Patrakarita Mein Anuwad
Author:
PriyadarshanPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Media0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Unavailable
अनुवाद की बात आते ही हमें दो भाषाओं का परिदृश्य ध्यान में आता है। अनुवाद की ज़रूरत केवल दो भाषाओं के सन्दर्भ में ही हो ऐसा ज़रूरी नहीं है। अनुवाद के कई ऐसे आयाम होते हैं जिन पर हम आम तौर पर ग़ौर नहीं करते। दो विरोधी दर्शन और विचार रखनेवालों के बीच संवाद के लिए भी अनुवाद की ज़रूरत होती है। अनुवाद के ऐसे ग़ैर-पारम्परिक अर्थ और प्रसंग को छोड़ भी दें तो भी पत्रकारिता के क्षेत्र में अनुवाद का अहम स्थान है।हिन्दी के प्रति प्रेम राष्ट्र-गौरव की भावना आत्म-सम्मान जैसे सराहनीय और वांछनीय आदर्शों के सशक्त हिमायती होने के बावजूद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अख़बारों द्वारा अन्तरराष्ट्रीय परिदृश्य के निरन्तर अद्यतन और सही ढंग से अंकन के लिए अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद की ज़रूरत अभी भी बरकरार है। अनुवाद की कला कठिन है क्योंकि दो भिन्न भाषाओं की अभिव्यक्ति शैली भी भिन्न होती है। हर भाषा का एक अपना चरित्र होता है और उस चरित्र के कारण भाषा की शैली की विशिष्टता होती है। विद्वान लेखकों द्वारा तैयार इस पुस्तक के ज़रिए इस कला को विस्तार देने और सँवारने की कोशिश की गई है। पत्रकारिता से जुड़े हर व्यक्ति के लिए यह उपयोगी पुस्तक है।
ISBN: 9788171198450
Pages: 108
Avg Reading Time: 4 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: "सीरिया और इराक लगभग विखंडन के कगार पर पहुँच गए, क्योंकि उनके विभिन्न समुदायों—शिया, सुन्नी, कुर्द, अलावाइट और ईसाई—को यह लगा कि वे अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं। इसलाम धर्म के कट्टरपंथी अनुपालन के लिए निष्ठुर इसलामिक स्टेट ऑफ इराक ऐंड सीरिया (ISIS) ने उन सभी को अपना निशाना बनाया, जिन्होंने इसके नियमों का विरोध भर किया। उन्हें या तो मार दिया या भाग जाने के लिए विवश कर दिया गया। 10 जून, 2014 इतिहास का एक काला दिन था, जब ISIS ने चार दिन की लड़ाई के बाद इराक की उत्तरी राजधानी मोसुल पर कब्जा कर लिया। भयाक्रांत करने में ISIS कुख्यात है। इसके द्वारा तैयार वीडियो क्लिपों में इसके लड़ाकों द्वारा शिया सैनिकों और ट्रक ड्राइवरों को फाँसी देते हुए दिखाया गया है, ऐसी कुत्सित घटनाओं ने मोसुल और टिकरित पर कब्जे के दौरान शिया सैनिकों को आतंकित करने और उनका मनोबल तोड़ने में प्रमुख भूमिका निभाई। मोसुल और इराक के अधिकांश उत्तरी भाग पर कब्जा करने के बाद ISIS नेता अबू बर्क अल-बगदादी को नई खिलाफत का मुखिया घोषित कर दिया गया, जो सभी मुसलमानों से अंधानुसरण की अपेक्षा करता है। मानवता के शत्रु और जेहादियों के जत्थे पैदा करनेवाली ISIS की काली करतूतों का सजीव लेखा-जोखा देती है यह पुस्तक, जो पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी प्रभावी छाप छोड़नेवाले पैट्रिक कॉकबर्न ने अपनी जान जोखिम में डालकर तैयार की है।
Photo Patrakarita
- Author Name:
Dhananjai Chopra
- Book Type:

