Think And Grow Rich (Hindi Translation of Think And Grow Rich)
Author:
Napoleon HillPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Other0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Available
Awating description for this book
ISBN: 9789395386456
Pages: 232
Avg Reading Time: 8 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Kargil Yuddha कारगिल युद्ध | Hindi Translation of Nation First The Story Of A Kargil War Hero
- Author Name:
Shikha Akhilesh Saxena
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Loktantra Ki Maya
- Author Name:
Arvind Mohan
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Ateet Ke Antaral
- Author Name:
Mohanlal Upadhyaya
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Hanuman Gatha (Shri Hanuman Ji Ka Sampuran Jeevan Gatha) Devotional & Spiritual Hanuman Katha Book in Hindi
- Author Name:
Ashok Narayan
- Rating:
- Book Type:

- Description: ज्ञानिनामाग्रगण्य सकल गुणनिधान कपिप्रवर हनुमान के बारे में कौन नहीं जानता? अद्वितीय प्रतिभा और अतुलित बल के कुबेर होते हुए भी उन्होंने स्वार्थ के लिए उसका उपयोग कभी नहीं किया। साधारण मनुष्य में यदि विद्या, गुण या कौशल आदि थोड़े से गुण भी आ जाएँ, तो वह दर्प से चूर हो जाता है, परंतु हनुमान सर्वगुण-संपन्न होकर भी सेवक ही बने रहे। प्रस्तुत पुस्तक ‘हनुमानगाथा’ में संकट-मोचक हनुमान के संपूर्ण जीवन को रामायण, रामचरितमानस आदि ग्रंथों के परिप्रेक्ष्य में आत्मकथात्मक शैली में पवनपुत्र के श्रीमुख से विवेचन हुआ है। हनुमान का चरित्र अलौकिक गुणों से संपन्न असंभव को संभव बनानेवाला है। आज के भौतिकवादी संसार में हनुमान के पावनचरित को अपनाए जाने की महती आवश्यकता है। वर्तमान में संसार को सेवा और भक्ति की पहले से कहीं ज्यादा आवश्यकता है। इसके लिए सबसे बड़े आदर्श और प्रेरणास्रोत हनुमान ही हो सकते हैं। इस नाते परोपकारी हनुमान का चरित अनुकरणीय है। सुधी पाठक हनुमान के पावन गुणों को आत्मसात् कर घोर कष्टों और अशांति से निजात पाएँ, इसी में इस पुस्तक के लेखन की सफलता है।
K.R. Malkani & The Motherland : Voices of the Nation
- Author Name:
Ed. Anirban Ganguly
- Book Type:

- Description: In its brief existence of about four years, between 1971 and 1975, ʻThe Motherlandʼ, edited by K.R. Malkani (1921-2003) achieved rare distinction and recognition in the world of journalism. It established itself as a fearless and uninhibited voice of the nation, relentlessly exposing the decay seeping into India’s body-politic by the early 1970s. In that respect ʻThe Motherland’sʼ advocacy of ʻIndia Firstʼ and its unalloyed articulation of India’s national interest remain unsurpassed. It was also its strident and uncompromising criticism of the Indira Congress and the Prime Minister’s ways, which eventually led Indira Gandhi to shut it down at the first given opportunity after she imposed the Emergency. ʻThe Motherlandʼ was, “The only paper in India to announce on 26th June the imposition of the Emergency, arrest of leaders and the wave of national shock.” This collection of K.R.Malkani’s columns in ʻThe Motherlandʼ offers an insight into Indian politics and society in the years just before Emergency was imposed by Indira Gandhi. It is a record of India’s political history a quarter century after independence and is a very useful reckoner for the general reader for understanding the years that led to the imposition of the Emergency.
Khidkiyan "खिड़कियाँ" Book in Hindi | Pankaj Sharma
- Author Name:
Pankaj Sharma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Meri Ayodhya, Mera Raghuvansh
- Author Name:
Rajeev "Acharya"
- Book Type:

