Classroom ki Prerak Kahaniyan
Author:
N. RaghuramanPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Self-help0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
मेरी बेटी बेहतर विकल्पों के लिए बाहर चली गई है, मेरी पत्नी अपने कॅरियर में व्यस्त है तो खाना अब पहले की तरह ‘स्वादिष्ट’ नहीं रहा, जिसमें प्रेम, लगाव, देखभाल करनेवाले शब्दों के साथ पूछताछ होती थी। सबसे बढ़कर वह वात्सल्य होता, जो इस धरती पर तो केवल माँ ही दे सकती है, खासतौर पर अपने बच्चों को। जब भी किसी दिन मैं अकेला भोजन के लिए बैठता हूँ तो मेरे कानों में माँ के शब्द गूँजते, ‘क्या तुम कुछ और खाओगे,’ ‘आज तुमने क्या खाया है,’ और मैं मूर्खों की तरह चारों ओर देखता हूँ, जबकि मुझे अच्छी तरह मालूम है कि ऐसे पूछनेवाला आस-पास कोई नहीं है। भीतर कहीं हूक सी उठती है कि कोई यह पूछनेवाला नहीं है। साफ कहूँ तो अब उन शब्दों में संगीत सुनाई देता है, फिर चाहे आँखें भीग ही क्यों न आई हों। कभी-कभी तो मैं अकेले खाने से घबराने लगता हूँ। शायद इसलिए बडे़-बुजुर्ग कहते हैं कि पूरे परिवार को कम-से-कम एक बार भोजन साथ लेना चाहिए। —इसी पुस्तक से क्लासरूम की ये प्रेरक कहानियाँ हमारे आस-पास तथा दैनिक जीवन से संबंधित हैं। कुछ नया करने की प्रेरणा देनेवाली कहानियाँ।
ISBN: 9789353223236
Pages: 192
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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