Siddha Sant Aur Yogi
Author:
Shambhuratna TripathiPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Religion-spirituality0 Reviews
Price: ₹ 320
₹
400
Unavailable
इतिहास पर दृष्टि डालने पर कुछ शक्तियाँ सहज ही लक्ष्य की जा सकती हैं। यथा, सामरिक शक्ति, आर्थिक शक्ति, जनसमूह के संगठन की शक्ति, लेकिन जो शक्तियाँ वस्तुतः पृथ्वी को धारण करती हैं, वे साधारणतः प्रत्यक्षगोचर नहीं होती हैं। परंतु ऐसा भी नहीं है कि वे कभी हमारे सामने आती ही नहीं हैं। करुणावश, वे हमारे क्रियाकलाप में इस प्रकार हस्तक्षेप करती हैं कि हम उनको इस धरातल पर देख सकें। तोटकाचार्य अपने स्तोत्र में लिखते हैं—जगतीमवितुं कलिताकृतयो विचरन्ति महामहसश्छलतः। जगती की रक्षा करने हेतु महान् विभूतियाँ छद्म-शरीर धारण करके विचरण करती हैं। इन विभूतियाँ का संपर्क, इनके स्पर्श, इनकी वाणी, व इनके कटाक्ष सभी अभ्युदय हेतु होते हैं।
‘सिद्ध संत और योगी’ ऐसी विभूतियों के चिंतन व जीवनचरित का परिचय प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक एक संकलन के रूप में जिज्ञासुओं के लिए अत्यंत रोचक है, पर दूसरी ओर इसमें चर्चित अधिकांश महात्माओं की जीवंत शिष्य-परंपराएँ विद्यमान हैं, जहाँ आर्त्त व जिज्ञासु आश्रय अथवा मार्गदर्शन हेतु जा सकते हैं। आसन्न संकटों से निबटने के लिए मानवजाति के सम्मुख चेतना के उन्नयन के अतिरिक्त कोई मार्ग शेष नहीं है; इस पुस्तक में संकलित लेख कदाचित् इसी आशय से लिखे गए थे।
ISBN: 9789390900015
Pages: 296
Avg Reading Time: 10 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: श्री सुरेश कुमार सिंह, प्रशासनिक पद पर होते हुए भी आध्यात्मिक चिन्तन और लेखन में लीन रहते हैं। उनकी आध्यात्मिक चेतना और शोध-दृष्टि स्पृहणीय है। ‘पराशक्ति श्रीसीता’ और उनसे सम्बन्धित स्थल की प्रामाणिक खोज उनके व्यक्तित्व को उजागर करती है। एक प्रशासनिक अधिकारी के गुरुतर दायित्वों का निर्वहन करते हुए इक्यावन शक्तिपीठों का अन्वेषण, उपनिषदों में देवी के विविध स्वरूपों का शोधपरक विश्लेषण तथा ‘पराशक्ति श्रीसीता’ के विविध स्वरूपों का विवेचन इनकी वैचारिक ऊँचाइयों का दिग्दर्शन कराता है। भदोही जनपद के ख्यातिलब्ध विद्वानों—शास्त्र चूड़ामणि, डॉ. विद्याशंकर त्रिपाठी, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ. भारतेन्दु द्विवेदी तथा डॉ. लक्ष्मीधर चतुर्वेदी ने पुस्तक को उपयोगी बनाने में अहम् भूमिका निभाई है। विश्वास है, यह पुस्तक ‘पराशक्ति श्रीसीता’ और वाल्मीकि आश्रम सीतामढ़ी के सन्दर्भ में मील के पत्थर का काम करेगी।
Rigved : Mandal-10 Uttarardh
- Author Name:
Govind Chandra Pandey
- Book Type:

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Description:
वेद सनातनविद्या के काव्यात्मक प्रतिपादन हैं। ऋग्वेद संहिता के अनुवाद एवं व्याख्या का प्रयास अनेक भाषाओं में समय-समय पर होता रहा है, किन्तु अभी तक उपलब्ध सभी अनुवादों में काव्यपक्ष की उपेक्षा अथवा पद्यानुवाद की प्रस्तुति के असम्भव प्रयास ही किए गए हैं जो ऋचाओं के साथ पूरा न्याय नहीं करते हैं। वेदों में भावों की सनातनता एक व्यापक ध्वनि के रूप में सूक्तों, संवादों और आख्यानों में विद्यमान है। प्रस्तुत अनुवाद में पादानुसारी किन्तु भावपरक अनुवाद पर विशेष आग्रह सोद्देश्य है ताकि ऋचाओं की काव्यात्मकता का यथासम्भव सम्प्रेषण एवं मूल की अर्थयोजना का क्रम अनुवाद में सुरक्षित रहे।
भाषान्तर में व्याख्या का सूक्ष्म प्रकार अनिवार्य होता है और वही अनुवाद का वर्तमान और अतीत के मध्य संवाद बनाकर बहुत कुछ को परम्परा में जीवित तथा प्रगतिशील रखता है। अतः ग्रन्थ में अनुवाद के लिए उपयुक्त भाषा, पुरातन ध्वनि बहुलता और समसामयिक सजीवता के संरक्षण की दृष्टि से तत्सम, तद्भव एवं देशी शब्दों के समन्वित प्रयोग किए गए हैं। साथ ही, गम्भीर और बहुमुखी अर्थों को स्पष्ट करने के लिए क्रियापदों के अनुवाद, दुरूह पदों के अर्थनिर्वचन में धातुपाठ, निरुक्त की पद्धति एवं आधुनिक तथा तुलनात्मक व्याकरण के अनुसरण से सहायता ली गई है।
वेद आर्षकाव्य के निर्देशन के साथ-साथ अध्यात्मगवेषियों के मार्गदर्शक भी हैं। अतः ऋचाओं में संश्लिष्ट आधियाज्ञिक, आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक अर्थों को उद्घाटित करने का प्रयास किया गया है। व्याख्याकारों में जहाँ विवाद की स्थिति है, वहाँ प्राचीन एवं नवीन दोनों ही मतों का विवेचन प्रस्तुत किया गया है। इस प्रकार काव्यात्मक पक्ष की प्रस्तुति, निगूढ़ अर्थ के आयामों का विश्लेषण और विवादित स्थलों का तुलनात्मक विवेचन इस ग्रन्थ के अनुवाद एवं व्याख्या की अभीप्सित विशेषताएँ हैं।
इस खंड में ‘ऋग्वेद’ के दसवें मंडल (उत्तरार्द्ध) का व्याख्या सहित हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया गया है।
Urilinga Peddi-Kaalavve
- Author Name:
Kashinath Ambalge
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- Description: Awating description for this book
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