- Description: हम दोनों भ्राता जब तक अपनी कुटी तक पहुँचते, तब तक अनर्थ घटित हो चुका था। हमारी कुटी रिक्त थी। भूमि पर धूलिकणों के मध्य अन्न एवं पात्र औंधे पड़े थे। 'सीते!' मैंने पुकारा, परंतु प्रत्युत्तर नहीं मिला। 'सीते!' मैंने पुन: पुकारा; पुन: प्रत्युत्तर में मुझे मौन ही प्राह्रश्वत हुआ। तत्पश्चात मैं भयभीत कुटी के प्रांगण में आया, जहाँ विशाल वटवृक्ष अवस्थित था। 'सीते! वृक्ष की आड़ में छिपकर मेरे साथ क्रीड़ा न करो। यह हास का समय नहीं है!' फिर भी मुझे कोई उत्तर नहीं मिला। अब मैं उसके पदचिन्हो को देखते हुए आगे बढऩे लगा। रथ के पहियों का चिह्नï मिलने के पश्चात् कोई अन्य चिह्नï नहीं मिला। मेरे धैर्य का सेतु टूट गया। 'देवताओ, गंधर्वो! क्या आपने भी नहीं देखा?' मैंने आकाश की ओर मुख करके भीषण गर्जना की। स्तब्ध पवनदेव ने अपना वेग मद्धिम कर दिया। उस तनावपूर्व घड़ी में देवताओं ने प्रश्नसूचक दृष्टि से गुरु बृहस्पति की ओर देखा। उन्होंने मंद-मंद मुसकराते हुए कहा, 'प्रभु लीला कर रहे हैं। आह! मेरा हृदय असंख्य शरों से बिंधा हुआ था। मैं लीला नहीं कर रहा था, वरन राम रूपी मानव काया में असहनीय वेदना का अनुभव कर रहा था। मैंने पुन: लक्ष्मण से कहा, अवश्य देखा होगा, इन वृक्षों ने, इन लताओं ने, इन पक्षियों ने, इन मृगों ने...। यह कहते हुए मैंने कदंब, अर्जुन, ककुभ, तिलक, अशोक, ताल, जामुन, कनेर, कटहल, अनार आदि अनेक वृक्षों से पूछा, क्या तुमने मेरी भार्या सीता को कहीं देखा है? परंतु वे सभी मौन रहे। —इसी पुस्तक से
Ethiopia ki Lok Kathayen-1 (Folk Tales of Ethiopia)
- Author Name:
Sushama Gupta
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Vittiya Niyojan
- Author Name:
Dr. Yogesh Sharma
- Book Type:

- Description: वित्तीय नियोजन (फाइनेंशियल प्लानिंग) पर बाजार में कई पुस्तकें उपलब्ध हैं, लेकिन लेखक ने इस पुस्तक के माध्यम से वित्तीय नियोजन के सिद्धांतों एवं निवेश के उत्पादों की जानकारी को उदाहरण सहित समझाया है। मुद्रास्फीति का प्रभाव, चक्रवृद्धि ब्याज की ताकत, जीवन के वित्तीय लक्ष्य, सेवानिवृति योजना, एस्टेट योजना, बैंकिंग, बीमा, म्यूचुअल फंड, सरकारी बजत योजनाएँ, शेयर बाजार, सोना एवं रियल एस्टेट जैसे विषयों को समावेश करते हुए इन क्षेत्रों के जटिल पहलुओं को सीधी-सरल भाषा में स्पष्टता से समझाने की कोशिश की है। विश्वास है कि पुस्तक वित्तीय नियोजन में रुचि रखनेवालों की जिज्ञासाओं, संशयों तथा प्रश्नों का निराकरण करेगी।
SAAT BAUNE AUR RAJKUMARI
- Author Name:
Rashmi Bala
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
BSSTET Bihar Special School Teacher Eligibility Test Class 1-5 Paper-1 | 5 Model Solved Question Papers and 10 Practice Sets Book in Hindi
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Manus Tan
- Author Name:
Rita Shukla
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
The Life and Times of Veer Savarkar
- Author Name:
A.K. Gandhi
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Elon Musk Ke 99 Success Principles Hindi Edition
- Author Name:
N. Chokkan
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Uttarakhand Ki Lokkathayen "उत्तराखंड की लोककथाएँ" Book in Hindi- Umedu Lal
- Author Name:
Umedu Lal "Umang"
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Alochna Ki Paridhi
- Author Name:
Gajendra Pathak
- Book Type:

- Description: श्री गजेन्द्र पाठक हिंदी आलोचना में एक सार्थक और जीवंत उपस्थिति हैं। उन्होंने हिंदी नवजागरण पर प्रमुखता से काम करने के साथ-साथ आलोचना को अपने विमर्शात्मक लेखन से समृद्ध किया है। उनकी आलोचना का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यही है कि वे कृति, व्यक्ति और विवेच्य विषय पर विचार करते हुए उसको अनेक संदर्भों के साथ देखते हैं और उसे वर्तमान परिप्रेक्ष्य में घटित कर उसके फलाफल का परीक्षण करते हैं। इससे उनकी आलोचना पाठक को अनेक स्तरों पर समृद्ध तो करती ही है, एक प्रबुद्ध नागरिक के रूप में भी उसे तैयार करती है। कृति के निहितार्थ के परीक्षण के साथ आज के आलोचक का यह बड़ा दायित्व है जिसे श्री पाठक बहुत मनोयोग से निभा रहे हैं। यह आलोचना अपनी संवादात्मकता में हमें साथ-साथ ले चलती है और विवेच्य विषय के साथ-साथ अनेक संदर्भों से परिचित कराती है। इसे पढ़ते हुए भान ही नहीं रहता कि हम कोई आलोचना पढ़ रहे हैं। श्री पाठक की आलोचना इसीलिए सर्जनात्मक आलोचना लगती है... इन सभी विशेषताओं को देखना हो, तो यह आलोचना पुस्तक ‘आलोचना की परिधि’ ध्यान आकृष्ट करती है। पुस्तक में बीस आलोचनात्मक निबंध हैं जो किसी एक विधा पर केन्द्रित नहीं हैं। इसमें कविता, उपन्यास, आत्मकथा और आलोचना की अनेक पुस्तकों पर विचार किया गया है, तो अनेक रचनाकार अपनी समस्त सर्जनात्मक उपादेयता में प्रकट भी होते है... इस रूप में उनकी आलोचना अपनी एक नागरिक जवाबदेही पूरी करती हुई हमें एक सचेत और आलोचनात्मक विवेक से सम्पन्न करती है। --ज्योतिष जोशी
BSSTET Bihar Special School Teacher Eligibility Test Paper-2 Class 6-8 |Mathematics and Science 15 Practice Sets Book in Hindi
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Dalit Sahitya Ka Saundaryashastra
- Author Name:
Omprakash Valmiki
- Book Type:

- Description: वर्ण-व्यवस्था के अमानवीय बन्धनों ने शताब्दियों से दलितों के भीतर हीनता भाव को पुख़्ता किया है। धर्म और संस्कृति की आड़ में साहित्य ने भी इस भावना की नींव सुदृढ़ की है। ऐसे सौन्दर्यशास्त्र का निर्माण किया गया जो अपनी सोच और स्थापनाओं में दलित विरोधी है और समाज के अनिवार्य अन्तर्सम्बन्धों को खंडित करने वाला भी। जनवादी, प्रगतिशील और जनतांत्रिक साहित्य द्वारा भारत में जन्मना जाति के सन्दर्भ में केवल वर्ग की ही बातें करने से उपजी एकांगी दृष्टि के विपरीत दलित साहित्य सामाजिक समानता और राजनीतिक भागीदारी को भी साहित्य का विषय बनाकर आर्थिक समानता की मुहिम को पूरा करता है—ऐसी समानता जिसके बग़ैर मनुष्य पूर्ण समानता नहीं पा सकता। दलित चिन्तन के नए आयाम का यह विस्तार साहित्य की मूल भावना का ही विस्तार है जो पारम्परिक और स्थापित साहित्य को आत्मविश्लेषण के लिए बाध्य करता है और झूठी और अतार्किक मान्यताओं का विरोध। अपने पूर्व साहित्यकारों के प्रति आस्थावान रहकर नहीं, बल्कि आलोचनात्मक दृष्टि रखकर दलित साहित्यकारों ने नई जद्दोजहद शुरू की है, जिससे जड़ता टूटी है और साहित्य आधुनिकता और समकालीनता की ओर अग्रसर हुआ है। यह पुस्तक दलित साहित्यान्दोलन की एक बड़ी कमी को पूरा करती हुई दलित-रचनात्मकता की कुछ मूलभूत आस्थाओं और प्रस्थान बिन्दुओं की खोज भी करती है, और साहित्य के स्थापित तथा वर्चस्वशाली गढ़ों को उन आस्थाओं के बल पर चुनौती भी देती है।
Talkies : Cinema Ka Safar-2
- Author Name:
Jagran Film Festival
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Trilochan Rachanawali Vol. 1-4
- Author Name:
Trilochan
- Book Type:

-
Description:
जनसाधारण की दुख-प्रसूत स्थानिक संवेदना को कविता में ढालकर मनुष्यता की सार्वभौमिक चेतना से जोड़ने वाले, शास्त्र की सटीकता और जनजीवन के नित नवीन अनुभवों को कई-कई छन्दों में अंकित करनेवाले विद्वान कवि त्रिलोचन हिन्दी के विराट कविता-लोक में अपनी तरह के अनूठे हस्ताक्षर हैं।
कई भाषाओं के ज्ञाता, संस्कृत के विद्वान और प्रगतिशील चेतना से सम्पन्न कवि त्रिलोचन ने रोला और बरवै जैसे प्राचीन छन्दों को भी साधा, गीत-ग़ज़ल भी लिखे और 'सॉनेट' जैसे विदेशी छन्द को हिन्दी का अपना बना दिया। मुक्त-छन्द भी लिखा और 'गद्य-वद्य' लिखते हुए आलोचना को भी एक आत्मीय रंग दिया।
यह त्रिलोचन की रचनावली है, जिसकी ज़रूरत लम्बे समय से महसूस की जा रही थी। त्रिलोचन महज़ एक कवि नहीं, कविता के विद्यालय थे; मौज़ूदा और आनेवाले रचनाकार उनसे हमेशा ही सीख सकते हैं। प्रस्तुत रचनावली में त्रिलोचन का सम्पूर्ण संकलित है।
कविताओं के साथ-साथ त्रिलोचन ने आलोचनात्मक गद्य भी लिखा। इस खंड में उनके द्वारा लिखित आलोचनात्मक लेखों, समीक्षाओं आदि को लिया गया है। कविता हो या गद्य उन्होंने बोलचाल की भाषा को ही प्राथमिकता दी। यह इन आलेखों से भी ज़ाहिर होता है। कुछ अप्रकाशित लेख भी यहाँ प्रस्तुत हैं। साथ में उनकी दैनन्दिनी भी।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Hurry! Limited-Time Coupon Code
Logout to Rachnaye
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.