- Description: हमारा समय विजुअल कम्युनिकेशन यानी दृश्य संचार का समय है। वास्तविक दुनिया हो या आभासी दुनिया, हर तरफ छवियां ही छवियां हैं। कास्टिंग के लगभग सारे उपक्रम यानी प्रिंटकास्ट, ब्रॉडकास्ट, टेलीकास्ट, वेबकास्ट और ह्यूमनकास्ट अनायास ही छवियों के अधिकाधिक प्रयोग की होड़ में शामिल हो गए हैं। संचार के क्षेत्र में छवियों यानी दृश्यों के इस तरह प्रयोग से जन-संप्रेषण की दुनिया में बड़ा बदलाव आया है। इस बदलाव का कारण बना, हमारे मोबाइल फोन में कैमरे का आ जाना। इक्वींसवीं सदी के प्रारंभ से ही लोगों ने अपने आसपास के दृश्यों को सहेजना शुरू कर दिया था। दृश्यों के माध्यम से जन इतिहास का लिखा जाना यह बता रहा था कि आने वाले समय में शब्दों से कहीं अधिक दृश्य पढ़े जाएंगे। हुआ भी यही, हमने एक ऐसे समाज की रचना कर ली है, जिसमें दृश्य संचार के बिना रह पाना मुश्किल हो रहा है। टेक्नोलॉजी के बलबूते बदलती दुनिया और बदलते समय में दृश्य संस्कृति विकसित हो रही है। दृश्य गढ़े जा रहे हैं, रचे जा रहे हैं, प्रस्तुत किए जा रहे हैं और पढ़े जा रहे हैं। अब से पहले इतने अधिक दृश्यों का आदान-प्रदान कभी नहीं हुआ था। दरअसल यह दृश्य विस्फोट यानी विजुअल एक्सप्लोजन का समय है। यह फोटोग्राफी और फोटो पत्रकारिता को सीखने, समझने, सहेजने और संचरित करने का अप्रतिम समय है।
Yaksha Prashna Barkarar
- Author Name:
Manikant Bajpai
- Book Type:

- Description: Media
Hindi Patrakarita : Ek Yatra
- Author Name:
Mrinal Pande
- Book Type:

- Description: अरसे तक ‘राष्ट्रीय मीडिया’ मानी जानेवाली अंग्रेजी मीडिया के वर्चस्व को, अपने व्यापक जमीनी जुड़ाव की बदौलत किनारे कर, देश के कोने-कोने तक पहुँच बना चुकी हिन्दी मीडिया का यह ऐतिहासिक सफर अत्यन्त चुनौतीपूर्ण रहा है, जिसका ब्योरा मृणाल पाण्डे ने इस किताब में दर्ज किया है। इसमें औपनिवेशिक काल में बढ़ती राष्ट्रीय भावना से उपजे अखबार और अंग्रेजी की अधीनता से लेकर, आजादी के बाद के दौर में विज्ञापन और निजी कॉरपोरेटों की बढ़ती मौजूदगी से आए उन बदलावों का सूक्ष्म विश्लेषण किया गया है जिन्होंने पत्रकारिता का परिदृश्य आमूल बदल दिया। आगे डिजीटलीकरण, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के बढ़ते प्रभावों और विज्ञापनों पर भारी निर्भरता ने बदलावों को और तेज किया। और अब, राजनीति, कारपोरेट और मीडिया के बीच स्पष्ट किन्तु जटिल रिश्तों की छाया में यह सवाल सामने है कि एक समय भारतीय लोकतंत्र को आगे बढ़ाने का जरिया बनी हिन्दी मीडिया आज हमारे संविधान प्रदत्त सूचना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हक को आगे बढ़ा पाने में किस हद तक सक्षम है? जरूरी जानकारियों से भरी यह किताब पत्रकारिता के छात्रों, प्रोफेसरों और मीडियाकर्मियों के साथ-साथ उन सबके लिए एक विचारोत्तेजक पाठ है जो मीडिया और भारतीय लोकतंत्र के इतिहास, वर्तमान और भविष्य में दिलचस्पी रखते हैं।
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