Spain Ki Shreshtha Kahaniyan
Author:
Bhadra Sen PuriPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Academics-and-references0 Reviews
Price: ₹ 100
₹
125
Available
Awating description for this book
ISBN: 9789350489659
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
BSF Seema Surksha Bal Constable Tradesman (Mahila Evam Purush) Bharti Pariksha 20 Practice Sets
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
NCERT Objective Samanya Vigyan Evam Prodyogiki (General Science & Technology) for UPSC, State PSCs and Other Competitive Exams
- Author Name:
Dr. Ranjit Kumar Singh, IAS (AIR-49)
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Agniveer Vayu (Indian Airforce) Bhartiya Vayu Sena Science Subjects Bharti Pareeksha 25 Practice Sets
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
RRB/RRC Group D Level-I Bharti Pareeksha Ganit (Railway Recruitment Exam Mathematics 75 Practice Sets in Hindi)
- Author Name:
Ankush Sir
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
BPSC Bihar Shikshak Bahali Itihas Bhag-1 (History) 15 Practice Sets
- Author Name:
Dr. Ranjit Kumar Singh
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Gunvattapoorna Shiksha : Siddhant Aur Vyavahar
- Author Name:
Ed.Vinodanand Jha
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
The Analysis Of Mind (Pb)
- Author Name:
Bertrand Russell
- Book Type:

- Description: This book doesn’t have description
Mere Sapne Hue Sach
- Author Name:
Preeti Kumari
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
KVS PRT Primary Teacher Written Examination 2023 15 Practice Sets includes Latest Solved Paper
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Aapake Man-Mastishk Ki Jeet (Hindi Translation of Mind Your Mind)
- Author Name:
Venugopal Acharya
- Book Type:

- Description: मैं दिन-रात चिंता करना कैसे बंद करूँ? मैं हद से ज्यादा क्यों सोचता हूँ? अपनी मुसीबतों का दोष मैं किसे दूँ? मेरा मन मेरा दोस्त है या दुश्मन? मेरा जीवन इतना निरर्थक लगता है कि जीने का फायदा ही क्या है? क्या मैं अपनी सारी मुसीबतों के बावजूद खुशी हासिल कर सकता हूँ?’—क्या ऐसे ही सवाल आपके मन में भी उठते हैं, तो संन्यासी और शिक्षक वेणुगोपाल आचार्य के पास आपके सवालों के जवाब हैं। वे मन को सँभालने और खुशहाल जीवन के लिए तीन प्रभावशाली किंतु सरल सिद्धांत सुझाते हैं—जागरूकता, स्वीकार्यता और आकांक्षा। स्वयं-सहायता के इन तरीकों को मात्र बताने भर से एक कदम आगे बढक़र आचार्यजी ऐतिहासिक कहानियों, आज की घटनाओं, भारतीय शास्त्रों में वर्णित ज्ञान की बातों के द्वारा यह समझाते हैं कि इन भिन्न-भिन्न अवधारणाओं को किस प्रकार दैनिक जीवन के तीन चरणों के अभ्यास के साथ अपना सकते हैं और स्थायी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ‘आपके मन-मस्तिष्क की जीत’ एक अनमोल मार्गदर्शिका है, जिसे आधुनिक जीवन के लिए बनाया गया है और जिसकी सहायता से अपने आप को बदला जा सकता है। मन-मस्तिष्क पर विजय प्राप्त कर जीवन में संतोष, सुख, आनंद और सार्थकता पाने के द्वार खोलनेवाली प्रेरक कृति।
MADHYA PRADESH POLICE ARAKSHAK -(GUIDE)
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Bhakti Ke Teen Swar : Miraan, Sur, Kabir
- Author Name:
John Stratton Hawley
- Book Type:

- Description: प्रो. हौली पिछले कई दशकों से भक्ति और हिन्दू परम्परा के अन्य पहलुओं पर विचारोत्तेजक काम करते रहे हैं। केनेथ ब्रायंट के साथ मिलकर उन्होंने सूरदास के पदों की प्रामाणिकता और पाठ-निर्धारण पर काम किया है। प्रस्तुत पुस्तक मूल अंग्रेज़ी में 2005 में प्रकाशित हुई थी। इस बीच नई खोजें हुई हैं, भक्ति-विमर्श में नए प्रश्न, नई शब्दावलियाँ आई हैं। प्रो. हौली ने पुस्तक की सामग्री को नई खोजों की रोशनी में अद्यतन किया है, हालाँकि ऐसा करते समय भी वे अपने मूल तर्क, आग्रहों और पद्धति को बनाए रहे हैं। सूरदास रचित पदों की संख्या ठीक-ठीक लाख नहीं तो हजारों में माननेवालों के लिए यह बहुत चौंकानेवाली बात होगी कि प्रो. हौली इनमें से केवल चार सौ तैंतीस को इस अर्थ में प्रामाणिक मानते हैं कि वे सूरदास से सम्बन्धित प्राचीनतम पांडुलिपियों में प्राप्त होते हैं। हौली इस पुस्तक में सूरदास, मीराँ और कबीर से जुड़े विशिष्ट सवालों—समय, रचनाओं की प्रामाणिकता, संवेदना का स्वभाव, लोक-स्मृति में उनका स्थान—आदि पर तो विचार करते ही हैं, वे इनके बहाने भक्ति-संवेदना से जुड़े व्यापक प्रश्नों पर भी विचार करते हैं। वे उस विमर्श में भी हिस्सा लेते हैं, जो भक्ति-संवेदना के ऐतिहासिक और दार्शनिक रूप से अभूतपूर्व पहलुओं को समझने की कोशिश करता रहा है। निर्गुण ही नहीं, यह बात तुलसी, सूर, मीराँ जैसे सगुण कवियों के बारे में भी सच है कि उनकी कविता आचार्यों द्वारा कर दिए गए ब्रह्म-निरूपण का जन-सुलभ मुहावरे में प्रचार करने के लिए नहीं रची गई है। वह सचमुच स्वायत्त और नवाचार सम्पन्न 'निज ब्रह्म विचार' है। इस निज ब्रह्म विचार और इसकी काव्याभिव्यक्ति के तीन सर्वाधिक मनोहर स्वरों को सुनते हुए प्रो. जॉन स्ट्रैटन हौली बहुत ही विचारोत्तेजक निष्कर्षों तक पहुँचे हैं, जिनमें से कुछ इस पुस्तक के माध्यम से आपके सामने मौजूद हैं।
Ramayana Se Startup Sootra
- Author Name:
Prachi Garg
- Book Type:

- Description: This book has no description
Manu Ki Drishti Se Hindu Samaj
- Author Name:
Chitra Awasthi
- Book Type:

- Description: समाज को मनु की दृष्टि से देखना अपने आप में एक नया अनुभव है। लंबे समय तक भारतीय समाज को बाँधकर रखनेवाले मनु पर चतुर्दिक होनेवाले वैचारिक प्रहार यह सोचने पर विवश करते हैं कि मनु की समीक्षा इस युग में आवश्यक है। इस पुस्तक को लिखते हुए यह उद्देश्य बिलकुल भी नहीं है कि मनु कि व्यवस्था को पुनः लाने का प्रयास किया जाए। किंतु लेखिका का यह उद्देश्य अवश्य है कि मनु, और इसी बहाने से प्राचीन भारतीय दर्शन को देखने कि एक नई दृष्टि दी जाए। अल्पज्ञ, भारतीय भाषाओं तथा संस्कृति से अनभिज्ञ पाश्चात्य (तथाकथित) भारतविदों के पूर्वग्रहयुक्त ग्रंथों और उनकी टिप्पणियों के आधार पर भारतीय दर्शन के मूल्यांकन को प्रवृत्ति पहले ही बहुत हानि कर चुकी है। अब इससे हटकर इस सबको देखने की आवश्यकता है। मनु की दृष्टि को पूरा समझने के लिए बहुत कुछ वह भी समझना पड़ता है, जो उनसे अनकहा रह गया है । बीच के बिंदु भरने के लिए इस पुस्तक में उनके समकालीन, पूर्व तथा परवर्ती ग्रंथों से संदर्भ भी लिये गए हें, जैसे अर्थशास्त्र, महाभारत, रामायण, कुछ उपनिषद्, पुराण, वेद आदि। आशा है यह पुस्तक भारत के प्राचीन समाज तथा जीवन-मूल्यों को देखने की नई दृष्टि की संभावना प्रस्तुत करने के उद्देश्य को पूर्ण करेगी।
Lachhaman Gun Gatha
- Author Name:
Rajendra Arun +1
- Book Type:

- Description: रामकथा में लक्ष्मणजी का चरित्र सबसे विचित्र, सबसे अनुपम और सबसे भिन्न है। वे केवल श्रीराम के अनुज ही नहीं, बल्कि उनके सहचर और अनुचर भी हैं, प्राण और अंतरात्मा भी हैं, सुहृद् और भक्त भी हैं तथा दर्पण और प्रतिबिंब भी हैं। वास्तव में वे उनके सर्वस्व हैं। दोनों का जीवन प्रेम और विश्वास के अटूट सूत्र से बँधा हुआ है, जहाँ किसी प्रकार के दुराव, छिपाव और अलगाव की कोई गुंजाइश नहीं। विश्व इतिहास में ऐसा चरित्र मिलना दुर्लभ है, जिसने अपने अग्रज की सेवा में अपने अस्तित्व का पूर्णतया विसर्जन कर दिया हो और उसी में अपने जीवन की धन्यता और सार्थकता पाई हो। लक्ष्मण महापराक्रमी, श्रेष्ठ योद्धा, बुद्धिमान्, धर्मज्ञ, नीतिज्ञ, शास्त्रज्ञ, वाक्-निपुण, दूरदर्शी, सेवाव्रती, आत्मवान्, जितेंद्रिय, परम संयमी, वैराग्यवान् और सदाचारी होने के साथ-ही-साथ अनेक कलाओं में भी निपुण थे। त्याग, सेवा और समर्पण के वे मूर्तिमान् स्वरूप थे। यह पुस्तक मुख्य रूप से रामचरितमानस पर आधारित है, परंतु आवश्यकतानुसार वाल्मीकि रामायण से भी सहायता ली गई है। महर्षि वाल्मीकि ने लक्ष्मणजी के कुछ गुणों, जैसे—सेवा, पर्णकुटी बनाने की दक्षता, पुरुषार्थ के प्रति निष्ठा, सीताजी के वियोग में संतप्त श्रीराम का मनोबल बढ़ाने की कला आदि का बहुत ही सजीव वर्णन किया है। लक्ष्मणजी की यशोगाथा को सत्रह अध्यायों में विभाजित किया गया है। हर अध्याय का नाम चौपाई विशेष की अर्द्धाली के आधार पर रखा गया है और अध्यायों का क्रम रामचरितमानस में आई चौपाइयों के क्रमानुसार सुनिश्चित किया गया है।
Sanskriti : Rajya, Kalayen Aur Unse Pare
- Author Name:
Balmeeki Prasad Singh
- Book Type:

-
Description:
संस्कृति भारतीय अनुभव की आत्मा है। भारतीय अनुभव को समझने के लिए आवश्यक है कि उसके मर्म में स्थित भारतीय संस्कृति को समझा जाए। ईसाई युग के अभ्युदय से काफ़ी पहले ही पूर्णत: विकसित हो चुकी इस संस्कृति ने भारतवासियों को (और समस्त भरतवंशियों को भी) एक निश्चित अस्मिता और चरित्र से सम्पन्न किया है। लेखक की मान्यता है कि संस्कृति के इसी अवदान के कारण भारतीय जन-गण इतिहास के कई दौरों और मानव-चेतना में हुए कई परिवर्तनों के बावजूद अपनी अखंडता सुरक्षित रख पाए हैं।
यह पुस्तक भारतीय संस्कृति की एक असाधारण अन्वेषण-यात्रा करते हुए व्याख्यात्मक प्रयास के ज़रिए कई अन्तर्सम्बन्धित विषय-वस्तुओं पर प्रकाश डालती है। इन्हीं में से एक धारणा यह है कि भारत में एक विकसित संस्कृति और विकासमान अर्थव्यवस्था का दुर्लभ संयोग मिलता है। लेखक का दावा है कि बीसवीं सदी के आख़िरी वर्षों में राष्ट्र-समुदाय के बीच राष्ट्रों की हैसियत तय करने में संस्कृति का कारक महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है। शीतयुद्धोत्तर विश्व में ‘बाज़ार’ ने ‘सैन्य-शक्ति’ को प्रतिस्थापित कर दिया है और ‘संस्कृति’ अब इन दोनों के महत्त्व को चुनौती दे रही है। लेखक ने कला और संस्कृति के साथ भारतीय राज्य की अन्योन्यक्रिया की जाँच-पड़ताल ऐतिहासिक ही नहीं, समकालीन दृष्टिकोण से भी की है। उनकी मान्यता है कि जवाहरलाल नेहरू और मौलाना आज़ाद के ज़माने से ही भारत सरकार कला और संस्कृति के क्षेत्रों को प्रायोजित करने और संरक्षण देने की नीति के साथ प्रतिबद्ध रही है (इस विषय से जुड़े हुए कुछ पत्राचार सम्बन्धी अप्रकाशित दस्तावेज़ भी पुस्तक में उद्धृत किए गए हैं)।
नब्बे के दशक की शुरुआत से जारी अर्थव्यवस्था के उदारीकरण और पश्चिमी मीडिया के प्रभावों के मद्देनज़र लेखक ने व्यापारिक क्षेत्र द्वारा संस्कृति के क्षेत्र में सरकार के साथ जुड़ने की आवश्यकता की ओर ध्यान खींचा है। उसका तर्क है कि धरोहर स्थलों के समुचित संरक्षण और भारतीय संस्कृति के रचनात्मक रखरखाव के लिए परियोजनाओं और कार्यक्रमों के प्रायोजित करने का दायित्व निभाने में निजी क्षेत्र सरकार की मदद कर सकता है। पुस्तक इस सम्बन्ध में विचारवान नागरिकों और स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका को उभारते हुए सुझाव देती है कि देश की सांस्कृतिक धरोहर के प्रबन्धन के लिए भारत सरकार को इस काम में विशेष रूप से पारंगत प्रशासनिक कैडर का गठन करना चाहिए। संस्कृति से सम्बन्धित यह सर्वथा नवीन विश्लेषण ‘सभ्यताओं में संघर्ष’ जैसी बहुप्रचारित धारणाओं को अस्वीकार करते हुए सभ्यताओं के बीच मैत्री का परिदृश्य व्याख्यायित करता है और उसे लोकतंत्र के सुदृढ़ीकरण के व्यापकतर सन्दर्भ से जोड़ देता है। लेखक की दलील है कि इस वैचारिक विन्यास के लिए आनेवाली सहस्राब्दि में गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी की शिक्षाएँ उत्तरोत्तर प्रासंगिक होती चली जाएँगी।
भारतीय सांस्कृतिक इतिहास, राजकीय नीति के विश्लेषण और दार्शनिक विचार-विमर्श के मिश्रण के माध्यम से यह पुस्तक राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर और उसके भारतीय व वैश्विक सन्दर्भों पर एक चुनौतीपूर्ण व नवीन दृष्टि डालती है।
Ganit Se Kar Lo Dosti
- Author Name:
Rajesh Kumar Thakur
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Prem Aur Shanti ka Marg
- Author Name:
Dadi Janki
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Madhya Pradesh Madhyamik Shikshak Patrata Pareeksha Samajik Vigyan (MPTET Social Science Guide Book)
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Karysthal Par Yaun Utpeedan, Karan Aur Nivaran
- Author Name:
Shaharyar Amjad Khan
- Book Type:

- Description: Book
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...