ट्र की अमूल्य निधि बन चुका है । जरा सोचिए तो कि यदि आपको कुछ हो गया तो आजाद हिंद फौज और आजाद हिंद अभियान का क्या होगा?''
बात अपनी जगह ठीक थी, पर नेताजी पर उसका कोई असर नहीं हुआ । वे मुसकराकर बोले-
'' शहनवाज, मुझसे बहस करने से कोई फायदा नहीं है; मैंने पोपा पहुँचने का निश्‍चय कर लिया है और मैं वहाँ जा रहा हूँ । तुम्हें मेरी सुरक्षा के लिए चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैं यह जानता हूँ कि इंग्लैड अभी वह बम नहीं बना पाया जो सुभाषचंद्र बोस के प्राण ले सके । ''
-इसी पुस्तक से

ISBN: 9788189573140

Pages: 150

Avg Reading Time: 5 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

Customer Reviews

0 out of 5

Book

Hurry! Limited-Time Coupon Code

WORDPOWER
* Terms and Conditions applied.

Offers

Best Deal

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.

whatsapp