I Am Simran
Author:
S.K. NarangPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
EnglishCategory:
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Price: ₹ 240
₹
300
Available
Destiny tossed her from one tragedy to another. Pushed into the dark lanes of hatred and neglect, love came not from known but from unknown. Happiness occasionally peeped in her life through small slits of life-window only to wither soon and make way for perpetual pain. Death, she thought, would have been more sympathetic than the cruelty of life but she was determined to live for a mission. Destiny defied even her noble thoughts and deeds. Lured by the charms of green pastures, love and trust were sacrificed by one who promised to be her life-partner. She finally discovered peace, tranquility and eternal bliss in the service of the destitute and in search of enlightenment. She lived for others. She discovered herself.
ISBN: 9789390900145
Pages: 232
Avg Reading Time: 8 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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मुक़दमा 1884 के शुरू में दायर किया गया। अगले वर्ष इसमें हुए पहले फ़ैसले के आते ही इसने एक सामाजिक नाटक का रूप धारण कर लिया।
इस युवा विद्रोहिणी की विजय या पराजय पर एक विकृत पारिवारिक-सामाजिक व्यवस्था का भविष्य टिका हुआ था।
रख्माबाई का विद्रोह एक असाधारण घटना थी। इससे पहले कभी किसी स्त्री ने ऐसे क्रान्तिकारी साहस और संघर्ष-शक्ति का परिचय नहीं दिया था।
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